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एक तो विकी कौशल, ऊपर से सैम मानेकशॉ... सुभान-अल्‍लाह!

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 27 जून, 2019 04:12 PM
  • 27 जून, 2019 04:11 PM
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31 साल के विकी कौशल ने महज एक तस्वीर से ये दिखा दिया है कि वो न सिर्फ सैम मानेकशॉह की तरह लग सकते हैं बल्कि सैम मानेकशॉ का एटिट्यूड भी कैरी करने में उतने ही सफल रहे हैं. इसे परफेक्शन नहीं तो और क्या कहें.

Vicky Kaushal के बारे में लोग अक्सर ये कहते हैं कि विकी आने वाले समय के सुपरस्टार हैं. लेकिन विकी की हर फिल्म को देककर लगता है कि उनका वक्त आ गया है. उरी की सफलता के बाद विकी ने एक बार फिर भारतीय सेना की वर्दी पहनी है. Field Marshal Sam Manekshaw की बायोपिक में वो सैम मानेकशॉ का किरदार निभा रहे हैं. 27 जून को सैम मानेकशॉ की पुणयतिथि पर इस फिल्म का फर्स्ट लुक उन्होंने दुनिया के सामने रखा है.

विकी कौशल अपने काम को लेकर कितने परफैक्ट हैं और फिल्म निर्देशक उनपर दाव क्यों लगाते हैं, ये इस तस्वीर को देखकर साफ पता चलता है. 31 साल के इस नौजवान ने महज एक तस्वीर से ये दिखा दिया है कि वो न सिर्फ सैम मानेकशॉह की तरह लग सकते हैं बल्कि सैम मानेकशॉ का एटिट्यूड भी कैरी करने में उतने ही सफल रहे हैं. इसे परफेक्शन नहीं तो और क्या कहें.

सैम मानेकशॉ के लुक में पहचाने भी नहीं जा रहे हैं विकी कौशल

विकी कौशल भी इस किरदार को निभाकर खुद को खुशकिस्मत कह रहे हैं. ट्विटर पर उन्होंने आज के दिन सैम मानेकशॉ को याद किया.

जिस शख्स का किरदार निभाने के लिए विकी कौशल आज तारीफें बटोर रहे हैं. उस शख्स की कहानी इस तस्वीर से कहीं ज्यादा दिलचस्प है.

सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे. सैम एक पारसी थे. उनका पूरा नाम था होरमुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ. बचपन से ही निडर और बहादुर रहे सैम को लोग 'सैम बहादुर' भी कहते थे. वो भारतीय सेना के पहले ऐसे जनरल थे जिनको प्रमोट कर फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी. आज से 11 साल पहले यानी 27 जून 2008 को सैम मानेकशॉ ने दुनिया को अलविदा कहा था.

सैम मानेकशॉ को हमेशा...

Vicky Kaushal के बारे में लोग अक्सर ये कहते हैं कि विकी आने वाले समय के सुपरस्टार हैं. लेकिन विकी की हर फिल्म को देककर लगता है कि उनका वक्त आ गया है. उरी की सफलता के बाद विकी ने एक बार फिर भारतीय सेना की वर्दी पहनी है. Field Marshal Sam Manekshaw की बायोपिक में वो सैम मानेकशॉ का किरदार निभा रहे हैं. 27 जून को सैम मानेकशॉ की पुणयतिथि पर इस फिल्म का फर्स्ट लुक उन्होंने दुनिया के सामने रखा है.

विकी कौशल अपने काम को लेकर कितने परफैक्ट हैं और फिल्म निर्देशक उनपर दाव क्यों लगाते हैं, ये इस तस्वीर को देखकर साफ पता चलता है. 31 साल के इस नौजवान ने महज एक तस्वीर से ये दिखा दिया है कि वो न सिर्फ सैम मानेकशॉह की तरह लग सकते हैं बल्कि सैम मानेकशॉ का एटिट्यूड भी कैरी करने में उतने ही सफल रहे हैं. इसे परफेक्शन नहीं तो और क्या कहें.

सैम मानेकशॉ के लुक में पहचाने भी नहीं जा रहे हैं विकी कौशल

विकी कौशल भी इस किरदार को निभाकर खुद को खुशकिस्मत कह रहे हैं. ट्विटर पर उन्होंने आज के दिन सैम मानेकशॉ को याद किया.

जिस शख्स का किरदार निभाने के लिए विकी कौशल आज तारीफें बटोर रहे हैं. उस शख्स की कहानी इस तस्वीर से कहीं ज्यादा दिलचस्प है.

सैम मानेकशॉ भारत के पहले फील्ड मार्शल थे. सैम एक पारसी थे. उनका पूरा नाम था होरमुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ. बचपन से ही निडर और बहादुर रहे सैम को लोग 'सैम बहादुर' भी कहते थे. वो भारतीय सेना के पहले ऐसे जनरल थे जिनको प्रमोट कर फील्ड मार्शल की रैंक दी गई थी. आज से 11 साल पहले यानी 27 जून 2008 को सैम मानेकशॉ ने दुनिया को अलविदा कहा था.

सैम मानेकशॉ को हमेशा उनकी बहादुरी और जिंदादिली के लिए याद किया जाता है. उनके नेतृत्व में भारत ने साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल की थी. तब वो भारतीय सेना के चीफ थे. इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश का जन्म हुआ था. उनके बारे में ऐसा बहुत कुछ है जिसे सुनकर आप गर्व से फूले नहीं समाएंगे. उनकी जिंदगी के कुछ किस्से सुनकर आप इस दबंग आर्मी जवान को सैल्यूट करेंगे.

- वो कितने बेबाक थे वो इस वाकिए से समझा जा सकता है. भारत-पाकिस्तान के बीच जब 1971 की लड़ाई शुरू होने वाली थी. तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से पूछा था कि क्या लड़ाई की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं? इस पर मानेकशॉ ने तपाक से कहा- "I am always ready Sweety". जहां हर कोई इंदिरा गांधी से डरता था, वहीं सैम इंदिरा को बेझिझक sweety कहने का दम रखते थे.

- सैम की जिंदादिली का ये किस्सा बेहद अनोखा है. साल 1942 में बर्मा में जापान से लड़ाई में उन्हें 7 गोलियां लगी थीं. उनका बचना लगभग नामुमकिन था. जिसके बाद उन्हें गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया. इस दौरान एक सर्जन ने उनका ऑपरेशन करने से पहले उनसे पूछा- आपके साथ क्या हुआ था? तो उन्होंने हंसते हुए कहा "मुझे एक खच्चर ने लात मार दी है". जो शख्स मौत का सामना इतनी जिंददिली के साथ करे उसे भला बहादुर न कहें तो क्या कहें. ऑपरेशन सफल रहा और 7 गोलियां उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाईं.

- अप्रेल 1971 में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम से पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के लिए तैयारी करने के लिए कहा तो सैम ने प्रधानमंत्री से साफ कह दिया कि भारतीय सेना युद्ध के लिए तैयार नहीं है. अगर युद्ध होगा तो भारत को सिर्फ हार मिलेगी. इंदिरा गांधी को नाराज देखकर उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी. फिर दिसंबर 1971 में युद्ध लड़ा गया और जीती गया.

सिर्फ दबंग, निडर और बेबाक ही नहीं सैम मानेकशॉ का सेंस ऑफ ह्यूमर भी बहुत कमाल का था

- 1962 में जब मिजोरम की एक बटालियन ने भारत-चीन युद्ध से दूरी बनाने की कोशिश की तो मानेकशॉ ने उस बटालियन को पार्सल में चूड़ी के डिब्बे के साथ एक नोट भेजा. जिस पर लिखा था- 'अगर लड़ाई से पीछे हट रहे हो तो अपने आदमियों को ये पहनने को बोल दो.' फिर उस बटालियन ने लड़ाई में हिस्सा लिया और भरपूर वीरता दिखाई. और तब सैम ने कहा- 'चूड़ियां वापस भेज दो.'

- आज़ादी के बाद सैम मानिकशॉ पंजाब रेजिमेंट में शामिल हुए और बाद में गोरखा राइफल्स में कर्नल बने. हाजिरजवाबी देखिए. कहते थे- 'अगर कोई सिपाही कहता है कि वो मौत से नहीं डरता, तो या तो वो झूठ बोल रहा है, या फिर वो गोरखा है.'

- युद्ध के बाद हारी हुई जगह की महिलाओं के साथ अन्याय किया जाता था, मानेकशॉ नहीं चाहते थे कि भारतीय सेना पर महिलाओं का अपमान करने के इल्जाम लगें. इसलिए उन्होंने सेना से कहा था- 'जब आप किसी बेगम को देखें, अपने हाथ जेब में रखें और सैम के बारे में सोचें.'

- बांग्लादेश युद्ध में भारत को मिली जीत के बाद सैम मानेकशॉ की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी और ऐसी अफवाहें उड़ने लगी थीं कि वे तख्तापलट कर सकते हैं. इंदिरा गांधी ने उन्हें बुलाकर उनसे पूछा- ‘सुना है तुम तख्तापलट करने वाले हो. बोलो क्या ये सच है?’ सैम सैम मानेकशॉ- ‘आपको क्या लगता है? आप मुझे इतना नाकाबिल समझती हैं कि मैं ये काम भी नहीं कर सकता!’ फिर रुक कर वे बोले,’ देखिये प्राइम मिनिस्टर, हम दोनों में कुछ तो समानताएं हैं. मसलन, हम दोनों की नाक लम्बी है पर मेरी नाक कुछ ज़्यादा लम्बी है आपसे. ऐसे लोग अपने काम में किसी का टांग अड़ाना पसंद नहीं करते. जब तक आप मुझे मेरा काम आजादी से करने देंगी, मैं आपके काम में अपनी नाक नहीं अड़ाउंगा.’

- सैम मानिकशॉ की बेबाकी का एक और किस्सा भी है. तेजपुर में वे एक बार नेहरू को असम के हालात पर ब्रीफिंग दे रहे थे कि तभी इंदिरा उस कमरे में चली आईं. सैम ने इंदिरा को यह कहकर बाहर करवा दिया था कि उन्होंने अभी गोपनीयता की शपथ नहीं ली है.

- एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया वे अगर पकिस्तान सेना में होते तो 1971 के युद्ध का परिणाम क्या होता? तो जनरल ने जवाब दिया- ...तब पाकिस्तान जीत गया होता...’

विकी कौशल की फिल्म तो बाद में आएगी, फिल्हाल आप सैम मानेकशॉ के जीवन पर बनी ये डॉक्यूमेंट्री देखिए, जिसमें उनके जीवन के अन्य पहलुओं को दिखाया गया है.

विकी कौशल की फिल्म को मेघना गुल्जार डायरेक्ट कर रही हैं. फिल्म के 2021 में रिलीज होने की संभावनाएं हैं. और फर्स्ट लुक यही साबित करता है कि विकी कौशल के हिस्से में अपने करियर की एक और बेहतरीन फिल्म आई है, जिसके लिए उन्हें सैम मानेकशॉ की ही तरह हमेशा याद किया जाता रहेगा. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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