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सलीम खान का राधे को 'खराब' कहना ईमानदार रिव्यू है, या सलमान खान का डिफेंस?

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 28 मई, 2021 10:31 PM
  • 28 मई, 2021 10:31 PM
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सलीम खान ने कहा कि राधे ग्रेट फिल्म नहीं है. लेकिन कमर्शियल सिनेमा की एक जिम्मेदारी होती है कि हर स्टेकहोल्डर को पैसे मिले. इस आधार पर सलमान फायदे में हैं. राधे के स्टेक होल्डर्स को पैसे मिले हैं. .

राधे: योर मोस्ट वांटेड पर सलमान खान के पिता सलीम खान का रिव्यू चर्चा में है. दरअसल, एक्टर के पिता ने एक अखबार से इंटरव्यू में कहा कि राधे ग्रेट फिल्म नहीं है. मगर कमर्शियल सिनेमा की एक जिम्मेदारी होती है कि हर स्टेकहोल्डर को पैसे मिले. इस आधार पर देखा जाए तो राधे के स्टेक होल्डर्स को पैसे मिले हैं.

सलीम खान बॉलीवुड के दिग्गज लेखकों में शुमार रहे. जंजीर, शोले, त्रिशूल जैसी दर्जनों फिल्मों को लिखा. सलमान का पूरा परिवार एक ही इंडस्ट्री से है जहां लोग एक-दूसरे से फिल्मों पर बात करते ही होंगे. इससे पहले सलीम कह भी चुके हैं कि जरूरत पड़ने पर उनके बेटे (सलमान खान भी) काम के सिलसिले में राय-मशविरा करते हैं. अगर उन्हें कोई चीज लगती है तो खुद भी बोल देते हैं. एक ही इंडस्ट्री से आने वाले और एक ही छत के नीचे रह रहे परिवार में ये स्वाभाविक भी है. फिर सवाल है कि क्या रेस 3, दबंग 3 और काफी हद तक भारत के बाद राधे के लिए सलमान ने पिता से कभी राय ली थी? या एक पिता के तौर पर सलीम खान ने ही अपनी ओर से कुछ सलाह देना मुनासिब समझा था?

हो सकता है कि सलमान ने इस बारे में राय मशविरा ना किया हो. दूसरे एक्टर की तरह वो स्वतंत्र रूप से चीजों को डील करते हों. लेकिन सलमान और उनके भाइयों ने इंटरव्यूज में कामकाज और पिता को लेकर ऐसी बातें कही हैं जिससे यह माना जा सकता है कि सलीम खान भले बेटों के काम में दखल ना देते हों लेकिन मुश्किल वक्त में जरूर सलाह देते होंगे. और अगर सलाह दे रहे हैं तो फिर सलमान लगातार राधे जैसे हादसों का शिकार क्यों हो रहे हैं? सलीम खान का यह तर्क कि राधे ने स्टेक होल्डर को फायदा दिया- हजम करने लायक नहीं है. इस बिना पर (कारोबारी लिहाज से) कमोबेश सलामन की पिछली कई फ्लॉप फिल्मों ने किसी तरह मुनाफा निकाल ही लिया. मगर इन फिल्मों में जो दर्शकों का स्टेक था उसके बारे में सलीम खान ने कोई राय ही नहीं जाहिर की. क्यों?

राधे: योर मोस्ट वांटेड पर सलमान खान के पिता सलीम खान का रिव्यू चर्चा में है. दरअसल, एक्टर के पिता ने एक अखबार से इंटरव्यू में कहा कि राधे ग्रेट फिल्म नहीं है. मगर कमर्शियल सिनेमा की एक जिम्मेदारी होती है कि हर स्टेकहोल्डर को पैसे मिले. इस आधार पर देखा जाए तो राधे के स्टेक होल्डर्स को पैसे मिले हैं.

सलीम खान बॉलीवुड के दिग्गज लेखकों में शुमार रहे. जंजीर, शोले, त्रिशूल जैसी दर्जनों फिल्मों को लिखा. सलमान का पूरा परिवार एक ही इंडस्ट्री से है जहां लोग एक-दूसरे से फिल्मों पर बात करते ही होंगे. इससे पहले सलीम कह भी चुके हैं कि जरूरत पड़ने पर उनके बेटे (सलमान खान भी) काम के सिलसिले में राय-मशविरा करते हैं. अगर उन्हें कोई चीज लगती है तो खुद भी बोल देते हैं. एक ही इंडस्ट्री से आने वाले और एक ही छत के नीचे रह रहे परिवार में ये स्वाभाविक भी है. फिर सवाल है कि क्या रेस 3, दबंग 3 और काफी हद तक भारत के बाद राधे के लिए सलमान ने पिता से कभी राय ली थी? या एक पिता के तौर पर सलीम खान ने ही अपनी ओर से कुछ सलाह देना मुनासिब समझा था?

हो सकता है कि सलमान ने इस बारे में राय मशविरा ना किया हो. दूसरे एक्टर की तरह वो स्वतंत्र रूप से चीजों को डील करते हों. लेकिन सलमान और उनके भाइयों ने इंटरव्यूज में कामकाज और पिता को लेकर ऐसी बातें कही हैं जिससे यह माना जा सकता है कि सलीम खान भले बेटों के काम में दखल ना देते हों लेकिन मुश्किल वक्त में जरूर सलाह देते होंगे. और अगर सलाह दे रहे हैं तो फिर सलमान लगातार राधे जैसे हादसों का शिकार क्यों हो रहे हैं? सलीम खान का यह तर्क कि राधे ने स्टेक होल्डर को फायदा दिया- हजम करने लायक नहीं है. इस बिना पर (कारोबारी लिहाज से) कमोबेश सलामन की पिछली कई फ्लॉप फिल्मों ने किसी तरह मुनाफा निकाल ही लिया. मगर इन फिल्मों में जो दर्शकों का स्टेक था उसके बारे में सलीम खान ने कोई राय ही नहीं जाहिर की. क्यों?

दरअसल, सलीम खान का पूरा इंटरव्यू एक समीक्षक की अपेक्षा एक पिता का बेटे को बचाने वाला नजर आता है. क्योंकि इसी इंटरव्यू में जब सलीम से सलमान के लिए कोई अच्छा आइडिया लिखने का सवाल पूछा जाता है तो वो उसे घुमा फिरा देते हैं और कहते हैं- "मेरे लिखने से क्या होगा." किसी दूसरे राइटर से अच्छी फ़िल्में लिखवाने के सवाल पर इंडस्ट्री के लेखकों को ही बेकार बता देते हैं. गोया राधे सिर्फ लचर स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले की वजह से प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही. सलीम ने क्या कहा- इंडस्ट्री की दिक्कत ये है कि यहां ऐसे लेखन नहीं हैं जो हिंदी या उर्दू पढ़ते हों. कुछ भी बाहर का देखा और उसका भारतीय करण करने में लग जाते हैं. वो मानते हैं कि जावेद अख्तर के साथ उनकी जोड़ी का आजतक रिप्लेसमेंट ही नहीं मिल पाया ऐसे में बिचारे सलमान खान करें तो क्या करें.

अब कोई सलीम खान से पूछे कि जिस वक्त वो सलमान को बचाने के लिए कमजोर लेखकों की दुहाई दे रहे हैं उसी वक्त बॉलीवुड में एक्शन, इमोशन, कॉमेडी, रोमांस जैसे अनेकों टॉपिक्स पर ना सिर्फ अच्छी फ़िल्में बन रही हैं बल्कि बड़े पैमाने पर हिट भी हो रही हैं. ठग्स ऑफ हिंदोस्तान को छोड़ दिया जाए तो सलमान के ही समकक्ष आमिर खान हर अंतराल पर नै तरह की कहानियां लेकर आ रहे हैं. जहां तक सलीम-जावेद के रिप्लेसमेंट की बात है उनके बाद कई सौ बेहतरीन फ़िल्मी कहानियां बॉलीवुड ने दी हैं अधिकाँश ब्लॉकबस्टर भी रहीं. लेकिन सलीम की दिक्कत दूसरी है और उन्होंने बॉलीवुड के निरीह लेखकों को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की. सलीम दरअसल, एक पिता की तरह राधे की वजह से हर तरफ घिरे सलमान खान को सिर्फ बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

अब कोई उनसे पूछे कि अगर लेखक दोषी है तो स्क्रिप्ट को दोष दिया जा सकता है. मगर सुल्तान और टाइगर जिंदा है को छोड़ दिया जाए तो पिछले कुछ सालों में सलमान का अपना परफोर्मेंस ही कसौटी पर है. फ़िल्में कभी औसत तो कभी सिनेमाघरों से अलग सलमान की स्टार पावर की वजह से मुनाफा कमाती रहीं. मगर निश्चित तौर पर दर्शक लगातार निराश होते रहे. जबकि राधे को ही ले लिया जाए तो खराब स्क्रिप्ट पर बनी फिल्म में विलेन के किरदार को रणदीप हुड्डा ने बखूबी किया. रणदीप के काम को समीक्षकों ने फिल्म का सबसे अच्छा पार्ट करार दिया है. भला फिल्म के सबसे अहम पार्ट को छोड़कर जिम्मेदारी सिर्फ लेखक कैसे ले सकता है? कायदे से राधे को ढोने की जिम्मेदारी सलमान की थी, कसौटी पर नहीं उतरने की वजह से उनके पिता एक्टर का कंधा सुरक्षित रखना चाहते हैं.

सलीम खान 55 साल के बेटे को 35 साल के युवा किरदारों के लिए चुका एक्टर मानने को तैयार ही नहीं हैं. ये वो सच्चाई है जिसका असर सलमान के करियर पर पड़ रहा है. सलीम का रिव्यू दरअसल, एक पिता की तरफ से राधे जैसी फिल्म में सलमान की आलोचनाओं के नैरेटिव को बदलने की कोशिश है. उन्होंने पहले भी सलमान की कुछ फिल्मों के लिए ऐसा कहा है. हो सकता है कि राधे में दर्शकों का जो स्टेक लगा उसके लिए अब सलमान भी माफी मांगे. जैसे उन्होंने पहले किया है. लेकिन सलमान के लिए ये वक्त ठहरकर सोचने का है. सलीम खान को भी पिता की बजाय एक समीक्षक की तरह बेटे को सलाह देन चाहिए .

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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