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कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू-कोमाराम भीम? जिनकी कहानी पर बनी राजामौली की RRR!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 11 दिसम्बर, 2021 03:33 PM
  • 11 दिसम्बर, 2021 03:33 PM
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बाहुबली फेम निर्देशक एस एस राजामौली की 400 करोड़ की लागत से बनी फिल्म RRR का ट्रेलर हमारे सामने है. ऐसे में हमारे लिए ये जानना भी जरूरी है कि कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू-कोमाराम भीम? जिनकी कहानी पर बनी है ये ऐतिहासिक फ़िल्म.

बाहुबली फेम निर्देशक एसएस राजामौली की मोस्ट अवेटेड फिल्म RRR का ट्रेलर रिलीज हो गया है. करीब 3 मिनट और 16 सेकंड के इस ट्रेलर को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म के लिए न केवल निर्देशक राजामौली ने तकनीकी पहलूओं पर काम किया बल्कि साउथ के सुपरस्टार राम चरण और जूनियर एनटीआर के जरिये भारत का वो स्वर्णिम इतिहास भी दिखाया जो कई मायनों में जबरदस्त है और साथ ही जो ये बताता है कि हमारा अतीत बहादुर एवं गौरवशाली रहा है. इन दो कलाकारों का चयन फिल्म में यूं ही नहीं है. फिल्म दो रियल लाइफ हीरोज यानी अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम? के बारे में है और इन्हीं से प्रेरित होकर निर्देशक द्वारा इस फिल्म का निर्माण किया गया है.

अब जबकि अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम का नाम हमारे सामने है तो हमारे लिए भी इन दो हीरोज के बारे में जान लेना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि ये दोनों ही शख्सियतें ऐसा बहुत कुछ कर के चली गयीं हैं कि इनके किये का कर्ज एक भारतीय के रूप में हम शायद ही कभी उतार सकें. तो अब देर किस बात की आइये एक नजर डालें अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम पर और जानें कि क्यों हमें इनका एहसानमंद रहना चाहिए.

अपनी फिल्म RRR में निर्देशक एस एस राजामौली ने अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम के कैरेक्टर के साथ इंसाफ कर दिया है

बताते चलें कि साउथ सिनेमा के दो बड़े सितारे राम चरण और जूनियर एनटीआर फिल्म के लीड में हैं. फिल्म में जहां राम चरण ने स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू का रोल किया है वहीं अपने एक्शन के लिए मशहूर जूनियर एनटीआर कोमाराम भीम के कैरेक्टर में हैं.

अल्लूरी सीताराम राजू ने जो देश के लिए किया उसे शायद ही भूला जा सके 

अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 1857 में विशाखापट्टनम में हुआ था....

बाहुबली फेम निर्देशक एसएस राजामौली की मोस्ट अवेटेड फिल्म RRR का ट्रेलर रिलीज हो गया है. करीब 3 मिनट और 16 सेकंड के इस ट्रेलर को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म के लिए न केवल निर्देशक राजामौली ने तकनीकी पहलूओं पर काम किया बल्कि साउथ के सुपरस्टार राम चरण और जूनियर एनटीआर के जरिये भारत का वो स्वर्णिम इतिहास भी दिखाया जो कई मायनों में जबरदस्त है और साथ ही जो ये बताता है कि हमारा अतीत बहादुर एवं गौरवशाली रहा है. इन दो कलाकारों का चयन फिल्म में यूं ही नहीं है. फिल्म दो रियल लाइफ हीरोज यानी अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम? के बारे में है और इन्हीं से प्रेरित होकर निर्देशक द्वारा इस फिल्म का निर्माण किया गया है.

अब जबकि अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम का नाम हमारे सामने है तो हमारे लिए भी इन दो हीरोज के बारे में जान लेना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि ये दोनों ही शख्सियतें ऐसा बहुत कुछ कर के चली गयीं हैं कि इनके किये का कर्ज एक भारतीय के रूप में हम शायद ही कभी उतार सकें. तो अब देर किस बात की आइये एक नजर डालें अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम पर और जानें कि क्यों हमें इनका एहसानमंद रहना चाहिए.

अपनी फिल्म RRR में निर्देशक एस एस राजामौली ने अल्लूरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम के कैरेक्टर के साथ इंसाफ कर दिया है

बताते चलें कि साउथ सिनेमा के दो बड़े सितारे राम चरण और जूनियर एनटीआर फिल्म के लीड में हैं. फिल्म में जहां राम चरण ने स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू का रोल किया है वहीं अपने एक्शन के लिए मशहूर जूनियर एनटीआर कोमाराम भीम के कैरेक्टर में हैं.

अल्लूरी सीताराम राजू ने जो देश के लिए किया उसे शायद ही भूला जा सके 

अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 1857 में विशाखापट्टनम में हुआ था. अल्लूरी सीताराम राजू को सांसारिक सुख अच्छे नहीं लगे और उन्होंने 18 साल की छोटी सी उम्र में साधु बनने का फैसला किया. अल्लूरी सीताराम राजू में जो जानकारी हासिल हुई है उसके मुताबिक कम उम्र में ही उन्होंने मुंबई, बड़ोदरा, बनारस, ऋषिकेश की यात्रा की और देश के तमाम युवाओं की तरह अल्लूरी सीताराम राजू, महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे.

1920 के आस-पास अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी लोगों को शराब छोड़ कर अपनी समस्याओं को पंचायत में हल करने की सलाह दी. चूंकि इस समय तक देश अंग्रेजों के जुल्मों सितम का साक्षी बन चुका था. इसका गहरा असर अल्लूरी सीताराम राजू पर भी हुआ और कुछ समय बाद उन्होंने महात्मा गांधी के अहिंसा के विचारों का त्याग कर दिया. इतना ही नहीं अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध संग्राम भी छेड़ा और अपना तीर-कमान लेकर अंग्रेजों का सफाया करने निकल पड़े.

कहते हैं कि देश के लिये लड़ते हुए उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गयी कई यातनाओं को भी हंसते हंसते सहा लेकिन कभी भी उन्होंने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के सामने सिर नहीं झुकाया. 1924 में उन्होंने दुनिया को उस वक़्त अलविदा कहा जब अंग्रेजी सैनिकों ने क्रांतिकारी अल्लूरी को पेड़ से बांध कर उन पर गोलियों की बौछार की. आज भले ही अल्लूरी सीताराम राजू हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके जीवन और उनकी कुर्बानियों में ऐसा बहुत कुछ है जिससे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए.

कौन थे कोमाराम भीम क्यों है उनका भी जीवन हम भारतीयों के लिए प्रेरणा?

अल्लूरी सीताराम राजू की ही तरह एस एस राजामौली ने अपनी अपकमिंग फिल्म RRR में कोमाराम भीम का भी कैरेक्टर दिखाया है. भीम का जन्म 1900 में संकेपल्ली, आदिलाबाद में हुआ था. कोमाराम भीम गोंड समाज से ताल्लुक रखते थे. कोमाराम भीम के जीवन का मकसद भी गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत मां को आजादी दिलवाना था.

बताया जाता है कि कोमाराम भीम ने हैदराबाद की आजादी के लिये आसफ जाही राजवंश के खिलाफ विद्रोह की आग लगाई और लंबे समय तक संघर्ष किया. राजवंश के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा जंगलों में इधर उधर भटकते हुए व्यतीत किया.

एस एस राजमौली के जरिये भारत के दो महान क्रांतिकारियों के जीवन की दास्तां हम भले ही 7 जनवरी को देखेंगे. लेकिन जैसा ट्रीटमेंट फिल्म को एक निर्देशक के रूप में एस एस राजामौली ने दिया है कहना गलत नहीं है कि उन्होंने फिल्म और पात्रों के साथ पूरा इंसाफ किया है.

अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि फिल्म हिट होती है या फ्लॉप इसका फैसला तो दर्शक करेंगे लेकिन चूंकि ये राजामौली की फिल्म है दर्शकों को निराशा नहीं होगी. भले ही फिल्म जनता को कोई बड़ा मैसेज देने में कामयाब न हो पाए लेकिन उसे एंटरटेनमेंट पूरा मिलने वाला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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