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आरडी बर्मन यदि विदेशी धुन ही चुराते तो पंचम दा न कहलाते

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 27 जून, 2021 06:00 PM
  • 27 जून, 2021 06:00 PM
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आरडी बर्मन की आलोचना करने वाले बड़े ही सतही तौर पर ये जुमला कह देते हैं कि, 'अरे, वो तो विदेशी गानों की धुन चुराते थे'. लेकिन, ऐसे लोग उनके गानों की बारीकी में नहीं जाते. पंचम दा उस बेहतरीन शेफ की तरह रहे हैं, जो लजीज पकवान के लिए जरूरत का सामान तो बाजार से ले आते हैं, लेकिन उनका असली हुनर मसालों का सही तड़का लगाना है.

बिना संगीत के हिंदी सिनेमा की कल्पना करना मुश्किल है. देश के कई बेहतरीन संगीतकार हिंदी सिनेमा की वजह से ही मशहूर हुए. इन संगीतकारों ने अनगिनत लोकप्रिय धुनें बनाई जो इतने कर्णप्रिय हैं कि उन्हें आज भी चाव से सुना जाता है. हिंदी सिनेमा के श्रेष्ठ संगीतकारों की फेहरिस्त में राहुल देव बर्मन (आरडी बर्मन) का नाम शुमार है.

फिल्म इंडस्ट्री में पंचम दा के रूप में लोकप्रिय आरडी बर्मन को हिंदी फिल्म संगीत को हमेशा के लिए बदल देने वाले क्रांतिकारी संगीतकार के रूप में भी याद किया जाता है. उन्होंने वेस्टर्न म्यूजिक, अपरंपरागत वाद्य धुनों को भारतीय संगीत के साथ इस्तेमाल कर एक अलग ही जादू पैदा कर दिया. ये दूसरी बात है कि उनकी कई लोकप्रिय धुनों पर विदेशी धुनों की चोरी के आरोप भी लगते रहे हैं.

पंचम दा की धुन पर ही मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार और आशा भोंसले ने अपने करियर में कई बेहतरीन गाने गाए. पंचम दा को संगीत विरासत में मिली थी. उनके पिता एसडी बर्मन भी नामचीन संगीतकार थे. उन्होंने बेहद कम उम्र में कई धुनों को बनाना शुरू कर दिया था. कहते हैं कि आरडी ने मात्र नौ साल की उम्र में "ऐ मेरी टोपी पलट के" की धुन बनाई जिसे उनके पिता ने फंटूश में इस्तेमाल किया.

गुरुदत्त की "प्यासा" में जॉनी वाकर के ऊपर फिल्माया गया लोकप्रिय गाना- सर जो तेरा चकराए, भी आरडी ने ही तैयार की थी. बाद में आरडी ने पिता के सहायक के रूप में फ़िल्मी करियर शुरू किया और हिंदी समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों के लिए धुनें बनाई. साल 1961 में आई छोटे नवाब उनकी पहली फिल्म थी. निधन तक 33 साल बतौर संगीतकार सक्रीय रहें और दर्जनों फिल्मों की धुनें बनाई.

क्या आरडी बर्मन चोरी की धुनें बनाते थे?

पंचम दा ने वैसे तो भारतीय संगीत की बाकायदे ट्रेनिंग ली थी. मगर उन्हें वेस्टर्न...

बिना संगीत के हिंदी सिनेमा की कल्पना करना मुश्किल है. देश के कई बेहतरीन संगीतकार हिंदी सिनेमा की वजह से ही मशहूर हुए. इन संगीतकारों ने अनगिनत लोकप्रिय धुनें बनाई जो इतने कर्णप्रिय हैं कि उन्हें आज भी चाव से सुना जाता है. हिंदी सिनेमा के श्रेष्ठ संगीतकारों की फेहरिस्त में राहुल देव बर्मन (आरडी बर्मन) का नाम शुमार है.

फिल्म इंडस्ट्री में पंचम दा के रूप में लोकप्रिय आरडी बर्मन को हिंदी फिल्म संगीत को हमेशा के लिए बदल देने वाले क्रांतिकारी संगीतकार के रूप में भी याद किया जाता है. उन्होंने वेस्टर्न म्यूजिक, अपरंपरागत वाद्य धुनों को भारतीय संगीत के साथ इस्तेमाल कर एक अलग ही जादू पैदा कर दिया. ये दूसरी बात है कि उनकी कई लोकप्रिय धुनों पर विदेशी धुनों की चोरी के आरोप भी लगते रहे हैं.

पंचम दा की धुन पर ही मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार और आशा भोंसले ने अपने करियर में कई बेहतरीन गाने गाए. पंचम दा को संगीत विरासत में मिली थी. उनके पिता एसडी बर्मन भी नामचीन संगीतकार थे. उन्होंने बेहद कम उम्र में कई धुनों को बनाना शुरू कर दिया था. कहते हैं कि आरडी ने मात्र नौ साल की उम्र में "ऐ मेरी टोपी पलट के" की धुन बनाई जिसे उनके पिता ने फंटूश में इस्तेमाल किया.

गुरुदत्त की "प्यासा" में जॉनी वाकर के ऊपर फिल्माया गया लोकप्रिय गाना- सर जो तेरा चकराए, भी आरडी ने ही तैयार की थी. बाद में आरडी ने पिता के सहायक के रूप में फ़िल्मी करियर शुरू किया और हिंदी समेत कई क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों के लिए धुनें बनाई. साल 1961 में आई छोटे नवाब उनकी पहली फिल्म थी. निधन तक 33 साल बतौर संगीतकार सक्रीय रहें और दर्जनों फिल्मों की धुनें बनाई.

क्या आरडी बर्मन चोरी की धुनें बनाते थे?

पंचम दा ने वैसे तो भारतीय संगीत की बाकायदे ट्रेनिंग ली थी. मगर उन्हें वेस्टर्न धुनें बहुत लुभाती थीं. जब उन्होंने फिल्मों में स्वतंत्र रूप से संगीत देना शुरू किया तो इसका जमकर इस्तेमाल भी किया. हालांकि वेस्टर्न धुनों से पंचम दा का लगाव उनके पिता को पसंद नहीं था. उनपर चोरी के आरोप भी लगे. जब तब सोशल मीडिया पर भी इस बात को लेकर बहस होती है. रेडिट पर ऐसी ही एक बहस में पंचम के कुछ लोकप्रिय धुनों को दावे के साथ चोरी का बताते हुए मूल धुनों की एक लिस्ट साझा की गई हैं. एक वेबसाइट पर तो आरडी बर्मन के सर्वाधिक लोकप्रिय 42 गानों की लिस्ट जारी की गई है. उसमें मूल संगीत कहां से उठाया गया उस सूची का भी जिक्र किया गया है. ऐसी ही एक सूची और है, जहां पंचम दा की 23 फ़िल्मी धुनों को दावे के साथ चोरी का बताया गया है.

पंचम की जिन लोकप्रिय धुनों को चोरी का बताया गया है उनमें - मेहबूबा ओ मेहबूबा (शोले), चुरा लिया है तुमने जो दिल को (यादों की बरात), जीवन के हर मोड़ पे मिल जाएंगे हमसफ़र (झूठा कहीं का), तुमसे मिल के ऐसा लगा (परिंदा), तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई (आ गले लग जा), एक मैं और एक तूं, सपना मेरा टूट गया (दोनों गाने खेल खेल में), मैं झोंका मस्त हवा का (डबल क्रॉस), तेरी है जमीन (द बर्निंग ट्रेन), मौसम प्यार का (सितमगर), ओ मारिया (सागर), आ देखें जरा (रॉकी), जब तक है जान (शोले), कभी बेकसी ने मारा (अलग अलग) जैसे गाने शामिल हैं.

दरअसल, वेस्टर्न म्यूजिक से प्रभावित पंचम दा अमेरिकी जैज सिंगर लुई आर्मस्ट्रांग के दीवाने थे. शोले में मेहबूबा ओ मेहबूबा की धुन उसी से प्रेरित थी. आरडी बर्मन पर अपनी किताब में फिल्म जर्नलिस्ट चैतन्य पादुकोण ने बताया है कि- "पंचम दा वेस्टर्न या जैज से बहुत प्रभावित थे और उनके कई गानें उनसे प्रेरित भी थे, मगर उन्होंने कभी दूसरे संगीतकारों की तरह कभी धुनों की चोरी नहीं की. पंचम दा कहते थे कि मैं भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षित हूं ना कि पश्चिमी संगीत या जैज में. इसलिए मैं ऐसा कुछ भी नहीं बना सकता जिसके बारे में मेरी समझ या जानकारी ही ना हो. लेकिन मैं जो कर रहा हूं (वेस्टर्न से प्रेरित गानों की कुछ धुनें बनाना) वो चोरी नहीं है. मैं वेस्टर्न धुनों का सिर्फ सार ले रहा हूं और इंडियन क्लासिक के साथ मिलाकर कुछ यूनिक बना रहा हूं."

यादों की बरात में चुरा लिया है तुमने जो दिल को.. की धुन के लिए पंचम दा पर आरोप लगाए जाते हैं कि ये - बोजुरा की "इफ इट्स ट्यूजडे दिस मस्त बी बेल्जियम" से उठाया गया है. मगर चुरा लिया है तुमने... की सिर्फ शुरुआती ट्यून ही उन्होंने सेम ली है. गाने सुनेंगे तो धुन में आगे की कई अरेंजमेंट्स और लेयर्स पंचम दा ने बनाई है जो बहुत ही यूनिक और सिर्फ उनका संगीत है. पंचम दा की खासियत थी कि उन्होंने गानों में ट्रेडिशनल इंस्ट्रूमेंट्स के अलावा नेचुरल साउंड्स का भी इस्तेमाल किया. बारिश के बूंदों का शोर, शरीर की आवाज, भीड़ और ट्रैफिक का शोर, रेलगाड़ी की सिटी और उसका शोर जैसे बहुत सारी आवाजों को धुनों में इस्तेमाल किया. इतना प्रयोगधर्मी संगीतकार बॉलीवुड में दूसरा नहीं हुआ है.

27 जून 1939 को कोलकाता में जन्मे पंचम दा का निधन 4 जनवरी 1994 में हुआ था. उन्होंने कई दर्जन फिल्मों में अमर संगीत दिया. उनकी आख़िरी फिल्म 1942 अ लव स्टोरी थी. इस फिल्म के भी सारे गाने सुपरहिट हुए थे. कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो, क्या कहना है क्या सुनना है... इसी फिल्म का गाना है.

आख़िरी बात. धुनों को चोरी करना और उनसे प्रेरित होना, दो अलग अलग अवस्थाएं हैं. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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