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अभिनेता रजनीकांत के लिए शुभ नहीं हैं नेता रजनीकांत

    • टीएस सुधीर
    • Updated: 08 जून, 2018 04:45 PM
  • 06 जून, 2018 09:34 PM
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रजनीकांत की मानें तो काला कोई राजनीतिक फिल्म नहीं है. लेकिन हां इसमें राजनीति है और लोगों के लिए रजनीकांत के कई डायलॉग भी हैं जिनपर वो सीटियां बजाएं.

रजनीकांत ने जो स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं उसके बाद कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. चेन्नई समेत तमिलनाडु के सिनेमाघरों में उनकी आने वाली फिल्म 'काला' की एडवांस बुकिंग के लिए लोगों की प्रतिक्रिया बेहद कमजोर रही. ज्यादातर सिनेमाघरों में 7 और 8 जून के लिए ही टिकट बुक किए गए हैं. वीकेंड में काफी हद तक सीटें खाली ही हैं जो अभूतपूर्व है. और अगर आप थोड़ी कोशिश करेंगे, तो आपको पहले दिन शो के लिए टिकट भी मिल सकता है. हैदराबाद में 'काला' के तेलुगू संस्करण के साथ ही यही मामला है.

कबाली के रिकॉर्ड को छूना रजनीकांत के लिए ही भारी पड़ रहा है!

सुपरस्टार की फिल्म रिलीज होने का मतलब फैन्स के लिए दिवाली का पहले आ जाना है. 2016 में रजनी की फिल्म कबाली के रिलीज के समय हमने देखा था कि रजनी के प्रशंसकों ने चेन्नई में काशी थियेटर पर सुबह 4 बजे से लाइनें लगा ली थी और पटाखे फोड़ने लगे थे. पटाखे तब तक नहीं रुके जब तक की तमिलनाडु दूध संघ ने इसपर आपत्ति नहीं जताई. प्रशंसकों ने रजनीकांत के विशाल कट-आउट का दूध से अभिषेक किया. आईटी कंपनियां सप्ताहांत में अपने कर्मचारियों के लिए थोक में फिल्म की टिकटें बुक कर लेती हैं.

लेकिन उसकी तुलना में काला पर अभी तक लोगों की प्रतिक्रिया कम ही रही है. ये आश्चर्य की बात है, क्योंकि 31 दिसंबर, 2017 में

रजनीकांत ने जो स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं उसके बाद कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. चेन्नई समेत तमिलनाडु के सिनेमाघरों में उनकी आने वाली फिल्म 'काला' की एडवांस बुकिंग के लिए लोगों की प्रतिक्रिया बेहद कमजोर रही. ज्यादातर सिनेमाघरों में 7 और 8 जून के लिए ही टिकट बुक किए गए हैं. वीकेंड में काफी हद तक सीटें खाली ही हैं जो अभूतपूर्व है. और अगर आप थोड़ी कोशिश करेंगे, तो आपको पहले दिन शो के लिए टिकट भी मिल सकता है. हैदराबाद में 'काला' के तेलुगू संस्करण के साथ ही यही मामला है.

कबाली के रिकॉर्ड को छूना रजनीकांत के लिए ही भारी पड़ रहा है!

सुपरस्टार की फिल्म रिलीज होने का मतलब फैन्स के लिए दिवाली का पहले आ जाना है. 2016 में रजनी की फिल्म कबाली के रिलीज के समय हमने देखा था कि रजनी के प्रशंसकों ने चेन्नई में काशी थियेटर पर सुबह 4 बजे से लाइनें लगा ली थी और पटाखे फोड़ने लगे थे. पटाखे तब तक नहीं रुके जब तक की तमिलनाडु दूध संघ ने इसपर आपत्ति नहीं जताई. प्रशंसकों ने रजनीकांत के विशाल कट-आउट का दूध से अभिषेक किया. आईटी कंपनियां सप्ताहांत में अपने कर्मचारियों के लिए थोक में फिल्म की टिकटें बुक कर लेती हैं.

लेकिन उसकी तुलना में काला पर अभी तक लोगों की प्रतिक्रिया कम ही रही है. ये आश्चर्य की बात है, क्योंकि 31 दिसंबर, 2017 में राजनीति में एंट्री की अपनी घोषणा के बाद रजनी की ये पहली फिल्म है. रजनीकांत की मानें तो काला कोई राजनीतिक फिल्म नहीं है. लेकिन हां इसमें राजनीति है और लोगों के लिए रजनीकांत के कई डायलॉग भी हैं जिनपर वो सीटियां बजाएं.

तो आखिर इस बार तमिलनाडु में बॉक्स ऑफिस के इतना ठंडा रहने के पीछे का कारण क्या है?

पा रंजीथ के साथ रजनी के यह लगातार दूसरी फिल्म है और इसमें संतोष नारायणन का संगीत है. फिल्म के गानों में कबाली की झलक साफ सुनाई देती है, इसमें भी संगीत की तुलना में शोर और साउंड ज्यादा है. निर्माता धनुष बार-बार ये दोहरा रहे हैं कि इस फिल्म में रजनीकांत के किरदार में स्थानीय कलेवर दिखेगा. लेकिन फिर भी लोग इसे रजनीकांत से ज्यादा रंजिथ की फिल्म ही मान रहे हैं.

जैसे कबाली के ट्रेलर ने लोगों को अपील किया था, काला का ट्रेलर इसमें विफल रहा है. इसमें दर्शकों को चौंकाने वाली कोई बात नहीं थी और फिल्म का प्लॉट भी कमजोर दिखा.

काला में रजनी मुंबई के धारवी झोपड़ीपट्टी के डॉन की भूमिका दिखेंगे. जो अपने लोगों को उनकी जमीन छीनने वाले राजनेताओं के खिलाफ विद्रोह करने के लिए तैयार करता है. फिल्म तुतीकोरेन में हुई घटनाओं की पृष्ठभूमि में रिलीज हो रही है. तुतीकोरेन में स्टेरलाइट संयंत्र के खिलाफ लोगों के विरोध के बाद 22 मई को पुलिस ने 13 स्थानीय लोगों को गोली मार दी गई थी. यहां के लोग अपनी जमीन, वायु और पानी का दुरुपयोग के कारण गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय मुद्दे को लेकर सामने आए थे.

नेता बने रजनी भूल गए कि लोगों को एक्टर पसंद है

उनकी भूमिका को देखते हुए ये उम्मीद की जा रही थी कि नए नए राजनेता बने रजनीकांत तुतीकोरिन के लोगों के पक्ष में दृढ़ता से खड़े होंगे. लेकिन इसके बजाए, जब उन्होंने शहर का दौरा किया, तो उन्होंने उन "सामाजिक-विरोधी तत्वों" जिन्होंने कलेक्टरेट को बर्बाद कर दिया और पुलिस पर हमला किया के खिलाफ अपना मोर्चा खोला. और जयललिता की तरह कड़ी कार्रवाई की मांग की.

उन्होंने गुस्से में कहा कि लगातार विरोध प्रदर्शन तमिलनाडु को कब्रिस्तान बना देंगे. हालांकि यह समझा जाता है कि कैमरे पर वो किसी और के द्वारा लिखे गए डायलॉग लिखते हैं और वो सिर्फ एक अभिनेता मुंह से निकले हुए संवाद हैं. लेकिन लोगों को उनके इस रील और रियल लाइफ व्यक्तित्व के बीच का यह अंतर हजम नहीं हुआ.

कबाली के निर्माता एस थानू मार्केटिंग गुरु हैं. इन्होंने ही 1978 में बीच चेन्नई (तब मद्रास) में रजनीकांत का कट आउट लगवाकर उनको "सुपरस्टार" के रूप में स्थापित किया था. इसके साथ ही उन्होंने एयर एशिया में एक विशेष उड़ान की व्यवस्था कराई जो रजनी के फैन्स के लिए बेंगलुरु से चेन्नई तक चली थी. धानु ने फिल्म की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए उसकी खूब ब्रांडिंग की और उसका पर्याप्त प्रचार किया. ट्विटर पर उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया गया है जो एस्कीमो तक को बर्फ बेच सकता है. इसके विपरीत, काला का प्रचार बड़ा ही ढीला रहा है.

काला को पहले अप्रैल में रिलीज होना था जिससे वो गर्मी की छुट्टियों की भीड़ को आकर्षित करता. लेकिन अब इस सप्ताह स्कूल फिर से खुलने वाले हैं तो हफ्ते के बीच में दर्शकों के लिए परिवार के साथ फिल्म देखने जाना एक आकर्षक प्रस्ताव नहीं है.

काला का मुकाबला इस बार कठिन है

काला का मुकाबला इस हफ्ते रिलीज होने वाले Jurassic World: Fallen Kingdom के साथ है. हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि रजनी की फिल्म खासकर दक्षिण भारत में बाजी मारेगी. लेकिन फिर भी जुरासिक वर्ल्ड से उसे कड़ी टक्कर मिलेगी. यह बॉक्स ऑफिस पर अपना वर्चस्व बनाने के लिए थियटर में स्क्रीन पाने की लड़ाई होगी. जहां काला 2,000 स्क्रीन पर रिलीज हो रही है. वहीं हॉलीवुड फिल्म इसके अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगू और तमिल संस्करणों के साथ 2,300 स्क्रीनों में रिलीज हो रही है.

लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि 150 करोड़ रुपये की लागत से बनी 'काला' ब्लॉकबस्टर नहीं होगी. पहले दो दिन में जो भी लोग इस फिल्म को देखेंगे उनके द्वारा इसका प्रचार तय करेगा कि वीकेंड में ये फिल्म हाउसफुल जाएगी या नहीं.

लेकिन क्या काला से जुड़े लोगों के दिमाग में आर्थिक नुकसान की संभावनाएं भी चल रही हैं? 4 मई को हैदराबाद में हुए प्री-रिलीज समारोह में, एनवी प्रसाद ने एक पुराना वाकया याद करते हुए बताया कि कैसे 2002 में बाबा फिल्म पर हुए नुकसान की भारपाई खुद रजनी ने मुआवजा देकर किया था. "जब बाबा रिलीज हुई, तो रजनीकांत ने मुझे खुद बुलाया और पूछा कि फिल्म ने कैसी कमाई की. मैंने उनसे कहा कि फिल्म को 1.6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. रजनी सर ने मुझे 1.61 करोड़ रुपये दिए." भले प्रसाद का इरादा ये बताने का हो कि रजनीकांत कितने भले इंसान हैं. लेकिन अभी के माहौल में न सिर्फ ये अनुचित टिप्पणी थी बल्कि इसने लोगों को भी बोलने का मौका दे दिया.

रजनीकांत उम्मीद कर रहे होंगे कि काला का भी हश्र बाबा की तरह न हो जाए.

(DailyO से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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