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Sacred Games ने बता दिया कि सेंसरशिप वाले देश में वेब सीरीज बेस्ट ऑप्शन हैं

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 11 जुलाई, 2018 10:17 PM
  • 11 जुलाई, 2018 10:17 PM
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हिंदुस्तान में वेब सीरीज का चलन बढ़ने का एक कारण है जो यकीनन सोच में डाल सकता है. बेहतर कंटेंट और संस्कृति के बीच का जो गैप है वो वेब सीरीज की दुनिया में खत्म हो जाता है.

नेटफ्लिक्स पर भारत की अपनी हॉरर सीरीज Ghoul आने वाली है. इस सीरीज का ट्रेलर हाल ही में आया है. नेटफ्लिक्स की सीरीज सेक्रेड गेम्स (Sacred games) तो पहले ही तहलका मचा चुकी है और कई दिनों से चर्चा में है. अगर मैं वेब सीरीज की बात करूं तो लगता है कि यही भविष्य है. 80-90 के दशक के सीरियल खत्म होने के बाद भारतीय टेलिवीजन की दुनिया पर सास-बहू, प्यार-मोहब्बत और वैम्प वाले सीरियल आ गए. संस्कारी बहू-बेटियों वाले ये सीरियल सेट, एक्टर, मेकअप और गहनों पर तो ध्यान देते आए हैं, लेकिन इनकी स्क्रिप्ट वैसी ही रही है.

हालांकि, असली बदलाव यूट्यूब और नेटफ्लिक्स जैसे एप्स से आया जहां कुछ नया कंटेंट मिला. आलम ये हो गया कि एकता कपूर की खुद वेबसीरीज Bose-Dead or alive लेकर आईं. यकीनन ये बेहतरीन बदलाव ही कहा जाएगा जहां वेब सीरीज ने अलग तरह का कंटेंट देने की कोशिश की है.

नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार, अल्टबालाजी आदि में बेहतरीन कंटेंट मिल रहा है और टीवी से हटकर कुछ नया देखा जा रहा है. वेब कंटेंट भारतीय समाज में वैराइटी तो लेकर आ रहा है साथ ही साथ पुराने घिसे पिटे नियमों को भी तोड़ रहा है. वेब सीरीज भारतीय ऑडियंस के लिए बेहतरीन ऑप्शन बन सकती है. इसके पीछे कई कारण हैं..

- संस्कृति को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता भले ही कुछ भी दिखाएं.

वेब सीरीज का एक सबसे अच्छा फायदा ये है कि सेंसर्ड कंटेंट वैसा नहीं होता जैसा भारतीय माइंडसेट में होता है. टीवी या फिल्मों को ज्यादातर ऐसा बनाने की कोशिश की जाती है जिसे सांस्कृतिक पैमाने से नापा जा सके. सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेशन की बात हो या फिर टीवी पर सुपर संस्कारी बहू दिखाने की ये सारा कंटेंट वेब सीरीज को मौका देता है कुछ अलग करने की.

अब इस सीरीज पुष्पावली को ही ले लीजिए, ये किसी की गर्लफ्रेंड भी है, ये...

नेटफ्लिक्स पर भारत की अपनी हॉरर सीरीज Ghoul आने वाली है. इस सीरीज का ट्रेलर हाल ही में आया है. नेटफ्लिक्स की सीरीज सेक्रेड गेम्स (Sacred games) तो पहले ही तहलका मचा चुकी है और कई दिनों से चर्चा में है. अगर मैं वेब सीरीज की बात करूं तो लगता है कि यही भविष्य है. 80-90 के दशक के सीरियल खत्म होने के बाद भारतीय टेलिवीजन की दुनिया पर सास-बहू, प्यार-मोहब्बत और वैम्प वाले सीरियल आ गए. संस्कारी बहू-बेटियों वाले ये सीरियल सेट, एक्टर, मेकअप और गहनों पर तो ध्यान देते आए हैं, लेकिन इनकी स्क्रिप्ट वैसी ही रही है.

हालांकि, असली बदलाव यूट्यूब और नेटफ्लिक्स जैसे एप्स से आया जहां कुछ नया कंटेंट मिला. आलम ये हो गया कि एकता कपूर की खुद वेबसीरीज Bose-Dead or alive लेकर आईं. यकीनन ये बेहतरीन बदलाव ही कहा जाएगा जहां वेब सीरीज ने अलग तरह का कंटेंट देने की कोशिश की है.

नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार, अल्टबालाजी आदि में बेहतरीन कंटेंट मिल रहा है और टीवी से हटकर कुछ नया देखा जा रहा है. वेब कंटेंट भारतीय समाज में वैराइटी तो लेकर आ रहा है साथ ही साथ पुराने घिसे पिटे नियमों को भी तोड़ रहा है. वेब सीरीज भारतीय ऑडियंस के लिए बेहतरीन ऑप्शन बन सकती है. इसके पीछे कई कारण हैं..

- संस्कृति को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता भले ही कुछ भी दिखाएं.

वेब सीरीज का एक सबसे अच्छा फायदा ये है कि सेंसर्ड कंटेंट वैसा नहीं होता जैसा भारतीय माइंडसेट में होता है. टीवी या फिल्मों को ज्यादातर ऐसा बनाने की कोशिश की जाती है जिसे सांस्कृतिक पैमाने से नापा जा सके. सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेशन की बात हो या फिर टीवी पर सुपर संस्कारी बहू दिखाने की ये सारा कंटेंट वेब सीरीज को मौका देता है कुछ अलग करने की.

अब इस सीरीज पुष्पावली को ही ले लीजिए, ये किसी की गर्लफ्रेंड भी है, ये बोल्ड भी है, ये परफेक्ट किसी एंगल से नहीं है, इसे ब्वॉयफ्रेंड भी बनाने हैं, इसे एक लड़के को मनाना होता है (स्टॉक करना होता है) उसके लिए ये भोपाल से बेंगलुरु भी जाती है. ये रोमांटिक सीरीज नहीं कही जा सकती, न ही इसे टिपिकल भारतीय संस्कृति के खिलाफ है.

अभी की सेक्रेड गेम्स को ही ले लीजिए. ये सीरीज बहुत बोल्ड है. इसमें धर्म, सेक्स, हत्या, न्यूडिटी, ट्रांसजेंडर और हर वो चीज मौजूद है जो न तो भारतीय सेंसर बोर्ड अप्रूव करता और टीवी पर दिखाने लायक तो ये है ही नहीं.

- क्रिएटिविटी ज्यादा है, सास बहू और रोमांस से ऊपर उठ सकते हैं..

क्रिएटिविटी के मामले में भी वेब सीरीज आम सीरियल से काफी आगे है. अब एक उदाहरण देती हूं. क्या आपको पता है कि एक भारतीय वेब सीरीज ऐसी भी है जिसमें गे रिलेशनशिप को दिखाया गया है?

ये रोमियो और जूलियट नहीं बल्कि रोमिल और जुगल की कहानी है जिसमें लोगों को कुछ नया देखने को मिलेगा. जहां एक ओर भारत में अभी भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडर और होमोसेक्शुअल जोड़े को वैध कगार देने की बात की जा रही है, जहां अभी भी ट्रांसजेंडर को ऐसी नजर से देखा जाता है कि वो अछूत हैं वहां ऐसी वेब सीरीज वाकई सोच को बदलने के काम आ सकती है.

- कॉम्पटीशन ज्यादा है और इसके कारण बेहतर कंटेंट की उम्मीद की जा सकती है.

नेटफ्लिक्स, अमेजन और हॉटस्टार जैसे एप्स में पूरी दुनिया का कंटेंट दिखाते हैं. भारत की पहली अमेजन सीरीज इनसाइड एज को उतनी तवज्जो नहीं मिली थी, लेकिन दूसरी को और ज्यादा सराहा गया. अब अगर देखा जाए तो भारतीय वेब सीरीज का कॉम्पटीशन भारत के ही दूसरे सीरियल से नहीं बल्कि कई देशों के हाई क्लास कंटेंट से होता है. यहां नागिन को गेम ऑफ थ्रोन्स नहीं कहा जा सकता, यहां गेम ऑफ थ्रोन्स के लेवल का शो बनाना पड़ेगा. ऐसे में कॉम्पटीशन तो ज्यादा होगा ही.

- बिजी लाइफस्टाइल और फ्री डेटा का फायदा वेब कंटेंट से ज्यादा उठाया जा सकता है.

अंत में ये कि वेब सीरीज यकीनन फ्री डेटा का फायदा उठाने के लिए काफी है. जियो के जमाने में जहां कंटेंट पूरी दुनिया का आपके सामने आ रहा है वहीं टीवी सेट से चिपक कर बैठने की जरूरत नहीं है. क्रिएटिविटी को सराहना भी जरूरी है. ऐसे में यकीनन वेब सीरीज देखना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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