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Neeraj Chopra-Mirabai Chanu: ओलिम्पियंस पर बायोपिक तो आनी ही है, बनाएगा कौन?

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 16 अगस्त, 2021 05:48 PM
  • 16 अगस्त, 2021 05:48 PM
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सिर्फ नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू ही नहीं, इस बार ओलिम्पिक गए दूसरे खिलाड़ियों पर भी निर्माताओं का ध्यान है. भविष्य में उनके जीवन पर बने सिनेमा दर्शकों के लिए उपलब्ध हो सकता है. कई खिलाड़ियों का जीवन परदे पर कमाल दिखाने में सक्षम है.

हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलिम्पिक में देश ने अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अलग-अलग स्पर्धाओं में सात मेडल जीते. मेडल टीम और व्यक्तिगत दोनों तरह की स्पर्धाओं में निकलकर आएं. पूरा देश खिलाड़ियों के प्रयास की सराहना कर रहा है और मेडल के पीछे उनकी लगन, मेहनत और संघर्ष की कहानियां भी सामने आ रही हैं. पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की कहानियां वाकई प्रेरक हैं जिन्होंने मुश्किल हालात में संसाधनों की कमी के बावजूद ओलिम्पिक में भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया और अब करोड़ों भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. समूचा देश ओलिम्पियंस को सिर आंखों पर बिठा रहा है. फिल्म इंडस्ट्री भी उन पर नजर बनाए हुए है. खासकर बॉलीवुड.

खिलाड़ियों की निजी सफलताओं, व्यक्तिगत उपलब्धियों और उनकी लोकप्रियता से प्रभावित निर्माताओं ने पिछले कुछ सालों में स्पोर्ट्स फिल्मों में रुचि दिखानी शुरू की हैं. चक दे इंडिया, पान सिंह तोमर, भाग मिल्खा भाग, एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी, मैरीकॉम , दंगल, सचिन तेंदुलकर अ बिलियन ड्रीम्स (डॉक्युमेंट्री) और साला खडूस जैसी अब तक कई फ़िल्में आ चुकी है. फिल्मों ने मनोरंजन के साथ दर्शकों को प्रेरित तो किया ही जबरदस्त व्यावसायिक कामयाबी भी हासिल की. यही वजह है कि खिलाड़ियों के संघर्ष और उपलब्धियों को लेकर निर्माताओं की दिलचस्पी बढ़ रही है.

टोक्यों ओलिम्पिक से निकली कई कहानियां निर्माताओं को आकर्षित कर रही हैं. टोक्यों के दो पदकवीर तो कुछ ज्यादा ही ध्यान आकर्षित करते दिख रहे हैं. ये हैं नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू. नीरज चोपड़ा ने जेवलीन थ्रो में देश के लिए एकमात्र स्वर्ण पदक जीता. एथलीट में यह करिश्मा करने वाले 23 साल के नीरज कोई भी पदक जीतने वाले देश के इकलौते खिलाड़ी हैं. वहीं मीराबाई ने 21 साल बाद वेटलिफ्टिंग में पदकों का सूखा ख़त्म करते हुए टोक्यो में भारत का खाता खोला था. दरअसल, दोनों खिलाडियों पर फिल्म की चर्चा अनायास नहीं है. फिल्म उद्योग से जुड़े लोग मुलाकातें कर रहे हैं जिसे बायोपिक से जोड़कर भी देखा जा सकता...

हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलिम्पिक में देश ने अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अलग-अलग स्पर्धाओं में सात मेडल जीते. मेडल टीम और व्यक्तिगत दोनों तरह की स्पर्धाओं में निकलकर आएं. पूरा देश खिलाड़ियों के प्रयास की सराहना कर रहा है और मेडल के पीछे उनकी लगन, मेहनत और संघर्ष की कहानियां भी सामने आ रही हैं. पदक जीतने वाले खिलाड़ियों की कहानियां वाकई प्रेरक हैं जिन्होंने मुश्किल हालात में संसाधनों की कमी के बावजूद ओलिम्पिक में भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया और अब करोड़ों भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहे हैं. समूचा देश ओलिम्पियंस को सिर आंखों पर बिठा रहा है. फिल्म इंडस्ट्री भी उन पर नजर बनाए हुए है. खासकर बॉलीवुड.

खिलाड़ियों की निजी सफलताओं, व्यक्तिगत उपलब्धियों और उनकी लोकप्रियता से प्रभावित निर्माताओं ने पिछले कुछ सालों में स्पोर्ट्स फिल्मों में रुचि दिखानी शुरू की हैं. चक दे इंडिया, पान सिंह तोमर, भाग मिल्खा भाग, एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी, मैरीकॉम , दंगल, सचिन तेंदुलकर अ बिलियन ड्रीम्स (डॉक्युमेंट्री) और साला खडूस जैसी अब तक कई फ़िल्में आ चुकी है. फिल्मों ने मनोरंजन के साथ दर्शकों को प्रेरित तो किया ही जबरदस्त व्यावसायिक कामयाबी भी हासिल की. यही वजह है कि खिलाड़ियों के संघर्ष और उपलब्धियों को लेकर निर्माताओं की दिलचस्पी बढ़ रही है.

टोक्यों ओलिम्पिक से निकली कई कहानियां निर्माताओं को आकर्षित कर रही हैं. टोक्यों के दो पदकवीर तो कुछ ज्यादा ही ध्यान आकर्षित करते दिख रहे हैं. ये हैं नीरज चोपड़ा और मीराबाई चानू. नीरज चोपड़ा ने जेवलीन थ्रो में देश के लिए एकमात्र स्वर्ण पदक जीता. एथलीट में यह करिश्मा करने वाले 23 साल के नीरज कोई भी पदक जीतने वाले देश के इकलौते खिलाड़ी हैं. वहीं मीराबाई ने 21 साल बाद वेटलिफ्टिंग में पदकों का सूखा ख़त्म करते हुए टोक्यो में भारत का खाता खोला था. दरअसल, दोनों खिलाडियों पर फिल्म की चर्चा अनायास नहीं है. फिल्म उद्योग से जुड़े लोग मुलाकातें कर रहे हैं जिसे बायोपिक से जोड़कर भी देखा जा सकता है.

 

पदक जीतने के बाद से ही नीरज चोपड़ा को लेकर सोशल मीडिया पर बायोपिक की बातें हो रही हैं. इसमें कोई शक नहीं कि लंबे बालों वाला ख़ूबसूरत एथलीट की तस्वीरों से युवा उनके दीवाने बने हुए हैं. इस बीच बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक मधुर भंडारकर ने दोनों खिलाड़ियों से मुलाक़ात की और तस्वीरें साझा की. नीरज चोपड़ा से भी बायोपिक की संभावनाओं को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं. हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में सवाल पर नीरज ने कहा था- अभी मेरी बायोपिक ना ही बनाए. मैं अभी खेल रहा हूं और आगे भी इसे जारी रखना चाहता हूं. मुझे लगता है कि मेरी जर्नी में अभी बहुत सारी कहानियां जुड़ना बाकी है. मैं चाहता हूं और मेडल लेकर आऊं. जब तक करियर चल रहा है तब तक (बायोपिक) रुक जाना चाहिए. मैं अभी अपने खेल पर फोकस रखना चाहता हूं. मुझे अच्छा लगेगा कि मेरे ऊपर बायोपिक बने. मगर तब, जब मेरी जर्नी पूरी हो जाए और मैं खेलों से रिटायर हो जाऊं. इससे पहले नीरज ने कहा था कि वो चाहेंगे कि जब बायोपिक बने तो अक्षय कुमार या रणदीप हुड्डा उनका किरदार निभाएं.

तो क्या नीरज चोपड़ा के रिटायरमेंट से पहले नहीं बनेगी बायोपिक?

नीरज के बयान से तो यही लग रहा है कि फिलहाल उनके ऊपर बायोपिक नहीं बनेगी. मगर लगता नहीं कि फिल्म उद्योग उनके बयान के बाद रुका दिख रहा है. मधुर के साथ नीरज की मुलाक़ात शिष्टाचार भेंट थी या कुछ और फिलहाल कोई दावा नहीं किया जा सकता. लेकिन नीरज से पहले दुनिया के कुछ खिलाड़ियों की बायोपिक उनके स्पोर्ट्स करियर में ही आ चुकी है. और करियर पर इसका कोई ख़ास असर नहीं पड़ा था. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और बॉक्सर मेरीकॉम की भी बायोपिक तब आई जब दोनों सक्रिय थे. मेरीकॉम तो इस बार भी टोक्यो में मेडल जीतते-जीतते चूक गईं. निर्माता अगर नीरज पर फिल्म बनाना चाहेंगे तो बीच का रास्ता जरूर निकाल लेंगे. इससे नीरज के गेम पर ख़ास असर नहीं पड़ने वाला. ये अच्छा भी होगा. हो सकता है कि नीरज की कहानी और युवाओं को प्रेरित कर एथलीट के ट्रैक तक पहुंचाए.

उधर, सिल्वर जीतने वाली मीराबाई चानू पर फिल्म बनाने का अधिकार इम्फाल के "सेउती फिल्म प्रोडक्शन" ने खरीद लिया है. पिछले दिनों मीराबाई के साथ प्रोडक्शन कंपनी ने एग्रीमेंट भी साइन किया था. फिल्म में मीराबाई के अबतक के समूचे जीवन को दिखाने की योजना है. फीचर फिल्म को मणिपुर की भाषा में बनाने की संभावना है. वैसे फिल्म को अंग्रेजी के साथ ही दूसरी भारतीय भाषाओं में भी डब किया जाएगा. प्रोडक्शन ने यह भी साफ़ किया है कि मीराबाई की भूमिका के लिए किसी फ्रेश चेहरे को लिया जाएगा.

वैसे सिर्फ नीरज और मीराबाई ही नहीं, इस बार ओलिम्पिक गए दूसरे खिलाड़ियों पर भी निर्माताओं का ध्यान है. भविष्य में उनके जीवन पर बने सिनेमा दर्शकों के लिए उपलब्ध हो सकता है. कई खिलाड़ियों का जीवन परदे पर कमाल दिखाने में सक्षम है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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