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नीना गुप्ता ने फिल्मों में काम करने को लेकर बेटी मसाबा को ये कैसी सलाह दे दी!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 28 जून, 2021 02:59 PM
  • 27 जून, 2021 11:05 PM
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नीना गुप्ता (Neena Gupta) की सलाह सामान्य शक्ल सूरत और कद काठी की उन लड़कियों का हौसला तोड़ने वाली है जो प्रतिभा से मुकाम बनाना चाहती हैं. नीना क्या हर मां को अपनी बेटी से कहना चाहिए- बिल्कुल. तुम भी कर सकती हो.

बॉलीवुड अभिनेत्री नीना गुप्ता (Neena Gupta) का एक पुराना इंटरव्यू इस वक्त ख़ासा चर्चा में हैं. दरअसल, इसमें उन्होंने बेटी मसाबा गुप्ता (Masaba Gupta) को लेकर बातें की थीं. मसाबा की एक्टिंग ड्रीम पर उन्होंने राजीव मसंद से कहा था- "मैंने उससे (मसाबा) कहा था, अगर तुम एक्टर बनना चाहती हो तो तुम्हें विदेश जाना चाहिए. जिस तरह तुम्हारी शक्ल है, बॉडी है, तुम्हें यहां भारतीय परिवेश में बहुत कम रोल मिलेंगे. तुम कभी हीरोइन नहीं बन पाओगी. तुम कभी हेमा मालिनी नहीं बन पाओगी. तुम कभी आलिया भट्ट नहीं बन पाओगी." नीना गुप्ता की बातों से लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए शक्ल-सूरत बहुत बड़ी चीज है.

नीना और पूर्व क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स की बेटी मसाबा इस वक्त करीब 33 साल की हैं और वो सेलिब्रिटी फैशन डिजाइनर हैं. साल भर पहले नेटफ्लिक्स पर उनकी सीरीज आई थी मसाबा मसाबा. ये एक तरह से उनका एक्टिंग डेब्यूट भी था. मुझे नहीं मालूम कि मसाबा की किस उम्र में नीना गुप्ता ने बेटी को इस तरह की सलाह दी थी. लेकिन सूरत और सिरत के मामले में पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड की तस्वीर बदल गई है. वैसे भारत की ग्लैमर इंडस्ट्री में अच्छी शक्ल-सूरत की अनिवार्यता और उसके लाभ से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है. सिर्फ चेहरे से कई बार पहला मौका मिलने में सहूलियत होती है. लेकिन टैलेंट और स्किल ही किसी को टिकने में काम आते हैं.

जहां तक बात भारतीय परिवेश में खूबसूरती की है, अब तक ना जाने कितनी सुंदरियां, सौंदर्य प्रतियोगिताओं से बॉलीवुड तक पहुंची हैं. स्वाभाविक रूप से उनको जो ब्रेक मिला वह उनकी सुंदरता और उपाधि की वजह से ही था. जब उन्हीं सुंदरियों के फ़िल्मी करियर को देखें तो दो तीन नाम (ऐश्वर्या रॉय, सुष्मिता सेन और प्रियंका चोपड़ा) ही ऐसे हैं जिन्होंने लम्बे वक्त तक काम किया. बाकी सुंदरियां कहां चली गईं किसी को मालूम तक नहीं हैं.

बॉलीवुड अभिनेत्री नीना गुप्ता (Neena Gupta) का एक पुराना इंटरव्यू इस वक्त ख़ासा चर्चा में हैं. दरअसल, इसमें उन्होंने बेटी मसाबा गुप्ता (Masaba Gupta) को लेकर बातें की थीं. मसाबा की एक्टिंग ड्रीम पर उन्होंने राजीव मसंद से कहा था- "मैंने उससे (मसाबा) कहा था, अगर तुम एक्टर बनना चाहती हो तो तुम्हें विदेश जाना चाहिए. जिस तरह तुम्हारी शक्ल है, बॉडी है, तुम्हें यहां भारतीय परिवेश में बहुत कम रोल मिलेंगे. तुम कभी हीरोइन नहीं बन पाओगी. तुम कभी हेमा मालिनी नहीं बन पाओगी. तुम कभी आलिया भट्ट नहीं बन पाओगी." नीना गुप्ता की बातों से लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए शक्ल-सूरत बहुत बड़ी चीज है.

नीना और पूर्व क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स की बेटी मसाबा इस वक्त करीब 33 साल की हैं और वो सेलिब्रिटी फैशन डिजाइनर हैं. साल भर पहले नेटफ्लिक्स पर उनकी सीरीज आई थी मसाबा मसाबा. ये एक तरह से उनका एक्टिंग डेब्यूट भी था. मुझे नहीं मालूम कि मसाबा की किस उम्र में नीना गुप्ता ने बेटी को इस तरह की सलाह दी थी. लेकिन सूरत और सिरत के मामले में पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड की तस्वीर बदल गई है. वैसे भारत की ग्लैमर इंडस्ट्री में अच्छी शक्ल-सूरत की अनिवार्यता और उसके लाभ से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है. सिर्फ चेहरे से कई बार पहला मौका मिलने में सहूलियत होती है. लेकिन टैलेंट और स्किल ही किसी को टिकने में काम आते हैं.

जहां तक बात भारतीय परिवेश में खूबसूरती की है, अब तक ना जाने कितनी सुंदरियां, सौंदर्य प्रतियोगिताओं से बॉलीवुड तक पहुंची हैं. स्वाभाविक रूप से उनको जो ब्रेक मिला वह उनकी सुंदरता और उपाधि की वजह से ही था. जब उन्हीं सुंदरियों के फ़िल्मी करियर को देखें तो दो तीन नाम (ऐश्वर्या रॉय, सुष्मिता सेन और प्रियंका चोपड़ा) ही ऐसे हैं जिन्होंने लम्बे वक्त तक काम किया. बाकी सुंदरियां कहां चली गईं किसी को मालूम तक नहीं हैं.

मसाबा को नीना की सलाह में मुझे बेटी के लिए डर से ज्यादा नीना गुप्ता का निजी दर्द ज्यादा नजर आया. हकीकत में नीना की ये सलाह उनकी बेटी मसाबा के लिए नहीं था. बल्कि ये उस नीना के लिए था जो 80 के दशक में एनएसडी से तमाम सपने लेकर मुंबई तो आई मगर प्रतिभाशाली होने के बावजूद बॉलीवुड के परम्परागत फ्रेम में ज्यादा फिट नहीं हो पाई. शायद उसकी शक्ल सूरत की वजह से ही उसका हुनर फिल्मों में एक दो रील और कुछ संवादों से आगे नहीं बढ़ पाया. नीना की जीवनी आई है जिसमें उन्होंने अपने स्ट्रगल, विवियन रिचर्ड्स के साथ अपने रिश्ते और सिंगल मदर के रूप में मसाबा को पालने के बारे में काफी कुछ कहा है.

मसाबा के लिए नीना की सलाह 80 और 90 के दौर में अपने अनुभव के आधार पर वो अभिनेत्री दे रही थी जिसने 59 साल की उम्र में उसी इंडस्ट्री में "बधाई हो" की सबसे बड़ी फीमेल लीड का उम्दा किरदार जिया. जबकि उनकी गिनती उस बहादुर महिला में की जाती है जिसने कई सामजिक टैबू तोड़े. अगर नीना से ही पूछा जाए कि 20 साल पहले बधाई हो में उन्होंने जैसा रोल किया वो किसी फीमेल हीरोइन के लिए लिखी जा सकती थी? उनका जवाब भी नहीं में ही होता. वो ज़माना चला गया जब बॉलीवुड में चिकने चुपड़े चेहरे ही मसाला फिल्मों के लीड में नजर आते थे. अब भी काफी हद तक ऐसा है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि साधारण चेहरे वाले प्रतिभाशाली कलाकारों के पास बड़े सितारों की तरह काम और शोहरत नहीं है.

नीना की बातों में दम है लेकिन वो सच्चाई का एक ही पहलू है जो अब काफी कमजोर पड़ा है. पिछले 20 साल में इंडस्ट्री की सूरत धीरे-धीरे बहुत बदली है. दर्जनों अभिनेत्रियां इस वक्त सक्रिय हैं जो आलिया या करीना की तरह नहीं हैं, त्वचा के रंग और शारीरिक बनावट की वजह से झिड़की भी गई हैं लेकिन, उन्होंने अपनी प्रतिभा से जगह बना ही ली. और अपने हिस्से का नाम और शोहरत दोनों कमाया. ये बॉलीवुड का बदला दौर ही है कि नीना अपने करियर के स्वर्णिम दौर में हैं. उन्हें दमदार भूमिकाएं मिल रही हैं.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसी औसत सूरत का एक एक्टर करीब आधा दर्जन से ज्यादा फिल्मों में मुख्य हीरो की तरह नजर आ चुका है. संजय मिश्रा और आदिल हुसैन जैसे उम्रदराज एक्टर भी अमिताभ बच्चन की तरह फिल्मों में लीड हीरो की तरह लगातार दिख हैं. कीकू शारदा और भारती सिंह जैसे कलाकार भारी भरकम शरीर के बावजूद लोगों का जबरदस्त मनोरंजन कर रहे हैं. दर्जनों अभिनेत्रियां हैं, जो ग्लैमरस भले न कही जाती हों लेकिन उनकी अदाकारी का जलवा कायम है. उत्तर पूर्व के कलाकार भी अब प्राय: फिल्मों टीवी शोज में दिख रहे हैं. अब ज्यादातर स्क्रिप्ट में किरदार कलाकारों को देखते हुए गढ़े जा रहे हैं. ये चलन बढ़ रहा है. प्रतिभा दिखे और प्रयास करे बस. मसाबा से भला लोगों को क्यों ऐतराज होगा?

नीना की सलाह सामान्य शक्ल सूरत और कद काठी की उन लड़कियों का हौसला तोड़ने वाली है जो प्रतिभा से मुकाम बनाना चाहती हैं. नीना क्या हर मां को अपनी बेटी से कहना चाहिए- बिल्कुल. तुम भी कर सकती हो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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