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मंटो: नवाजुद्दीन का बेहतरीन रोल और समाज की सच्चाई दिखाता है ट्रेलर

    • आईचौक
    • Updated: 15 अगस्त, 2018 07:11 PM
  • 15 अगस्त, 2018 07:11 PM
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नवाजुद्दीन की इस फिल्म को नंदिता दास ने डायरेक्ट किया है और ये फिल्म पहले ही कान्स फिल्म फेस्टिवल और टोरोंटो इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल के लिए सिलेक्ट हो चुकी है.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसे कलाकार हैं जो कैसे भी किरदार में फिट बैठ सकते हैं. नवाजुद्दीन की एंट्री बॉलीवुड में जब से हुई है तब से ही उन्हें एक मंझा हुआ कलाकार माना जा रहा है और इस कलाकार की अब एक नई फिल्म आने जा रही है. फिल्म का नाम है 'मंटो'. जी हां. सदत हसन मंटो यानी आज़ादी और पार्टीशन के समय के वो महान लेखक और कवि जिनके लिखे हुए शब्दों की आज भी तारीफ होती है.

नवाजुद्दीन की इस फिल्म को नंदिता दास ने डायरेक्ट किया है और ये फिल्म पहले ही कान्स फिल्म फेस्टिवल और टोरोंटो इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल के लिए सिलेक्ट हो चुकी है.

मंटो फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत होती है नवाजुद्दीन सिद्दीकी से जो पूछते हैं कि , 'सवाल ये है कि जो चीज़ जैसी है उसे वैसे ही पेश क्यों न किया जाए.' मंटो एक कठगहरे में हैं और कोर्ट में अपनी पेशी दे रहे हैं. वो बताते हैं कि उनकी कहानी कहानियां सिर्फ समाज का आयना हैं.

फिल्म मंटो में नवाज का किरदार काफी दिलचस्प है

ट्रेलर बहुत गहरा है और मंटो की छवि पेश करता है, साथ ही बताता है कि कैसे उन्होंने अपनी कहानी में महिलाओं को पेश किया है. मंटों को अक्सर अभद्रता और कड़े लेखने का दोषी पाया जाता था और फिल्म में भी उसी तरह की बातें दिखाई देती हैं.

इस फिल्म में ऋषि कपूर, दिव्यू दत्ता और ताहिर राज भसीन भी दिखेंगे. इस फिल्म के बोल लिखे हैं जावेद अख्तर ने. जावेद अख्तर खुद इस फिल्म में एक वकील की भूमिका में दिखेंगे जो मंटों के लिए केस लड़ते हैं और कहते हैं कि अगर आप लिखने की आज़ादी चाहते हैं तो दूसरी तरफ आपको एक राइटर की जिम्मेदारी भी समझनी होगी.

मंटो पर पूरी जिंदगी में 6 केस लगाए गए पर उन्होंने अपने लिखे गए हर शब्द पर यकीन किया. वो एक प्रेरणा थे जो इतने सालों बाद भी लोगों के जहन में मौजूद हैं. मंटो की...

नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसे कलाकार हैं जो कैसे भी किरदार में फिट बैठ सकते हैं. नवाजुद्दीन की एंट्री बॉलीवुड में जब से हुई है तब से ही उन्हें एक मंझा हुआ कलाकार माना जा रहा है और इस कलाकार की अब एक नई फिल्म आने जा रही है. फिल्म का नाम है 'मंटो'. जी हां. सदत हसन मंटो यानी आज़ादी और पार्टीशन के समय के वो महान लेखक और कवि जिनके लिखे हुए शब्दों की आज भी तारीफ होती है.

नवाजुद्दीन की इस फिल्म को नंदिता दास ने डायरेक्ट किया है और ये फिल्म पहले ही कान्स फिल्म फेस्टिवल और टोरोंटो इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल के लिए सिलेक्ट हो चुकी है.

मंटो फिल्म के ट्रेलर की शुरुआत होती है नवाजुद्दीन सिद्दीकी से जो पूछते हैं कि , 'सवाल ये है कि जो चीज़ जैसी है उसे वैसे ही पेश क्यों न किया जाए.' मंटो एक कठगहरे में हैं और कोर्ट में अपनी पेशी दे रहे हैं. वो बताते हैं कि उनकी कहानी कहानियां सिर्फ समाज का आयना हैं.

फिल्म मंटो में नवाज का किरदार काफी दिलचस्प है

ट्रेलर बहुत गहरा है और मंटो की छवि पेश करता है, साथ ही बताता है कि कैसे उन्होंने अपनी कहानी में महिलाओं को पेश किया है. मंटों को अक्सर अभद्रता और कड़े लेखने का दोषी पाया जाता था और फिल्म में भी उसी तरह की बातें दिखाई देती हैं.

इस फिल्म में ऋषि कपूर, दिव्यू दत्ता और ताहिर राज भसीन भी दिखेंगे. इस फिल्म के बोल लिखे हैं जावेद अख्तर ने. जावेद अख्तर खुद इस फिल्म में एक वकील की भूमिका में दिखेंगे जो मंटों के लिए केस लड़ते हैं और कहते हैं कि अगर आप लिखने की आज़ादी चाहते हैं तो दूसरी तरफ आपको एक राइटर की जिम्मेदारी भी समझनी होगी.

मंटो पर पूरी जिंदगी में 6 केस लगाए गए पर उन्होंने अपने लिखे गए हर शब्द पर यकीन किया. वो एक प्रेरणा थे जो इतने सालों बाद भी लोगों के जहन में मौजूद हैं. मंटो की कहानी कुछ ऐसी ही है और ट्रेलर भी काफी अच्छा दिखता है. नवाजुद्दीन अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस दे रहे हैं और किसी भी तरह से कम नहीं दिखते. ट्रेलर में ही मंटों का संघर्ष दिखता है. साथ ही, पार्टीशन के समय का भी जिक्र होता है.

मंटो गुस्से वाले थे, ढीठ थे, संवेदनशील थे और व्यंग्यात्मक भी थे. नवाजुद्दीन के लिए ये किरदार निभाना कितना मुश्किल रहा ये तो वही जाने पर ट्रेलर देखकर लगता है कि मंटो की संवेदनाएं नवाजुद्दीन ने साफ रखी हैं.

मंटो 21 सितंबर को रिलीज होने जा रही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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