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Nawazuddin Siddiqui ने हीरो की परिभाषाएं बदली, Emmy Award मिले या नहीं- डिजर्व तो करते हैं

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 22 नवम्बर, 2021 05:28 PM
  • 22 नवम्बर, 2021 05:28 PM
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नेटफ्लिक्स की फिल्म Serious Men के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी को 49वें एमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट किया गया है. नवाज ने न्यूयॉर्क में कहा है कि OTT छोड़ने वाले उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया.

एमी अवॉर्ड दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान में शुमार किया जाता है. नेटफ्लिक्स पर एक्सक्लूसिव स्ट्रीम हुई सुधीर मिश्रा की फिल्म "सीरियस मेन" के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी को नॉमिनेट किया गया है. एक्टर के अलावा वीर दास को नेटफ्लिक्स के कॉमेडी शो वीर दास : फॉर इंडिया और डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हुआ सुष्मिता सेन का वेब शो आर्या भी नॉमिनेट है. अवॉर्ड फंक्शन न्यूयॉर्क में है. 49वां एमी, नवाजुद्दीन को मिले या नहीं ये दूसरी बात है मगर इसमें कोई शक नहीं कि दिखने में साधारण शक्ल-सूरत वाले बंदे ने बॉलीवुड में हीरो होने के मायने ही बदल दिए हैं.

उन्होंने अब तक बड़े परदे पर एक से बढ़कर भूमिकाएं की. उनकी रेंज में आसपास भी बॉलीवुड से आने वाला कोई दूसरा अभिनेता नहीं नजर आता. एक्टिंग डेप्थ और उनके किरदारों वेरायटी लाजवाब है. एक ऐसा एक्टर डेढ़ दशक पहले जिसकी पहचान ही नहीं थी. दो-दो, तीन-तीन फ्रेम में दिखता था. नवाज को कोई फर्क नहीं पड़ा कि उनके किरदार की लम्बाई क्या रही. उन्हें एक्टिंग करनी थी. उन्होंने छोटे किरदारों से बड़ा असर डाला.

21 साल पहले आमिर की सरफ़रोश में मुखबिर, शूल में वेटर, पिपली लाइव में एक स्ट्रिंगर का मामूली किरदार हो या फिर मुन्ना भाई एमबीबीएस में पॉकेटमार का रोल. कम लंबाई वाले किरदारों पर दर्शकों का ध्यान तो गया, मगर लोगों ने कभी याद नहीं किया कि आखिर यह कौन है? मगर जब इन्हीं छोटे किरादारों से होकर नवाज ब्लैक फ्राइडे और कहानी में आईबी अफसर के दमदार किरदार तक पहुंचे तो हर कोई उन्हें पहचानने लगा था.

गैंग्स ऑफ़ वसेपुर के दोनों हिस्से तो उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुए. फैजान की भूमिका में उन्होंने सिनेमा के एक नए अध्याय की शुरुआत की और वहां से लगातार शीर्ष की ओर ही बढ़े हैं. कभी पीछे नहीं हुए. पिपली लाइव में नवाज के सीन को दिखाकर किसी हिंदी दर्शक से पूछा जाए कि दस साल बाद यह आदमी मांझी: द माउंटेन मैन, फोटोग्राफर और हरामखोर जैसी फिल्मों में मुख्य हीरो के रूप में रोमांस करता दिखेगा तो शायद ही कोई यह बात माने....

एमी अवॉर्ड दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान में शुमार किया जाता है. नेटफ्लिक्स पर एक्सक्लूसिव स्ट्रीम हुई सुधीर मिश्रा की फिल्म "सीरियस मेन" के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी को नॉमिनेट किया गया है. एक्टर के अलावा वीर दास को नेटफ्लिक्स के कॉमेडी शो वीर दास : फॉर इंडिया और डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हुआ सुष्मिता सेन का वेब शो आर्या भी नॉमिनेट है. अवॉर्ड फंक्शन न्यूयॉर्क में है. 49वां एमी, नवाजुद्दीन को मिले या नहीं ये दूसरी बात है मगर इसमें कोई शक नहीं कि दिखने में साधारण शक्ल-सूरत वाले बंदे ने बॉलीवुड में हीरो होने के मायने ही बदल दिए हैं.

उन्होंने अब तक बड़े परदे पर एक से बढ़कर भूमिकाएं की. उनकी रेंज में आसपास भी बॉलीवुड से आने वाला कोई दूसरा अभिनेता नहीं नजर आता. एक्टिंग डेप्थ और उनके किरदारों वेरायटी लाजवाब है. एक ऐसा एक्टर डेढ़ दशक पहले जिसकी पहचान ही नहीं थी. दो-दो, तीन-तीन फ्रेम में दिखता था. नवाज को कोई फर्क नहीं पड़ा कि उनके किरदार की लम्बाई क्या रही. उन्हें एक्टिंग करनी थी. उन्होंने छोटे किरदारों से बड़ा असर डाला.

21 साल पहले आमिर की सरफ़रोश में मुखबिर, शूल में वेटर, पिपली लाइव में एक स्ट्रिंगर का मामूली किरदार हो या फिर मुन्ना भाई एमबीबीएस में पॉकेटमार का रोल. कम लंबाई वाले किरदारों पर दर्शकों का ध्यान तो गया, मगर लोगों ने कभी याद नहीं किया कि आखिर यह कौन है? मगर जब इन्हीं छोटे किरादारों से होकर नवाज ब्लैक फ्राइडे और कहानी में आईबी अफसर के दमदार किरदार तक पहुंचे तो हर कोई उन्हें पहचानने लगा था.

गैंग्स ऑफ़ वसेपुर के दोनों हिस्से तो उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुए. फैजान की भूमिका में उन्होंने सिनेमा के एक नए अध्याय की शुरुआत की और वहां से लगातार शीर्ष की ओर ही बढ़े हैं. कभी पीछे नहीं हुए. पिपली लाइव में नवाज के सीन को दिखाकर किसी हिंदी दर्शक से पूछा जाए कि दस साल बाद यह आदमी मांझी: द माउंटेन मैन, फोटोग्राफर और हरामखोर जैसी फिल्मों में मुख्य हीरो के रूप में रोमांस करता दिखेगा तो शायद ही कोई यह बात माने. एक दो उदाहरणों को छोड़ दिया जाए तो बॉलीवुड में ऐसा हुआ ही कब था?

नेटफ्लिक्स की फिल्म सीरियस मेन के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी को एमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट किया गया है. फोटो- नेटफ्लिक्स/IMDb से साभार.

बॉलीवुड में नवाजुद्दीन की रेंज का कोई नहीं

बॉलीवुड के हीरो तो गोर-चिट्टे और बढ़िया मसल्स वाले होते रहे हैं और बॉलीवुड में वही हीरो कामयाब हुए जिन्होंने हमेशा बड़ी फिल्मों में बड़ी-बड़ी भूमिकाओं से शुरुआत की. अब फ़िल्में चाहे मुख्य धारा की रही हों या कलात्मक. नवाज की तरह सिर्फ संजय मिश्रा एक अपवाद नजर आते हैं वे ऑफिस-ऑफिस करने के बावजूद अधेड़ उम्र का ही सही मगर "अंग्रेजी में कहते हैं" और "कामयाब" जैसी फिल्मों में मुख्य हीरो के रूप में नजर आते हैं. सारे जहां से महंगा, इक्कीस तारीख, आंखो देखी और कड़वी हवा करते हैं जिसमें उनके किरदार केंद्र हैं. मनोज बाजपेयी भी इसी रेंज में हैं. लेकिन उन्हें एक लिहाज से स्ट्रगलिंग फेज फेज में कम समय में ही शूल और सत्या जैसी फ़िल्में मिल गई थीं.

नवाज हमेशा "हीरोपना" की बजाय किरदारों को अहमियत देते दिखते हैं. यही वजह है उन्हें जब आसानी से हीरो के रूप में मुख्य भूमिका मिल सकती है वो सहायक भूमिकाओं की ओर निकल जाते हैं. सलमान खान के साथ किक जैसी फिल्मों में नकारात्मक भूमिकाएं कर लेते हैं और रमन राघव में साइको किलर बने दिखते हैं. फिर हरामखोर जैसी फिल्म में हीरो बनकर आते हैं. आलोचनाओं के बावजूद बाल ठाकरे की बायोपिक करते हैं. कमाल का काम. नवाज के इतने किरदार हैं कि उन्हें गिनाया नहीं जा सकता. और फिर सीरियस मैन ही क्यों नहीं जिसमें उन्होंने एक महानगरीय निम्न मध्यवर्गीय चालाक पिता का किरदार निभाया है. एक ऐसा पिता जो अपने बेटे को धोखे से सुपर जीनियस बनाकर वह सबकुछ हासिल करता दिखने लगता है जो वह खुद नहीं पा सका था. लेकिन दुर्भाग्य से उसका फ्रॉड पकड़ा जाता है.

जब भारत में डिजिटल नया-नया था बड़े अभिनेताओं ने उसे वैसे ही लिया जिस तरह कभी टीवी को लिया था. यहां पहले वही अभिनेता आए या तो जिन्हें फिल्मों में काम नहीं मिल रहा था. या फिर वे जो कैरेक्टर आर्टिस्ट बन चुके थे. मगर नवाज ने यहां भी किरदार देखा. इंटरनेशनल शो मैक माफिया में महमूद का रोल किया फिर नेटफ्लिक्स के शो सैक्रेड गेम्स में गणेश गायतोंडे के रूप में दुनियाभर के ऑडियंस को हिलाकर रख दिया. इसे नवाज के किरदार का असर मानें कि आज की तारीख में बॉलीवुड का हर बड़ा अभिनेता वेब शो करने के लिए कतार में खड़ा है. उन्हें अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिलता है तो यह प्रतिभा का सम्मान होगा.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ओटीटी नहीं छोड़ेंगे, गलत संदर्भ में लिया गया बयान  

नवाजुद्दीन ने अभी कुछ दिनों पहले कहा था कि वे वेब के मौजूदा हालात को लेकर निराश हैं और आगे ओटीटी के लिए शोज नहीं करेंगे. हालांकि हमारी सहयोगी चैनल इंडिया टुडे से न्यूयॉर्क में एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने सफाई दी कि उन्होंने ओटीटी छोड़ने को लेकर वैसा बिल्कुल नहीं कहा था जिस तरह से लिया गया. नवाज ने कहा- "मैं OTT के लिए बहुत सारी फ़िल्में कर रहा हूं. मैं यहां (न्यूयॉर्क में एम्मी अवॉर्ड के लिए) नेटफ्लिक्स की वजह से बैठा हूं. OTT प्लेटफॉर्म्स ने हम सभी को अंतराष्ट्रीय मान्यता दी. यहां हमें पूरी दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है."

"मैं अपने बयान में उन प्रोडक्शन हाउसेस के बारे में बात कर रहा था, जो आजकल यूं ही कुछ भी बना दे रहे हैं. बयान को संदर्भ से बाहर जाकर लिया गया और मैं यह बिल्कुल नहीं कह रहा था कि मैं ओटीटी छोड़ रहा हूं. हां मैं (ओटीटी पर) यहां कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता जो (टीवी) सीरियल की तरह लगे."

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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