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इंडस्ट्री में रखकर चीजों को कैसे बैलेंस करना है? सीखना हो तो करीना से सीखिए!

    • रीवा सिंह
    • Updated: 01 जनवरी, 2023 09:45 PM
  • 01 जनवरी, 2023 09:45 PM
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बॉलीवुड में करीना किसी डीवा की तरह हैं और ये बात यूं ही नहीं है. भले ही उन्होंने फ़िल्में बहुत ज्यादा नहीं की हों लेकिन जिस तरह उन्होंने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस बनाया और जो किया डंके की चोट पर किया उससे इंडस्ट्री की अन्य एक्ट्रेस को प्रेरणा लेनी चाहिए.

करीना कपूर ने गिनती की ही अच्छी फ़िल्में की हैं और उनमें भी उनके किरदार का चरित्र लगभग एक-सा रहा है - हंसती-खिलखिलाती बबली गर्ल. ओंकारा से लेकर जब वी मेट तक. लेकिन उन्होंने एक काम बहुत अच्छा किया - अभिनेत्रियों की व्यक्तिगत ज़िंदगी को सहज बनाने का रास्ता खोल दिया. शादी के महीने भर के भीतर काम पर लौटीं और वो भी आइटम नंबर के लिये - फ़ेविकोल से. मैं इस गाने की ज़रा भी पक्षधर नहीं हूं लेकिन करीना के मार्फ़त अभिनेत्रियों को जो सहूलियत मिल पा रही है और अब रूटीन हो गयी है, उसकी प्रशंसक हूं.

पहले इन्हीं अभिनेत्रियों के लिये शादी का मतलब होता था करियर पर विराम. पूर्ण विराम न सही तो अल्प ही सही लेकिन अल्प विराम भी कुछ साल ले जाता था. एक्ट्रेस ने शादी की इसका मतलब है कि आने वाले कुछेक साल वो काम पर लौटेगी ये भूल जाओ. बेबो ने महीने भर के भीतर इस गाने के साथ वापसी की, सप्ताह भर में ही वो सेट पर थीं.

करीना कपूर में ऐसे तमाम गुण हैं जिनसे बॉलीवुड कि अन्य एक्ट्रेस को प्रेरणा लेनी चाहिए

उनके बाद अनुष्का, दीपिका, कटरीना...सबने काम करना जारी रखा. एक ट्रेंड सेट हो गया. ऐसा ही दूसरा कदम रहा प्रेग्नेंसी को सहज करना. पहले ऐक्ट्रेसेज़ प्रेग्नेंसी को टैबू की तरह छिपाती फिरती थीं और कैमरामैन (पैपराज़ी) उनके इर्द-गिर्द घूमते रहते थे कि कहीं से भी बेबी-बम्प की झलक मिल जाए और वो ख़बर में लगा दें. बेबी-बम्प कौतूहल का विषय लगता था.

करीना इसे लेकर बहुत सहज रहीं और सात महीने की प्रेग्नेंसी में लैक्मे फ़ैशन वीक में मनीष मल्होत्रा के लिये वॉक किया. उनके बाद बेबी-बम्प फ्लॉन्ट करने का क्रम शुरू हुआ और फ़ैशन मैगेज़ीन की कवर फ़ोटोज़ आने लगीं. अब पैपराज़ी और पाठक किसी कलाकार की प्रेग्नेंसी को हौव्वा की तरह नहीं देखते क्योंकि अब कलाकार स्वयं इसे लेकर सहज हो गये...

करीना कपूर ने गिनती की ही अच्छी फ़िल्में की हैं और उनमें भी उनके किरदार का चरित्र लगभग एक-सा रहा है - हंसती-खिलखिलाती बबली गर्ल. ओंकारा से लेकर जब वी मेट तक. लेकिन उन्होंने एक काम बहुत अच्छा किया - अभिनेत्रियों की व्यक्तिगत ज़िंदगी को सहज बनाने का रास्ता खोल दिया. शादी के महीने भर के भीतर काम पर लौटीं और वो भी आइटम नंबर के लिये - फ़ेविकोल से. मैं इस गाने की ज़रा भी पक्षधर नहीं हूं लेकिन करीना के मार्फ़त अभिनेत्रियों को जो सहूलियत मिल पा रही है और अब रूटीन हो गयी है, उसकी प्रशंसक हूं.

पहले इन्हीं अभिनेत्रियों के लिये शादी का मतलब होता था करियर पर विराम. पूर्ण विराम न सही तो अल्प ही सही लेकिन अल्प विराम भी कुछ साल ले जाता था. एक्ट्रेस ने शादी की इसका मतलब है कि आने वाले कुछेक साल वो काम पर लौटेगी ये भूल जाओ. बेबो ने महीने भर के भीतर इस गाने के साथ वापसी की, सप्ताह भर में ही वो सेट पर थीं.

करीना कपूर में ऐसे तमाम गुण हैं जिनसे बॉलीवुड कि अन्य एक्ट्रेस को प्रेरणा लेनी चाहिए

उनके बाद अनुष्का, दीपिका, कटरीना...सबने काम करना जारी रखा. एक ट्रेंड सेट हो गया. ऐसा ही दूसरा कदम रहा प्रेग्नेंसी को सहज करना. पहले ऐक्ट्रेसेज़ प्रेग्नेंसी को टैबू की तरह छिपाती फिरती थीं और कैमरामैन (पैपराज़ी) उनके इर्द-गिर्द घूमते रहते थे कि कहीं से भी बेबी-बम्प की झलक मिल जाए और वो ख़बर में लगा दें. बेबी-बम्प कौतूहल का विषय लगता था.

करीना इसे लेकर बहुत सहज रहीं और सात महीने की प्रेग्नेंसी में लैक्मे फ़ैशन वीक में मनीष मल्होत्रा के लिये वॉक किया. उनके बाद बेबी-बम्प फ्लॉन्ट करने का क्रम शुरू हुआ और फ़ैशन मैगेज़ीन की कवर फ़ोटोज़ आने लगीं. अब पैपराज़ी और पाठक किसी कलाकार की प्रेग्नेंसी को हौव्वा की तरह नहीं देखते क्योंकि अब कलाकार स्वयं इसे लेकर सहज हो गये हैं.

प्री-डिलीवरी फ़ोटोशूट का प्रचलन इसी की देन है. यह सहजता सिनेमाई दुनिया से उठकर सामान्य घरों में भी आ चुकी है और महिलाओं का जीवन, थोड़ा ही सही, लेकिन सहज हुआ है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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