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बात अच्छी लगे या बुरी, केआरके ने कंगना रनौत का भविष्य बांच दिया!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 29 जून, 2021 04:29 PM
  • 29 जून, 2021 04:29 PM
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असफल फ़िल्मी करियर के बाद केआरके लंबे समय से फिल्मों की समीक्षा करते हैं. फिल्म और कलाकारों के बारे में राय भी साझा करते रहते हैं. उनसे चाहे जितना असहमत हुआ जाए, लेकिन कई मर्तबा वो पते की बात भी कह जाते हैं.

कमाल आर खान यानी केआरके सोशल मीडिया पर कुछ भी कह देने के लिए बदनाम हैं. कई मर्तबा उनकी कही बातें इतनी सख्त, तीखी और व्यक्तिगत होती हैं कि उनपर विवाद खड़े हो जाते हैं. हाल ही में सलमान खान की राधे का रिव्यू कर उन्होंने ऐसे ही विवाद को खड़ा कर दिया जो कोर्ट तक पहुंच गया. असफल फ़िल्मी करियर के बाद केआरके लंबे समय से फिल्मों की समीक्षा करते हैं. फिल्म और कलाकारों के बारे में राय भी साझा करते रहते हैं. उनसे चाहे जितना असहमत हुआ जाए, लेकिन कई मर्तबा वो पते की बात भी कह जाते हैं.

कंगना रनौत पर उनकी हालिया टिप्पणी भी इसमें से एक मानी जा सकती है. टिप्पणी में छिपी सच्चाइयों से इनकार नहीं किया जा सकता. केआरके ने ट्वीट में लिखा- मैं 100 प्रतिशत गारंटी से कह सकता हूं कि भविष्य में कंगना रनौत की कोई फिल्म हिट नहीं होगी. उनकी आगे आने वाली फ़िल्में हैं- इंदिरा गांधी, कश्मीरी पंडित, अयोध्या राम मंदिर. इसका मतलब है कि वो अब फिल्म मेकर नहीं हैं. वो सिर्फ नफ़रत फैलाना चाहती हैं और 90 प्रतिशत भारतीय इसे पसंद नहीं करते. लोग शांति चाहते हैं. वैसे केआरके ने कंगना को लेकर कुछ और निजी हमले वाले ट्वीट भी किए हैं.

कंगना रनौत आपातकाल पर एक फिल्म कर रही हैं. इसमें वो इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं. मणिकर्णिका रिटर्न्स: द लीजेंड ऑफ़ डिड्डा भी कर रही हैं. ये पीरियड ड्रामा है. फिल्म की कहानी कश्मीर के इतिहास में प्रसिद्द रानी डिड्डा के जीवन पर है. राम मंदिर विवाद पर भी एक फिल्म बनाने की तैयारी में हैं. रिपोर्ट्स आई थीं कि मंदिर विवाद में अदालती सुनवाई पर फिल्म की कहानी होगी. इंडस्ट्री की एक धारा कंगना की फिल्मों को प्रोपगेंडा करार दे रही है. जैसे कि केआरके ने भी कहा. कंगना पर ऐसे आरोप उनके राजनीतिक झुकाव की वजह से लगे हैं जो कोई छिपी बात नहीं रही. अभिनेत्री ने कई मर्तबा सार्वजनिक मंचों से भाजपा सरकार और उसके मुद्दों की पैरवी की...

कमाल आर खान यानी केआरके सोशल मीडिया पर कुछ भी कह देने के लिए बदनाम हैं. कई मर्तबा उनकी कही बातें इतनी सख्त, तीखी और व्यक्तिगत होती हैं कि उनपर विवाद खड़े हो जाते हैं. हाल ही में सलमान खान की राधे का रिव्यू कर उन्होंने ऐसे ही विवाद को खड़ा कर दिया जो कोर्ट तक पहुंच गया. असफल फ़िल्मी करियर के बाद केआरके लंबे समय से फिल्मों की समीक्षा करते हैं. फिल्म और कलाकारों के बारे में राय भी साझा करते रहते हैं. उनसे चाहे जितना असहमत हुआ जाए, लेकिन कई मर्तबा वो पते की बात भी कह जाते हैं.

कंगना रनौत पर उनकी हालिया टिप्पणी भी इसमें से एक मानी जा सकती है. टिप्पणी में छिपी सच्चाइयों से इनकार नहीं किया जा सकता. केआरके ने ट्वीट में लिखा- मैं 100 प्रतिशत गारंटी से कह सकता हूं कि भविष्य में कंगना रनौत की कोई फिल्म हिट नहीं होगी. उनकी आगे आने वाली फ़िल्में हैं- इंदिरा गांधी, कश्मीरी पंडित, अयोध्या राम मंदिर. इसका मतलब है कि वो अब फिल्म मेकर नहीं हैं. वो सिर्फ नफ़रत फैलाना चाहती हैं और 90 प्रतिशत भारतीय इसे पसंद नहीं करते. लोग शांति चाहते हैं. वैसे केआरके ने कंगना को लेकर कुछ और निजी हमले वाले ट्वीट भी किए हैं.

कंगना रनौत आपातकाल पर एक फिल्म कर रही हैं. इसमें वो इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं. मणिकर्णिका रिटर्न्स: द लीजेंड ऑफ़ डिड्डा भी कर रही हैं. ये पीरियड ड्रामा है. फिल्म की कहानी कश्मीर के इतिहास में प्रसिद्द रानी डिड्डा के जीवन पर है. राम मंदिर विवाद पर भी एक फिल्म बनाने की तैयारी में हैं. रिपोर्ट्स आई थीं कि मंदिर विवाद में अदालती सुनवाई पर फिल्म की कहानी होगी. इंडस्ट्री की एक धारा कंगना की फिल्मों को प्रोपगेंडा करार दे रही है. जैसे कि केआरके ने भी कहा. कंगना पर ऐसे आरोप उनके राजनीतिक झुकाव की वजह से लगे हैं जो कोई छिपी बात नहीं रही. अभिनेत्री ने कई मर्तबा सार्वजनिक मंचों से भाजपा सरकार और उसके मुद्दों की पैरवी की है. हिंदुत्व पर भी विचार रखे और सोनिया समेत तमाम विपक्षी नेताओं की आलोचना की.

कंगना के राजनीतिक झुकाव की वजह से उनकी कुछ अपकमिंग प्रोजेक्ट की अहमियत समझी जा सकती है. चूंकि उनका राजनीतिक झुकाव जाहिर है ऐसे में उनसे इतिहास की तटस्थ विवेचना की उम्मीद तो नहीं की जा सकती. फिल्मों में उनका नायकवाद उनकी विचारधारा के साथ ही तय होगा. बॉलीवुड दर्शक ऐसी फिल्मों के साथ काफी बेरहम दिखे हैं. जाहिर है केआरके के दावे की सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता. 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले देखने में आया था कि कुछ वेबसीरीज और फ़िल्में आई थीं जिसे सीधे-सीधे प्रोपगेंडा करार दिया गया. उनका बॉक्स ऑफिस हश्र बेहतर नहीं था. इनमें अक्षय खन्ना और अनुपम खेर की एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, विवेक ओबेरॉय की पीएम नरेंद्र मोदी और मधुर भंडारकर के निर्देशन में बनी इंदु सरकार शामिल है.

इंदु सरकार में आपातकाल और उसकी पृष्ठभूमि में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी पर कई सवाल थे. एक तरह से फिल्म में उन्हें आपातकाल समेत तमाम चीजों का गुनहगार बनाया गया है. तीनों फिल्मों में कांग्रेस और गांधी परिवार कटघरे में खड़ा नजर आया. इन फिल्मों ने नेताओं को जरूर आकर्षित किया और हाइप भी बना. मगर ये भी सच्चाई है कि बॉक्स ऑफिस पर भीड़ जुटाने में नाकाम रहीं. दर्शकों ने सिरे से खारिज कर दिया. कुछ और फिल्मों को भगवा राजनीति और मोदी सरकार की उपलब्धियों से प्रेरित बताया गया, मगर उनकी मूल कहानी राजनीतिक नहीं थी. ज्यादातर फ़िल्में सफल रहीं.

संभवत: केआरके ने फिल्मों के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड के मद्देनजर कंगना को लेकर दावा किया. यह सच्चाई है कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप वाली फ़िल्में बनती रही हैं. लेकिन बज बनाने के अलावा उन्होंने और कुछ भी हासिल नहीं किया है. अब ये कंगना के कौशल की बात है कि वो अपनी फिल्मों को किस स्तर पर बनाने में कामयाब होती हैं. वैसे बॉलीवुड में अबतक का ट्रेंड केआरके के दावे को पुष्ट करता दिख रहा है.

वैसे ट्रेंड टूटते भी हैं. निश्चित ही कंगना बॉलीवुड की उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में से हैं जिन्होंने अकले अपने कंधे पर कई-कई फिल्मों को ना सिर्फ ढोया है बल्कि जबरदस्त कामयाबी भी हासिल की. उनकी अपनी स्टाइल और उल्लखेनीय फैन फॉलोइंग है. कंगना का भविष्य सिर्फ तीन फिल्मों से तय नहीं होगा. उनके पास कई और बेहतरीन प्रोजेक्ट हैं. इनमें धाकड़, थलाइवा और तेजस शामिल हैं. धाकड़ में कंगना का एक्शन अवतार दिखेगा जिसमें वो एजेंट अग्नि का किरदार निभा रही हैं. ये फिल्म बच्चों की तस्करी और महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर बनी है. थलाइवा तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जयललिता की बायोपिक है. जबकि तेजस में कंगना एयरफ़ोर्स पायलट की भूमिका में हैं. फिल्म में देश के लिए महिलाओं के जज्बे और संघर्ष को दिखाया गया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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