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'मेंटल है क्या' में जजमेंटल बनाने जैसा कुछ भी नहीं!

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 04 जुलाई, 2019 02:24 PM
  • 04 जुलाई, 2019 02:23 PM
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'मेंटल है क्या' फिल्म की जो छवि हम जैसे लोगों ने अपने मन में गढ़ी थी वो छवि फिल्म के ट्रेलर ने तोड़ दी. ट्रेलर लॉन्च पर खुद कंगना ने अपनी बहन को गलत साबित करते हुए खुलासा किया है कि 'अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये फिल्म mental illness पर ही आधारित है या फिर इसके अंत में आपको इससे संबंधित कोई सुझाव मिलता है तो ये ऐसा फिल्म नहीं है.'

मुझे फिल्म 'मेंटल है क्या' के ट्रेलर का बेहद इंतजार था. इसलिए नहीं कि उसमें Kangana Ranaut और Rajkumar Rao की जोड़ी है, बल्कि इसलिए कि इस फिल्म के टाइटल पर विवाद हुआ था. और फिल्म मानसिक रोग पर आधारित बताई जा रही थी. इंडियन साइकिएट्रिक सोसायटी (IPS) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इसके टाइटल को लेकर ऐतराज जताया था. उन्हें 'मेंटल' शब्द से परेशानी थी.

टाइटल पर विरोध करने वालों का कहना था कि मेंटल शब्द मानसिक परेशानियां झेल रहे लोगों की हंसी उड़ाता है और फिल्म मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून-2017 की धाराओं का उल्लंघन करती है. इसे संवेदनहीन भी कहा गया. सेंसर बोर्ड, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और पीएमओ सबको पत्र लिख दिए गए. और अंत में CBFC ने फिल्म का टाइटल बदलने को कहा. बदले हुए टाइटल के साथ इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया. यानी 'Mental Hai Kya ' अब 'Judgemental Hai Kya' हो गई.

फिल्म का टाइटल बदल दिया गया है

टाइटल पर हुए विवाद के बाद फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर, यहां तक कि कंगना रनाउत की बहन रंगोली चंदेल ने भी टाइटल के फेवर में बात की. और लोगों को कनविंस करने की पूरी कोशिश की कि ये फिल्म ऐसी नहीं है जैसा कि वो सोच रहे हैं. फिल्म में किसी भी तरह मानसिक रोगियों का मजाक नहीं उड़ाया गया है. रंगोली चंदेल का कहना तो ये था कि 'हर किसी को 'मेंटल है क्या' पर गर्व होगा. कंगना ने जो विषय चुना है, उससे इस टैबू के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ेगी और लोग इस बारे में खुलकर बात कर सकेंगे.' रंगोली का ये भी कहना था कि कंगना अपने जीवन में खुद ये सब झेल चुकी हैं. और इसीलिए बहुत ही गंभीरता से उन्होंने इस विषय को चुना है. और इसे लेकर उन्होंने पूरी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम किया है.

तब एक बार तो मुझे भी लगा कि...

मुझे फिल्म 'मेंटल है क्या' के ट्रेलर का बेहद इंतजार था. इसलिए नहीं कि उसमें Kangana Ranaut और Rajkumar Rao की जोड़ी है, बल्कि इसलिए कि इस फिल्म के टाइटल पर विवाद हुआ था. और फिल्म मानसिक रोग पर आधारित बताई जा रही थी. इंडियन साइकिएट्रिक सोसायटी (IPS) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इसके टाइटल को लेकर ऐतराज जताया था. उन्हें 'मेंटल' शब्द से परेशानी थी.

टाइटल पर विरोध करने वालों का कहना था कि मेंटल शब्द मानसिक परेशानियां झेल रहे लोगों की हंसी उड़ाता है और फिल्म मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून-2017 की धाराओं का उल्लंघन करती है. इसे संवेदनहीन भी कहा गया. सेंसर बोर्ड, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और पीएमओ सबको पत्र लिख दिए गए. और अंत में CBFC ने फिल्म का टाइटल बदलने को कहा. बदले हुए टाइटल के साथ इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया. यानी 'Mental Hai Kya ' अब 'Judgemental Hai Kya' हो गई.

फिल्म का टाइटल बदल दिया गया है

टाइटल पर हुए विवाद के बाद फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर, यहां तक कि कंगना रनाउत की बहन रंगोली चंदेल ने भी टाइटल के फेवर में बात की. और लोगों को कनविंस करने की पूरी कोशिश की कि ये फिल्म ऐसी नहीं है जैसा कि वो सोच रहे हैं. फिल्म में किसी भी तरह मानसिक रोगियों का मजाक नहीं उड़ाया गया है. रंगोली चंदेल का कहना तो ये था कि 'हर किसी को 'मेंटल है क्या' पर गर्व होगा. कंगना ने जो विषय चुना है, उससे इस टैबू के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ेगी और लोग इस बारे में खुलकर बात कर सकेंगे.' रंगोली का ये भी कहना था कि कंगना अपने जीवन में खुद ये सब झेल चुकी हैं. और इसीलिए बहुत ही गंभीरता से उन्होंने इस विषय को चुना है. और इसे लेकर उन्होंने पूरी जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम किया है.

तब एक बार तो मुझे भी लगा कि तीन बार नेशनल अवार्ड जीतने वाली वो अभिनेत्री यूं ही कोई फिल्म साइन नहीं करेगी. इस फिल्म में जरूर कुछ खास होगा तभी मेंटल इलनेस जैसे विषय पर उन्होंने काम करने का मन बनाया है. खुशी इस बात की भी थी कि जहां असल जिंदगी में मानसिक विकार या मानसिक समस्याओं से गुजर रहे लोगों को अहमियत नहीं दी जाती, वहीं इस विषय पर कोई ऐसी फिल्म बन रही है, जिससे इस टैबू के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ेगी और संवेदनशीलता भी. मन में यही सोचा कि- तो क्या हुआ कि 'मेंटल' शब्द मानसिक रोग से जुड़ा बहुत चुभने वाला शब्द है. लेकिन अगर एक नॉर्मल सा शब्द करोड़ों लोगों को मानसिक बीमारी की गंभीरता के बारे में जागरुक करता है, उस मानसिकता को तोड़ता है तो ये शब्द अच्छा है.

फिल्म के लिए जो दावे किए गए थे, ट्रेलर में ऐसा कुछ नहीं है

मैं मानसिक रूप से अक्षम और मानसिक विकार झेल रहे रोगियों के प्रति काफी संवेदशील हूं, इसलिए इस फिल्म के ट्रेलर का इंतजार बेसब्री से कर रही थी. लेकिन ट्रेलर देखकर मेरे सारे भ्रम टूट गए. ये फिल्म वैसी थी ही नहीं जैसा हमने सोचा था. यानी मन में कल्पना थी मानसिक रोगी और उसकी जिंदगी के संघर्षों की जिसे देखकर लोग प्रभावित होते. लेकिन ट्रेलर आने के बाद लोग प्रभावित तो हुए लेकिन वजह दूसरी थीं. वजह थी कंगना रनौत और राजकुमार राव की शानदार एक्टिंग, वजह थी स्टोरी लाइन, ये एक बेहद प्रॉमिसिंग ट्रेलर था जिसके बाद देखने वाले इसके पीछे होने वाले सभी विवादों को भूल गए.

कंगना की बहन ने कहा था कि कंगना ने जो विषय चुना है, उससे इस टैबू के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ेगी और लोग इस बारे में खुलकर बात कर सकेंगे.' इस बात से जो छवि हम जैसे लोगों ने अपने मन में गढ़ी थी वो छवि फिल्म के ट्रेलर ने तोड़ दी. ट्रेलर लॉन्च पर खुद कंगना ने अपनी बहन को गलत साबित कर दिया. उन्होंने खुलासा किया कि 'अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये फिल्म mental illness पर ही आधारित है या फिर इसके अंत में आपको इससे संबंधित कोई सुझाव मिलता है तो ये ऐसा फिल्म नहीं है.'

टाइटल पर हुई कंट्रोवर्सी ने मेंटल इलनेस से जुड़े लोगों के मन में एक उम्मीद जगाई थी, वो उम्मीद फिलहाल तो टूटती ही दिखाई दे रही है. फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री है, इसमें पागलपन दिखाया गया है. हालांकि फिल्म में कंगना रनाउत का जो किरदार है वो भले ही मानसिक परेशानियां झेल रही महिला का हो, जिसे मर्डरर तक दिखाया गया है. कंगना और राजकुमार की एक्टिंग में कई शेड्स हैं और कोई दो राय नहीं कि इन दोनों ने ही बहुत बेहतरीन काम किया है. लेकिन इस ट्रेलर में जितनी कॉमेडी और थ्रिल दिखाया गया है उसने मानसिक परेशानियां झेल रहे असल लोगों की जिंदगी की गंभीरता को खत्म कर दिया है. मेरी तरह आज मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सभी लोग खासकर इसके टाइटल का विरोध करने वाले खुद को ढगा सा महसूस कर रहे होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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