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लड़कियां पैड नहीं बोल पातीं और नुसरत भरूचा बैग में कंडोम रखने को कहती हैं, कितनी बेशर्म है ना?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 12 जून, 2022 04:44 PM
  • 12 जून, 2022 04:44 PM
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कई पुरुष ऐसे हैं जो कंडोम इस्तेमाल करने में यकीन नहीं रखते. वे इसे अपनी बेइज्जती से जोड़ लेते हैं, बेइज्जती माने अपमान. वे इसे अपनी कमजोर मर्दानगी की निशानी मानते हैं. पत्नी या गर्लफ्रेंड अगर कंडोम की बात करे तो उसे पागल हो क्या...कुछ नहीं होगा बोलकर चुप कराते हैं. नतीज यह होता है कि महिलाओं को ना जाने कितनी बार गर्भपात करना पड़ता है. 

कंडोम (condom) जिसका नाम लेना भी कुछ लोगों के लिए पाप है. उसके बारे में नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) का कहना है कि 'लड़का, अगर कंडोम न खरीदे तो लड़कियां सैनेटरी पैड्स की तरह कंडोम अपने बैग में रखें'. जो लड़की पैड नहीं खरीदती वह कंडोम कैसे खरीदेगी? लोग क्या कहेंगे? 

नुसरत इन दिनों अपनी फिल्म "जनहित में जारी" (Janhit Mein Jaari) के जरिए कंडोम का मुद्दा उठा रही हैं. वे कंडोम बांटकर लोगों को जागरूक कर रही हैं. औऱ इसतरह नुसरत ने सैनेटरी पैड और कंडोम दोनों पर एक ही बार में वार कर दिया है. जहां कंडोम खरीदने भर से लड़की को चरित्रहीन करार दिया जाता है, वहां ऐसी बातें करने पर किसी लड़की का क्या हाल होगा? 

महिलाएं गर्भपात कराकर सेहत बिगाड़ती रहें लेकिन क्या मजाल की कंडोम खरीद लें

कंडोम...अरे क्या कह दिया? जरा धीरे बोलो कोई सुन लेगा. पैड, यह भी कोई जोर से बोलने की बात है? इन दो शब्दों से ही आज भी लोग इतना घबराते हैं कि सेक्स तो बोल ही नहीं पाते. सेक्स के साथ एजुकेशन नाम जोड़कर इसे सजाने की कोशिश की गई ताकि लोगों को शर्म महसूस ना हो और इस पर बात कर सकें, हालांकि यह संभव नहीं हुआ.

यहां लड़कियों की शादी होने से पहले उसे यह तो बताया जाता है कि, ससुराल में जाकर उसे सुबह जल्दी जगना है, खाना बनाना है और सबकी सेवा करनी है. उसे यह नहीं बताया जाता कि पति के साथ इंटिमेट होन में परेशानी हो सकती है. उसे यह नहीं बताया जाता कि प्रेग्नेंसी रोकने के लिए क्या करना चाहिए, क्या करने से किसी भी तरह के इंफेक्शन को रोका जा सकता है.

नुसरत भरूचा, इस फिल्म में वे एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही हैं जो सेल्स गर्ल है और जो कंडोम बेचती है. वह जिस कंपनी में काम करती हैं, वहां कोई दूसरी लड़की काम नहीं करती है. इसलिए उन्हें बहुत...

कंडोम (condom) जिसका नाम लेना भी कुछ लोगों के लिए पाप है. उसके बारे में नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) का कहना है कि 'लड़का, अगर कंडोम न खरीदे तो लड़कियां सैनेटरी पैड्स की तरह कंडोम अपने बैग में रखें'. जो लड़की पैड नहीं खरीदती वह कंडोम कैसे खरीदेगी? लोग क्या कहेंगे? 

नुसरत इन दिनों अपनी फिल्म "जनहित में जारी" (Janhit Mein Jaari) के जरिए कंडोम का मुद्दा उठा रही हैं. वे कंडोम बांटकर लोगों को जागरूक कर रही हैं. औऱ इसतरह नुसरत ने सैनेटरी पैड और कंडोम दोनों पर एक ही बार में वार कर दिया है. जहां कंडोम खरीदने भर से लड़की को चरित्रहीन करार दिया जाता है, वहां ऐसी बातें करने पर किसी लड़की का क्या हाल होगा? 

महिलाएं गर्भपात कराकर सेहत बिगाड़ती रहें लेकिन क्या मजाल की कंडोम खरीद लें

कंडोम...अरे क्या कह दिया? जरा धीरे बोलो कोई सुन लेगा. पैड, यह भी कोई जोर से बोलने की बात है? इन दो शब्दों से ही आज भी लोग इतना घबराते हैं कि सेक्स तो बोल ही नहीं पाते. सेक्स के साथ एजुकेशन नाम जोड़कर इसे सजाने की कोशिश की गई ताकि लोगों को शर्म महसूस ना हो और इस पर बात कर सकें, हालांकि यह संभव नहीं हुआ.

यहां लड़कियों की शादी होने से पहले उसे यह तो बताया जाता है कि, ससुराल में जाकर उसे सुबह जल्दी जगना है, खाना बनाना है और सबकी सेवा करनी है. उसे यह नहीं बताया जाता कि पति के साथ इंटिमेट होन में परेशानी हो सकती है. उसे यह नहीं बताया जाता कि प्रेग्नेंसी रोकने के लिए क्या करना चाहिए, क्या करने से किसी भी तरह के इंफेक्शन को रोका जा सकता है.

नुसरत भरूचा, इस फिल्म में वे एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही हैं जो सेल्स गर्ल है और जो कंडोम बेचती है. वह जिस कंपनी में काम करती हैं, वहां कोई दूसरी लड़की काम नहीं करती है. इसलिए उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोग उसका मजाक उड़ाते हैं. लोगों को लगता है कि कंडोम बेचना बदनामी वाला काम है. कंडोम बेचने वाली लड़की को जज किया जाता है और उसे शक की नजरों से देखा जाता है. जैसे वह कंडोम नहीं कोई गंदा काम करती हो, उसे लोग चरित्रहीन ही समझ लेते हैं. 

कंडोम की बात करने वाली लड़की को तो लोग गंदा की समझते हैं. जब लोग पैड नहीं बोल सकते, उनसे कंडोम की बात करने वाली तो बेशर्म ही कहलाएगी, लेकिन बात तो वह एकदम सही करती है. वैसे लोग सेक्स के बारे में बात करने वाले को भी गलत ही समझते हैं, तो क्या वो सेक्स करना छोड़ देते हैं? काम सब वही करते हैं लेकिन इस बारे में बात करने वाले को गलत साबित कर देते हैं.

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS) के अनुसार, 10 में से 4 महिलाएं अनवांटेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए नसबंदी करवाती हैं, जबकि नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या न के बराबर है. उन्हें इस नाम से ही कमजोरी, नामर्दी और बीमारी का डर सताने लगता है. रिपोर्ट की माने तो 10 सिर्फ 1 पुरुष ही कंडोम का इस्तेमाल करते हैं. अब ऐसे में कंडोम की बात करने वाली तो बेशर्म ही होगी.

फिल्म में ही नहीं, इस रोल को निभाने पर रियल लाइफ में भी लोगों ने नुसरत को निशाने पर लिया और उनका मजाक बनाया. वे फिल्म का प्रमोशन करने गईं थीं. जिसके बाद उन्हें ट्रोल किया गया. हालांकि नुसरत को इन बातों से फर्क नहीं पड़ता, उन्हें पता है कि कंडोम के बारे में लोगों का जागरूक करने में कोई बुराई नहीं है.

आज भी कंडोम नाम सुनते ही लोगों को सेक्स का याद आ जाती है, माने वह इसे सिर्फ सेक्स से जोड़कर देखते हैं. जबकि इसकी महत्ता महिलाओं के लिए इससे कहीं बढ़कर है. कंडोम का इस्तेमाल करने से महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकार पा सकती हैं. वे कई तरह के इंफेक्शन और खतरनाक बीमारियों से बच सकती हैं.

नुसरत का कहना है कि कंडोम को सेक्स का जरिया न देखकर प्रटेक्शन से देखने की जररूत है. पुरुष अगर इस्तेमाल नहीं करते तो फीमेल कंडोम भी आते हैं, महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए इसे अपने पास रखने की जरूरत है.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (NFPA) की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट 2022 में यह बात सामने आई है, कि भारत में हर रोज गर्भपात की वजह से करीब 8 महिलाओं की मौत हो जाती है. वहीं, 67% गर्भपात में जान का जोखिम बना रहता. कई घरों के पुरुषों को महिलाओं की सेहत की चिंता नहीं रहती है. वहीं कई लड़कियां अगर शादी से पहले प्रेग्नेंट हो जाती हैं तो उन्हें घरवालों के डर से चुपचाप अबॉर्शन करवा लेती हैं. सेक्स के समय अगर पुरुष कंडोम का इस्तेमाल करें तो महिलाएं इस परेशानी से बच सकती हैं.

हैरानी की बात है कि इतना पढ़े-लिखे होने के बावजूद लोग कंडोम के नाम से घबराने लगते हैं. जब माहवारी तो भी उस बच्ची तो को कुछ पता नहीं था. उसे बताया गया कि यह छिपाने वाली बात है. जिसके बारे में लड़कों को नहीं बताना है. यहां तक की अपने पापा और भाई को भी नहीं. जब भी उसका पीरियड होता वह चुपचाप मेडिकल शॉप पर जाती. वह उस वक्त का इंतजार करती कि कब सब दुकान से चले जाएं. फिर वह धीरे से पैड बोलती तो पहले दुकान वाला उसकी तरफ देखता फिर पुराने न्यूज पेपर में लपेट कर काली पॉलीथीन में रखकर देता. जैसे वह पैड नहीं कोई ड्रग्स हो जिसे छिपाकर ले जाना चाहिए. वरना समाज में बेइज्जती हो जाएगी.

आजकल तो फिर भी लड़कियां खुलने लगी हैं. वे इन बातों के बारे में जानने लगी हैं. आज के जमाने में यू ट्यूब है. पहले के जमाने में क्या होता था, यह तो घर की महिलाएं आज भी ढंग से नहीं बता पातीं. वे आज भी अपनी शादी के नाम पर झेप जाती हैं.

कई पुरुष ऐसे हैं जो कंडोम इस्तेमाल करने में यकीन नहीं रखते. वे इसे अपनी बेइज्जती से जोड़ लेते हैं, बेइज्जती माने अपमान. वे इसे अपनी कमजोर मर्दानगी की निशानी मानते हैं. पत्नी या गर्लफ्रेंड अगर कंडोम की बात करें तो उसे 'पागल हो क्या...कुछ नहीं होगा' बोलकर चुप करा देते हैं. नतीज यह होता है कि महिलाओं को ना जाने कितनी बार गर्भपात करना पड़ता है...

असल में कंडोम की जरूरत पुरुषों को नहीं महिलाओं को है. कई पुरुषों की ऐसी मानसिकता है कि कंडोम का इस्तेमाल करने से वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं होंगे, इसलिए वे अपनी पत्नी पर गर्भनिरोधक गोली और इमरजेंसी पिल्स देने का सिलसिला शुरु कर देते हैं. ये गोलियां महिलाओं की सेहत पर बुरा प्रभाव डालती हैं. कंडोम पर कोसने वालों के लिए तो वो कल मरती हैं तो आज मर जाएं...इसलिए भले महिलाएं गर्भपात कराकर सेहत बिगाड़ती रहें लेकिन क्या मजाल की कंडोम खरीद लें?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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