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अभिजीत सावंत गलत नहीं, रोने-धोने के ड्रामे से TRP बटोर रहे हैं रियलिटी शोज

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 22 मई, 2021 04:38 PM
  • 22 मई, 2021 04:38 PM
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रियलिटी शोज के ड्रामेटिक एपिसोड्स की वजह से जबरदस्त टीआरपी तो मिलती ही है शोज आसानी से मीडिया अटेंशन पा जाते हैं. इससे लगातार नए ऑडियंस का ग्रुप भी शोज के साथ बिल्डअप होता है जबकि पुराने ऑडियंस शो के प्रति लॉयल बने रहते हैं.

पिछले दिनों किशोर कुमार को समर्पित इंडियन आइडल के शो में उनके बेटे अमित कुमार पहुंचे थे. बाद में उन्होंने आरोप लगाया कि मेकर्स शो में कई चीजें पहले से ही तय रखते हैं. इसमें कंटेस्टेंट की तारीफ़ शामिल है- भले ही उनका गाना खराब हो. अमित कुमार के बयान के बाद से टीवी के रियलिटी शोज बहस में हैं. खासकर म्यूजिक शोज. अब अभिजीत सावंत ने भी हिंदी रियलिटी शोज को ड्रामा करार दिया और कहा कि यहां कंटेस्टेंट की गरीबी-लाचारी पर झूठे आंसू बहाए जाते हैं.

अभिजीत सावंत कई पॉइंट्स पर गलत नहीं दिखते. अगर गौर करें तो आज की तारीख में हिंदी के रियलिटी शोज ड्रामे का बड़ा अड्डा बन चुके हैं. कुछ कंटेस्टेंट के लाचारी भरे फैमिली बैकग्राउंड को नाटकीय रूप से दिखाया जाता है. कंटेस्टेंट और उनके परिवार को होस्ट और जजों की ओर से उसी पॉइंट पर कुरेदा जाता है, जिसे याद कर भावुक हो जाते हैं. जज भी आंसू और संवेदना दिखाते हैं. क्या गरीब के घर में टैलेंट पैदा होना आश्चर्यजनक बात है? ज्यादातर शोज में आए दिन ऐसा होता है. नेहा कक्कड़, शिल्पा शेट्टी को अपने कई शोज में इस तरह रोते देखा जा चुका है.

वैसे ये बीमारी रियलिटी शोज में पहले नहीं थी. कुछ सालों में यह ट्रेंड गहरा हुआ है. रोने धोने के अलावा भी दूसरी चीजों के जरिए शोज को सेंसेशनल बनाया जाता है. आई चौक के बॉलीवुड सूत्रों ने बताया कि जब किसी शो के सीजन की शुरुआत होती है तो ऑडिशन के वक्त ही सेंसेशनल बन सकने वाले कंटेस्टेंट पर नजर रखी जाती है. मेकर्स के कोशिश होती है कि तमाम प्रतिभागियों में ऐसे भी दो-चार प्रतिभागी हों जिनकी बेचारगी में छिपे टैलेंट को देखकर लोग हैरान हो जाएं. बाद में मेकर्स इन्हीं कंटेस्टेंट के बैकग्राउंड को दिखाकर एपिसोड सेंसेशनल बनाते हैं. ऐसे कुछ प्रतिभाशाली कंटेस्टेंट विनर भी बनते हैं. सिंगिंग प्रोजेक्ट भी मिलता है लेकिन...

पिछले दिनों किशोर कुमार को समर्पित इंडियन आइडल के शो में उनके बेटे अमित कुमार पहुंचे थे. बाद में उन्होंने आरोप लगाया कि मेकर्स शो में कई चीजें पहले से ही तय रखते हैं. इसमें कंटेस्टेंट की तारीफ़ शामिल है- भले ही उनका गाना खराब हो. अमित कुमार के बयान के बाद से टीवी के रियलिटी शोज बहस में हैं. खासकर म्यूजिक शोज. अब अभिजीत सावंत ने भी हिंदी रियलिटी शोज को ड्रामा करार दिया और कहा कि यहां कंटेस्टेंट की गरीबी-लाचारी पर झूठे आंसू बहाए जाते हैं.

अभिजीत सावंत कई पॉइंट्स पर गलत नहीं दिखते. अगर गौर करें तो आज की तारीख में हिंदी के रियलिटी शोज ड्रामे का बड़ा अड्डा बन चुके हैं. कुछ कंटेस्टेंट के लाचारी भरे फैमिली बैकग्राउंड को नाटकीय रूप से दिखाया जाता है. कंटेस्टेंट और उनके परिवार को होस्ट और जजों की ओर से उसी पॉइंट पर कुरेदा जाता है, जिसे याद कर भावुक हो जाते हैं. जज भी आंसू और संवेदना दिखाते हैं. क्या गरीब के घर में टैलेंट पैदा होना आश्चर्यजनक बात है? ज्यादातर शोज में आए दिन ऐसा होता है. नेहा कक्कड़, शिल्पा शेट्टी को अपने कई शोज में इस तरह रोते देखा जा चुका है.

वैसे ये बीमारी रियलिटी शोज में पहले नहीं थी. कुछ सालों में यह ट्रेंड गहरा हुआ है. रोने धोने के अलावा भी दूसरी चीजों के जरिए शोज को सेंसेशनल बनाया जाता है. आई चौक के बॉलीवुड सूत्रों ने बताया कि जब किसी शो के सीजन की शुरुआत होती है तो ऑडिशन के वक्त ही सेंसेशनल बन सकने वाले कंटेस्टेंट पर नजर रखी जाती है. मेकर्स के कोशिश होती है कि तमाम प्रतिभागियों में ऐसे भी दो-चार प्रतिभागी हों जिनकी बेचारगी में छिपे टैलेंट को देखकर लोग हैरान हो जाएं. बाद में मेकर्स इन्हीं कंटेस्टेंट के बैकग्राउंड को दिखाकर एपिसोड सेंसेशनल बनाते हैं. ऐसे कुछ प्रतिभाशाली कंटेस्टेंट विनर भी बनते हैं. सिंगिंग प्रोजेक्ट भी मिलता है लेकिन बहुत बड़ी संख्या में आगे जाकर भीड़ में खो जाते हैं.

आई चौक ने एक-दो इनसाइडर से भी बात की जिससे पता चला कि रियलिटी शोज के ड्रामेटिक एपिसोड्स की वजह से जबरदस्त टीआरपी तो मिलती ही है शोज आसानी से मीडिया अटेंशन पा जाते हैं. इससे लगातार नए ऑडियंस का ग्रुप भी शोज के साथ बिल्डअप होता है जबकि पुराने ऑडियंस शो के प्रति लॉयल बने रहते हैं. निश्चित ही ये इतना कारगर है कि पिछले कुछ साल के दौरान इस "मसाले" का ट्रेंड बहुत मजबूत हुआ है. फिर यह मानने में कोई हर्ज नहीं रह जाता कि रियलिटी शोज का असली मकसद म्यूजिक के नाम पर सिर्फ टीआरपी बटोरना भर रह गया है. वैसे टीवी का ये ट्रेंड वेस्ट की देन है. कुछ साल पहले वहां अमेरिका और कुछ अन्य देशों में इसकी शुरुआत हुई थी.

तमाम रियलिटी शोज यहां तक कि गेम शो केबीसी में भी इसे धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है. इंडियन आइडल तो खैर इसकी सबसे बड़ी मिसाल है ही. अगर लोग रानू मंडल का नाम नहीं भूले होंगे तो उन्हें याद होगा कि कैसे सेंसेशनल स्टार बनने के बाद उनकी बेचारगी भरे टैलेंट को शो में भुनाया गया था. इंडियन आइडल के सीजन 11 के फाइनल टॉप 5 कंटेस्टेंट में से एक ने रानू के गाए गाने तेरी मेरी कहानी को गाया जिसे सुनकर हिमेश इतना भावुक हुए कि फूट-फूरकर रोने लगे. रोने के मामले में उस्ताद नेहा कक्कड़ ने और दूसरे जजेस ने तब हिमेश को संभाला था.

यह भी जान लीजिए कि रानू, पहली बार लता मंगेशकर के एक गाने को गाकर सोशल मीडिया पर पॉपुलर हुईं थीं. बाद में हिमेश ने रानू के साथ तीन गाने रिकॉर्ड किए जो जबरदस्त हिट हुए. आज रानू कहां हैं ये किसी को माल्लूम नहीं. चर्चाओं की मानें तो रानू की आर्थिक हालत बेहद खस्ता है.

जहां तक रियलिटी शोज से निकले टैलेंट की बात है तो इसने कई सिंगिंग स्टार भी दिए हैं. जिसमें अरिजीत सिंह (फेम गुरुकुल), श्रेया घोषाल (सा रे गा मा पा), शेखर रावजियानी (सा रे गा मा पा), सुनिधि चौहान (मेरी आवाज सुनो), कुणाल गांजावाला (सा रे गा मा पा), अमानत अली (सा रे गा मा पा), मोनाली ठाकुर (इंडियन आइडल), रजा हसन (सा रे गा मा पा), अभिजीत सावंत, प्रशांत तमांग, संदीप आचार्य, सौरभी (सभी इंडियन आइडल) प्रमुख रूप से शामिल हैं. रियलिटी शोज के विनर, रनरअप और कई दर्जन अछा गाने वाले कंटेस्टेंट आज कहां हैं शायद ही किसी को जानकारी हो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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