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I Care A Lot Review: मर्द दुनिया के किसी भी कोने के हों, मज़बूत स्त्रियां बर्दाश्त नहीं उन्हें!

    • अनु रॉय
    • Updated: 04 मार्च, 2021 07:08 PM
  • 04 मार्च, 2021 07:08 PM
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I Care A Lot Review: मर्द चाहे भारत के हों या अमेरिका के सोच लगभग एक जैसी ही होती है. वो बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं एक मज़बूत स्त्री को. ऐसी स्त्रियों को तारीफ़ तो ज़रूर मिलती है लेकिन जैसे ही ये स्त्रियां किसी की ज़िंदगी में शामिल होती हैं, तुरंत ही उनकी ख़ामियां पुरुषों को दिखने लगती हैं.

Does it sting more because I’m a woman? That you got so soundly beaten in there by someone with a vagina? Having a penis doesn’t automatically make you more scary to me. मार्ला यानि Rosamund Pike जब ये I care a lot के शुरुआती दृश्यों में किसी पुरुष ये कह रही होतीं हैं, उस वक़्त मुझे वो सारी बातें याद आती हैं, जो सोशल मीडिया पर पेट्रीआर्की और पॉलिटिक्स पर लिखने पर सुनाई गयी.

मर्द चाहे भारत के हों या अमेरिका के सोच लगभग एक जैसी ही होती है. वो बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं एक मज़बूत स्त्री को, जो पढ़ती-लिखती है, जो अपने फ़ैसले खुद लेती है, जो अपने हक़ के लिए लड़ना जानती हैं. ऐसी स्त्रियों को तारीफ़ तो ज़रूर मिलती है लेकिन जैसे ही ये स्त्रियां किसी की ज़िंदगी में शामिल होती हैं, तुरंत ही उनकी ख़ामियां पुरुषों को दिखने लगती हैं. बुरा या ग़लत है, किसी भी स्त्री का पढ़-लिख कर अपने लिए आवाज़ उठाना इन जैसे लोगों की नज़र में.

नारीवाद को बिलकुल नए तरीके से प्रदर्शित करती है I Care A Lot

वैसे Netflix पर आयी ये फ़िल्म I care a lot फ़ेमिनिज़म के ऊपर नहीं है, ये फ़िल्म अमेरिकी समाज के उस काले सच को दिखाती है, जहां गार्जियनशिप के नाम पर कैसे बूढ़े और लाचार लोगों को बड़े-बड़े केयर-हाउस के ओनर अपने कस्टडी में ले लेते हैं. उन्हें ये सपने दिखाते हैं कि आप अकेले हैं तो आपकी कोई देख-भाल नहीं करने वाला है. जैसे ही आप अपने गार्जियन की कस्टडी में जाएंगे आपकी इतनी केयर ली जाएगी, जितनी केयर आपके अपने कभी ले नहीं पाएंगे. फिर वहां से गंदा खेल शुरू होता है पैसों के लालच का. इन बूढ़े लोगों की प्रॉपर्टीज़ को गार्जियन अपने मर्ज़ी से बेच कर पैसे बनाते हैं और वक़्त-वक़्त अपनी सहूलियत से उन्हें जान से मार डालते हैं.

Does it sting more because I’m a woman? That you got so soundly beaten in there by someone with a vagina? Having a penis doesn’t automatically make you more scary to me. मार्ला यानि Rosamund Pike जब ये I care a lot के शुरुआती दृश्यों में किसी पुरुष ये कह रही होतीं हैं, उस वक़्त मुझे वो सारी बातें याद आती हैं, जो सोशल मीडिया पर पेट्रीआर्की और पॉलिटिक्स पर लिखने पर सुनाई गयी.

मर्द चाहे भारत के हों या अमेरिका के सोच लगभग एक जैसी ही होती है. वो बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं एक मज़बूत स्त्री को, जो पढ़ती-लिखती है, जो अपने फ़ैसले खुद लेती है, जो अपने हक़ के लिए लड़ना जानती हैं. ऐसी स्त्रियों को तारीफ़ तो ज़रूर मिलती है लेकिन जैसे ही ये स्त्रियां किसी की ज़िंदगी में शामिल होती हैं, तुरंत ही उनकी ख़ामियां पुरुषों को दिखने लगती हैं. बुरा या ग़लत है, किसी भी स्त्री का पढ़-लिख कर अपने लिए आवाज़ उठाना इन जैसे लोगों की नज़र में.

नारीवाद को बिलकुल नए तरीके से प्रदर्शित करती है I Care A Lot

वैसे Netflix पर आयी ये फ़िल्म I care a lot फ़ेमिनिज़म के ऊपर नहीं है, ये फ़िल्म अमेरिकी समाज के उस काले सच को दिखाती है, जहां गार्जियनशिप के नाम पर कैसे बूढ़े और लाचार लोगों को बड़े-बड़े केयर-हाउस के ओनर अपने कस्टडी में ले लेते हैं. उन्हें ये सपने दिखाते हैं कि आप अकेले हैं तो आपकी कोई देख-भाल नहीं करने वाला है. जैसे ही आप अपने गार्जियन की कस्टडी में जाएंगे आपकी इतनी केयर ली जाएगी, जितनी केयर आपके अपने कभी ले नहीं पाएंगे. फिर वहां से गंदा खेल शुरू होता है पैसों के लालच का. इन बूढ़े लोगों की प्रॉपर्टीज़ को गार्जियन अपने मर्ज़ी से बेच कर पैसे बनाते हैं और वक़्त-वक़्त अपनी सहूलियत से उन्हें जान से मार डालते हैं.

मार्ला ग्रेसन भी ऐसी ही एक गार्जियन है जो अमीर बूढ़े लोगों को अपने कस्टडी में लेती है और अपने हिसाब से उन्हें ज़िंदा रखती है या मरवा देती है. मार्ला का सारा खेल ठीक चल रहा होता है लेकिन एक दिन गलती से किसी माफ़िया डॉन की मां को अपनी कस्टडी में ग़लती से ले लेती है. उसके बाद जो होता है वो देखने के लिए आप फ़िल्म देखिए. एक ढंग कि सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म है. अगर आपने Gone Girl देख रखी है Rosamund Pike कि तो ये भी देख डालिए, आप निराश नहीं होंगे. Rosamund Pike को इसी फ़िल्म के लिए Best actress केटेगरी का 2021 Golden Globes भी मिला है. ऊपर से इसमें अपने Game of Thrones वाले Peter Dinklage भी हैं. वो Tyrion की तरह ही इसमें भी आपका दिल चुरा लेंगे.

ख़ैर, मुझे इस फ़िल्म की सबसे खूबसूरत बात ये लगी कि I care a lot बिना कुछ प्रीच किए सोसाइटी के उस चेहरे को दिखाने में क़ामयाब हुई है जिसे हम देख कर भी अनदेखा कर देते हैं. जैसे मार्ला एक बार कहती हैं, Playing fair is a joke invented by rich people to keep the rest of us poor. You think you’re good people. You’re not good people, trust me. There’s no such thing as good people.

और आज जब मैं एक कैब ड्राइवर से बात कर रही थी महाराष्ट्र सरकार द्वारा लॉक-डाउन दोबारा इम्पोज करने पर, जहां वो डर रहा था कि लॉक-डाउन दोबारा हो जाएगा तो उन जैसे ग़रीब लोगों का क्या होगा? जिनके पास लाखों-अरबों रुपए हैं उनका तो कुछ नहीं बिगड़ रहा वो तो घर बैठ कर भी आराम से जी ही रहें हैं, पिस तो ग़रीब जाएंगे  न. इन अमीर लोगों को किसी की भी नहीं पड़ी है उनको सिर्फ़ अपना फ़ायदा दिखता है. लॉकडाउन में जहां ग़रीब और ग़रीब हुए वहीं अमीर और अमीर, कुछ उदाहरण तो आप सभी को पता होगा ही.

वैसे ये फ़िल्म इतनी भर ही नहीं है. इसके कई आयाम है, ख़ास कर महत्त्वाकांक्षी औरत कितनी ख़तरनाक हो सकती है जब वो जान लेती है कि उसे अपनी ज़िंदगी से क्या चाहिए इस पेट्रीआर्कल सोसाईटी के लिए. हो सकता है कि मार्ला ने जो रास्ता चुना पैसे कमाने के लिए वो ग़लत हो लेकिन समाज जिस तरह से मार्ला जैसी स्त्रियों को देखता है वो भी सही नहीं है. अगर फ़्री हैं और कोई फ़िल्म देखने के मूड में हैं तो I Care For You ज़रूर देखिए, निराश नहीं होंगे. मैंने आज सफ़र के दौरान देखा और मुझे पसंद आयी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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