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The Girl on the Train Review: 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' की जान बचा ली परिणीति चोपड़ा ने

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 28 फरवरी, 2021 10:08 PM
  • 28 फरवरी, 2021 10:03 PM
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सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' (The Girl on the Train) घरेलू हिंसा, शराब और ड्रग्स के बीच तीन महिलाओं के जीवन पर आधारित है. इस फिल्म की कहानी के केंद्र में हैं परिणीति चोपड़ा, जिन्होंने अपनी एक्टिंग की बदौलत इसे डीरेल होने से बचा लिया है.

जिम्बाब्वे में जन्मी ब्रिटिश लेखिका पौला हॉकिन्स के उपन्यास पर बन चुकी एमिली ब्लंट स्टारर हॉलीवुड फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' की हिन्दी रीमेक फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. किसी किताब पर फिल्म बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण काम माना जाता है, क्योंकि उसकी कहानी ज्यादातर लोगों को पहले से पता होती है, लेकिन जरा सोचिए जब उस पर एक भाषा में पहले ही फिल्म बनकर सुपरहिट हो चुकी हो, तो ऐसे में किसी अन्य भाषा में उसका रिमेक बनाना किसी खतरे को मोल लेने से कम नहीं होता है. इस खतरे को उठाया है निर्देशक रिभु दासगुप्ता ने, जो पहले भी साइकोलॉजिकल थ्रिलर जॉनर में 'माइकल' और 'तीन' जैसी फिल्में बना चुके हैं. वो दीगर बात है कि पहले जैसा ही वो इस फिल्म में भी कुछ खास नहीं कर पाए हैं.

परिणीति चोपड़ा को फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए करीब 10 साल हो चुके हैं.

सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' (The Girl on the Train) घरेलू हिंसा, शराब और ड्रग्स के बीच तीन महिलाओं के जीवन पर आधारित है. इसकी कहानी के केंद्र में हैं परिणीति चोपड़ा. फिल्म परिणीति के अलावा अदिति राव हैदरी, कीर्ति कुल्हरी और अविनाश तिवारी अहम किरदारों में हैं. फिल्म की कहानी तो दिलचस्प है, लेकिन उसका फिल्मांकन कमजोर है. यही वजह है कि इस मर्डर मिस्ट्री में ना ही संस्पेंस है, ना ही उस लेवल का थ्रिल. करीब 2 घंटे की यह फिल्म सपाट सरपट दौड़ती चली जाती है. दरअसल फिल्म को उसके ओरिजनल बैकग्राउंड में दिखाने के चक्कर में इसे ब्रिटिश लोकेशन पर शूट किया गया, लेकिन कलाकार बॉलीवुड के हैं. यही वजह है कि भारतीय दर्शक इससे खुद को कनेक्ट नहीं कर पाते हैं.

फिल्म की कहानी क्या है?

फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' की कहानी मीरा कपूर (परिणीति चोपड़ा) के इर्द-गिर्द घूमती है. मीरा पेशे से वकील होती...

जिम्बाब्वे में जन्मी ब्रिटिश लेखिका पौला हॉकिन्स के उपन्यास पर बन चुकी एमिली ब्लंट स्टारर हॉलीवुड फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' की हिन्दी रीमेक फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. किसी किताब पर फिल्म बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण काम माना जाता है, क्योंकि उसकी कहानी ज्यादातर लोगों को पहले से पता होती है, लेकिन जरा सोचिए जब उस पर एक भाषा में पहले ही फिल्म बनकर सुपरहिट हो चुकी हो, तो ऐसे में किसी अन्य भाषा में उसका रिमेक बनाना किसी खतरे को मोल लेने से कम नहीं होता है. इस खतरे को उठाया है निर्देशक रिभु दासगुप्ता ने, जो पहले भी साइकोलॉजिकल थ्रिलर जॉनर में 'माइकल' और 'तीन' जैसी फिल्में बना चुके हैं. वो दीगर बात है कि पहले जैसा ही वो इस फिल्म में भी कुछ खास नहीं कर पाए हैं.

परिणीति चोपड़ा को फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए करीब 10 साल हो चुके हैं.

सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' (The Girl on the Train) घरेलू हिंसा, शराब और ड्रग्स के बीच तीन महिलाओं के जीवन पर आधारित है. इसकी कहानी के केंद्र में हैं परिणीति चोपड़ा. फिल्म परिणीति के अलावा अदिति राव हैदरी, कीर्ति कुल्हरी और अविनाश तिवारी अहम किरदारों में हैं. फिल्म की कहानी तो दिलचस्प है, लेकिन उसका फिल्मांकन कमजोर है. यही वजह है कि इस मर्डर मिस्ट्री में ना ही संस्पेंस है, ना ही उस लेवल का थ्रिल. करीब 2 घंटे की यह फिल्म सपाट सरपट दौड़ती चली जाती है. दरअसल फिल्म को उसके ओरिजनल बैकग्राउंड में दिखाने के चक्कर में इसे ब्रिटिश लोकेशन पर शूट किया गया, लेकिन कलाकार बॉलीवुड के हैं. यही वजह है कि भारतीय दर्शक इससे खुद को कनेक्ट नहीं कर पाते हैं.

फिल्म की कहानी क्या है?

फिल्म 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' की कहानी मीरा कपूर (परिणीति चोपड़ा) के इर्द-गिर्द घूमती है. मीरा पेशे से वकील होती है. उसके साथ एक बहुत बड़ी ट्रेजडी हो जाती है. एक एक्सीडेंट में प्रेग्नेंट मीरा अपने बच्चे को खो देती है. उसका पति (अविनाश तिवारी) उससे हमेशा के लिए दूर हो जाता है. इस हादसे के बाद मीरा गहरे सदमें में चली जाती है. उसे अमेंशिया नामक बीमारी (इसमें इंसान चीजें भूलने लगता है) हो जाती है. दुख और गम से निकलने के लिए मीरा शराब पीने लगती है. इसी बीच उसकी जिंदगी में एक महिला आती है. वह उसको हर रोज रेडब्रिज से ग्रीनविच जाने वाली ट्रेन में देखती है. मीरा उस महिला की फैमली लाइफ देखकर बहुत प्रभावित होती है. एक दिन उस महिला नुसरत जॉन (अदिति राव हैदरी) की हत्या के बाद जंगल में उसका शव कोई फेंक जाता है.

पुलिस जांच में वारदात की जगह मीरा कपूर की लोकेशन भी मिलती है. नुसरत जॉन की हत्या किसने की, क्यों की, वहां मीरा क्या कर रही थी? इस मिस्ट्री को सुलझाने और बताने में 1 घंटे 52 मिनट मिनट निकल जाते हैं. इस मर्डर मिस्ट्री का अंजाम क्या होता है, ये जानने के लिए वैसे तो आपको फिल्म देखनी होगी, लेकिन फिलहाल ये कि हर फिल्म के डायलॉग उसकी जान होते हैं. लेकिन इसमें डायलॉग वास्तविकता से परे नजर आते हैं. जैसे एक सीन में मीरा अपने पति से कहती है, 'मुझे बच्चा नहीं बच्चन चाहिए'. मीरा अमिताभ बच्चन की फैन होती है. दूसरे सीन में मीरा की एक तलाकशुदा दोस्त कहती है, 'तलाक इस बात का संकेत है कि स्त्री मजबूत है. पति की फालतू बातों को बर्दाश्त नहीं करेगी'. अब बताइए जरा तलाक की ये वजह होती है?

परिणीति की दमदार एक्टिंग

परिणीति चोपड़ा को फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए करीब 10 साल हो चुके हैं. फिल्म-दर-फिल्म उनके अभिनय में परिपक्वता आती जा रही है. इस फिल्म के केंद्र में परिणीती ही हैं. एक तलाकशुदा, शराबी और बीमारी से पीड़ित महिला के किरदार में परिणीति बेहतर दिखती हैं. उनका मेकअप, हावभाव और बॉडी लैंग्वेज हर सीन के हिसाब से शूट करता है. सही मायने में परिणीती की एक्टिंग की वजह से ही 'द गर्ल ऑन द ट्रेन' डीरेल होने से बच गई है. अविनाश तिवारी, अदिति राव हैदरी और कीर्ति कुल्हारी अपने-अपने किरदारों में खूब जंच रहे हैं. कलाकारों का अभिनय फिल्म का मजबूत पक्ष है, लेकिन पटकथा काफी कमजोर है. संगीत प्रकाश वर्गीज़ की एडिटिंग को सराहा जा सकता है. कुल मिलाकर ये फिल्म औसत है. एक बार देखी जा सकती है.

The Girl On The Train Official Trailer...



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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