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सेम गाड़ी - सेम नंबर, बस पिक्चर अलग! आइये जानते हैं कौन कौन सी थीं फिल्में

    • मनीष जैसल
    • Updated: 04 जनवरी, 2018 07:12 PM
  • 04 जनवरी, 2018 07:12 PM
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बॉलीवुड फिल्मों में गाड़ियों का चलन कोई आज से नहीं है. कह सकते हैं पूर्व की अपेक्षा अब लोगों के पास गाड़ियों की अधिकता है ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब गाड़ियां कम थीं तब बॉलीवुड अपना काम कैसे चलाता था.

फिल्में हॉलीवुड की हो या फिर बॉलीवुड की, एक्शन के नाम पर दर्शकों को टू व्हीलर/फोर व्हीलर से खुराफात जरूर दिखाई जाती है. ऐसे दृश्यों को देख कर मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा कि क्या वाकई लगभग हर फिल्म में दो चार गाडियां तहस नहस होती होंगी?  अभिनेता के साथ जो पर्दे पर सबसे ज्यादा दिखने वाली चीज है वह है गाडियां. आएं-बाएं-दाएं से गाड़ियों का आना टकराना फिर पलट कर गिर जाना आम हो गया है. एक्सीडेंट वाले सीक्वेल में तो गाड़ियों का ध्वस्त होना जैसे सिनेमाई टूल्स और टेक्निक में शामिल हो. महंगाई के दौर में जहां आम आदमी एक गाड़ी खरीदने में सालों सोचता है वहां सिनेमाई पर्दा एक अलग ही दुनिया से रूबरू करा रहा होता है.

कई बार फिल्मों में गाड़ियों की संख्या हमें आश्चर्य में डाल देती है

फिल्मों के बढ़ते बजट से गाड़ियों से खेलना तो आसान हो गया है लेकिन उस वक्त को याद करना यहां जरूरी है जब फिल्मों के बजट और देश में गाड़ियों की संख्या कम हुआ करती थी. हमने ऐसी ही कुछ फिल्मों से उन गाड़ियों को खोजने की कोशिश की है जिनका इस्तेमाल एक से ज्यादा फिल्मों में हुआ है. सेम कलर, सेम मॉडल, सेम नंबर प्लेट, बट डिफरेंट फिल्म्स.

सिनेमा के पर्दे पर गाड़ियों का इस्तेमाल कोई आज का नहीं है

गाड़ी नंबर MRZ 5858

निर्देशक विजय आनंद की 1967 में प्रदर्शित फिल्म ज्वेल थीफ़ के गीत "ये दिल न होता बेचारा में तनुजा इसी नंबर प्लेट की गाड़ी में अपने दोस्तों के साथ दिखती हैं." पीछे से खुली हुई इस गाड़ी में तनुजा के सफर को यहां सुनते हुए इस गाड़ी पर आप नज़र दौड़ा सकते...

फिल्में हॉलीवुड की हो या फिर बॉलीवुड की, एक्शन के नाम पर दर्शकों को टू व्हीलर/फोर व्हीलर से खुराफात जरूर दिखाई जाती है. ऐसे दृश्यों को देख कर मन में यह प्रश्न जरूर आता होगा कि क्या वाकई लगभग हर फिल्म में दो चार गाडियां तहस नहस होती होंगी?  अभिनेता के साथ जो पर्दे पर सबसे ज्यादा दिखने वाली चीज है वह है गाडियां. आएं-बाएं-दाएं से गाड़ियों का आना टकराना फिर पलट कर गिर जाना आम हो गया है. एक्सीडेंट वाले सीक्वेल में तो गाड़ियों का ध्वस्त होना जैसे सिनेमाई टूल्स और टेक्निक में शामिल हो. महंगाई के दौर में जहां आम आदमी एक गाड़ी खरीदने में सालों सोचता है वहां सिनेमाई पर्दा एक अलग ही दुनिया से रूबरू करा रहा होता है.

कई बार फिल्मों में गाड़ियों की संख्या हमें आश्चर्य में डाल देती है

फिल्मों के बढ़ते बजट से गाड़ियों से खेलना तो आसान हो गया है लेकिन उस वक्त को याद करना यहां जरूरी है जब फिल्मों के बजट और देश में गाड़ियों की संख्या कम हुआ करती थी. हमने ऐसी ही कुछ फिल्मों से उन गाड़ियों को खोजने की कोशिश की है जिनका इस्तेमाल एक से ज्यादा फिल्मों में हुआ है. सेम कलर, सेम मॉडल, सेम नंबर प्लेट, बट डिफरेंट फिल्म्स.

सिनेमा के पर्दे पर गाड़ियों का इस्तेमाल कोई आज का नहीं है

गाड़ी नंबर MRZ 5858

निर्देशक विजय आनंद की 1967 में प्रदर्शित फिल्म ज्वेल थीफ़ के गीत "ये दिल न होता बेचारा में तनुजा इसी नंबर प्लेट की गाड़ी में अपने दोस्तों के साथ दिखती हैं." पीछे से खुली हुई इस गाड़ी में तनुजा के सफर को यहां सुनते हुए इस गाड़ी पर आप नज़र दौड़ा सकते है.

इस गीत को सुनने के बाद आइये देखते है इसमें इस्तेमाल की गयी गाड़ी का दोबारा इस्तेमाल कहां किया गया हैं वर्ष 1970 में सत्येन बोस निर्देशित जीवन मृत्यु में यह गाड़ी फिर दोबारा पर्दे पर दिखती हैं.

फिल्मों में हम कई बार एक ही गाड़ी को एक से अधिक बार देख चुके हैं

गाड़ी नंबर DLI2444

फिल्म परिचय के गीत सा रे गा मा को लेकर गाते चले में इस नंबर प्लेट वाली गाड़ी को देखा जा सकता है. गुलजार के निर्देशन में बनी इस फिल्म को बच्चों के सिनेमा को लेकर भी जाना जाता है. फिल्म के इस गीत में जितेंद्र और जया भादुरी बच्चों के साथ इसी नंबर प्लेट की गाड़ी पर मौज मस्ती करते हुए दिखाई देते हैं.आप भी सुनिए यह कर्णप्रिय गीत.

इस गीत में प्रयोग की हुई गाड़ी का दोबारा प्रयोग हमें नासिर हुसैन निर्देशित फिल्म यादों की बारात में देखने को मिलता है. फिल्म में विजय अरोरा और नीतू सिंह पिकनिक मनाने के लिए निकलते हैं. नीचे दिये वीडियो लिंक में आप देख सकते है.

कहा जा सकता है कि बॉलीवुड में हर दौर में गाड़ियों की जरूरत को समझा गया

गाड़ी नंबर BMW 1786

निर्देशक शांतिलाल सोनी के निर्देशन में बनी मिस्टर एक्स इन बॉम्बे 1964 के गीत खूबसूरत हसीना में किशोर कुमार और कुमकुम इसी नंबर प्लेट की गाड़ी में दिखाई पड़ रहें हैं. गाड़ी को आप अपनी नज़रों से देखिये और सुनिए पूरा गीत.

इसी गाड़ी का दोबारा इस्तेमाल भप्पी सोनी की 1968 में फिल्म ब्रम्हचारी में किया गया. फिल्म में शम्मी कपूर चक्के में चक्का, चक्के में गाड़ी गाते हुए इसी नंबर प्लेट की गाड़ी में दिखते हैं. आप भी सुनिए फिल्म का यह गीत और पहचानिए गाड़ी को.

आज के दौर में, एक ही गाड़ी का दो अलग-अलग फिल्म में इस्तेमाल की शायद हम कल्पना भी न कर पाएं और ये हमारे लिए एक गहरी सोच का विषय बन जाए. कह सकते हैं कि आज फिल्मों में जहां एक तरफ गाड़ी पर गाड़ी ध्वस्त की जा रही है वहां उन गाड़ियों का इस्तेमाल री-टेक तक में भी हो पाता होगा या नहीं ये प्रश्न उठना लाजमी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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