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Gehraiyaan Review: दीपिका की फिल्म भले पसंद न आई हो, लेकिन है यह ईमानदार फिल्म

    • रीवा सिंह
    • Updated: 17 फरवरी, 2022 05:31 PM
  • 17 फरवरी, 2022 05:31 PM
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गहराइयां (Gehraiyaan)... इस फ़िल्म के रिश्ते सच हैं, रिश्तों में धोखेबाज़ी सच है, धोखेबाज़ी में टूटना सच है, अपनों संग बेवफ़ाई सच है, फ़ायदे के लिये रिश्ते का इस्तेमाल सच है, तनाव सच है. आपको पसंद न आयी हो लेकिन यह हमारे समाज की सच्चाई है.

अभी फ़िल्म गहराइयां देखी. क्यों ख़राब लगी आपको? किसिंग सीन्स के कारण? या रिश्तों में इतनी धोखेबाज़ी के कारण? आपका अपना मत हो सकता है लेकिन मुझे यह फ़िल्म ईमानदार लगी. देखने के बाद मन भारी हो गया, फ़िल्म में सकारात्मक कुछ नहीं था लेकिन क्या वो हक़ीक़त से दूर है? बिल्कुल नहीं! क्या हमने अपने आसपास विवाहेतर संबंध (एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर्स) नहीं देखे? देखे ही होंगे. एक ही घर में संबंध, देवर-भाभी का आपसी आकर्षण... बहुत आम घटना रही है, इस पर बात करना आम नहीं रहा है. कानाफुसी करके ये बातें की जाती रहीं. लेकिन बातें होती रहीं, रिश्ते पनपते रहे.

रिश्तों में धोखेबाज़ी पहली बार देखी? कोई ऐसा नहीं मिला जिसने आपके विश्वास को रौंद दिया हो और ज़िंदगी से भरोसा उठ गया हो तो क़िस्मतवाले हैं आप! अलीशा को अपने उस बॉयफ़्रेंड के साथ क्यों रहना चाहिए जो बिल्कुल ग़ैर ज़िम्मेदार हो और उसका सम्मान तक न करता हो.

सवाल ये है कि दीपिका की फिल्म गहराइयां बेवजह के विरोध का सामना तो नहीं कर रही है

When respect isn't served, you should leave the table! हां, ऐसे में ज़ैन के साथ जाने को आप ग़लत कह सकते हैं लेकिन ज़ैन ने ख़ुद अप्रोच किया, अलीशा उस वक़्त वल्नरेबल थी. ऐसी स्थिति में ऐसे फ़ैसले लेना क्या मानवीय व्यवहार नहीं है?

ज़ैन वाकई अलीशा के साथ रहना चाहता था लेकिन उसका काम ऐसा उलझा कि सब उलझता गया और फिर दोनों के बीच जो खटास आयी वह स्थिति के कारण थी. टिया ईमानदार रही लेकिन अलीशा और टिया के अलग-अलग हालात उनके व्यवहार के लिये ज़िम्मेदार नहीं हैं?

आपको इस फ़िल्म में सिर्फ़ किसिंग सीन्स दिखे. ख़राब रिश्ते ज़िन्दगी को कितना और किस हद तक उलझा देते हैं, यह भी ध्यान देने वाली बात थी. इन सबसे उपजे फ़्रस्ट्रेशन (तनाव) को अगर ख़राब स्थिति का...

अभी फ़िल्म गहराइयां देखी. क्यों ख़राब लगी आपको? किसिंग सीन्स के कारण? या रिश्तों में इतनी धोखेबाज़ी के कारण? आपका अपना मत हो सकता है लेकिन मुझे यह फ़िल्म ईमानदार लगी. देखने के बाद मन भारी हो गया, फ़िल्म में सकारात्मक कुछ नहीं था लेकिन क्या वो हक़ीक़त से दूर है? बिल्कुल नहीं! क्या हमने अपने आसपास विवाहेतर संबंध (एक्स्ट्रा मैरिटल अफ़ेयर्स) नहीं देखे? देखे ही होंगे. एक ही घर में संबंध, देवर-भाभी का आपसी आकर्षण... बहुत आम घटना रही है, इस पर बात करना आम नहीं रहा है. कानाफुसी करके ये बातें की जाती रहीं. लेकिन बातें होती रहीं, रिश्ते पनपते रहे.

रिश्तों में धोखेबाज़ी पहली बार देखी? कोई ऐसा नहीं मिला जिसने आपके विश्वास को रौंद दिया हो और ज़िंदगी से भरोसा उठ गया हो तो क़िस्मतवाले हैं आप! अलीशा को अपने उस बॉयफ़्रेंड के साथ क्यों रहना चाहिए जो बिल्कुल ग़ैर ज़िम्मेदार हो और उसका सम्मान तक न करता हो.

सवाल ये है कि दीपिका की फिल्म गहराइयां बेवजह के विरोध का सामना तो नहीं कर रही है

When respect isn't served, you should leave the table! हां, ऐसे में ज़ैन के साथ जाने को आप ग़लत कह सकते हैं लेकिन ज़ैन ने ख़ुद अप्रोच किया, अलीशा उस वक़्त वल्नरेबल थी. ऐसी स्थिति में ऐसे फ़ैसले लेना क्या मानवीय व्यवहार नहीं है?

ज़ैन वाकई अलीशा के साथ रहना चाहता था लेकिन उसका काम ऐसा उलझा कि सब उलझता गया और फिर दोनों के बीच जो खटास आयी वह स्थिति के कारण थी. टिया ईमानदार रही लेकिन अलीशा और टिया के अलग-अलग हालात उनके व्यवहार के लिये ज़िम्मेदार नहीं हैं?

आपको इस फ़िल्म में सिर्फ़ किसिंग सीन्स दिखे. ख़राब रिश्ते ज़िन्दगी को कितना और किस हद तक उलझा देते हैं, यह भी ध्यान देने वाली बात थी. इन सबसे उपजे फ़्रस्ट्रेशन (तनाव) को अगर ख़राब स्थिति का साथ मिल जाए तो ज़िंदगी वाकई भयावह होती है, सुलझे हुए लोगों के लिये भी. रिश्तों में और ज़िंदगी में अनगिनत परतें बन जाती हैं और इंसान ख़ुद बेबस रह जाता है.

यही तो है गहराइयां! इस फ़िल्म के रिश्ते सच हैं, रिश्तों में धोखेबाज़ी सच है, धोखेबाज़ी में टूटना सच है, अपनों संग बेवफ़ाई सच है, फ़ायदे के लिये रिश्ते का इस्तेमाल सच है, तनाव सच है. आपको पसंद न आयी हो लेकिन यह हमारे समाज की सच्चाई है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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