• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

इससे पहले कि बच्चे जवान हो जाएं, हर भारतीय मां-बाप उन्हें जरूर दिखा दें ये 3 विदेशी फ़िल्में!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 25 अक्टूबर, 2021 04:48 PM
  • 25 अक्टूबर, 2021 04:44 PM
offline
दुनिया में चाहे किसी भी भाषा का दर्शक हो, प्रेरक फ़िल्में उसे हमेशा आकर्षित करती हैं. क्योंकि ये फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन भर नहीं करती बल्कि लोगों को कई बार मकसद भी दे जाती हैं.तीनों फ़िल्में मकसद देने वाली हैं.

अगर भारतीय सिनेमा से हॉलीवुड की तुलना करें तो वहां बहुत कम फ़िल्में बनाई जाती हैं. उनकी फिल्मों में परफेक्शन सबसे अहम पॉइंट होता है और सभी पहलुओं पर बहुत बारीकी से काम किया जाता है. पैसे पानी की तरह बहाए जाते हैं. एक्टर किरदार में उतरकर पूरी तरह से डूब जाते हैं. और फिर इन कोशिशों का नतीजा देखने वाले को वाह-वाह कर देता है. वैसे हमारे यहां भी जब ऐसी कोशिशें की जाती हैं तो बेहतरीन फिल्म निकलती है. दर्शकों का मनोरंजन तो करती ही है उनके लिए प्रेरणादायक भी साबित होती है. जैसे हाल ही में आई शूजित सरकार की विक्की कौशल स्टारर सरदार उधम को ही ले लीजिए. एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के जीवन पर बायोग्राफिकल फिल्म कमाल की बनी है. प्रेरक भी है.

प्रेरणा. बायोग्राफी फिल्मों में यह सबसे बड़ी चीज है, दुनिया में चाहे किसी भी भाषा का दर्शक हो- प्रेरक फ़िल्में उसे हमेशा आकर्षित करती हैं. क्योंकि ये फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन भर के लिए नहीं होती बल्कि मकसद भी दे जाने का काम कर जाती हैं. लोग इनसे सीखते हैं और दुनियादारी समझने लायक बनते हैं. यूं तो लाइफ लेसंस बताने वाली दर्जनों फ़िल्में हैं, लेकिन मैं अपनी तरफ से तीन फिल्मों का सुझाव दूंगा जिन्हें एक बार देखना चाहिए. खासकर बच्चों के जवान होने से पहले हर भारतीय माता पिता को इन्हें दिखाना चाहिए. तीनों फिल्मों में जिंदगी के पाठ हैं. सही मायने में खुशियां क्या होती हैं, संघर्ष कैसे करना चाहिए, पढ़ाई लिखाई और इमानदारी से काम-धाम की लोगों के जीवन में क्या भूमिका है, जीवन में गोल कैसे होने चाहिए और उसे साधना कैसे चाहिए, अभाव को कैसे जीवन में एक्सक्यूज नहीं बनाना चाहिए जैसी असंख्य बातें हैं.

हो सकता है कि ये फ़िल्में बच्चों को जवान होने से पहले ही एक बेहतर नजरिया देकर उन्हें एक अच्छा और दक्ष इंसान बनाएं और उनके विकास में अहम साबित हों. चलिए फिर बात करते हैं.

अगर भारतीय सिनेमा से हॉलीवुड की तुलना करें तो वहां बहुत कम फ़िल्में बनाई जाती हैं. उनकी फिल्मों में परफेक्शन सबसे अहम पॉइंट होता है और सभी पहलुओं पर बहुत बारीकी से काम किया जाता है. पैसे पानी की तरह बहाए जाते हैं. एक्टर किरदार में उतरकर पूरी तरह से डूब जाते हैं. और फिर इन कोशिशों का नतीजा देखने वाले को वाह-वाह कर देता है. वैसे हमारे यहां भी जब ऐसी कोशिशें की जाती हैं तो बेहतरीन फिल्म निकलती है. दर्शकों का मनोरंजन तो करती ही है उनके लिए प्रेरणादायक भी साबित होती है. जैसे हाल ही में आई शूजित सरकार की विक्की कौशल स्टारर सरदार उधम को ही ले लीजिए. एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के जीवन पर बायोग्राफिकल फिल्म कमाल की बनी है. प्रेरक भी है.

प्रेरणा. बायोग्राफी फिल्मों में यह सबसे बड़ी चीज है, दुनिया में चाहे किसी भी भाषा का दर्शक हो- प्रेरक फ़िल्में उसे हमेशा आकर्षित करती हैं. क्योंकि ये फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन भर के लिए नहीं होती बल्कि मकसद भी दे जाने का काम कर जाती हैं. लोग इनसे सीखते हैं और दुनियादारी समझने लायक बनते हैं. यूं तो लाइफ लेसंस बताने वाली दर्जनों फ़िल्में हैं, लेकिन मैं अपनी तरफ से तीन फिल्मों का सुझाव दूंगा जिन्हें एक बार देखना चाहिए. खासकर बच्चों के जवान होने से पहले हर भारतीय माता पिता को इन्हें दिखाना चाहिए. तीनों फिल्मों में जिंदगी के पाठ हैं. सही मायने में खुशियां क्या होती हैं, संघर्ष कैसे करना चाहिए, पढ़ाई लिखाई और इमानदारी से काम-धाम की लोगों के जीवन में क्या भूमिका है, जीवन में गोल कैसे होने चाहिए और उसे साधना कैसे चाहिए, अभाव को कैसे जीवन में एक्सक्यूज नहीं बनाना चाहिए जैसी असंख्य बातें हैं.

हो सकता है कि ये फ़िल्में बच्चों को जवान होने से पहले ही एक बेहतर नजरिया देकर उन्हें एक अच्छा और दक्ष इंसान बनाएं और उनके विकास में अहम साबित हों. चलिए फिर बात करते हैं.

अ ब्यूटीफुल माइंड के एक दृश्य में रसेल क्रो.

#1. A Beautiful Mind

यह अमेरिकन बायोग्राफिकल ड्रामा है जो रसेल क्रो के जादुई अभिनय की वजह से ख़ास बन गई है. फिल्म की कहानी अमेरिका के महान गणितज्ञ जॉन नैश के जीवन से प्रेरित है. जॉन नैश को गणित से इतना प्यार था जिसकी कोई सीमा नहीं. युवा नैश अमेरिका की प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में पढ़ने आते हैं लेकिन कक्षाएं नहीं करते. उन्हें लगता है कि कक्षाओं में जाना समय बर्बाद करना है. वो गणित में अपने स्तर से भागीरथ प्रयास कर रहे हैं महान थियरी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. वो कामयाब भी हो जाते हैं. रूममेट को छोड़कर समूची यूनिवर्सिटी, हॉस्टल के उनके दूसरे साथियों को लगता है कि नैश पागल हैं. लेकिन नैश अपनी पढ़ाई मेहनत और अर्जित ज्ञान की वजह से अद्भुत छात्र हैं.

स्वाभाविक है कि उनका बहुत शानदार प्लेसमेंट होता है. इस बीच उन्हें अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन में अंकों की एक गुत्थी सुलझाने के लिए बुलाया जाता है और फिर यहां के लिए भी काम करने लगते हैं. मगर नैश मानसिक रूप से संतुलन खो देते हैं. बाकी चीजें फिल्म देखकर पता चल जाएगी. ये नेटफ्लिक्स और कुछ दूसरे प्लेटफॉर्म पर मौजूद है. फिल्म में युवा छात्रों को सीखने और मकसद तय करने के लिए बहुत कुछ देखने को मिलेगा. फिल्म साफ़ सुथरी है. एक-दो जगह न्यूड सीन दिखेगा. हालांकि यह अश्लील नहीं है. A Beautiful Mind रोन हावर्ड ने किया है. फिल्म 2001 में आई थी जिसे आईएमडीबी पर 10 में से 8.2 रेट किया गया है.

द बॉय हू हारनेस्ड द विंड का एक दृश्य.

#2. The Boy Who Harnessed The Wind

यह ब्रिटिश ड्रामा है जिसका निर्देशन, मशहूर एक्टर चिवेटेल इजीओफ़ोर ने किया था. बतौर निर्देशक इजीओफ़ोर की डेब्यू फिल्म. साल 2019 में आई फिल्म की कहानी मलाइवा के एक ब्लैक किसान परिवार और उसके गांव की है. समूचा गांव सूखे की मार झेल रहा है. राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है. लोग घोर गरीबी का सामना कर रहे हैं और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं. यहां तक कि मौसम और बादलों ने भी रहम करना छोड़ दिया है. एक पिता चाहकर भी अपने बच्चों की जरूरत पूरी करने में अक्षम है.

ऐसे माहौल में विलियम कमक्वाम्बा के रूप में स्कूली बच्चा चीजों को बदलने और पिता की परेशानियों का हल करने की ठान लेता है. वो कबाड़ से आविष्कार करता है जिससे उसके घर और गांव की सूरत बदल जाती है. कबाड़ से मशीन कैसे बनाता है, क्या कुछ बदलता है यह सब फिल्म में देखने लायक है. द बॉय हू हारनेस्ड द विंड को कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान समारोहों में खूब तारीफ़ मिली है. फिल्म ऑस्कर में भी गई मगर नामक साबित हुई. कुछ वायलेंस सीन्स को छोड़ दें तो बाकी पूरी फिल्म साफ़ सुथरी है. इसे नेटफ्लिक्स पर देखा जा सकता है. इजीओफ़ोर, मैक्सवेल सिम्बा और आइशा मेगा जैसे कलाकारों ने उम्दा काम किया है. आईएमडीबी पर The Boy Who Harnessed The Wind को 10 में से 7.6 रेट किया गया है.

फिल्म द परसूट ऑफ हैप्पीनेस के एक दृश्य में विल स्मिथ.

#3. The Pursuit of Happiness

यह अमेरिकी बायोग्राफी फिल्म है. यह साल 2006 में आई थी. फिल्म की कहानी अमेरिकी ब्लैक क्रिस गार्डनर की है. गार्डनर एक सेल्समैन थे. उनका एक बच्चा भी है. लेकिन उनके पास घर नहीं है. जीवन के एक महत्वपूर्ण समय में वो सड़क पर आ चुके हैं. विपरीत हालात के बावजूद वो मकसद से भटकते नहीं हैं. कई बार उन्हें खाने की दिक्कत का सामना करना पड़ता है और अपमानित भी किए जाते हैं. मगर भिड़े रहते हैं. मासूम बेटे के कई सवालों का जवाब नहीं सूझता, पर कोशिशें जारी रखते हैं और स्टॉक मार्केट में नौकरी पाने में कामयाब होते हैं.

आगे चलकर अपनी मेहनत और लगन के बूते गार्डनर खुद का ब्रोकरेज फार्म बनाने में कामयाब होते हैं और पैसे के साथ शोहरत कमाते हैं. गार्डनर की मुख्य भूमिका विल स्मिथ ने निभाई है. जबकि उनके मासूम बेटे का उम्दा किरदार जेडेन स्मिथ ने निभाया है. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर मौजूद है. The Pursuit of Happiness का निर्देशन गेब्रियल मुचिनो ने किया है. आईएमडीबी पर फिल्म को 10 में से 8 पॉइंट रेट किया गया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲