• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

'हम दो हमारे दो' से पहले बॉलीवुड की ये पांच कॉमेडी फिल्में देखें, कोई जवाब नहीं इनका

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 23 अक्टूबर, 2021 04:39 PM
  • 23 अक्टूबर, 2021 04:24 PM
offline
बॉलीवुड की ये पांच कॉमेडी फ़िल्में तीन अलग-अलग धाराओं से निकलकर आती हैं. इन्हें किसी भी वक्त और कोई भी दर्शक समूह देख सकता है. साफ़ सुथरी और हर लिहाज से उम्दा मनोरंजन की गारंटी हैं ये फ़िल्में.

राजकुमार राव और कृति सेनन बॉलीवुड के हरफनमौला एक्टर्स में हैं. अब तक के करियर में दोनों लगभग हर तरह की फिल्मों में अलग-अलग और प्रभावशाली भूमिकाएं कर चुके हैं. दोनों के हिस्से में कई सक्सेसफुल कॉमेडी ड्रामा हैं. राजकुमार और कृति की जोड़ी जल्द ही एक और कॉमेडी ड्रामा हम दो हमारे दो में नजर आने वाली है. हम दो हमारे दो दीपावली के मौके पर 29 अक्टूबर को डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होगी. कॉमेडी फ़िल्में हमेशा से दर्शकों की पसंद का हिस्सा रहे हैं. यही वजह है कि बॉलीवुड की जिन फिल्मों का विषय कॉमेडी ना भी हो उसमें भी अनिवार्य तौर पर कॉमेडी सीक्वेंस देखने को मिल जाते हैं. वैसे बॉलीवुड ने कॉमेडी ड्रामा भी बड़े पैमाने पर बनाई हैं.

आगे बॉलीवुड की ऐसी पांच कॉमेडी फिल्मों का ब्यौरा है जो दर्शकों को लाजवाब कर देती हैं. ख़ास बात यह भी है कि ये फ़िल्में बॉलीवुड की तीन अलग-अलग धाराओं से निकलकर आती हैं. किसी भी वक्त और कोई भी दर्शक समूह इन्हें देख सकता है. साफ़ सुथरी और हर लिहाज से उम्दा मनोरंजन की गारंटी मानी जा सकती हैं ये फ़िल्में. हम दो हमारे दो से पहले सप्ताहांत छुट्टियों में इन्हें घरवालों के साथ देख लीजिए. देख चुके हैं तो भी इन्हें दोबारा देखना खराब अनुभव नहीं होगा.

1. कथा (1983)

बॉलीवुड सिनेमा में पॉपुलर धारा से अलग भी कॉमेडी फ़िल्में बनी हैं. एसजी साठे के मराठी नाटक पर आधारित कथा उन्हीं में से एक लाजवाब फिल्म है. इसका निर्देशन सईं परांजपे ने किया था. फिल्म की कहानी मुंबई के एक चाल की है. कथा की कहानी दरअसल, कछुए और खरगोश की मशहूर रेस को आधुनिक शहरी जीवन के संदर्भ में रखकर दिखाया गया है. कहानी राजाराम पुरुषोत्तम जोशी नाम के युवा की है. उनके पास मुंबई में क्लर्क की नौकरी है. राजाराम आदर्श युवा कहे जा सकते हैं. सच्चे और सहृदय. बहुत मेहनत ईमानदारी से काम करते हैं, दुनिया की कोई बुराई नहीं हैं उनमें. संकोची भी हैं और किसी को मना नहीं कर पाते. अपने हित की बात भी नहीं कह पाते. खुश हैं. चाल में रहने वाली संध्या सबनिस से...

राजकुमार राव और कृति सेनन बॉलीवुड के हरफनमौला एक्टर्स में हैं. अब तक के करियर में दोनों लगभग हर तरह की फिल्मों में अलग-अलग और प्रभावशाली भूमिकाएं कर चुके हैं. दोनों के हिस्से में कई सक्सेसफुल कॉमेडी ड्रामा हैं. राजकुमार और कृति की जोड़ी जल्द ही एक और कॉमेडी ड्रामा हम दो हमारे दो में नजर आने वाली है. हम दो हमारे दो दीपावली के मौके पर 29 अक्टूबर को डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम होगी. कॉमेडी फ़िल्में हमेशा से दर्शकों की पसंद का हिस्सा रहे हैं. यही वजह है कि बॉलीवुड की जिन फिल्मों का विषय कॉमेडी ना भी हो उसमें भी अनिवार्य तौर पर कॉमेडी सीक्वेंस देखने को मिल जाते हैं. वैसे बॉलीवुड ने कॉमेडी ड्रामा भी बड़े पैमाने पर बनाई हैं.

आगे बॉलीवुड की ऐसी पांच कॉमेडी फिल्मों का ब्यौरा है जो दर्शकों को लाजवाब कर देती हैं. ख़ास बात यह भी है कि ये फ़िल्में बॉलीवुड की तीन अलग-अलग धाराओं से निकलकर आती हैं. किसी भी वक्त और कोई भी दर्शक समूह इन्हें देख सकता है. साफ़ सुथरी और हर लिहाज से उम्दा मनोरंजन की गारंटी मानी जा सकती हैं ये फ़िल्में. हम दो हमारे दो से पहले सप्ताहांत छुट्टियों में इन्हें घरवालों के साथ देख लीजिए. देख चुके हैं तो भी इन्हें दोबारा देखना खराब अनुभव नहीं होगा.

1. कथा (1983)

बॉलीवुड सिनेमा में पॉपुलर धारा से अलग भी कॉमेडी फ़िल्में बनी हैं. एसजी साठे के मराठी नाटक पर आधारित कथा उन्हीं में से एक लाजवाब फिल्म है. इसका निर्देशन सईं परांजपे ने किया था. फिल्म की कहानी मुंबई के एक चाल की है. कथा की कहानी दरअसल, कछुए और खरगोश की मशहूर रेस को आधुनिक शहरी जीवन के संदर्भ में रखकर दिखाया गया है. कहानी राजाराम पुरुषोत्तम जोशी नाम के युवा की है. उनके पास मुंबई में क्लर्क की नौकरी है. राजाराम आदर्श युवा कहे जा सकते हैं. सच्चे और सहृदय. बहुत मेहनत ईमानदारी से काम करते हैं, दुनिया की कोई बुराई नहीं हैं उनमें. संकोची भी हैं और किसी को मना नहीं कर पाते. अपने हित की बात भी नहीं कह पाते. खुश हैं. चाल में रहने वाली संध्या सबनिस से प्रेम करते हैं मगर इजहार नहीं कर पाते हैं.

कथा का पोस्टर. फोटो- IMDb से साभार.

एक दिन अचानक पुराना दोस्त वासुदेव भट्ट बिना बताए उनके साथ चाल में रहने आ जाता है. वासुदेव, पुरुषोत्तम से ठीक उलटा है. हद दर्जे का मक्कार, झूठा, दिखावटी और काम निकालने वाला. उसे कुछ भी नहीं आता लेकिन कोई भांप नहीं पाता. वासुदेव लोगों को बहुत जल्द प्रभावित कर लेता है. पुरुषोत्तम के ही ऑफिस में अचानक से ज्यादा ओहादेवाली नौकरी हासिल कर लेता है, बॉस का करीबी बन जाता है, चाल में हर कोई उसके साथ उठाना बैठना चाहता है यहां तक कि संध्या भी उससे प्यार करने लगती है. वासुदेव के आने के बाद पुरुषोत्तम के जीवन में क्या कुछ होता है देखना बहुत ही मनोरंजक है. नसीरुद्दीन शाह,फारुख शेख और दीप्ति नवल ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. कथा को अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं. वैसे फिल्म शेमारू के यूट्यूब चैनल पर भी फ्री उपलब्ध है.

जाने भी दो यारों में नसीरुद्दीन शाह और ओम पूरी. फोटो- IMDb से साभार.

2. जाने भी दो यारों (1983)

यह फिल्म भी 80 के दशक में पॉपुलर धारा से अलग बनी थी. फिल्म का निर्देशन कुंदन शाह ने किया था. जाने भी दो यारो की कहानी मुंबई के दो प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स सुधीर और विनोद की हैं. दोनों का अपना स्टूडियो है लेकिन वो बहुत कायदे से चल नहीं पा रहा है. स्टूडियो बनाए रखने और उसे चलाने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत है. इस बीच उन्हें खबरदार के सम्पादक की ओर से कुछ काम मिलता है. खबरदार शहर के कुछ अमीर और प्रभावशाली लेकिन बेईमान लोगों की सच्चाई को उजागर करने के काम में लगा है. दोनों फोटोग्राफर खबरदार की सम्पादक के साथ मिलकर बेईमान बिल्डर तरनेजा, भ्रष्ट म्यूनिसिपल अफसर डी मेलो के घोटाले को बाहर लाने के लिए काम कर रहे होते हैं. इसमें एक और भ्रष्ट बिल्डर आहूजा संलिप्त मिलता है. संयोगवश तरनेजा द्वारा की गई हत्या का दृश्य एक फोटो के बैकग्राउंड में दिख जाता है. इसके बाद कहानी में क्या-क्या होता है मनोरंजक है. फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी, सतीश शाह, ओम पुरी, पंकज कपूर और नीना गुप्ता ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं. जाने भी दो यारो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब पर उपलब्ध है.

फोटो- IMDb से साभार.

3. अंदाज अपना अपना (1994)

अंदाज अपना अपना का निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया था. जब ये फिल्म आई थी बॉलीवुड में एक अलग ही दौर था. फिल्म फ्लॉप हो गई मगर बाद में यह एक कल्ट कॉमेडी ड्रामा साबित हुई. दर्शकों ने सिनेमाघर में अंदाज अपना अपना को क्यों खारिज कर दिया यह आज भी समझ से परे है. फिल्म की कहानी अमर और प्रेम नाम के दो युवाओं की हैं जिनके पिता मामूली दर्जी और नाई का काम करते हैं. दोनों बहुत साधारण परिवार से हैं मगर अमीर बनने का ख्वाब देखते रहते हैं. राम गोपाल बजाज की बेटी शादी के लिए भारत आई है. लड़का अच्छा हो बस यही शर्त है. शादी का इश्तहार दिया जाता है जिसे देखकर अमर और प्रेम भी पहुंच जाते हैं शादी करने. लड़का सिर्फ धन देखकर शादी ना करने के लिए आए इसके लिए बजाज की बेटी अपनी सहेली के साथ पहचान अदल-बदल लेती है. उधर, रामगोपाल का एक जुड़वा भाई भी है जिसका आपराधिक इतिहास है. जुड़वे भाई की नजर बजाज की संपत्ति पर है. अमर-प्रेम अमीर लड़की से शादी करने के लिए एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की कोशिश करते रहते हैं. फिल्म की कहानी में अमर-प्रेम का झूठ, शादी के लिए उनकी तरकीबें और नॉनसेन्स देखना बहुत ही मनोरंजक है. नेटफ्लिक्स और प्राइम वीडियो पर अंदाज अपना-अपना देख सकते हैं.

फोटो- IMDb से साभार.

4. हेराफेरी (2000)

प्रियदर्शन ने फिल्म का निर्देशन किया था. यही वो फिल्म है जिसने अक्षय कुमार को एक्शन हीरो की छवि से बाहर निकालकर बड़ा स्टारडम दिया. हेराफेरी की कहानी राजू, घनश्याम और बाबूराव की है. राजू और घनश्याम मुंबई में बेगारी के दिन काट रहे हैं दोनों बाबूराव के घर में रहते हैं. दोनों पर घरवालों की जिम्मेदारी है. झूठ बोलते हैं लेकिन उनके पास कोई समाधान नहीं है. कुल मिलाकर तीनों पैसे की घनघोर तंगी का सामना कर रहे हैं. इसी दौरान फोन डायरेक्टरी मिस प्रिंट होने की वजह से गैंगस्टर कबीरा का का फोन बाबूराव के यहां आता है. कबीर ने सेठ देवीप्रसाद के पोते को किडनैप कर लिया है और बदले में पैसे मांगता है. राजू, घनश्याम और बाबूराव इत्तेफाक से मिले मौके का बिचौलिया बनकर फायदा उठाना चाहते हैं. आगे जो भी होता है वो काफी मजेदार है. अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, परेश रावल, तब्बू, गुलशन ग्रोवर और कुलभूषन खरबंदा ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं. फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद है.

फोटो- IMDb से साभार.

5. मुन्नाभाई एमबीबीएस (2003)

राजकुमार हिरानी ने फिल्म का निर्देशन किया था. यह कहानी मुन्ना की है जो गांव से भागकर शहर चला आया था और गैंगस्टर बन जाता है. मुन्ना के पिता का गांव में काफी रुतबा है. मुन्ना पिता को झूठ बोलता है कि वो शहर में डॉक्टर है और एक अस्पताल चलाता है. पिता के शहर आने वापर मुन्ना नकली अस्पताल बनाता है मगर उसकी पोल तब खुल जाती है जब पिता अपने डॉक्टर दोस्त से उसकी डॉक्टर बेटी को बहू बनाने की बात कहते हैं. मुन्ना की असलियत सामने आ जाती है. अपमान से पिता का सिर झुक जाता है और वो गांव लौट जाते हैं. इसके बाद मुन्ना किसी भी हालत में डॉक्टर बनने की ठान लेता है. मुन्ना को कुछ नहीं आता मगर जुगाड़ से एंट्रेस परीक्षा पास कर उसी मेडिकल कॉलेज में पहुंच जाता है जहां उसके पिता के डॉक्टर दोस्त सर्वेसर्वा हैं. इसके बाद की कहानी बहुत मजेदार है. संजय दत्त, अरशद वारसी, ग्रेसी सिंह और बोमन ईरानी ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई थीं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲