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जब हैरी मेट सेजल : शाहरुख अपनी उम्र को पहचानने में भूल कर गए...

    • ऋचा साकल्ले
    • Updated: 05 अगस्त, 2017 02:11 PM
  • 05 अगस्त, 2017 02:11 PM
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निर्देशक इम्तियाज अली की फिल्मों की यही विशेषता रही है. वो अपनी फिल्म में एक फिलॉसोफी को पर्दे पर उतारने की कोशिश करते हैं. जिसे बहुत कम दर्शक ही पकड़ पाते हैं.

'जब हैरी मेट सेजल' यह फिल्म तलाश यानी खोज का एक गुलदस्ता है. एक बंजारा, यायावर ट्रेवल गाइड यहां जीवन को तलाश रहा है, परिपक्व प्रेम तलाश रहा है. एक पारंपरिक गुजराती लड़की ट्रेवल के दौरान खोई अपनी इंगेजमेंट की रिंग तलाश रही है और उसका अवचेतन एक बेहतर प्रेम तलाश रहा है. प्रेम की तलाश में मिले ये दो अजनबी एक दूसरे में खुद को भी तलाश रहे हैं.

निर्देशक इम्तियाज अली की फिल्मों की यही विशेषता रही है. वो अपनी फिल्म में एक फिलॉसोफी को पर्दे पर उतारने की कोशिश करते हैं. जिसे बहुत कम दर्शक ही पकड़ पाते हैं. आमतौर पर इस फिल्म को भी पहली नज़र में लोगों ने एक आम प्रेम कहानी के तौर पर लिया. लेकिन यह फिल्म उसके आगे भी बहुत कुछ है. उनकी यह फिल्म भी अंगूठी की खोज को प्रतीक बनाते हुए हमें जीवन के दर्शन की ओर ही ले जाती है.

जीवन का दर्शन है जब हैरी मेट सेजल

सच यही है अपनी जिंदगियों से रूठे हुए हम, छोटे छोटे इगोज के बोझ तले दबे हम, प्यार की तलाश में बेहतर जीवन की तलाश मे निकल पड़ते हैं. लेकिन उस अंगूठी के क्लाइमेक्स वाला सीन हमारे दिमाग को फिर इंगित करता है, कि क्या ढूंढ रहे हो तुम? किसे तलाश कर रहे हो तुम? उस सबको जो तुम्हारे भीतर ही है? प्यार. खुशी. आनंद. सब हमारे भीतर है. वो सब जो हम ढूंढ रहे हैं, हमारे भीतर, हमारे पास ही है. बस निकालना है इनको भीतर से. ताकि जीवन को सही दिशा दे सकें. यही है कुल मिलाकर जब हैरी मेट सेजल.

यह तो पर्दे पर बुना दर्शन है. लेकिन एक सच यह भी है कि इम्तियाज भी अभी खुद में एक बेहतर निर्देशक को खोज रहे हैं. उनकी तलाश जारी है. और उन्हें भी भीतर से उन बारीकियों को पकड़ना होगा, जिसे वो अभी पकड़ नहीं पा रहे. उसी तरह शाहरुख भी उम्र के ढलान पर, उस बेहतर निर्देशक की तलाश में हैं जो उनके भीतर से एक ऐसा चरित्र निकाल...

'जब हैरी मेट सेजल' यह फिल्म तलाश यानी खोज का एक गुलदस्ता है. एक बंजारा, यायावर ट्रेवल गाइड यहां जीवन को तलाश रहा है, परिपक्व प्रेम तलाश रहा है. एक पारंपरिक गुजराती लड़की ट्रेवल के दौरान खोई अपनी इंगेजमेंट की रिंग तलाश रही है और उसका अवचेतन एक बेहतर प्रेम तलाश रहा है. प्रेम की तलाश में मिले ये दो अजनबी एक दूसरे में खुद को भी तलाश रहे हैं.

निर्देशक इम्तियाज अली की फिल्मों की यही विशेषता रही है. वो अपनी फिल्म में एक फिलॉसोफी को पर्दे पर उतारने की कोशिश करते हैं. जिसे बहुत कम दर्शक ही पकड़ पाते हैं. आमतौर पर इस फिल्म को भी पहली नज़र में लोगों ने एक आम प्रेम कहानी के तौर पर लिया. लेकिन यह फिल्म उसके आगे भी बहुत कुछ है. उनकी यह फिल्म भी अंगूठी की खोज को प्रतीक बनाते हुए हमें जीवन के दर्शन की ओर ही ले जाती है.

जीवन का दर्शन है जब हैरी मेट सेजल

सच यही है अपनी जिंदगियों से रूठे हुए हम, छोटे छोटे इगोज के बोझ तले दबे हम, प्यार की तलाश में बेहतर जीवन की तलाश मे निकल पड़ते हैं. लेकिन उस अंगूठी के क्लाइमेक्स वाला सीन हमारे दिमाग को फिर इंगित करता है, कि क्या ढूंढ रहे हो तुम? किसे तलाश कर रहे हो तुम? उस सबको जो तुम्हारे भीतर ही है? प्यार. खुशी. आनंद. सब हमारे भीतर है. वो सब जो हम ढूंढ रहे हैं, हमारे भीतर, हमारे पास ही है. बस निकालना है इनको भीतर से. ताकि जीवन को सही दिशा दे सकें. यही है कुल मिलाकर जब हैरी मेट सेजल.

यह तो पर्दे पर बुना दर्शन है. लेकिन एक सच यह भी है कि इम्तियाज भी अभी खुद में एक बेहतर निर्देशक को खोज रहे हैं. उनकी तलाश जारी है. और उन्हें भी भीतर से उन बारीकियों को पकड़ना होगा, जिसे वो अभी पकड़ नहीं पा रहे. उसी तरह शाहरुख भी उम्र के ढलान पर, उस बेहतर निर्देशक की तलाश में हैं जो उनके भीतर से एक ऐसा चरित्र निकाल दे जो उन्हें कालजयी बना दे.

इम्तियाज ने कोशिश की है लेकिन शाहरुख एक स्टारडम में फंसे प्यादे हैं. जिन्हें भीतर से सहजता निकालनी होगी. वरना वो एक के बाद पिटी फिल्मों का बादशाह बन जाएंगे. अनुष्का को अभी अभिनय में बहुत सीखना है. वो पर्दे पर असहज लगीं. हां गुजराती लहजा ठीक ठाक रहा. मेरी तरफ़ से फिल्म को 2.5 स्टार.

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी शानदार है. फिल्म के बहाने यूरोप के बड़े शहर घूम लेंगे आप. फिल्म के ट्रेवल बैकग्राउंड को देखते हुए इसके वितरण की ज़िम्मेदारी भी जानी मानी ट्रेवल कंपनी ईजमाईट्रिप डॉट कॉम ने ली है. यह कंपनी ट्यूबलाइट फिल्म की भी वितरक रही है. वितरकों को उम्मीद है कि फिल्म शानदार बिज़नेस करेगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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