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शशि कपूर की मौत पर मुझे शोक संदेश आ रहे हैं

    • राना सफ्वी
    • Updated: 05 दिसम्बर, 2017 04:08 PM
  • 05 दिसम्बर, 2017 04:08 PM
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उनकी सिर्फ एक ही फिल्म थी जो मैं देख नहीं पाई और जिसे कभी देखना भी नहीं चाहूंगी. वो थी- कस्टडी. इस फिल्म में वो बीमार, मुरझाए से दिख रहे थे. इस तरह से उनको देख कर दर्द हो रहा था.

मेरी दोस्त हरलीन विज इरफान पठान की जबरदस्त फैन है. इतनी बड़ी फैन है कि वो उन्हें रोज मैसेज भेजती है. मुझे याद है एक बार मैंने उसे कहा था कि अगर शशि कपूर माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर होते तो मैं भी रोजाना उन्हें प्यार भरे मैसेज भेजती. कुछ साल पहले 18 मार्च को शशि कपूर के जन्मदिन पर हरलीन ने मुझे  विश किया. बस फिर क्या था कई लोगों को लगा कि 18 मार्च मेरा जन्मदिन होता है और उन्होंने मुझे शुभकामनाएं देनी शुरु कर दी.

शशि कपूर के लिए मेरी दीवानगी का आलम ये है कि जब भी सोशल मीडिया पर शशि जी का कोई फोटो दिखता मेरे दोस्त मुझे टैग कर देते! सभी को पता है कि शशि कपूर मेरे लिए क्या हैं. कल मेरे लिए छुट्टी का दिन था, तो मैं सोशल मीडिया पर किलों और मकबरों की फोटो डालने में मग्न थी. तभी मैंने ट्वीट देखा- शशि कपूर का निधन. कुछ पलों के लिए मानों मेरे दिल की धड़कन रूक गई. सालों से इस दिन के लिए हम तैयार बैठे थे. लेकिन जब ये दिन आया तो सांसें रूक गई.

इस बार मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं नहीं बल्कि शोक संदेश मिल रहे थे. अभी जब मैं अपने मोबाइल पर ये स्टोरी टाइप कर रही हूं तब भी मेरे व्हाट्सएप पर शोक भरे संदेशों का तांता लगा हुआ है.

शशि कपूर के बिना दुनिया की कल्पना करना मुश्किल है. लेकिन शशि हमेशा मेरे और मेरे जैसे हजारों, लाखों फैन्स के दिल में जिंदा रहेंगे. इसके पहले जब मेरे दोस्त मुझे शशि कपूर के बारे में ब्लॉग पर लिखने के लिए कहते थे तो मुझे कुछ सूझता ही नहीं था. लेकिन आज जब शशि कपूर हमारे बीच नहीं रहे तो मेरी आंखों से आंसुओं की धार के साथ-साथ शब्द भी खुद-ब-खुद निकलते जा रहे हैं. मुझे नहीं पता मैं क्या लिख रही हूं. लेकिन लिख रही हूं. न तो मैं देख रही हूं क्या लिख रही, न ही मुझमें इतनी ताकत है कि मैं रूक कर दोबारा पढ़ लूं. बस लिखना है मुझे.

मैं 12 साल की थी जब मैंने शशि कपूर की फिल्म हसीना मान जाएगी देखी थी. इसके बाद मेरी जिंदगी ही बदल गई. फिल्म में डबल रोल में शशि कपूर थे. और इसके बाद जैसे मेरे दिल के कोने पर उनका बस कब्जा ही हो...

मेरी दोस्त हरलीन विज इरफान पठान की जबरदस्त फैन है. इतनी बड़ी फैन है कि वो उन्हें रोज मैसेज भेजती है. मुझे याद है एक बार मैंने उसे कहा था कि अगर शशि कपूर माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर होते तो मैं भी रोजाना उन्हें प्यार भरे मैसेज भेजती. कुछ साल पहले 18 मार्च को शशि कपूर के जन्मदिन पर हरलीन ने मुझे  विश किया. बस फिर क्या था कई लोगों को लगा कि 18 मार्च मेरा जन्मदिन होता है और उन्होंने मुझे शुभकामनाएं देनी शुरु कर दी.

शशि कपूर के लिए मेरी दीवानगी का आलम ये है कि जब भी सोशल मीडिया पर शशि जी का कोई फोटो दिखता मेरे दोस्त मुझे टैग कर देते! सभी को पता है कि शशि कपूर मेरे लिए क्या हैं. कल मेरे लिए छुट्टी का दिन था, तो मैं सोशल मीडिया पर किलों और मकबरों की फोटो डालने में मग्न थी. तभी मैंने ट्वीट देखा- शशि कपूर का निधन. कुछ पलों के लिए मानों मेरे दिल की धड़कन रूक गई. सालों से इस दिन के लिए हम तैयार बैठे थे. लेकिन जब ये दिन आया तो सांसें रूक गई.

इस बार मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं नहीं बल्कि शोक संदेश मिल रहे थे. अभी जब मैं अपने मोबाइल पर ये स्टोरी टाइप कर रही हूं तब भी मेरे व्हाट्सएप पर शोक भरे संदेशों का तांता लगा हुआ है.

शशि कपूर के बिना दुनिया की कल्पना करना मुश्किल है. लेकिन शशि हमेशा मेरे और मेरे जैसे हजारों, लाखों फैन्स के दिल में जिंदा रहेंगे. इसके पहले जब मेरे दोस्त मुझे शशि कपूर के बारे में ब्लॉग पर लिखने के लिए कहते थे तो मुझे कुछ सूझता ही नहीं था. लेकिन आज जब शशि कपूर हमारे बीच नहीं रहे तो मेरी आंखों से आंसुओं की धार के साथ-साथ शब्द भी खुद-ब-खुद निकलते जा रहे हैं. मुझे नहीं पता मैं क्या लिख रही हूं. लेकिन लिख रही हूं. न तो मैं देख रही हूं क्या लिख रही, न ही मुझमें इतनी ताकत है कि मैं रूक कर दोबारा पढ़ लूं. बस लिखना है मुझे.

मैं 12 साल की थी जब मैंने शशि कपूर की फिल्म हसीना मान जाएगी देखी थी. इसके बाद मेरी जिंदगी ही बदल गई. फिल्म में डबल रोल में शशि कपूर थे. और इसके बाद जैसे मेरे दिल के कोने पर उनका बस कब्जा ही हो गया. उनकी जगह कोई और न ले पाया, न ले पाएगा. ये वो समय था जब शायद ही हमें फिल्में देखने को मिला करती थी. मुझे याद नहीं कि इसके बाद मैंने उनकी कौन सी फिल्म देखी थी.

मुझे याद है कि जब मैं शर्मीली फिल्म देखकर घर आई थी तो बिल्कुल स्तब्ध थी. खोई हुई. जैसे मुझ पर कोई जादू हो गया था. इसके बाद मैंने उनकी कई सारी फिल्में देखी. वो हर लड़की के सपनों के राजकुमार थे और रहेंगे. आज भी जब मैं उनकी फोटो देखती हूं तो मानों मेरे दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. बदहवास सी हो जाती हूं. पागल बिल्कुल.

इसके बाद मैंने उनकी फोटो जमा करनी शुरु कर दी. सभी फोटो पर अपने कैप्शन लिखे. वो स्क्रैपबुक मेरे पास सालों तक रहा. और बाद में मेरे माता-पिता के घर बदलने के चक्कर में कहीं खो गया. मुझे आज भी इसका दुख होता है कि कैसे मैं वो स्क्रैपबुक संभाल कर नहीं रख पाई. लेकिन खुशकिस्मती से मेरे अपने पर्सनल एल्बम में शशि कपूर के ऑटोग्राफ वाली एक फोटो आज तक है मेरे पास. मेरे जीवन की ये सबसे अनमोल धरोहर है. इस फोटो को मैंने अपने एल्बम के पहले पन्ने पर लगा रखा है.

शशि कपूर की साइन की हुई ये फोटो मेरे लिए किसी अनमोल उपहार से कम नहीं है

1978 में शशि कपूर मलिहाबाद में जुनून फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. सबा ज़ैदी इस फिल्म की आर्ट डिजाइन का काम संभाल रही थी. उन्होंने मुझे और कुछ और दोस्तों को शूटिंग देखने के लिए बुलाया. मैनें इस मौके को लपक लिया और बिना समय गंवाए वहां पहुंच गई. मैंने पढ़ रखा था कि "धड़कनें थम जाती हैं". लेकिन पहली बार इसे महसूस किया जब मैंने पहली बार शशि कपूर को साक्षात अपने सामने देखा.

इस फिल्म की शूटिंग के समय मैंने पहली बार शशि कपूर को देखा था

मैं अपने सामने इतने हैंडसम लड़के को देखने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी. शशि कपूर की पलकें इतनी लंबी थी जितना की आजकल की लड़कियां नकली पलकें लगाकर बनाती हैं. उनका चार्म गजब था. कल्पना से परे. अद्भुत. विस्मयकारी. हतप्रभ कर देने वाला. उन्हें देखो तो देखते रह जाओ. एक बार को पलकें झपकाना भी इंसान भूल जाए ऐसा. शूटिंग के वो दो दिन हवा की तरह उड़ गए लेकिन उसकी याद आज 40 साल बाद भी मेरे जेहन में ऐसे ताजा है जैसे कल की ही बात हो.

उनकी सिर्फ एक ही फिल्म थी जो मैं देख नहीं पाई और जिसे कभी देखना भी नहीं चाहूंगी. वो थी- कस्टडी. इस फिल्म में वो बीमार, मुरझाए से दिख रहे थे. इस तरह से उनको देख कर दर्द हो रहा था. एक बार मैंने सुना कि वो दिवालिया हो गए हैं और उनके सिर से छत तक छिन गई है. क्योंकि उनकी प्रोडक्शन कंपनी में उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा. इस खबर ने दोबारा मुझे वैसा ही दर्द दिया.

आज मैं शून्य में हूं. स्तब्ध. सन्न बिल्कुल. जैसे जम सी गई हूं. ठिठुर गई हूं. शशि कपूर की मौत हो गई ये खबर अभी तक मेरे गले नहीं उतर रही. मैं इस सच को स्वीकार नहीं कर पा रही. इस सच को स्वीकार करने और इसके साथ जीने के लिए मुझे थोड़ा समय लगेगा. इससे उबरने में समय लगेगा. पर खालीपन नहीं जाएगा. मेरे दिल का वो कोना हमेशा के लिए सूना हो गया.

हालांकि इस बात की खुशी है कि वो शांति से मौत की आगोश में समा गए. सालों से वो बीमार थे. कष्ट में थे. इससे उन्हें मुक्ति मिल गई.

मेरे लिए तो यही किसी चमत्कार से कम नहीं कि मैंने उसी समय को देखा जब वो यहां थे.

आप मेरे हीरो हैं. थे. और हमेशा रहेंगे.

अलविदा शशि कपूर.

(DailyO से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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