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राधे के हश्र से खौफ खाए सलमान खान को दिलीप कुमार बेहतर रास्ता दिखा सकते हैं

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 20 जून, 2021 03:27 PM
  • 20 जून, 2021 03:27 PM
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दर्शकों को अब अच्छी कहानियां चाहिए. मौलिकता चाहिए. 54 साल के सलमान को असफलताओं से सबक लेकर वक्त रहते दर्शकों की जरूरत को समझ लेना ही ठीक होगा.

दूध की जली बिल्ली छाछ भी फूंक-फूंककर पीती है. कोरियन मूवी के हिंदी अडाप्शन राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई जैसा हादसा रचने वाले सलमान खान इस मुहावरे से सबक लेते नहीं दिख रहे. दरअसल, टाइगर 3 के लिए काम में जुटे सलमान को लेकर चर्चा है कि वो इसी साल आई विजय की मास्टर के हिंदी रीमेक में काम करने जा रहे हैं. सलमान को एक्शन रोमांच से भरपूर जेडी का किरदार काफी पसंद आ रहा है. मगर वो चाहते हैं कि हिंदी के लिए मास्टर की कहानी को रीराइट किया जाए. कोरियन अडाप्शन राधे भी करीब-करीब रीराइट ही हुई थी.

सलमान ने अब तक कई रीमेक फिल्मों में काम किया है और जबरदस्त कामयाबी भी हासिल की है. लेकिन उनका फ़ॉर्मूला पिछले कुछ सालों से बेअसर हो रहा है. राधे इस कड़ी में ताजा मिसाल है. राधे के हश्र की वजह से सलमान में काफी ज्यादा खौफ है. दरअसल, ये फिल्म ना तो समीक्षकों को पसंद आई और ना ही उन दर्शकों को जो सलमान पर दिल-जान लुटाते हैं. कहा तो ये भी गया कि एक्टर अब और ज्यादा रीमेक फिल्मों से तौबा कर रहे हैं. लेकिन मास्टर में उनकी दिलचस्पी पुरानी कहानी की तरफ ही इशारा करती है. भाईजान मास्टर की कहानी में फेरबदल करना चाहते हैं. पूरी तरह से. उन्हें सिर्फ जेडी का किरदार चाहिए. सवाल है कि सलमान ने राधे में भी फेरबदल करने के बावजूद सलमान ने सिवाय नाकामी और 'शर्मिंदगी' के और क्या हासिल हुआ जो अब वो मास्टर के साथ फिर दोहराना चाहते हैं? मास्टर भी एक्शन एंटरटेनर मूवी है.

कामयाबी के साथ हर एक्टर की जिंदगी में ट्रैप आता है, दिलीप कुमार कैसे निकले थे?

लग तो यही रहा है कि सलमान अपने ही ट्रैप में फंसे नजर आ रहे हैं. कामयाबी का ट्रैप. हर एक्टर की जिंदगी में उसे जो कामयाबी मिलती है उसके साथ एक ट्रैप में भी आता है. दरअसल, कामयाबी का एक फ़ॉर्मूला होता है. और फ़ॉर्मूला किसी एक्टर को एक फ्रेम, खांचा या...

दूध की जली बिल्ली छाछ भी फूंक-फूंककर पीती है. कोरियन मूवी के हिंदी अडाप्शन राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई जैसा हादसा रचने वाले सलमान खान इस मुहावरे से सबक लेते नहीं दिख रहे. दरअसल, टाइगर 3 के लिए काम में जुटे सलमान को लेकर चर्चा है कि वो इसी साल आई विजय की मास्टर के हिंदी रीमेक में काम करने जा रहे हैं. सलमान को एक्शन रोमांच से भरपूर जेडी का किरदार काफी पसंद आ रहा है. मगर वो चाहते हैं कि हिंदी के लिए मास्टर की कहानी को रीराइट किया जाए. कोरियन अडाप्शन राधे भी करीब-करीब रीराइट ही हुई थी.

सलमान ने अब तक कई रीमेक फिल्मों में काम किया है और जबरदस्त कामयाबी भी हासिल की है. लेकिन उनका फ़ॉर्मूला पिछले कुछ सालों से बेअसर हो रहा है. राधे इस कड़ी में ताजा मिसाल है. राधे के हश्र की वजह से सलमान में काफी ज्यादा खौफ है. दरअसल, ये फिल्म ना तो समीक्षकों को पसंद आई और ना ही उन दर्शकों को जो सलमान पर दिल-जान लुटाते हैं. कहा तो ये भी गया कि एक्टर अब और ज्यादा रीमेक फिल्मों से तौबा कर रहे हैं. लेकिन मास्टर में उनकी दिलचस्पी पुरानी कहानी की तरफ ही इशारा करती है. भाईजान मास्टर की कहानी में फेरबदल करना चाहते हैं. पूरी तरह से. उन्हें सिर्फ जेडी का किरदार चाहिए. सवाल है कि सलमान ने राधे में भी फेरबदल करने के बावजूद सलमान ने सिवाय नाकामी और 'शर्मिंदगी' के और क्या हासिल हुआ जो अब वो मास्टर के साथ फिर दोहराना चाहते हैं? मास्टर भी एक्शन एंटरटेनर मूवी है.

कामयाबी के साथ हर एक्टर की जिंदगी में ट्रैप आता है, दिलीप कुमार कैसे निकले थे?

लग तो यही रहा है कि सलमान अपने ही ट्रैप में फंसे नजर आ रहे हैं. कामयाबी का ट्रैप. हर एक्टर की जिंदगी में उसे जो कामयाबी मिलती है उसके साथ एक ट्रैप में भी आता है. दरअसल, कामयाबी का एक फ़ॉर्मूला होता है. और फ़ॉर्मूला किसी एक्टर को एक फ्रेम, खांचा या यूं कहें कि छवि के नीचे दबा देता है. फ़ॉर्मूला कोई भी हो, निश्चित ही कुछ दिन में उसके घिसकर ख़त्म हो जाने की आशंका बनी रहती है. रीमेक फिल्मों के जरिए सलमान का रोमांटिक एक्शन हीरो बने रहना, हकीकत में उनके लिए एक ट्रैप बन गया है. ट्रैप लगभग घिसकर ख़त्म होने को है मगर एक्टर अभी भी उससे निकलने की बजाय उसी में धंसने की कोशिश कर रहे हैं.

कामयाबी और छवि के इसी ट्रैप में कभी अमिताब बच्चन, ऋषि कपूर, शाहरुख खान आदि सितारे फंसते आए हैं. किंग खान यदा-कदा अब भी फ़िल्में कर लेते हैं. लेकिन छह-सात साल में उनका करियर देखकर लगता है कि अब बतौर हीरो वे रेस से बाहर हैं. दिलीप कुमार भी कामयाबी के इसी ट्रैप में फंसे थे. दरअसल, दिलीप साहेब ने बैक टू बैक रोमांटिक फिल्मों में असफल प्रेमी या युवक की भूमिकाएं कीं. उनके कई किरदार महान मानवीय दुखों से भरे थे. दिलीप साहब ने दमदार अभिनय किया. उनकी लगभग हर फ़िल्म जबरदस्त कामयाब हुई. कामयाबी उनके लिए ट्रेजडी किंग का ट्रैप लेकर आई थी.

दिलीप साहब कुछ इंटरव्यूज में खुद बता चुके हैं कि उन्हें लगातार कई फिल्मों के अंत में मरना पड़ा. इस पर उन्हें चिंता होने लगी कि यदि अगली फिल्म में फिर मरना पड़ा, तो वे कौन सा नयापन लाएंगे. मरने के सारे आइडिया ख़त्म हो चुके थे. दिलीप साहब ने ट्रेजडी किंग के खोल से बाहर निकलने की ठानी. वो भी करियर की पीक में दशक भर के अंदर ही. इसके बाद उन्होंने राम-श्याम, शबनम और सगीना जैसी कई फ़िल्में कीं जिसमें उनका किरदार प्रचलित छवि से बिलकुल अलग था. कॉमेडी किया, एक्शन किया. कम फ़िल्में कीं लेकिन जब तक सक्रिय रहे प्रयोग और चुनौतियों से कदम पीछे नहीं किया. बाद में जब उनपर उम्र हावी होने लगा तो मल्टी स्टारर फिल्मों में अपने लिए जगह बनाई. शक्ति, क्रांति, कर्मा और सौदागर जैसी फ़िल्में मिसाल हैं जिसमें चरित्र अभिनेता होने के बावजूद असल में दिलीप कुमार ही हीरो थे.

दिलीप साहब ही क्यों, कामयाबी के ट्रैप में फंसे हर बड़े सुपरस्टार को उससे बाहर निकलने का रास्ता तलाशना ही पड़ता है. जिसने भी रिस्क लेकर रास्ता तलाशा निश्चित ही उनकी मंजिल लंबी हुई. लेकिन जो छवि के नशे में धुत रहे, उनके एक्टिंग करियर का बुरा अंत हुआ. राजेश खन्ना, देवानंद, शाहरुख खान जैसे सितारों ने छवि से निकलने में बहुत देर की. सलमान को अपने पूर्ववर्ती अभिनेताओं से सबक लेना चाहिए. सलमान ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने अब तक के करियर में हर फन की फ़िल्में की हैं और उनसे कामयाबी भी हासिल की है.

सलमान को ट्रैप से निकलने की जरूरत

बजरंगी भाईजान और सुल्तान के ब्लॉकबस्टर प्रयोग से सलमान सही ट्रैक पर जाते दिख रहे थे. लेकिन एक ट्यूबलाईट की असफलता से वो दोबारा उसी रास्ते पर जा पहुंचे जहां से निकलकर आए थे. निश्चित ही टाइगर और दबंग की सफलता ने उन्हें कामयाबी के नशे में धुत कर दिया. एक्शन और रोमांटिक अवतार में एक पर एक हादसा बनाते गए लेकिन कभी उसका मूल्यांकन नहीं किया. दर्शक उनसे क्या चाहते थे ये बजरंगी और सुल्तान के जरिए बता चुके थे. मगर मूल एक्शन फिल्मों की सफलता से मस्त सलमान एक्शन रीमेक बनाने की दौड़ में लगे रहे. जबकि अच्छा ये होता कि वो बजरंगी और सुल्तान का सीक्वल बना रहे होते. लेकिन दबंग खान ट्रैप में इतने धंसे हैं कि एक्शन मूवी किक का सिक्वल बनाना चाहते हैं.

राधे बहुत बड़ा हादसा है. इस फिल्म ने सीधे सलमान की अभिनय क्षमता पर ही सवाल कर दिए हैं. यहां से आगे भी सलमान मास्टर की ओर बढ़ रहे हैं और लगभग वही गलतियां दोहरा रहे हैं जो उन्होंने राधे के साथ की थीं. राधे में भी पर्याप्त फेरबदल किए गए थे और 54 साल के सलमान छरहरे नौजवान की तरह नजर भी आ रहे थे. पर उनका अवतार दर्शकों को बासी लगा. सलमान को कौन समझाए कि इंटरनेट के दौर में देशों की सीमाएं और भाषा का बंधन ख़त्म हो चुका है. अब फ़िल्में वीकेएंड की बजाय हर दिन देखी जा रही हैं. जो फ़िल्में अच्छी हैं दर्शक सीधे उसे देख रहे हैं और तारीफ़ कर रहे हैं. भले ही वो दुनिया की किसी भी भाषा में बनी हों.

दर्शकों को अब अच्छी कहानियां चाहिए. मौलिकता चाहिए. 54 साल के सलमान को असफलताओं से सबक लेकर वक्त की जरूरत को जल्दी ही समझ लेना चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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