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दिलीप कुमार की ये पांच फिल्में नहीं देखी तो क्या देखा, साहब के बिना सिनेमा जगत अधूरा है!

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 07 जुलाई, 2021 05:15 PM
  • 07 जुलाई, 2021 05:15 PM
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दिलीप कुमार (Dilip Kumar) नहीं होते तो शायद लोगों को बॉलीवुड से इतना प्यार नहीं होता. अदाकारी क्या होती है, साहब के बिना शायद यह किसी को समझ ही नहीं आता. जादूगर भले दुनिया को अलविदा कह गया, लेकिन उनका तिलिस्म अभी भी कायम है और रहेगा.

दिलीप कुमार (Dilip Kumar) नहीं होते तो शायद लोगों को बॉलीवुड से इतना प्यार नहीं होता. अदाकारी क्या होती है, साहब के बिना शायद यह किसी को समझ ही नहीं आता. भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार (Dilip kumar films) की वजह से हम सिनेमा से प्यार कर बैठे, जिसका कोई पैमाना नहीं है. दिलीप कुमार जैसे अदाकार की अदाकारी आने वाली पीढ़ी के लिए हमेशा श्रेष्ठ बनी रहेगी.

दिलीप कुमार ने सिखाया अदाकारी क्या होती है

ना जाने कितने अभिनेताओं ने उनको अपना गुरू माना और वे फिल्मी जगत पर छा गए. हमने ट्रेजडी किंग को प्यार किया और उनके हर रूप, हर किरदार को प्यार किया. हमें उनरी फिल्में देखकर लगा ही नहीं कि वे अभिनय कर रहे हैं वो तो अपने हर किरदार को जीते थे.

मानो वे अपने हर अवतार में तिलिस्म करना जानते थे. वे तेज तर्रार भी थे और रूमानी भी. प्रेम में डूबे प्रेमी से लेकर ईमानदार पुलिस वाले तक का अभिनय इस तरह से करते जैसे वे उनके दर्द को महसूस कर रहे हों. जिसने उन्हें जाना हो, जिसने उनके जादू को महसूस किया हो, उनकी आंखों से आंसू का अनायास ही निकल जाना लाजिमी है.

शायद फिल्म लिखने वाले जितने नायकों की कल्पना कर सकें, दिलीप कुमार सबको परदे पर उतारने की ताकत रखते थे. बॉलीवुड के पहले खान दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी करियर में 6 दशकों से ज्यादा काम किया है. शायद आज के बच्चे इतने भाग्यशाली नहीं हैं जितने उनके घरों के बुजुर्ग, क्योंकि उन्होंने दिलीप कुमार को जाना है, देखा है. उनकी फिल्मों से बहुत कुछ सीखा है.

हालांकि आज के हजारों युवा दिलीप कुमार की फिल्में खोजकर देखते हैं. जादूगर भले दुनिया को अलविदा कह गया, लेकिन उनका तिलिस्म अभी भी कायम है और रहेगा. हम उनकी तुलना किसी से कर ही नहीं सकते, ऐसा कोई है ही नहीं, क्योंकि दिलीप कुमार...

दिलीप कुमार (Dilip Kumar) नहीं होते तो शायद लोगों को बॉलीवुड से इतना प्यार नहीं होता. अदाकारी क्या होती है, साहब के बिना शायद यह किसी को समझ ही नहीं आता. भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार (Dilip kumar films) की वजह से हम सिनेमा से प्यार कर बैठे, जिसका कोई पैमाना नहीं है. दिलीप कुमार जैसे अदाकार की अदाकारी आने वाली पीढ़ी के लिए हमेशा श्रेष्ठ बनी रहेगी.

दिलीप कुमार ने सिखाया अदाकारी क्या होती है

ना जाने कितने अभिनेताओं ने उनको अपना गुरू माना और वे फिल्मी जगत पर छा गए. हमने ट्रेजडी किंग को प्यार किया और उनके हर रूप, हर किरदार को प्यार किया. हमें उनरी फिल्में देखकर लगा ही नहीं कि वे अभिनय कर रहे हैं वो तो अपने हर किरदार को जीते थे.

मानो वे अपने हर अवतार में तिलिस्म करना जानते थे. वे तेज तर्रार भी थे और रूमानी भी. प्रेम में डूबे प्रेमी से लेकर ईमानदार पुलिस वाले तक का अभिनय इस तरह से करते जैसे वे उनके दर्द को महसूस कर रहे हों. जिसने उन्हें जाना हो, जिसने उनके जादू को महसूस किया हो, उनकी आंखों से आंसू का अनायास ही निकल जाना लाजिमी है.

शायद फिल्म लिखने वाले जितने नायकों की कल्पना कर सकें, दिलीप कुमार सबको परदे पर उतारने की ताकत रखते थे. बॉलीवुड के पहले खान दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी करियर में 6 दशकों से ज्यादा काम किया है. शायद आज के बच्चे इतने भाग्यशाली नहीं हैं जितने उनके घरों के बुजुर्ग, क्योंकि उन्होंने दिलीप कुमार को जाना है, देखा है. उनकी फिल्मों से बहुत कुछ सीखा है.

हालांकि आज के हजारों युवा दिलीप कुमार की फिल्में खोजकर देखते हैं. जादूगर भले दुनिया को अलविदा कह गया, लेकिन उनका तिलिस्म अभी भी कायम है और रहेगा. हम उनकी तुलना किसी से कर ही नहीं सकते, ऐसा कोई है ही नहीं, क्योंकि दिलीप कुमार तो एक ही थे.

यूं ही नहीं उन्हें सायरा बानो कोहिनूर नाम से बुलाती हैं. वैसे तो साहब दिलीप कुमार ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया लेकिन आज हम उन पांच बेहतरीन फिल्मों के बारे में आपको बता रहे हैं जिसे लोगों का खूब प्यार मिला. इन फिल्मों ने लोगों को भावुक होकर रोने पर मजबूर कर दिया था. इन फिल्मों को देखे बिना आप बॉलीवुड को अधूरा ही जान पाएंगे.

1- देवदास

इस फिल्म ने सिनेमाजगत में तहलका मचा दिया था. सिने प्रेमियों के लिए देवदास आज भी आइकॉनिक फिल्‍म है. इसके पात्र ‘पारो’ का किरदार असल जिंदगी से प्रेरित था. फिल्‍म ने दर्शकों पर ऐसी छाप छोड़ी कि इसी कहानी पर 47 साल बाद दोबारा फिल्‍म बनाई गई. यह फिल्म मशहूर लेखक और उपन्‍यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्‍याय के उपन्‍यास देवदास पर आधारित है. लीजेंड फिल्‍ममेकर बिमल रॉयल ने 1955 में फिल्‍म देवदास बनाई थी. यह फिल्म को 30 दिसंबर 1955 में रिलीज हुई और सुपर-डुपर हिट साबित हुई. उस दौरान इस फिल्म ने 1 करोड़ रुपये की कमाई की थी. दिलीप कुमार की फिल्म देवदास से वैजयन्ती माला को बॉलीवुड में पहचान मिली थी.

2- मुगल ए आजम

अगर आपने अब तक मुगल ए आजम नहीं देखी तो आप खुद को कभी सिने प्रेमी मत कहिएगा. बॉलीवुड क्लासिक फिल्मों में शुमार इस फिल्म के बारे में जितना लिखा जाए कम ही है. यह फिल्म 5 अगस्त 1960 को रिलीज की गई थी. उस दौर में इस फिल्म को बनाने में 1.5 करोड़ रूपए लगे थे. रिलीज होने के बाद इस फिल्म ने करोड़ों का व्यवसाय किया था. इस फिल्म में दिलीप कुमार ने सलीम का किरदार निभाया था और मधुबाला ने अनारकली का. इनके अभिनय ने लोगों के दिलों में अनारकली और सलीम का एक रूप दे दिया. इस फिल्म ने नेशनल से लेकर फिल्मफेयर अवार्ड तक कई खिताब अपने नाम किए थे. सबसे बड़ी बात मुगल ए आजम ने लोगों का दिल जीत लिया था. जो सिनेमा नहीं देखते थे उन्होंने भी यह फिल्म देखी.

3- नया दौर

इस फिल्म में दिलीप कुमार ने लोगों को इतना भावुक कर दिया था कि वे रो पड़े थे. इस फिल्म में मशीन और आदमी के संघर्ष को दिखाया गया है. इस फिल्म में वैजयंती माला ने दिलीप कुमार के साथ अहम भूमिका निभाई है. इस फिल्म को बीआर चोपड़ा ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म को उस समय बहुत सराहना मिली थी. इस फिल्म में दिलीप कुमार की एक्टिंग मिसाल बन गई थी.

4- राम और श्याम

अगर आपने अब तक यह फिल्म नहीं देखी तो कृपया देख डालिए. हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं इसका जवाब आपको यह फिल्म देखने के बाद मिल जाएगा. इस क्लासिक फिल्म में दिलीप कुमार ने डबल रोल किया था. अभिनय इतना जबरदस्त था कि लोगों को लगा ही नहीं कि कोई एक ही शख्स दोनों किरदार निभा रहा है. दिलीप कुमार के साथ वहीदा रहमान और मुमताज अहम भूमिका निभाती नजर आई थीं. यह 60 के दशक की एक सुपर एंटरटेनर फिल्म है. जिससे 70 के दशक बनने वाली फिल्मों को प्रेरणा मिली, जिसके बाद डबल जोड़ी वाली मसाला फिल्में चलन में आईं. इस फिल्म के गाने भी मधुर संगीत वाले कमाल के हैं.

5- गंगा जमुना

इस फिल्म में दिलीप साहब भोजपुरी बोलेत हुए नजर आए थे. उन्होंने एक अल्हड़ गांव वाले का किरदार निभाया था. इस फिल्म के लिए उन्होंने ठेठ भोजपुरी सीखी थी. इस फिल्म को 1961 में रिलीज किया गया था. दिलीप कुमार की इस छवि ने लोगों के दिलों में घर कर  लिया. 

तो अगर आप हिंदी सिनेमा से प्यार करते हैं और पुरानी फिल्में देखना पसंद करते हैं तो साहब दिलीप कुमार की फिल्मों को देखिए. नहीं पूरी तो इन पांच को देख ही डालिए. हमारा वादा है क्लासिक पसंद करने वालों को ये फिल्में जरूर पसंद आएंगी. दिलीप कुमार जिन्होंने सिनेमा जगत को एक नई पहचान दिलाई उन्हें जानने के लिए आपको इन किरदारों को समझना होगा.

उनका अभिनय जो हकीकत लगता है. उनकी घनी काली भौंहों के बीच वो गहरी आंखें आपसे ना जाने कितना कुछ कह जाएंगी, जिनका जवाब आपको खुद तलाशना होगा. जादूगर ने भले अलविदा कहा हो, लेकिन उसका जादू इस सिनेमा जगत और उसके चाहने वालों पर हमेशा बरकरार रहेगा... 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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