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इस बार टीआरपी की अंधी दौड़ का शिकार आपकी अगली पीढ़ी है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 23 जुलाई, 2017 02:06 PM
  • 23 जुलाई, 2017 02:06 PM
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ये सीरियल हम किस तरह पचाएं, जहां बाल विवाह को सेलिब्रेट किया जा रहा है, और उसे इस तरह से प्रसारित किया जा रहा है जैसे 19 साल की लड़की और 10 साल के बच्चे के बीच के ये संबंध बेहद नॉर्मल हों.

यूं तो मैं टीवी सीरियल्स नहीं देखती, लेकिन एक सीरियल के चर्चे इतने ज्यादा हो गए कि इसे देखे बिना चैन नहीं पड़ा. और जब देखा तो बेचैनी और बढ़ गई. सीरियल का नाम है 'पहरेदार पिया की' जो सोनी टीवी पर दिखाया जा रहा है. जिसमें एक दस साल के बच्चे को 'पिया' और एक युवा लड़की को उसकी 'पहरेदार' बताया जा रहा है.

इस सीरियल पर बवाल होने की सिर्फ इतनी ही वजह काफी नहीं. ऐसा बहुत कुछ है जिसे देखकर हमारा समाज थोड़ा असहज हो सकता है, खासकर वो लोग जिनके बच्चे छोटे हैं. मैं भी हुई क्योंकि मेरा बेटा भी इसी उम्र का है.

लड़की की मांग भरता बच्चा

हालांकि इस सीरियल के प्रोमो जब से टीवी पर दिखाए जा रहे थे तभी से ये सीरियल लोगों की आंखों में खटक रहा था, क्योंकि उसमें एक बच्चे को एक महिला की मांग भरते दिखाया जा रहा था. लेकिन अब जब ये सीरयल शुरू हो गया है तब आप ये तय नहीं कर पाएंगे कि आपको कितनी जगह क्या-क्या खटक सकता है.

- सीरियल में जिस-जिस सीन में उस बच्चे को दिखाया जा रहा है, वहां उसे इस तरह से फिल्माया जा रहा है जैसे वो किसी फिल्म का हीरो हो.

- उसके आते ही बैकग्राउंड म्यूजिक में 'पिया जी' और 'बालम' जैसे शब्द सुनाई देने लगते हैं.

- वो 19 साल की एक लड़की का दीवाना है. वो उसे छिपकर देख रहा है, हाथ में कैमरा लेकर उसका पीछा कर रहा है.

छिपकर तस्वीरें ले रहा है

- छिपछिपकर कैमरे से उसकी तस्वीरें ले रहा है.  

- लड़की के पास आकर वो कहता है कि आप बहुत खूबसूरत...

यूं तो मैं टीवी सीरियल्स नहीं देखती, लेकिन एक सीरियल के चर्चे इतने ज्यादा हो गए कि इसे देखे बिना चैन नहीं पड़ा. और जब देखा तो बेचैनी और बढ़ गई. सीरियल का नाम है 'पहरेदार पिया की' जो सोनी टीवी पर दिखाया जा रहा है. जिसमें एक दस साल के बच्चे को 'पिया' और एक युवा लड़की को उसकी 'पहरेदार' बताया जा रहा है.

इस सीरियल पर बवाल होने की सिर्फ इतनी ही वजह काफी नहीं. ऐसा बहुत कुछ है जिसे देखकर हमारा समाज थोड़ा असहज हो सकता है, खासकर वो लोग जिनके बच्चे छोटे हैं. मैं भी हुई क्योंकि मेरा बेटा भी इसी उम्र का है.

लड़की की मांग भरता बच्चा

हालांकि इस सीरियल के प्रोमो जब से टीवी पर दिखाए जा रहे थे तभी से ये सीरियल लोगों की आंखों में खटक रहा था, क्योंकि उसमें एक बच्चे को एक महिला की मांग भरते दिखाया जा रहा था. लेकिन अब जब ये सीरयल शुरू हो गया है तब आप ये तय नहीं कर पाएंगे कि आपको कितनी जगह क्या-क्या खटक सकता है.

- सीरियल में जिस-जिस सीन में उस बच्चे को दिखाया जा रहा है, वहां उसे इस तरह से फिल्माया जा रहा है जैसे वो किसी फिल्म का हीरो हो.

- उसके आते ही बैकग्राउंड म्यूजिक में 'पिया जी' और 'बालम' जैसे शब्द सुनाई देने लगते हैं.

- वो 19 साल की एक लड़की का दीवाना है. वो उसे छिपकर देख रहा है, हाथ में कैमरा लेकर उसका पीछा कर रहा है.

छिपकर तस्वीरें ले रहा है

- छिपछिपकर कैमरे से उसकी तस्वीरें ले रहा है.  

- लड़की के पास आकर वो कहता है कि आप बहुत खूबसूरत हैं.

- लड़की कॉकरोच से डरकर गिरने ही वाली होती है कि ये छोटा बच्चा उसे अपनी बाहों में लेकर बचा लेता है.

ऐसे सीन्स बच्चे पर फिल्माए जाएं तो अजीब ही लगेंगे

- और सबसे ज्यादा अजीब ये कि वो लड़की का पल्लू पकड़कर उसे शादी के लिए प्रपोज भी करता है, कहता है 'क्या आप हमसे शादी करेंगी'

किसी फिल्मी सीन से कम नहीं है ये सीन

हो सकता है कि कुछ लोग कहें कि ये सब फिल्मी है, या सीरियल में तो कुछ भी दिखाया जाता है, जब हम सिमर को मक्खी बनता देख चुके हैं, नागिन के दो सीज़न देख चुके हैं, तो फिर ये भी झेल सकते हैं. लेकिन क्यों भूल जाएं हम कि हम बालिका वधु जैसे सीरियल भी देख चुके हैं जिसने बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाज के बीच से उखाड़ फेंकने की कोशिश की थी. पर ये सीरियल हम किस तरह पचाएं, जहां बाल विवाह को सेलिब्रेट किया जा रहा है, और उसे इस तरह से प्रसारित किया जा रहा है जैसे 19 साल की लड़की और 10 साल के बच्चे के बीच के ये संबंध बेहद नॉर्मल हों.

इतना ही नहीं जिस तरह से कैमरा लेकर इस बच्चे को लड़की का पीछा करते और उसकी तस्वीरें लेते दिखाया गया है, उसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है. छिपकर लड़की का पीछा करना यानी स्टॉकिंग, जिससे जुड़ी घटनाएं आप रोज अखबारों में पढ़ते हैं और फिर सीसीटीवी फुटेज में लड़कियों के साथ होने वाले अंजाम को भी देखते हैं, फिर कैसे उम्र के इस पढ़ाव में आए अपने बच्चों को ये बता पाएंगे कि क्या सही है और क्या गलत? बच्चे टीवी और फिल्मों से जितना और जो सीखते हैं उसे लिखने या बताने की जरूरत नहीं, समाज सब जानता है.

आज इस बच्चे में मुझे अपना बच्चा दिखाई दिया, और यकीनन उसे देखकर ये कल्पना कर पाना बहुत ही तकलीफदेह था. ये भले ही सीरियल हो, स्क्रिप्टिड हो लेकिन ये स्क्रिपट आपके सामने कभी भी सच हो सकती है. बच्चा आपका भी हो सकता है, लड़की उसके स्कूल की टीचर हो सकती है, पड़ोसी हो सकती है, रिश्तेदार भी हो सकती है. और इस सीरियल का अंजाम तो आप कुछ एपिसोड्स बाद देख लेंगे लेकिन असल जिंदगी में जो कुछ होगा उसके अंजाम का अंदाजा आप कभी नहीं लगा पाएंगे. इसलिए अगर आपको भी इसमें अपना बच्चा दिखाई नहीं देता तो नींद से जागने का समय आ गया है.

देखिए किस तरह के प्रोमो टीवी पर दिखाई दे रहे हैं

फिर भी शो के प्रोड्यूसर सुमित मित्तल का कहना है कि 'हम बाल विवाह को बढ़ावा नहीं दे रहे, ये तो सिर्फ एक प्रेम कहानी है, एक अनोखे रिश्ते की, उनके बीच के प्यार की, और प्यार तो किसी के साथ भी हो सकता है.'

तो इस बार टीआरपी की अंधी दौड़ का शिकार आपका भविष्य है...आपकी अगली पीढ़ी है. राजस्थान के रजवाड़ा परिवेश में बुनी गई ये कहनी स्टॉकिंग और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के साथ हमारे घरों का दरवाजा खटखटा रही है, क्या आप घर के दरवाजा खोलेंगे?

देखिए वीडियो-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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