• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

कोल्ड ड्रिंक, पॉपकॉर्न और नूडल लेकर बैठी चीनी ऑडियंस को भा गई है 'हिचकी'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 31 अक्टूबर, 2018 02:51 PM
  • 31 अक्टूबर, 2018 02:51 PM
offline
फिल्म 'हिचकी' का चीन में सफलता के नए आयाम स्थापित करना ये साफ बता देता है कि चीनी ऑडियंस को वही हिंदी फ़िल्में पसंद आ रही हैं जिनमें कोई छुपा हुआ मैसेज हो, जो समाज को मोटिवेट करे.

फिल्में समाज का आईना हैं. ये कोई आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से है कि जब फिल्म का निर्माण हो तब निर्देशक को इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि फिल्म में कोई सन्देश छुपा हो. भले ही हम फिल्मों को मनोरंजन का माध्यम मानते हों मगर बात जब पड़ोसी मुल्क चीन की आती है तब हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी हो जाता है कि चीनी ऑडियंस फिल्मों के मामले में बड़ी चूजी है. चीनी दर्शकों को केवल वो फ़िल्में भाती हैं जिससे समाज को प्रेरणा मिल सके. यदि इस बात को समझना हो तो हम रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म 'हिचकी' को बतौर उदाहरण ले सकते हैं.

चीन में हिचकी की सफलता ने बता दिया है कि उन्हें फिल्मों में क्वालिटी पसंद है

भले ही भारतीय पर्दे पर फिल्म आई हो और आकर उतर गई हो. भले ही फिल्म भारत में केवल काम चलाऊ बिजनेस कर पाई हो मगर जब चीन का रुख करते हैं तो मिलता है कि फिल्म ने चीन में धमाल मचा रखा है. जहां एक तरफ भारत में अपने शुरूआती 14 दिनों में फिल्म ने 36 करोड़ का कारोबार किया हो, फिल्म का चीन में अपनी सफलता के झंडे गाड़ना ये बताता है कि फिल्म का कांसेप्ट चीनी दर्शकों को लगातार टिकट विंडो की तरफ आकर्षित कर रहा है. खबर है कि फिल्म ने चीन में अब तक 121 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है और आमिर खान की फिल्म 'पीके' को पछाड़ दिया है.

बताया जा रहा है कि अब फिल्म का मुकाबला 'दंगल', 'सीक्रेट सुपरस्टार', 'बजरंगी भाईजान' और 'हिंदी मीडियम' से है. कुछ और बताने से पहले हमारे लिए रानी मुखर्जी अभिनीत इस फिल्म की कहानी पर प्रकाश डालना ज़रूरी है. फिल्म 'हिचकी' टॉरेट सिंड्रोम से ग्रसित हकलाने वाली एक लड़की के संघर्षों की कहानी है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे लड़की इस बीमारी के चलते तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करती है. फिल्म में लड़की को एक स्कूल में पढ़ाने का मौका मिलता है और इस...

फिल्में समाज का आईना हैं. ये कोई आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से है कि जब फिल्म का निर्माण हो तब निर्देशक को इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि फिल्म में कोई सन्देश छुपा हो. भले ही हम फिल्मों को मनोरंजन का माध्यम मानते हों मगर बात जब पड़ोसी मुल्क चीन की आती है तब हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी हो जाता है कि चीनी ऑडियंस फिल्मों के मामले में बड़ी चूजी है. चीनी दर्शकों को केवल वो फ़िल्में भाती हैं जिससे समाज को प्रेरणा मिल सके. यदि इस बात को समझना हो तो हम रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म 'हिचकी' को बतौर उदाहरण ले सकते हैं.

चीन में हिचकी की सफलता ने बता दिया है कि उन्हें फिल्मों में क्वालिटी पसंद है

भले ही भारतीय पर्दे पर फिल्म आई हो और आकर उतर गई हो. भले ही फिल्म भारत में केवल काम चलाऊ बिजनेस कर पाई हो मगर जब चीन का रुख करते हैं तो मिलता है कि फिल्म ने चीन में धमाल मचा रखा है. जहां एक तरफ भारत में अपने शुरूआती 14 दिनों में फिल्म ने 36 करोड़ का कारोबार किया हो, फिल्म का चीन में अपनी सफलता के झंडे गाड़ना ये बताता है कि फिल्म का कांसेप्ट चीनी दर्शकों को लगातार टिकट विंडो की तरफ आकर्षित कर रहा है. खबर है कि फिल्म ने चीन में अब तक 121 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है और आमिर खान की फिल्म 'पीके' को पछाड़ दिया है.

बताया जा रहा है कि अब फिल्म का मुकाबला 'दंगल', 'सीक्रेट सुपरस्टार', 'बजरंगी भाईजान' और 'हिंदी मीडियम' से है. कुछ और बताने से पहले हमारे लिए रानी मुखर्जी अभिनीत इस फिल्म की कहानी पर प्रकाश डालना ज़रूरी है. फिल्म 'हिचकी' टॉरेट सिंड्रोम से ग्रसित हकलाने वाली एक लड़की के संघर्षों की कहानी है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे लड़की इस बीमारी के चलते तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करती है. फिल्म में लड़की को एक स्कूल में पढ़ाने का मौका मिलता है और इस बीमारी के कारणवश वो अपने स्टूडेंट्स के सामने हंसी का पात्र बनती है. लड़की हिम्मत नहीं हारती और फिल्म के अंत तक वो कर के दिखा देती है जिसे फिल्म में असंभव की संज्ञा दी गयी है.

फिल्म भले ही भारत में दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में असमर्थ रही हो. मगर क्रिटिक्स ने रानी की एक्टिंग को खूब सराहा था और माना था कि फिल्म में रानी का रोल बहुत चलेंजिंग था जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. फिल्म चीन में आ चुकी है और अब इसका हांगकांग और ताइवान जैसे देशों में रिलीज होना बाकी है. ऐसे में माना ये जा रहा है कि फिल्म तीनों ही देशों में 200 करोड़ से ऊपर का बिजनेस कर इतिहास रचेगी.

रानी अभिनीत फिल्म हिचकी का चीन में हाथों हाथ लिया जाना एक साथ कई महत्वपूर्ण सन्देश देता नजर आ रहा है. फिल्म साफ बता रही है कि चीन की ऑडियंस हमारी तरह सेक्स के नाम पर कूड़ा देखने की आदी नहीं है. उसे क्वालिटी कंटेंट चाहिए जो भी निर्देशक उसकी इस मांग की पूर्ति करेगा उसे वहां हाथों हाथ लिया जाएगा.

चाहे दंगल हो या फिर सीक्रेट सुपरस्टार, बजरंगी भाईजान और हिंदी मीडियम इन फिल्मों का चीन में सफलता के नए आयाम स्थापित करना ये बता देता है कि दर्शकों के तौर पर हमें चीन से सीख लेने और ये समझने की जरूरत है कि हमें क्या देखना चाहिए और क्या नहीं देखना चाहिए.

गौरतलब है कि चीन में दंगल ने 1200 करोड़, सीक्रेट सुपरस्टार ने 750 करोड़, बजरंगी भाईजान का 900 करोड़ और हिंदी मीडियम ने करीब 300 करोड़ का बिजनेस किया है. अपने में मैसेज ली हुई फिल्मों पर चीन की ये दीवानगी कहीं न कहीं ये भी बताने का प्रयास कर रही है कि जब बात फिल्म देखने की हो तब, चीन और उसकी ऑडियंस पारखी नजर रख कर फिल्म देखते हैं.

ये लोग उन्हीं फिल्मों को पास करते हैं जिनसे इन्हें फायदा और मोटिवेशन मिल रहा हो वरना सिनेमा तो पूरी दुनिया बना रही है. पिक्चरें बन रही हैं, लोग देख रहे हैं.  

ये भी पढ़ें -

सनी लियोनी की फिल्‍म बन गई 'दक्षिण भारत की पद्मावत'

'पीहू' की कहानी इन तीन बच्‍चों की तरह सच्‍ची है

इस 'एंग्री यंग मैन' ने हंसाया भी ख़ूब है



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲