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कोरोना से राहत मिलते ही शुरू होगा बॉलीवुड फ़िल्में रिलीज करने का संग्राम

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 31 मई, 2021 03:24 PM
  • 31 मई, 2021 03:24 PM
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थियेटर रिलीज के इंतज़ार में एक-दूसरे के पीछे जितनी फिल्मों की कतार है उसे देखते हुए इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि बॉक्स ऑफिस पर तगड़ा क्लैश होगा. बॉक्स ऑफिस के इतिहास में बहुत दुर्लभ है जब भिडंत में दो फिल्मों ने एक साथ बाजी मारी हो.

दूसरी लहर लगभग काबू में है. कोरोना संक्रमण के मामलों में रोजाना गिरावट दर्ज हो रही है. लॉकडाउन में ढील देने की शुरुआत भी की जा रही है. उम्मीद है कि रोजी-रोजगार के लिहाज से जून के पहले हफ्ते से कुछ पाबंदियां हटाई जा सकती हैं. करोना से बुरी तरह जूझ रहे बॉलीवुड के लिए ये राहतभरी खबर है. अप्रैल में शूटिंग के जो काम रुक गए थे वो जून के पहले हफ्ते तक गाइडलाइन के तहत फिर शुरू हो सकते हैं. उम्मीद इस बात की भी है कि जुलाई लास्ट या अगस्त तक थियेटर भी खोले का सकते हैं.

हालांकि थियेटरों को खोलने का फैसला अनलॉक की प्रक्रिया में इनडोर गतिविधियों के लिए सरकार की गाइडलाइन पर ही निर्भर करता है. यह कब और किस तरह होगा अभी इसके बारे में ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता. लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों को तेज करने के क्रम में संभावना काफी ज्यादा है कि कुछ पाबंदियों के साथ जुलाई लास्ट तक कोई फैसला ले लिया जाए. सुपरकॉप मूवी सूर्यवंशी (अक्षय कुमार), 1983 विश्वकप जीत पर बनी 83 (रणवीर सिंह), पीरियड ड्रामा शमशेरा (रणबीर कपूर), एक्शन मूवी केजीएफ चैप्टर 2 (यश) और स्पोर्ट्स बायोपिक झुंड (अमिताभ बच्चन) जैसी कई बड़ी फ़िल्में महामारी में अटकी पड़ी हैं. मार्वल और हॉलीवुड के दूसरे बड़े बैनर्स की फ़िल्में भी रिलीज होनी हैं जो भारतीय बॉक्स ऑफिस पर भी हिंदी फिल्मों से बीस साबित हुई हैं.

मैदान और RRR.

ब्रह्मास्त्र (रणबीर कपूर), गंगूबाई काठियावाडी और लाल सिंह चड्ढा जैसी फिल्मों के एक-दो जरूरी सीक्वेंस शूट करना बाकी है. ये वो फ़िल्में हैं जो बनकर तैयार हैं या इनमें थोड़ा बहुत काम बाकी है. इनका रिलीज शेड्यूल पहले ही सामने आ चुका है. लेकिन मई तक जिन फिल्मों का रिलीज शेड्यूल था उन्हें बदलना पड़ा. हालांकि इस बीच अभिषेक बच्चन की बिग बुल और सलमान खान की राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई...

दूसरी लहर लगभग काबू में है. कोरोना संक्रमण के मामलों में रोजाना गिरावट दर्ज हो रही है. लॉकडाउन में ढील देने की शुरुआत भी की जा रही है. उम्मीद है कि रोजी-रोजगार के लिहाज से जून के पहले हफ्ते से कुछ पाबंदियां हटाई जा सकती हैं. करोना से बुरी तरह जूझ रहे बॉलीवुड के लिए ये राहतभरी खबर है. अप्रैल में शूटिंग के जो काम रुक गए थे वो जून के पहले हफ्ते तक गाइडलाइन के तहत फिर शुरू हो सकते हैं. उम्मीद इस बात की भी है कि जुलाई लास्ट या अगस्त तक थियेटर भी खोले का सकते हैं.

हालांकि थियेटरों को खोलने का फैसला अनलॉक की प्रक्रिया में इनडोर गतिविधियों के लिए सरकार की गाइडलाइन पर ही निर्भर करता है. यह कब और किस तरह होगा अभी इसके बारे में ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता. लेकिन व्यावसायिक गतिविधियों को तेज करने के क्रम में संभावना काफी ज्यादा है कि कुछ पाबंदियों के साथ जुलाई लास्ट तक कोई फैसला ले लिया जाए. सुपरकॉप मूवी सूर्यवंशी (अक्षय कुमार), 1983 विश्वकप जीत पर बनी 83 (रणवीर सिंह), पीरियड ड्रामा शमशेरा (रणबीर कपूर), एक्शन मूवी केजीएफ चैप्टर 2 (यश) और स्पोर्ट्स बायोपिक झुंड (अमिताभ बच्चन) जैसी कई बड़ी फ़िल्में महामारी में अटकी पड़ी हैं. मार्वल और हॉलीवुड के दूसरे बड़े बैनर्स की फ़िल्में भी रिलीज होनी हैं जो भारतीय बॉक्स ऑफिस पर भी हिंदी फिल्मों से बीस साबित हुई हैं.

मैदान और RRR.

ब्रह्मास्त्र (रणबीर कपूर), गंगूबाई काठियावाडी और लाल सिंह चड्ढा जैसी फिल्मों के एक-दो जरूरी सीक्वेंस शूट करना बाकी है. ये वो फ़िल्में हैं जो बनकर तैयार हैं या इनमें थोड़ा बहुत काम बाकी है. इनका रिलीज शेड्यूल पहले ही सामने आ चुका है. लेकिन मई तक जिन फिल्मों का रिलीज शेड्यूल था उन्हें बदलना पड़ा. हालांकि इस बीच अभिषेक बच्चन की बिग बुल और सलमान खान की राधे: योर मोस्ट वांटेड भाई को थियेटर की जगह ओटीटी पर रिलीज कर दिया गया. कुछ और छोटे बजट की फिल्मों को अप्रैल से मई तक की अवधि में ओटीटी पर लाया गया.

जून में बड़ी फिल्मों की रिलीज पर बड़ा फैसला

83 का शेड्यूल पहले भी बदला जा चुका है. सूर्यवंशी की भी रिलीज को दूसरी लहर में टालना पड़ा था. शेड्यूल के हिसाब से 83 को अगले महीने यानी 4 जून को रिलीज होना है. मौजूदा हालात को देखते हुए कम से कम थियेटर में इसके आ पाने की गुंजाइश नहीं है. मेकर्स ने भी रिलीज को लेकर अभी कुछ नहीं बताया है. थियेटर रिलीज का इंतज़ार कर रहे मेकर्स संभवत: जून के पहले हफ्ते में हालात के हिसाब से रिलीज शेड्यूल पर काम करेंगे.

नए शेड्यूल से बिगड़ सकता है थियेरेटिकल रिलीज का कैलेंडर

थियेटर रिलीज के इंतज़ार में एक-दूसरे के पीछे जितनी फिल्मों की कतार है उसे देखते हुए इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि बॉक्स ऑफिस पर तगड़ा क्लैश होगा. राहत मिलने के साथ और जनजीवन के थोड़ा सामान्य होते ही सभी निर्माता चाहेंगे कि फ़िल्में थियेटर में रिलीज हों. जुलाई में अगर थियेटर नहीं खुले तो शमशेरा, केजीएफ चैप्टर 2, झुंड, गंगुबाई काठियावाडी, शेरशाह की रिलीज डेट आगे बढ़ने की संभावना है. यानी फिल्मों के आगे जाने का मतलब है कि वहां पहले से ही जिनका शेड्यूल है उनसे भिड़ना होगा. क्योंकि सितंबर से दिसंबर तक जिसमें दो बड़े त्योहारी वीकेंड दशहरा और क्रिसमस भी हैं- दर्जनभर से ज्यादा फ़िल्में पहले से ही कतार में हैं.

किसी से कमजोर नहीं कोई फिल्म

अक्टूबर के दशहरा वीकेंड और उसके आसपास तीन बड़ी फ़िल्में धाकड़, RRR और मैदान हैं. नवंबर में गोलमाल 5, रक्षाबंधन, पृथ्वीराज, भूल भूलैया 2, और दिसंबर में ब्रह्मास्त्र, लाल सिंह चड्ढा के रिलीज होने की संभावना है. सभी फ़िल्में बड़े बजट और हैवी स्टारकास्ट वाली हैं. अब जुलाई तक रिलीज होने वाली फिल्मों का शेड्यूल आगे बढ़ता है (जिसकी संभावना ज्यादा है) तो भयंकर बॉक्स ऑफिस क्लैश देखने को मिल सकता है. स्वाभाविक रूप से ये स्थिति कारोबारी लिहाज से बॉलीवुड के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता. जिन प्रोजेक्ट्स की बात हो रही है उनमें अच्छा ख़ास पैसा लगाया गया है. बहुत बेहतर स्थिति होने के बावजूद सिनेमाघरों में पहले की तरह दर्शक आएंगे इस पर भी संशय है. क्लैश बॉलीवुड के लिए आर्थिक मोर्चे पर दोहरी मार साबित हो सकता है.

नुकसान से बचने के लिए बॉक्स ऑफिस पर क्यों जरूरी है गैप

बॉक्स ऑफिस पर सक्सेस होने के लिए एक अच्छी फिल्म को कम से कम दो हफ्ते का समय चाहिए होता है. रिलीज ट्रेंड देखें तो किसी महीने में सामान्य रूप से बड़ी फिल्मों की रिलीज के आसपास तीन से चार हफ़्तों का अंतराल रखा जाता है. ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है कि किसी फिल्म को ज्यादा से ज्यादा स्क्रीन्स मिले और एक-दूसरे से नुकसान ना पहुंचे. बॉक्स ऑफिस के इतिहास में बहुत दुर्लभ है जब भिडंत में दो फिल्मों ने एक साथ बाजी मारी हो.

बीच का रास्ता ओटीटी मगर कितने मेकर्स हैं तैयार

जाहिर तौर पर दूसरी लहर के बाद की स्थिति में फिल्मों का रिलीज कैलेंडर बहुत दिलचस्प होने जा रहा है. यहां तक कि कुछ मेकर्स नुकसान से बचने के लिए थियेटर और ओटीटी के विकल्प पर अभी से प्लानिंग करने लगे हैं. सलमान खान ने भी रिलीज के इंतज़ार में फिल्मों की लंबी कतार और संभवत: बाद के क्लैश की आशंका के मद्देनजर राधे के लिए महामारी में बीच का रास्ता निकाला. ओटीटी रिलीज कारोबारी लिहाज से फायदेमंद रही. रोहित शेट्टी भी इस बात को समझ रहे हैं. स्पॉटबॉय की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अक्षय कुमार स्टारर मूवी को रिलीज करने के लिए जून में फैसला लिया जा सकता है. अगर सरकार ने जुलाई तक सिनेमाघरों को बंद रखा तो हो सकता है कि इसे ओटीटी पर ही रिलीज किया जाए.

एक बात तय है कि अगर कुछ फ़िल्में ओटीटी पर नहीं गईं तो बॉक्स ऑफिस पर नुकसानदेह भिड़ंत निश्चित है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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