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बिग बॉस वो रायता है जिसे कोई नहीं समेट पाएगा..

    • प्रियंका ओम
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2017 02:09 PM
  • 07 अक्टूबर, 2017 02:09 PM
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बिग बॉस 11 का पहला हफ्ता बीत चुका है. होस्ट सलमान खान के इस शो की गंदगी से पर्दा हट गया है.

बिग बॉस एक ऐसा रियालिटी शो है जिसकी लोकप्रियता का मीटर घर के सदस्यों के बीच होने वाली लड़ाई से ऊपर भागता है.

जब बिग बॉस की शुरुआत हुई थी तब घर के सदस्य सिर्फ़ सिलेब्रिटी हुआ करते थे और इस वजह से लोगों की दिलचस्पी बनी कि जिन्हें वो आज तक सिर्फ़ टीवी पर या फ़िल्मों में एक ग्लैमरस अवतार के रूप में देखते आ रहे है वो आम ज़िंदगी में कैसे रहते है कैसे बोलते हैं.

हर साल नयेपन की खोज में बिग बॉस कुछ ना कुछ नया करता आया है और पिछले दो साल से आम लोगों को भी लेकर आ रहा है जो किसी ना किसी वजह से अपनी ज़िंदगी में विवादो से घिरे रहें हैं, लेकिन इस बार बिग बॉस का घर क़स्बाई जमावड़ा लग रहा है. जब बिहार की टॉपर ज्योति और हरियाणा की लोक सिंगर सपना आपस में लड़ते है तो आम गाली मुहल्ले की लड़ाई की लड़ाई जैसी लगती है जिसे हम आम तौर पर अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में देखते रहते है. फिर सवाल तो है कि ये देखने के लिये हम टीवी क्यों देखें, हममें से किसी एक को देखने के लिये टीवी क्यों देखें? और ये सवाल भी जायज़ है आख़िर सिनेमा या टेलिविज़न में हम वो देखना चाहते है जो जो हमारी ज़िंदगी में आम नहीं है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पढ़ने वाली बिहार की टॉपर ज्योति कुमारी जब भी बोलती है ऐसा लगता है गाँव से शहर की ओर उसका पहला रूख है. उनके लहजे से प्रबुद्धता का दूर-दूर तक कोई रिश्ता मालूम नहीं पड़ता बल्कि अव्वल दर्जे की बेवक़ूफ़ लगती है, जिसे सभ्य भाषा में मासूम भी कह सकते है. लेकिन फिर बिग बॉस में मासूम का क्या काम? उन्हें और उनके प्रति घर के दूसरे मेम्बर्स का बर्ताव देखकर लगता है वो पहले हफ़्ते ही इलिमिनेट होंगी और उनके लिये ये बेहतर भी होगा. क्योंकि उनके लिये आरशी, शिल्पा और सपना जैसी धाकड़ महिलाओं से बच पाना मुश्किल ही होगा.

बिग बॉस एक ऐसा रियालिटी शो है जिसकी लोकप्रियता का मीटर घर के सदस्यों के बीच होने वाली लड़ाई से ऊपर भागता है.

जब बिग बॉस की शुरुआत हुई थी तब घर के सदस्य सिर्फ़ सिलेब्रिटी हुआ करते थे और इस वजह से लोगों की दिलचस्पी बनी कि जिन्हें वो आज तक सिर्फ़ टीवी पर या फ़िल्मों में एक ग्लैमरस अवतार के रूप में देखते आ रहे है वो आम ज़िंदगी में कैसे रहते है कैसे बोलते हैं.

हर साल नयेपन की खोज में बिग बॉस कुछ ना कुछ नया करता आया है और पिछले दो साल से आम लोगों को भी लेकर आ रहा है जो किसी ना किसी वजह से अपनी ज़िंदगी में विवादो से घिरे रहें हैं, लेकिन इस बार बिग बॉस का घर क़स्बाई जमावड़ा लग रहा है. जब बिहार की टॉपर ज्योति और हरियाणा की लोक सिंगर सपना आपस में लड़ते है तो आम गाली मुहल्ले की लड़ाई की लड़ाई जैसी लगती है जिसे हम आम तौर पर अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में देखते रहते है. फिर सवाल तो है कि ये देखने के लिये हम टीवी क्यों देखें, हममें से किसी एक को देखने के लिये टीवी क्यों देखें? और ये सवाल भी जायज़ है आख़िर सिनेमा या टेलिविज़न में हम वो देखना चाहते है जो जो हमारी ज़िंदगी में आम नहीं है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में पढ़ने वाली बिहार की टॉपर ज्योति कुमारी जब भी बोलती है ऐसा लगता है गाँव से शहर की ओर उसका पहला रूख है. उनके लहजे से प्रबुद्धता का दूर-दूर तक कोई रिश्ता मालूम नहीं पड़ता बल्कि अव्वल दर्जे की बेवक़ूफ़ लगती है, जिसे सभ्य भाषा में मासूम भी कह सकते है. लेकिन फिर बिग बॉस में मासूम का क्या काम? उन्हें और उनके प्रति घर के दूसरे मेम्बर्स का बर्ताव देखकर लगता है वो पहले हफ़्ते ही इलिमिनेट होंगी और उनके लिये ये बेहतर भी होगा. क्योंकि उनके लिये आरशी, शिल्पा और सपना जैसी धाकड़ महिलाओं से बच पाना मुश्किल ही होगा.

दूसरी ओर हरियाणा की लोक गायिका सपना चौधरी बिलकुल वैसी ही है जिसके लिए हरियाणा प्रसिद्ध है 'अपनी लट्ठमार भाषा के लिये'. जब पहले एपिसोड में सलमान खान उनका परिचय करवा रहे थे, ऐसा लग रहा था मानो उनपर दुनियादारी का कोई असर नही हुआ हो और वो अब तक बच्चे सी मासूम है जिसके मुँह से ठीक से आवाज़ भी नहीं निकल रही थी, लेकिन घर में आते ही वो अपने पर आ गई और जिस तरह वो ज्योति से झगड़ रही थी उनके सामने ज्योति क्या वो ख़ुद भी अपने सामने नही टिक पायेंगी. दूसरी ओर ज्योति जिसने अपने वीडियो में अपने मज़बूत होने का संदेश दिया था वो उतनी ही कमज़ोर है दरअसल.

बिग बॉस की नीति हमेशा से घर के सदस्यों को लड़वाने की रही है और इसलिये वो चुन चुन चरित्र लाते हैं. अब अफगानिस्तानी आरशी खान को ही देख लीजिए, उनके अपने वतन में बिना बुर्क़े के घर से बाहर नहीं निकल सकती है और भारत में नैशनल चैनल पर लगभग पारदर्शी नाइट गाउन पहने घूमती रहती है जो एक दूसरी मुस्लिम महिला हिना खान को बेहद नागवार गुजरता है. हालाँकि, खुलकर वो ये बात नहीं कहती हैं लेकिन गाहे-बाहे ही अपनी बातों से ज़ाहिर करती रहती हैं लेकिन आरशी या आरशी जैसी कोई भी अन्य मुस्लिम महिला भारत की तरफ़ सिर्फ़ इसलिये रूख करती है कि भारत एक दरियादिल देश है. यहाँ सिर्फ़ मुद्दे सोशल मीडिया में बनते हैं वहीं बहस होती है और बिना किसी नतीजे के वो ख़त्म भी हो जाती है. फिर एक नई बहस की तलाश में. असल में यहाँ कोई मुद्दा है ही नहीं इसलिये दूसरे देश से आई मुस्लिम महिलायें यहाँ स्वच्छंदता से घूमती फिरती हैं. कम से कम कपड़े और ज़्यादा से ज़्यादा बातें. उनके अपने देश में शायद फ़तवा जारी हो जाता, ख़ैर.

घर के अंदर अंगूरी भाभी फ़ेम शिल्पा शिंदे का बर्ताव ऐसा है कि उन्हें देखने के बाद शायद ही कोई उन्हें नॉर्मल समझेगा. जैसा कि कहा जाता है किसी के व्यक्तित्व से उसके बैकग्राउंड का पता चलता है तो शिल्पा जी के व्यवहार से ये साफ़ पता चलता है वो सिलेब्रिटी बनने से पहले एक आम से भी आम चाली वाली लड़की थी. कल रात जिस तरह वो जेल की संकड़ी खिड़की से निकल कर विकास के पास चप्पल रख आई वाक़ई इससे उनकी मानसिकता की विकृति ही ज़ाहिर होती है.

अब आज है सलमान खान दिन. आज सलमान आकर सबकी क्लास लगाने वाले हैं. भाई कौन सी क्लास? किसकी क्लास? क्लास में आने से पहले आपके सामने ही वो खुल्ले में कहकर आई है कि वो ऐसा रायता फैलाएँगी जिसे कोई साफ़ नही कर पायेगा तब आपने नहीं सोचा था? शिल्पा और विकास आपके सामने ही उलझ गये थे लेकिन तब आप ख़ामोश रहे और उन्हें घर के अंदर भेज कर मामला वहीं रफ़ा दफ़ा कर दिया. भाई हमें भी समझ में आता है वीकेंड पर तुम्हारी क्लास असल में क्लास नही मज़ाक़ है और हम तुम्हारी क्लास भी मज़ाक़ की तरह एन्जॉय करते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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