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Mimi movie से पहले बॉलीवुड ने इन मराठी कहानियों पर फ़िल्में बनाकर नाम कमाया

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 31 जुलाई, 2021 05:46 PM
  • 31 जुलाई, 2021 05:46 PM
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कथा 1983 में आई थी. सई परांजपे ने इसका निर्देशन किया था. नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख, दीप्ति नवल और लीला मिश्रा ने इस फिल्म को अमर कर दिया. मराठी फिल्म इंडस्ट्री ने कमाल की फिल्में दी हैं, जिसे हिंदी में बनाकर बॉलीवुड ने नाम कमाया.

लक्ष्मण उटेकर के निर्देशन में बनी "मिमी" को खूब पसंद किया जा रहा है. फिल्म की कामयाबी ही है कि लोग इस पर बात कर रहे हैं. फिल्म में कृति सेनन और पंकज त्रिपाठी की कॉमिक और इमोशनल टाइमिंग लाजवाब है. मिमी मूलत: आज से दस साल पहले मराठी में बनी "मला आई व्हायचय" पर आधारित है. मराठी फिल्मों और नाटकों से प्रेरित बॉलीवुड ने कई फ़िल्में उनकी कहानियों पर बनाई हैं. इनमें कुछ फिल्मों ने दर्शकों और समीक्षकों जमकर वाहवाही बटोरी. मिमी के बाद "मुलशी पैटर्न" पर बनी "अंतिम" जिसमें सलमान खान के बहनोई आयुष शर्मा मुख्य भूमिका निभा रहे हैं जल्द ही आने वाली है.

मराठी कहानियों की एक खासियत होती है. इनका ट्रीटमेंट और कैरेक्टर्स का चित्रण बहुत सहज और सरल होता है. कॉमेडी-थ्रिल में बॉलीवुड ने मराठी से अब तक कई फ़िल्में बनाई हैं. कुछ तो बेहद कामयाब रहीं. इन्हीं में से एक फिल्म का जिक्र करना जरूरी हो जाता है. कथा. इसे बॉलीवुड की कॉमेडी क्लासिक के रूप में भी शुमार किया जा सकता है. एक बेहद साधारण कहानी जो करीब 40 साल होने के बावजूद आज भी जबरदस्त फैमिली एंटरटेनर है. दरअसल कथा का आधार 'खरगोश और कछुए' की लोक प्रचलित रेस का दर्शन है. एस.जी. सत्ये ने इसी दर्शन को लिया और उसे दो किरदारों के जरिए खूबसूरती के साथ एक कहानी की शक्ल दी. ऐसी कहानी जो हमेशा फ्रेश बनी हुई है.

कथा 1983 में आई थी. सई परांजपे ने इसका निर्देशन किया था. नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख, दीप्ति नवल और लीला मिश्रा ने अहम भूमिकाएं निभाई थी. कथा में राजाराम (नसीरुद्दीन शाह) हैं जो एक कंपनी में क्लर्क हैं. राजाराम फिल्म में कछुआ का रूपक हैं. अपनी पड़ोसी संध्या सबनिस को दिल ही दिल चाहते हैं. ईमानदारी से काम करते हैं और दुनियादारी में लगे रहते हैं. राजाराम इतने सीधे हैं कि कंपनी में लोग और घर में पड़ोस वाले उनकी भलमनसाहत का फायदा उठाते...

लक्ष्मण उटेकर के निर्देशन में बनी "मिमी" को खूब पसंद किया जा रहा है. फिल्म की कामयाबी ही है कि लोग इस पर बात कर रहे हैं. फिल्म में कृति सेनन और पंकज त्रिपाठी की कॉमिक और इमोशनल टाइमिंग लाजवाब है. मिमी मूलत: आज से दस साल पहले मराठी में बनी "मला आई व्हायचय" पर आधारित है. मराठी फिल्मों और नाटकों से प्रेरित बॉलीवुड ने कई फ़िल्में उनकी कहानियों पर बनाई हैं. इनमें कुछ फिल्मों ने दर्शकों और समीक्षकों जमकर वाहवाही बटोरी. मिमी के बाद "मुलशी पैटर्न" पर बनी "अंतिम" जिसमें सलमान खान के बहनोई आयुष शर्मा मुख्य भूमिका निभा रहे हैं जल्द ही आने वाली है.

मराठी कहानियों की एक खासियत होती है. इनका ट्रीटमेंट और कैरेक्टर्स का चित्रण बहुत सहज और सरल होता है. कॉमेडी-थ्रिल में बॉलीवुड ने मराठी से अब तक कई फ़िल्में बनाई हैं. कुछ तो बेहद कामयाब रहीं. इन्हीं में से एक फिल्म का जिक्र करना जरूरी हो जाता है. कथा. इसे बॉलीवुड की कॉमेडी क्लासिक के रूप में भी शुमार किया जा सकता है. एक बेहद साधारण कहानी जो करीब 40 साल होने के बावजूद आज भी जबरदस्त फैमिली एंटरटेनर है. दरअसल कथा का आधार 'खरगोश और कछुए' की लोक प्रचलित रेस का दर्शन है. एस.जी. सत्ये ने इसी दर्शन को लिया और उसे दो किरदारों के जरिए खूबसूरती के साथ एक कहानी की शक्ल दी. ऐसी कहानी जो हमेशा फ्रेश बनी हुई है.

कथा 1983 में आई थी. सई परांजपे ने इसका निर्देशन किया था. नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख, दीप्ति नवल और लीला मिश्रा ने अहम भूमिकाएं निभाई थी. कथा में राजाराम (नसीरुद्दीन शाह) हैं जो एक कंपनी में क्लर्क हैं. राजाराम फिल्म में कछुआ का रूपक हैं. अपनी पड़ोसी संध्या सबनिस को दिल ही दिल चाहते हैं. ईमानदारी से काम करते हैं और दुनियादारी में लगे रहते हैं. राजाराम इतने सीधे हैं कि कंपनी में लोग और घर में पड़ोस वाले उनकी भलमनसाहत का फायदा उठाते रहते हैं. एक दिन अचानक राजाराम के पास उनका पुराना दोस्त वासुदेव उर्फ़ बासु आ जाता है. बासु कहानी में खरगोश का रूपक है. राजाराम का ठीक उलटा. शो ऑफ़ करने वाला, झूठा, हद दर्जे का मतलबी और हर हाल में लोगों से अपना उल्लू सीधा करवा लेने वाला शातिर आदमी.

राजाराम जिस ऑफिस में मेहनत से कम करते हैं उसी ऑफिस में बासु मक्कारी से घुस जाता है. वो भी राजाराम से ऊँचे ओहदे पर. बासु का भी काम राजाराम को करना पड़ता है. बॉस का करीबी बन जाता है. उसकी पत्नी को भी पटा लेता है. बॉस की बेटी पर भी उसकी नियत ठीक नहीं है. उधर राजाराम के मोहल्ले में भी भ्रम फैलाकर सबका चहेता बन जाता है. हर कोई बासु की आवभगत के लिए लाइन में लगा पड़ा है. संध्या भी बासु को दिल दे बैठती है. कथा की पूरी कहानी जानने के लिए अच्छा होगा कि बासु और राजाराम की कहानी को कथा में देखें और फिर समझें कि कैसे और क्यों इतने सालों के बाद भी फिल्म को देखकर उबन नहीं होती है.

फिल्म कथा. PHOTO- IMDb

अक्षय कुमार-गोविंदा-परेश रावल की कॉमेडी ड्रामा भागम भाग लोगों को जरूर याद होगी. भागम भाग दरअसल, 1999 में विंधास्त का बॉलीवुड अडॉपशन है. फिल्म का स्क्रीन प्ले जबरदस्त है. थ्रिल में कॉमेडी का मजा लेना हो तो मराठी और हिंदी में बनी दोनों फिल्मों का कोई जवाब नहीं. रोहित शेट्टी के गोलमाल फ्रेंचाइजी का दूसरा पार्ट गोलमाल रिटर्न्स भी मराठी फिल्म फेका फेकी पर आधारित है. मूल मराठी फिल्म में अशोक सर्राफ और लक्ष्मीकांत बेर्डे मुख्य भूमिका में थे. जबकि हिंदी में अजय देवगन, अरशद वारसी, तुषार कपूर और करीना कपूर खान जैसे सितारे नजर आए थे.

मराठी में एक फिल्म आई थी जिसकी खूब चर्चा हुई थी. एक गाड़ी बाकी अनाड़ी. फिल्म 1988 में आई थी जिसका निर्देशन विपिन वरती ने किया था. फिल्म की कहानी एक कार के इर्द गिर्द है जो अपने सामने मालिक की हत्या के बाद सभी से बदला लेती है. टॉर्जन द वंडर कार के रूप में बॉलीवुड ने भी इसे बनाया. अजय देवगन, वत्सल सेठ और आयशा टकिया अहम भूमिकाओं में थीं. सब्जेक्ट की वजह से फिल्म काफी चर्चा में रही थी.

जाह्नवी कपूर की डेब्यू फिल्म धड़क भी मराठी में आई सैराट का हिंदी रीमेक है. सनी और बॉबी देओल की पोस्टर बोयज भी सेम टाइटल से आई मराठी फिल्म का रीमेक है. इन फिल्मों के अलावा कई दर्जन फ़िल्में हैं जो मराठी फिल्मों या मराठी नाटकों पर आधारित हैंविजय तेंदुलकर की लिखी कहानियों पर अकेले हिंदी में 11 फ़िल्में बनी हैं.

कुल मिलाकर रीमेक फ़िल्में बताती हैं मुद्दे हर जगह लगभग एक जैसे होते हैं. अगर कहानी असरदार है तो वो किसी भी भाषा और क्षेत्र के दर्शकों का मन मोह लेती है. यही वजह है कि भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर चीन भले ही भारत से अलग है लेकिन वहां दंगल, बाहुबली जैसी हमारी कई फिल्मों को हाथोंहाथ लिया गया.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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