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अर्जुन-मलाइका की उम्र से ज्यादा बड़ी बहस हो सकती थी आज, दिमाग से अंधे लोग देख ही नहीं पाए

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 26 जून, 2021 03:27 PM
  • 26 जून, 2021 03:27 PM
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लोगों को आज अर्जुन कपूर मलाइका अरोड़ा की उम्र के अंतर की बजाय उस जन्मदिन पार्टी पर बात करनी चाहिए थी जो मुंबई में हुई. महामारी के हालात में ऐसी पार्टियां लोगों को भी प्रोत्साहित करती हैं और तर्क देती हैं. दूसरी लहर इन्हीं चीजों से आई थी.

अर्जुन कपूर के जन्मदिन पर आज बहुत सारी चीजें बहस करने लायक हैं. इनमें एक बड़ी चीज तो यही है कि महामारी के दौर में जन्मदिन पार्टी के नाम पर घर में सितारा दोस्तों की 'भीड़' जुटाना कितना सही है? मगर लोग हैं कि अर्जुन पर बात करने के लिए दूसरे विषय देख ही नहीं पाते. ले-देकर हर बात उनकी प्रेमिका मलाइका अरोड़ा पर जाकर अटक जाती है- अरे! मलाइका, अर्जुन से उम्र में कितनी बड़ी हैं. दोनों की उम्र के इस अंतर को बड़े पैमाने पर लोग हजम ही नहीं कर पाते. अब दुनियावालों को कौन बताए कि यार प्यार का कोई पैमाना नहीं होता है जिसे उम्र की तराजू में डालकर तौल दिया जाए. दो लोग अगर साथ में खुश हैं तो समझ में नहीं आता कि इससे तीसरे के पेट में क्यों मरोड़ है?

सोशल मीडिया पर कुछ कमेंट्स, पोस्ट्स और मीम्स देखकर निराशा होती है. घिन भी आती है. एक यूजर ने दिमागी बीमारी का सार्वजनिक प्रदर्शंज करते हुए लिखा- अर्जुन कपूर, मलाइका के बेटे से अर्जुन कुछ ही साल बड़े हैं. मां की उम्र की महिला से अर्जुन का प्रेम लाजवाब हैं. उन्हें प्रेमिका और मां दोनों का प्यार एकसाथ मिल रहा है. मुझे समझ में नहीं आता कि समाज के ये चौकीदारी इतनी बेशर्मी लाते कहां से हैं.

दरअसल ये सब पुरुषों के वर्चस्व वाली मानसिकता भर है और कुछ नहीं. हर मामले में हमेशा अगुआ पुरुष ही रहेगा. उम्र की वरिष्ठता से पुरुष रिश्ते को नियंत्रित करता रहेगा. ये पुरुषों की वो तालिबानी मानसिकता है जो कहीं भी यहां तक कि घर परिवार और प्रेम-विवाह में भी लैंगिक वर्चस्व को बरकरार बनाए रखना चाहता है. इसके लिए उसने नैतिक आदर्श की सीमाएं निर्धारित कर दी हैं. उसकी नजर में वही एक पुरुष और महिला की वही जोड़ी आदर्श है- जिसमें पुरुष उम्र में बड़ा हो. अधेड़ या बूढ़े लोगों से किसी कम उम्र की लड़की की शादी पर ये समाज खामोशी की चादर ओढ़ लेता है. उसके लिए ये...

अर्जुन कपूर के जन्मदिन पर आज बहुत सारी चीजें बहस करने लायक हैं. इनमें एक बड़ी चीज तो यही है कि महामारी के दौर में जन्मदिन पार्टी के नाम पर घर में सितारा दोस्तों की 'भीड़' जुटाना कितना सही है? मगर लोग हैं कि अर्जुन पर बात करने के लिए दूसरे विषय देख ही नहीं पाते. ले-देकर हर बात उनकी प्रेमिका मलाइका अरोड़ा पर जाकर अटक जाती है- अरे! मलाइका, अर्जुन से उम्र में कितनी बड़ी हैं. दोनों की उम्र के इस अंतर को बड़े पैमाने पर लोग हजम ही नहीं कर पाते. अब दुनियावालों को कौन बताए कि यार प्यार का कोई पैमाना नहीं होता है जिसे उम्र की तराजू में डालकर तौल दिया जाए. दो लोग अगर साथ में खुश हैं तो समझ में नहीं आता कि इससे तीसरे के पेट में क्यों मरोड़ है?

सोशल मीडिया पर कुछ कमेंट्स, पोस्ट्स और मीम्स देखकर निराशा होती है. घिन भी आती है. एक यूजर ने दिमागी बीमारी का सार्वजनिक प्रदर्शंज करते हुए लिखा- अर्जुन कपूर, मलाइका के बेटे से अर्जुन कुछ ही साल बड़े हैं. मां की उम्र की महिला से अर्जुन का प्रेम लाजवाब हैं. उन्हें प्रेमिका और मां दोनों का प्यार एकसाथ मिल रहा है. मुझे समझ में नहीं आता कि समाज के ये चौकीदारी इतनी बेशर्मी लाते कहां से हैं.

दरअसल ये सब पुरुषों के वर्चस्व वाली मानसिकता भर है और कुछ नहीं. हर मामले में हमेशा अगुआ पुरुष ही रहेगा. उम्र की वरिष्ठता से पुरुष रिश्ते को नियंत्रित करता रहेगा. ये पुरुषों की वो तालिबानी मानसिकता है जो कहीं भी यहां तक कि घर परिवार और प्रेम-विवाह में भी लैंगिक वर्चस्व को बरकरार बनाए रखना चाहता है. इसके लिए उसने नैतिक आदर्श की सीमाएं निर्धारित कर दी हैं. उसकी नजर में वही एक पुरुष और महिला की वही जोड़ी आदर्श है- जिसमें पुरुष उम्र में बड़ा हो. अधेड़ या बूढ़े लोगों से किसी कम उम्र की लड़की की शादी पर ये समाज खामोशी की चादर ओढ़ लेता है. उसके लिए ये बात कोई मायने नहीं रखती कि एक पुरुष अपने से बड़ी उम्र की महिला को भी प्रेम कर सकता है.

जो लोग बेमेल जोड़ी के लिए अर्जुन का मजाक उड़ा रहे हैं, हकीकत में वो प्रेम का मजाक उड़ा रहे हैं. शक है कि उनके जीवन में प्रेम और मानवीयता की थोड़ी बहुत गुंजाइश भी बची हो. वो जिन तस्वीरों पर मीम बनाकर तंज कास रहे हैं उसमें अर्जुन और मलाइका की खुशी और सहजता को महसूस ही नहीं पा रहे. रिश्ता तो कायदे से वही सही है जिसमें दो लोग सहज हों और उनके बीच आपसी समझ हो. अर्जुन और मलाइका की जितनी तस्वीरें साथ की हैं, खुशी और प्रेम और रक दूसरे के प्रति समर्पण ही दिखता है. मुझे तो अब तक किसी तस्वीर में उम्र का फर्क नजर नहीं आया. लोग अपनी अक्ल में तंग और सोच में इतने अंधे हैं कि उन्हें किसी का प्यार नहीं दिखता.

जबकि दोनों के रिश्ते से ना तो मलाइका के घरवालों, यहां तक कि उनके बेटों को दिक्कत है, ना उनके पूर्व पति अरबाज खान को भी दिक्कत है. अरबाज पुराने रिश्ते से निकलकर नए रिश्तों में बहुत आगे निकल चुके हैं, जाहिर तौर पर खुश हैं. अर्जुन के परिवार और दोस्तों को भी दिक्कत नहीं. भले ही कोई सेलिब्रिटी है मगर उसके निजी जीवन में भी ताकझांक की एक सीमा है. दो लोग किसके साथ रहेंगे यह किसी तीसरे की इच्छा और सुविधा से तय नहीं होगा. इस रिश्ते पर मीम साझा करने वाले असलियत में दिमागी रूप से बेहद बीमारी और घटिया सोच वाले हैं.

अर्जुन कपूर के जन्मदिन पर जो बहस करनी थी उस पर ध्यान ही नहीं गया

अच्छी बात तो ये होती की लोग अर्जुन मलाइका की उम्र के अंतर पर तंज कसने की बजाय उस पार्टी पर निशाना साधते जो जन्मदिन के मौके पर हुई. पार्टी में अर्जुन के घरवालों के अलावा इंडस्ट्री के कुछ लोग भी शामिल हुए. रणबीर कपूर, आलिया भट्ट और विजय देवरकोंडा की तस्वीरें आई हैं. दोनों अर्जुन के घर जाते बताए जा रहे हैं. कुछ और लोग भी पहुंचे. मुंबई अभी कुछ ही दिन पहले महामारी की दूसरी चपेट से बमुश्किल निकला है, मुक्त नहीं हुआ है. देश भी परेशान है. और डेल्टा प्लस वेरिएंट का खतरा खड़ा होता दिख रहा है. उधर तीन दिन से लगातार संक्रमण के मामले फिर अचानक बढ़ते नजर आने लगे हैं. लॉकडाउन में ढील मिलने के साथ ही सोशल गेदरिंग बढ़ गई है. मौजूदा हालत में ये चिंताजनक है. भले ही लोगों ने टीका लगवा लिया हो और तमाम कोविड प्रोटोकाल फॉलो कर रहे हों.

असल में सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों (अर्जुन कपूर और तमाम क्षेत्रों की सेलिब्रिटीज) की ऐसी तस्वीरें आम जनमानस को उत्तेजित करेंगी. ये हालात बिगाड़ने के लिए काफी है जो दिखने भी लगा है. लोग घूमते-फिरते और पार्टियों की तस्वीरें साझा करने लगे हैं. मानों दूसरी लहर निकलने के बाद देश ने कोरोना महामारी पर फतह पा ली है. अर्जुन जैसे सितारों को कुछ महीनों तक ऐसे प्रदर्शनों से बचना चाहिए. ठीक है कि आप ग्लैमर की दुनिया में हैं, जागरुक भी हैं और एहतियात भी बरत रहे हैं. मगर आपकी जिम्मेदारी भी है. लोग आपको देखते हैं और फिर अपने तरीके से वैसे ही घूमना फिरना और पार्टियां करना शुरू कर देते हैं जैसे आप लोग कर रहे हैं. बॉलीवुड के लोगों को इस तरह की अनावश्यक आयोजनों को कम से कम कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए.

बिना मतलब की चीज के लिए अर्जुन कपूर का तंज कसने वाले इस जरूरी चीज पर भी मुहिम चला सकते हैं. अगर वो संवेदनशील हैं और उनके दिमाग में सिर्फ कचरा नहीं भरा है तो.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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