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फॉरेस्ट गंप की महानता में डूबेगी आमिर की लाल सिंह चड्ढा, 5 शिकायतें गौर करने लायक!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 31 जुलाई, 2022 03:43 PM
  • 31 जुलाई, 2022 03:09 PM
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टॉम हैंक्स की फॉरेस्ट गंप की महानता इतनी भारी है कि शायद आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा उसके बोझ तले दब जाए. फॉरेस्ट गंप देखने वाले इसे साफ़ महसूस कर सकते हैं. लोग आमिर और टॉम हैंक्स की फिल्मों के अंतर पर बात भी करना शुरू कर चुके हैं.

फॉरेस्ट गंप की बॉलीवुड रीमेक 'लाल सिंह चड्ढा' बनकर तैयार है. फिल्म को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11 अगस्त के दिन पैन इंडिया रिलीज किया जाएगा. टॉम हैंक्स स्टारर फॉरेस्ट गंप के रीमेक लाल सिंह चड्ढा बनने की अनाउंसमेंट के साथ ही बॉलीवुड फिल्म चर्चा में है. फिल्म का ट्रेलर और विजुअल सामने आ चुके हैं. वैसे भी फॉरेस्ट गंप सर्वकालिक महान फिल्मों में शुमार है तो ज्यादातर दर्शक फिल्म और उसके कंटेंट से अच्छी तरह से परिचित हैं. फॉरेस्ट गंप की अपनी लीगेसी इतनी महान है कि वह एक तरह से आमिर खान की फिल्म के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में खाड़ी हो गई है. सिनेमाघरों में आमिर को किसी अन्य चीज से ज्यादा खतरा फॉरेस्ट गंप की महानता से ही है. लाल सिंह चड्ढा अगर बॉक्स ऑफिस पर डूबती है तो हिंदू मुस्लिम जैसी चीजों से कहीं जयादा योगदान टॉम हैंक्स की फिल्म से तुलना का ही होगा. और तुलना किया जाना स्वाभाविक और निश्चित है.

1) अमेरिका और भारत के देशकाल में अंतर

फॉरेस्ट गंप शारीरिक रूप से अक्षम एक बच्चे की कहानी को दिखाती है. बच्चा अपने पैरों पर चलने-फिरने में असमर्थ है लेकिन एक दिन वह ना सिर्फ अपने पैरों पर खड़ा होता है बल्कि कमाल का रेसर भी नजर आता है. सेना में शामिल होता है और एक सैनिक रूप में सबसे मुश्किल अभियानों का हिस्सा बनता है. असल में फॉरेस्ट गंप में एक बच्चे की जीवन यात्रा के साथ एक अमेरिका के रूप में एक राष्ट्र की यात्रा को भी दिखाया गया है.

कहने के बात नहीं कि किसी व्यक्ति के जीवन की तरह ही राष्ट्र की यात्रा के भी तमाम खट्टे मीठे अनुभव फिल्म के जरिए सामने आते हैं. अमेरिकी समाज की सारी बुराइयां, लम्पटपना नजर आता है. बच्चों का लैंगिक शोषण, नस्लवाद, लिंगभेद और पुरुष वर्चस्व की क्रूरता को दिखाया गया है. एक युद्ध का असर देश और उसके समाज पर किस तरह पड़ता है- पूरी ईमानदारी से दिखाई गई है. अमेरिका की तरह भारत के भी बनने बिगड़ने की अपनी यात्रा है.

फॉरेस्ट गंप की बॉलीवुड रीमेक 'लाल सिंह चड्ढा' बनकर तैयार है. फिल्म को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11 अगस्त के दिन पैन इंडिया रिलीज किया जाएगा. टॉम हैंक्स स्टारर फॉरेस्ट गंप के रीमेक लाल सिंह चड्ढा बनने की अनाउंसमेंट के साथ ही बॉलीवुड फिल्म चर्चा में है. फिल्म का ट्रेलर और विजुअल सामने आ चुके हैं. वैसे भी फॉरेस्ट गंप सर्वकालिक महान फिल्मों में शुमार है तो ज्यादातर दर्शक फिल्म और उसके कंटेंट से अच्छी तरह से परिचित हैं. फॉरेस्ट गंप की अपनी लीगेसी इतनी महान है कि वह एक तरह से आमिर खान की फिल्म के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में खाड़ी हो गई है. सिनेमाघरों में आमिर को किसी अन्य चीज से ज्यादा खतरा फॉरेस्ट गंप की महानता से ही है. लाल सिंह चड्ढा अगर बॉक्स ऑफिस पर डूबती है तो हिंदू मुस्लिम जैसी चीजों से कहीं जयादा योगदान टॉम हैंक्स की फिल्म से तुलना का ही होगा. और तुलना किया जाना स्वाभाविक और निश्चित है.

1) अमेरिका और भारत के देशकाल में अंतर

फॉरेस्ट गंप शारीरिक रूप से अक्षम एक बच्चे की कहानी को दिखाती है. बच्चा अपने पैरों पर चलने-फिरने में असमर्थ है लेकिन एक दिन वह ना सिर्फ अपने पैरों पर खड़ा होता है बल्कि कमाल का रेसर भी नजर आता है. सेना में शामिल होता है और एक सैनिक रूप में सबसे मुश्किल अभियानों का हिस्सा बनता है. असल में फॉरेस्ट गंप में एक बच्चे की जीवन यात्रा के साथ एक अमेरिका के रूप में एक राष्ट्र की यात्रा को भी दिखाया गया है.

कहने के बात नहीं कि किसी व्यक्ति के जीवन की तरह ही राष्ट्र की यात्रा के भी तमाम खट्टे मीठे अनुभव फिल्म के जरिए सामने आते हैं. अमेरिकी समाज की सारी बुराइयां, लम्पटपना नजर आता है. बच्चों का लैंगिक शोषण, नस्लवाद, लिंगभेद और पुरुष वर्चस्व की क्रूरता को दिखाया गया है. एक युद्ध का असर देश और उसके समाज पर किस तरह पड़ता है- पूरी ईमानदारी से दिखाई गई है. अमेरिका की तरह भारत के भी बनने बिगड़ने की अपनी यात्रा है.

फॉरेस्ट गंप और लाल सिंह चड्ढा की तुलना स्वाभाविक है.

फॉरेस्ट गंप अपनी बुनावट में एक बेबाक फिल्म है. जबकि लाल सिंह चड्ढा के जो विजुअल नजर आए हैं उसमें फिलहाल तो ऐसी कोई बेबाकी नहीं दिखी कि उल्लेख किया जाए. कई समाजशास्त्री और फिल्म विश्लेषक लाल सिंह चड्ढा को फॉरेस्ट गंप की तुलना में अभी से कमजोर फिल्म भी शायद इसी वजह से मान रहे हों. लोगों के मुताबिक़ जिस तरह से अमेरिकी समाज की कमियों को टॉम हैंक्स की फिल्म में दिखाया गया है- लाल सिंह चड्ढा में उसे समेत पाना लगभग असंभव है. बॉलीवुड की मास फिल्मों में कभी भी वाजिब बोल्डनेस नजर नहीं आती.  

2) फॉरेस्ट गंप और लाल सिंह चड्ढा की कहानी में मौलिकता का अंतर

फॉरेस्ट गंप में एक राष्ट्र की यात्रा में उसके अपने फैसलों की आलोचनात्मक व्याख्या की गई है. मसलन सामजिक-आर्थिक सुधारों और वियतनाम जैसे युद्ध का वहां के समाज पर असर को परखने की कोशिश की गई है. कई और बड़ी राजनीतिक घटनाओं का संदर्भ भी नजर आता है. आजादी के बाद एक राष्ट्र के रूप में भारत के भी अपने पड़ाव हैं.

बॉलीवुड फिल्ममेकर्स चीजों की आलोचनात्मक व्याख्याओं से डरते नजर आते हैं. जब भी सामजिक-राजनीतिक व्याख्याओं की कोशिश हुई है, विवाद ही सामने आए हैं. शास्त्री की हत्या, पाकिस्तान चीन के साथ युद्धों, आपातकाल, बांग्लादेश के बंटवारे में देश की भूमिका, उदारवाद, गठबंधन राजनीति का सूत्रपात और क्षेत्रीय दलों का उदय, इंदिरा-राजीव गांधी की हत्या, मंडल आंदोलन, बाबरी विध्वंस जैसे तमाम पड़ाव हैं. हालांकि लाल सिंह चड्ढा में इनसे बचने की कोशिश दिखती है.

लाल सिंह चड्ढा की स्टोरी का फ्रेम टाइम आजादी के बाद संभवत: 1980 के बाद का समय नजर आता है. क्योंकि फिल्म में चीन या पाकिस्तान के साथ हुए स्पष्ट युद्धों की बजाए कारगिल युद्ध का संदर्भ दिखाया गया है जिसे राजनीतिक पचड़ों में पड़े बिना दिखाने में परेशानी की कोई बात नहीं. बाकी के संदर्भ नजर नहीं आते. हो सकता है कि मेकर्स ने उन्हें ट्रेलर का हिस्सा ना बनाया हो. ऐसा भी हो सकता है विवादित विषयों को छोड़ दिया गया हो.

ऊपर आजादी के बाद जो घटनाएं बताई गई हैं अगर उन्हें फिल्म में आलोचनात्मक रूप से नहीं लिया गया है तो यह कहने में हर्ज नहीं करना चाहिए कि आमिर की फिल्म की कहानी फॉरेस्ट गंप की तरह मौलिक नहीं है.

3) टॉम हैंक्स और आमिर खान के अभिनय में अंतर

1995 में आई फॉरेस्ट गंप ने कई ऑस्कर अवॉर्ड जीते थे. इसमें से एक गंप की मुख्य भूमिका के लिए टॉम हैंक्स ने जीता था. टॉम हैंक्स को हॉलीवुड का सबसे बेहतरीन अभिनेता माना जाता है. एक एक्टर के रूप में उनकी फिल्मों का अपना बेंचमार्क है. माना जाता है कि आमिर खान भी टॉम हैंक्स की परंपरा के ही अभिनेता हैं. आमिर पर हॉलीवुड एक्टर की छाप साफ़ नजर आती है.

अब अगर लाल सिंह चड्ढा के ट्रेलर में आमिर के अभिनय और फॉरेस्ट गंप में टॉम हैंक्स के अभिनय को देखें तो दोनों एक्टर्स के काम में बड़ा फर्क दिखता है. टॉम हैंक्स, गंप के किरदार में पूरी तरह मौलिक लगते हैं. जबकि आमिर का एक्ट ट्रेलर में कई जगह साफ़ साफ़ बनवाटी नजर आता है. आमिर आंखों को चढ़ाए हुए और चेहरे को अजीब तरह भींचे दिख रहे हैं. जैसे वे जबरदस्ती एक भोले भाले किरदार को जीने की कोशिश कर रहे हों. उनका अभिनय मौलिक नजर नहीं आ रहा.

आमिर ने अब तक कई फिल्मों में दमदार भूमिकाओं से दर्शकों को हैरान किया है मगर फॉरेस्ट गंप में टॉम हैंक्स के मुकाबले लाल सिंह चड्ढा में वे एक नौसिखिया एक्टर नजर आते हैं. हो सकता है कि फिल्म में उनकी एक्टिंग विस्तार से दिखे.

4) करीना कपूर और रॉबिन राइट के अभिनय में अंतर

एक्टिंग के मामले में ठीक यही बात करीना कपूर खान के अभिनय में नजर आती है. भले मौलिक ना लगे मगर आमिर अपने किरदार के किए पिछली फिल्मों से हटकर नए मैथड का इस्तेमाल तो करते दिखते हैं हालांकि करीना अपनी पुरानी फ़िल्मी किरदारों में से ही किसी एक की पिच पर नजर आती हैं. करीना जो किरदार कर रही हैं वह फॉरेस्ट गंप का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण किरदार है. एक ऐसी लड़की जिसका बचपन सेक्सुअल अब्यूज में झुलसा है और वह नशे की लत में है.

लड़की की जिंदगी में कोई मकसद नजर नहीं आता. वह एक असहनीय दर्द से पीड़ित है और इसी वजह से हिप्पियों की तरह हमेशा अंजान और गुमनाम सफ़र में नजर आती है. मगर लड़की को फॉरेस्ट के लिए ख़ास लगाव है. कहीं भी करीना के चेहरे पर किरदार की पीड़ा, मानसिक उलझने और उसका बेल्लौसपन नजर नहीं आता. कई जगह तो करीना आम प्रेम कहानियों वाली हीरोइन नजर आती हैं. जबकि फॉरेस्ट गंप में रॉबिन राइट ने इसी किरदार को बेहतरीन तरीके से जिया है.

5) अद्वैत चंदन और रोबर्ट जेमेकिस के निर्देशन में अंतर

अद्वैत चंदन आमिर के पसंदीदा निर्देशक हैं. दोनों ने इससे पहले सीक्रेट सुपरस्टार के लिए साथ काम किया था. फॉरेस्ट गंप का निर्देशन रॉबर्ट रॉबर्ट ज़ेमेकिस ने किया था. रॉबर्ट जैसा असर लाल सिंह चड्ढा में में नहीं दिखता. कई मर्तबा लाल सिंह चड्ढा बॉलीवुड की एक फ़ॉर्मूला फिल्म नजर आती है.

लाल सिंह चड्ढा के लिए फॉरेस्ट गंप के बेंचमार्क से पार पाना ही सबसे बड़ी चुनौती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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