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अजय देवगन के 30 साल, किसी एक्टर ने अब तक 'फूल और कांटे' जैसी एंट्री नहीं मारी!

    • अनुज शुक्ला
    • Updated: 22 नवम्बर, 2021 09:43 PM
  • 22 नवम्बर, 2021 09:42 PM
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बतौर अभिनेता Ajay Devgan के 30 साल पूरे हो गए हैं. अजय देवगन की पहली फिल्म रोमांटिक एक्शन ड्रामा Phool Aur Kaante थी. यह अपने जमाने की ब्लॉकबस्टर फिल्म है.

30 साल पहले फूल और कांटे देखने वाले ज्यादातर युवा आज की तारीख में रिटायरमेंट प्लान ले रहे होंगे या ले चुके होंगे. हालांकि इंडस्ट्री में अभिनेता के रूप में 30 साल काम करने के बावजूद अजय देवगन का सिलसिला अभी थमता नहीं दिखा रहा. अजय फ़िल्मी परिवार से थे. उनके पिता वीरू देवगन मशहूर एक्शन कोरियोग्राफर थे. यानी फिल्मों में एक्शन सीन्स का निर्देशन करते थे. माना जा सकता है कि फिल्मों में मौका हासिल करना अजय लिए मुश्किल तो नहीं रहा होगा.

लेकिन अजय की तरह फ़िल्मी परिवारों से और भी लोग आए. उन्हें मौके पर मौके मिले मगर एक दौर ऐसा आया कि उन्हें सच्चाई स्वीकार कर लेनी पड़ी. वे अभिनय से बाहर हैं. मगर अजय तीस साल से लगातार डिमांड में बने हुए हैं. उनमें प्रतिभा थी और कड़ी मेहनत की वजह से खुद की प्रासंगिकता बनाए हुए हैं. करियर के इस मोड़ पर एक हद तक ज्यादा सक्रिय और सफल नजर आते हैं. जबकि उनके साथ के कई सितारे आजकल एक्टिंग फ्रंट पर तमाम तरह के संघर्ष में उलझे दिख रहे हैं.

तीस साल पहले 22 नवंबर के दिन अजय देवगन ने "फूल और कांटे" से "ड्रीम डेब्यू" किया था. सबकुछ परफेक्ट. कुकू कोहली ने यह फिल्म शहरी युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई थी. हर नया नवेला एक्टर चाहेगा कि उसे फूल और कांटे जैसा ही डेब्यू मिले. सबको नहीं मिलता. फूल और कांटे में अजय-मधु की जोड़ी ने बॉक्स ऑफिस हिला के रख दिया था. तब म्यूजिक फिल्मों की रिलीज से पहले आते थे. फूल और कांटे के रोमांटिक गाने गली-गली बज रहे थे. धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है.... तब दर्शक भी अजय की फिल्म के लिए हद से गुजर रहे थे.

फूल और कांटे में अजय देवगन का एंट्री सीन. फोटो- पेन मूवीज/यूट्यूब से साभार.

फूल और कांटे में एक्शन और रोमांस को ही ध्यान में रखा गया था. अजय देवगन ने...

30 साल पहले फूल और कांटे देखने वाले ज्यादातर युवा आज की तारीख में रिटायरमेंट प्लान ले रहे होंगे या ले चुके होंगे. हालांकि इंडस्ट्री में अभिनेता के रूप में 30 साल काम करने के बावजूद अजय देवगन का सिलसिला अभी थमता नहीं दिखा रहा. अजय फ़िल्मी परिवार से थे. उनके पिता वीरू देवगन मशहूर एक्शन कोरियोग्राफर थे. यानी फिल्मों में एक्शन सीन्स का निर्देशन करते थे. माना जा सकता है कि फिल्मों में मौका हासिल करना अजय लिए मुश्किल तो नहीं रहा होगा.

लेकिन अजय की तरह फ़िल्मी परिवारों से और भी लोग आए. उन्हें मौके पर मौके मिले मगर एक दौर ऐसा आया कि उन्हें सच्चाई स्वीकार कर लेनी पड़ी. वे अभिनय से बाहर हैं. मगर अजय तीस साल से लगातार डिमांड में बने हुए हैं. उनमें प्रतिभा थी और कड़ी मेहनत की वजह से खुद की प्रासंगिकता बनाए हुए हैं. करियर के इस मोड़ पर एक हद तक ज्यादा सक्रिय और सफल नजर आते हैं. जबकि उनके साथ के कई सितारे आजकल एक्टिंग फ्रंट पर तमाम तरह के संघर्ष में उलझे दिख रहे हैं.

तीस साल पहले 22 नवंबर के दिन अजय देवगन ने "फूल और कांटे" से "ड्रीम डेब्यू" किया था. सबकुछ परफेक्ट. कुकू कोहली ने यह फिल्म शहरी युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई थी. हर नया नवेला एक्टर चाहेगा कि उसे फूल और कांटे जैसा ही डेब्यू मिले. सबको नहीं मिलता. फूल और कांटे में अजय-मधु की जोड़ी ने बॉक्स ऑफिस हिला के रख दिया था. तब म्यूजिक फिल्मों की रिलीज से पहले आते थे. फूल और कांटे के रोमांटिक गाने गली-गली बज रहे थे. धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है.... तब दर्शक भी अजय की फिल्म के लिए हद से गुजर रहे थे.

फूल और कांटे में अजय देवगन का एंट्री सीन. फोटो- पेन मूवीज/यूट्यूब से साभार.

फूल और कांटे में एक्शन और रोमांस को ही ध्यान में रखा गया था. अजय देवगन ने जबरदस्त स्टंट किए थे. बॉलीवुड में उन सीन्स को आज भी याद किया जाता है. खासकर अजय देवगन की खतरनाक बाइक एंट्री. बॉलीवुड की किसी भी फिल्म में कोई भी एक्टर इस तरह एंट्री मारते नहीं दिखता. फूल और कांटे शुरू होने के करीब 5 मिनट बाद अजय देवगन की एंट्री होती है. आंखों पर गॉगल, जैकेट पहने एक युवा दो बाइक पर खड़े होकर एंट्री मारता है. उसके लंबे बाल लहरा रहे हैं. पीछे बाइक्स का काफिला है.

वह ज़माना बॉलीवुड में बूढ़े एक्टर्स की ढलान का था. धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती जैसे सितारों की उम्र उनके किरदारों से बड़ी लगती थीं. बॉलीवुड में जिस मिजाज की फ़िल्में बन रही थीं वे सेट नहीं थे. सभी एग्जिट पॉइंट पर थे. संजय दत्त-सनी देओल जैसे एक्टर एक्शन में तो जंचते थे मगर रोमांटिक नहीं दिखते थे. आमिर हद से ज्यादा चाकलेटी दिखते थे. सलमान बिल्कुल नए-नए थे. अनिल कपूर थे तो बहुरंगी पर एक्शन फिल्मों की बजाय ड्रामा में ही ज्यादा दिखते थे. उनके किरदार देखिए. तेज़ाब से रूप की रानी चोरों का राजा तक वे कॉमिक नजर आते हैं. उस वक्त जवान हो रही पीढ़ी की जरूरते अलग लग रही थीं. उसे रोमांस भी चाहिए था और एक्शन भी. अजय देवगन की फूल और कांटे में वही सबकुछ था.

कॉलेज था, हंसी मजाक था, प्रेम कहानी थी, गैंगवार था और लाजवाब एक्शन भी था. सुपरहिट गाने तो थे ही. अजय एक्शन और रोमांस के कम्बो थे. फूल और कांटे ने सिर्फ अजय को सुपरस्टार नहीं बनाया बल्कि अगले कुछ सालों में एक्शन फिल्मों के लिए रास्ते बना दिए. अक्षय कुमार की सौगंध उसी साल पहले ही आ चुकी थी. दो साल बाद सुनील शेट्टी की फिल्म आई. तब एक तरफ शाहरुख-आमिर-सलमान की ड्रामा फ़िल्में थीं दूसरी तरफ अजय-अक्षय-सुनील-बॉबी देओल की शुद्ध मसाला एक्शन फ़िल्में.

हालांकि अजय देवगन ज्यादा दिनों तक एक्शन भूमिकाओं में फंसे नहीं रहे. बल्कि खुद को काफी हद तक बदला उन्होंने. और उनके लिए यह बदलाव इसलिए संभव रहा कि फूल और कांटे की वजह से ही उन्हें एक्शन-रोमांस किसी भी छवि में दिखने की सीकार्यता दे दी थी. पहली बार अजय ने 1997 में इंद्र कुमार की इश्क के साथ रास्ते बदले थे. यह दो अलग-अलग जोड़ों की लवस्टोरी थी.

तीस सालों के करियर में अजय ने कई बार ऐसे बदलाव किए. खुद को बेहतर बनाते रहे. छोटी-छोटी भूमिकाएं भी कीं. आज भी अजय मुख्य हीरो की भूमिका में व्यस्त होने के बावजूद एसएस राजामौली के लिए आरआरआर में छोटी भूमिका के लिए तैयार हो गए. और ऐसा भी बिल्कुल नहीं है कि करियर में एक दौर बीत जाने के बाद उन्होंने ये करना शुरू किया है. 20 साल पहले राजकुमार संतोषी की महिला प्रधान कहानी पर बनी लज्जा में भी डकैत की एक छोटी भूमिका की थी. अजय देवगन ने हमेशा दर्शक जोड़े हैं.

एक्शन हीरो के रूप में शुरुआत की. रोमांटिक फ़िल्में कीं. ड्रामा किया. बेहद गंभीर किस्म की भूमिकाएं भी कीं. कैरेक्टर एक्ट भी करते हैं. कुल मिलाकर जो मिल रहा है उसे करते जाओ. अजय देवगन के पास अभी भी फिल्मों की भरमार है. उनके दूसरे साथियों के मुकाबले बॉक्स ऑफिस पर उनका स्टारडम कमजोर नहीं दिखा है. वे अपने कंधों पर फ़िल्में ढो रहे हैं. ऐसा लगता है कि अजय अभी इंडस्ट्री पर सालों राज करने की दिशा में ही आगे बढ़ रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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