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Updated: 10 सितम्बर, 2021 08:44 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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दुनियाभर की तमाम सरकारें अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अर्थशास्त्र के जानकारों को एक बड़ी टीम अपने साथ रखती हैं. इसी तरह बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घराने भी वित्त यानी फाइनेंस से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स से लेकर नाना प्रकार के विशेषज्ञ लोगों की टीम काम करती है. आखिर पैसा है ही ऐसी चीज. इसे संभालने के लिए केवल डिग्रियों और अर्थशास्त्र के जानकारों की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसा कहने के पीछे दुनियाभर में ढेरों उदाहरण भरे पड़े हैं. शायद आपको विश्वास न हो. लेकिन, अगर आप अफगानिस्तान (Afghanistan) की नई तालिबान सरकार (Taliban Government) पर नजर डालेंगे, तो स्थिति साफ हो जाएगी.

इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार (Taliban) में प्रधानमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट में शामिल किए गए 33 लोगों को उनकी ऐसी ही विशेषज्ञता के आधार पर मंत्रालय दिया गया है. अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का नया वित्त मंत्री मुल्ला हिदायतुल्लाह बदरी (finance minister Mullah Hidayatullah Badri) मनी लॉड्रिंग यानी काले धन को सफेद करने में एक्सपर्ट है और उनकी इसी काबिलियत का तालिबान कायल है. इतना ही नहीं, बदरी को बलूचिस्तान में जकात (इस्लामिक टैक्स) वसूलने का भी लंबा अनुभव है, इससे ये तय हो जाता है कि किसी को कुछ आए या न आए, लेकिन पैसों को संभालने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) की कला का आना बहुत जरूरी होता है. 

वैसे मुल्ला हिदायतुल्लाह बदरी इस मामले में अकेले नही हैं. बदरी को छोटे तौर पर ही सही, लेकिन दा अफगानिस्‍तान बैंक (DAB) के मुखिया बनाए गए हाजी मोहम्‍मद इदरिस कड़ी टक्कर दे रहे हैं. खबर थी कि हाजी मोहम्‍मद इदरिस वही शख्स हैं, जिनकी एक तस्‍वीर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है. अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक का कार्यभार संभालने वाले हाजी मोहम्मद इदरीस इस तस्वीर में एके-47 जैसी एक बंदूक के साथ लैपटॉप चलाते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, इसी बीच कुछ फैक्टचेकर्स वाले भाईयों ने ये खोज लाए हैं कि सोशल मीडिया में वायरल हो रही फोटो हाजी मोहम्मद इदरिस की नहीं है. बल्कि ये कोई और है. लेकिन, इन तमाम फैक्टचेकर्स से एक मासूम सा सवाल तो बनता ही है कि चचा...मान लिया कि ये वो आतंकी नहीं है. लेकिन, तस्वीर बदलने से आतंकी तो नहीं बदल जाता है. वैसे भी तालिबान सरकार में शामिल कई मंत्रियों के महत्वपूर्ण आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण उनकी तस्वीरें पूरी दुनिया में किसी के पास नही हैं. किसी और आतंकी की तस्वीर होने से बदरी या इदरिस को नेल्सन मंडेला तो घोषित नहीं किया जा सकता है.

वैसे, अफगानिस्तान के वित्त मंत्री और बंदूकधारी बैंकर के सामने असल दिक्कत ये है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबान के आते ही देश के अरबों डॉलर की रकम को फ्रीज कर दिया है. जिसकी वजह से अफगानिस्तान में पैसों की किल्लत हो गई है. पैसे निकालने के लिए बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं. लेकिन, वहां की तालिबान सरकार को पूरा भरोसा है कि हाथ में बंदूक थामे हाजी मोहम्‍मद इदरिस जल्द ही इन तमाम समस्याओं का हल निकाल लेंगे.

तालिबान के अब तक के कारनामों के देखते हुए मुझे तो पूरा यकीन है कि इन समस्याओं का कोई न कोई हल निकल ही आएगा. वैसे, इदरिस साहब लैपटॉप से जितना हल निकल पाएंगे, निकालेंगे. बाकी के हल के लिए बंदूक तो है ही. तालिबान का बंदूकधारी बैंकर केवल शोपीस के लिए थोड़े ही है. अब जिस देश का गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी जैसा करोड़ों का ईनामी और मोस्टवांटेड आतंकी हो. वहां किस आदमी में इतना दम होगा कि पैसों के चक्कर में अपनी जान के लाले करवाएगा. चुपचाप थोड़ा बहुत लेकर काम चला ही लेगा. वैसे, तालिबान का समर्थन करने वाले मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों के बाहर लगी लंबी लाइनों की बात को भी उदाहरण के तौर पर कहीं न कहीं से ले ही आएंगे. हालांकि, वो ये बताना भूल जाएंगे कि भारत में जियो का अनलिमिटेड डेटा वाला फ्री सिम पाने के लिए भी उतनी ही बड़ी लाइनें जियो स्टोर के बाहर लगी थीं.

तालिबान की नई सरकार में सारे आतंकी ही शामिल हैं.तालिबान की नई सरकार में सारे आतंकी ही शामिल हैं.

खैर, तालिबान सरकार के नए वित्त मंत्री मुल्ला हिदायतुल्लाह बदरी और अफगानिस्तान बैंक के नए मुखिया हाजी मोहम्‍मद इदरिस की शिक्षा पर बात करें, तो दोनों के पास किताबी ज्ञान नहीं है. लेकिन, इन लोगों ने प्रैक्टिकल तौर पर अर्थशास्त्र और बैंकिग का सारा ज्ञान अर्जित किया है. आसान शब्दों में कहें, तो जो कुछ भी इन्होंने सीखा है, वो अपनी मेहनत के दम पर सीखा है. और, मेहनत करने वाला इंसान हमेशा सफल होता है, इस बात को इन दोनों ने इन बड़े पदों पर आकर चरितार्थ भी कर दिया है. वैसे, संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के अनुसार, मुल्ला हिदायतुल्लाह बदरी को जकात (इस्लामिक टैक्स) वसूलने में महारत हासिल है. अमेरिका के अफगानिस्तान आने के बाद तालिबान के गाढ़े वक्त में बदरी ने अपनी काबिलियत के दम पर लोगों का खून चूसकर तालिबान की आर्थिक मदद की थी.

वहीं, हाजी मोहम्‍मद इदरिस तालिबान के पूर्व मुखिया मुल्ला अख्तर मंसूर के साथ लंबे समय तक इस आतंकी संगठन के फाइनेंस से जुड़े मामलों को देखता था. तालिबान हमेशा से ही जबरन वसूली, नशे की अवैध तस्करी से मिले पैसे के साथ ही जकात जैसे तरीके से पैसे इकट्ठा करता रहा है. इस अकूत दौलत को कैसे सफेद धन में बदलना है, ये कोई आसान कला नहीं है. इसी कला के दम पर मनी लॉन्ड्रिंग की इसी कला का उपयोग करने के लिए तालिबान के इन दो महानायकों ने चीन को 31 मिल‍ियन डॉलर की सहायता करने के लिए तैयार कर लिया है. ये कोई छोटी बात नहीं है. वैसे, तालिबान को चीन केवल दुनिया के सामने इतनी रकम देने के लिए तैयार हुआ है. बैकडोर से चीन कितना पैसा तालिबान को देगा, ये आने वाले समय में पता चल जाएगा. और, इस स्थिति में कोई डिग्री या अर्थशास्त्र का ज्ञान नहीं, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग ही काम आएगी.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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