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Updated: 02 अक्टूबर, 2016 06:13 PM
आशुतोष राणा
आशुतोष राणा
  @ashutosh.rana.585
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कल रात अचानक बापू से मुलाकात हो गई, बोले पहचाना? हमने कहा आप भी कमाल करते हो!! बापू हो भाई..क्यों नहीं पहचानेंगे !! आजकल हम तुमको दिल में नहीं जेब में रखकर घूमते हैं, रोज तुमको बेचते हैं और तुम्हीं को खरीदते हैं, हम अपने दिल में भले ही ना झांके लेकिन जेब में जरूर झांक लेते हैं इसलिए तुम्हारी याद बनी रहती है.

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देश का हालचाल पूछ रहे थे बापू

बापू बोले अच्छा ये बताओ मेरे करघे का इस्तेमाल करते हो? मैं थोड़ी मराठी जानता हूं, उनकी बात सट्ट से समझ में आ गई 'घे' मतलब 'ले'. मैंने कहा बिलकुल, सरकार कर घे घे के मस्त है और हम 'कर' दे दे के पस्त हैं. बापू बोले अरे कर नहीं रे, करघा.. मतलब 'चरखा', चरखा चलता है? मैंने कहा sorry बापू पूरे देश में तो नहीं लेकिन भारत के एक प्रांत में जहां से तुमने अपना आंदोलन शुरू किया था ना, वहां पे जरूर चारा खाया जाता है. वे ठुनक गए, बोले मैं चारा खा नहीं, चरखा बोल रहा हूं. चरखाऽऽऽ बात समझ में नहीं आती तुम्हारी? मैं बोला कैसी बात करते हैं बापू चरखा तो हमारा मूल मंत्र है पूरा देश ही मन लगा के चर'खा' रहा है.

वे थोड़े बुझ से गए, फिर बोले और खादी? खादी का क्या हुआ? बापू आज़ादी के बाद हमने खादी के नहीं, आबादी के प्रोडक्शन पे ज़्यादा ध्यान दिया है, खादी पहनने से बादी बढ़ती है इसलिए आम जन उसका प्रयोग नहीं करते.

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उन्होंने नाराज़गी भरे स्वर में मुझसे कहा रिश्वत लेना अन्याय है मैंने कहा था...तुम लोग उसको भी भूल गए होगे? मैंने जोर से कहा बिलकुल नहीं...रिश्वत लेना अन्य आय है और इस कल्याणकारी मंत्र का हम अक्षरश: पालन करते हैं. आपको मुझ जैसे सामान्य जन पर विश्वास नहीं है लेकिन जनतंत्र पर तो पूरा विश्वास है, जिसे लाने के लिए आपने अपनी जान लड़ा दी, तो जनतंत्र में बैठे हुए अपने किसी भी बच्चे से पूछ लीजिए वह मेरी बात की सत्यता प्रमाणित करेगा और कहेगा कि रिश्वत लेना अन्य "आय" है.

बापू भावुक हो गए बोले मेरी टोपी? मैंने कहा उसे कुली और डिब्बे वाले पहनते हैं क्योंकि तुमको किसी ने कुली कह के पुकारा था ना इसलिए उस पर उनका कॉपीराइट है. तुम्हारी घड़ी हमारे समय के हिसाब से नहीं चलती, तुम्हारे चश्मे से अब हमें दिखाई नहीं देता ये दोनों ही आउटडेटेड हो चुके हैं इसलिए हम इनका इस्तेमाल नहीं करते. लेकिन चिंता मत करो हमने तुम्हारे चश्मे के फ्रेम को बचा लिया है, जिसमें हम अपनी इच्छानुसार कांच बदलते रहते हैं. हम जो भी देखना चाहते हैं उसमें दिखाई देता है, देखे गए दृश्य को या अपने विचारों को हम 'तुम्हारे नाम से' प्रचारित करते हैं क्योंकि फ्रेम तुम्हारा है ना! और सबसे बड़ी बात कि हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं आखिर तुम हमारे राष्ट्रपिता हो भई!!

मैंने पूछा लेकिन तुम यहां कैसे? बोले आज 2 अक्टूबर है. मैंने कहा ओ हां ड्राई डे छुट्टी का दिन. बोले आज मेरा जन्मदिन है बेटे. धत्त तेरे की..मैं तो भूल ही गया. Happy bud de बापू. अभी बोलो मैं तुम्हारी क्या सेवा करूं? आज तो कहीं मिलेगी भी नहीं. नहीं तो खूब धमाल करते. वैसे जुगाड़ है, तुम्हारा फोटो मेरी जेब में है. उसको खाखी भंडार में दे दूं तो नदियां बह जाएंगी. कसम से, लोग तुमको बहुत प्यार करते हैं, तुम्हारे लिए ड्राई डे की भी ऐसी की तैसी.

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बापू मैं तुमको थैंक यू बोलना चाहता हूं. जब से तुमको जेब में रख के घूमता हूं, तब से खादी हो, खाखी हो, काला कोट, कोई भी हो मेरा कोई काम नहीं रुकता किसी के बाप का डर नहीं है मुझे. अपना बापू अपने पास, डरने की क्या बात, ये सारी दूनिया ख़ासमखास. मां कसम बहुत वज़न है तुम्हारा. लेकिन गरीब की अभी भी लगी पड़ी है क्योंकि उसके पास जेब ही नहीं है, वो तुमको रखेगा कहां?

बापू को गुस्सा आ गया, बोले अगर मैंने अहिंसा का व्रत ना पाला होता तो आज तेरे कान के नीचे बजाता. बकवास बंद कर और बता ये देश चलता कैसे है? मैं बोला राम भरोसे. क्योंकि मरते हुए तुम ही 'हे राम' बोले थे. हम समझ गए कि अब से राम ही हैं जिनपे हमें भरोसा करना है. और हमारा भरोसा सत्य साबित हुआ, सब एकदम चकाचक है.

तुलसी बिरछा बाग़ के सिंचत से कुम्हलाएं।

राम भरोसे जो रहें वे पर्वत पे हरियाएँ ।।

(ये लेख सबसे पहले आशुतोष राणा के फेसबुक वॉल पर प्रकाशित हुआ)

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लेखक

आशुतोष राणा आशुतोष राणा @ashutosh.rana.585

लेखक बॉलीवुड़ अभिनेता हैं

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