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Updated: 26 मार्च, 2021 12:50 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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प्यार में चांद-तारे तोड़कर लाने का वादा करने वाले प्रेमी जोड़ों के दिन अब लद ही गए मानिए. इन दिनों चुनावी माहौल है, तो वादों की फेहरिस्त में प्रेमी जोड़ों को तगड़ा कंपटीशन सिर्फ भारत के नेता ही दे सकते हैं. अरे, परेशान मत होइए. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 लाख हर आदमी के अकाउंट में आने वाले 'वादे' की बात नहीं करूंगा. उसे तो भाजपा ने खुद ही राजनीतिक 'जुमला' बता दिया था और वैसे भी जुमले गढ़े जाते हैं. वादे तो घोषणा पत्र में होते हैं और उन्हें ही पूरा करने की कोशिश भी की जाती है.

भाजपा ने भी राम मंदिर, धारा 370 जैसे कई वादे किए थे और उन्हें पूरा भी कर दिया है. पीएम आवास योजना की वजह से साल 2022 तक हर आदमी के पास खुद का घर भी हो ही जाएगा. अरे, आप भटकिए मत. मैं कोलकाता की लक्ष्मी देवी की बात नहीं करूंगा, जो किराये के मकान में रहती हैं, लेकिन सरकारी विज्ञापन में उन्हें मकान दिया जा चुका है.

चुनावी वादों की बात चल रही है, तो आपको पता ही होगा कि भारत में तमिलनाडु इकलौता ऐसा राज्य है, जहां चुनावी वादों में गोल्ड से लेकर कैश तक की घोषणा होती है. महंगाई के वर्तमान दौर को ध्यान में रखते हुए इस बार AIADMK ने हर परिवार को साल में 6 मुफ्त घरेलू सिलेंडर और घर की महिला मुखिया के अकाउंट में 1500 रुपये भेजने की घोषणा की है.

चुनाव हैं, तो वादों का होना लाजिमी है. उसमें भी खासकर तमिलनाडु का जिक्र न हो, तो मजा ही नहीं आएगा. तमिलनाडु की मदुरै साउथ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थुलाम सर्वानन चुनावी वादों के मामले में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक नये शिखर पर पहुंच गए हैं. उनके वादे ऐसे हैं कि अच्छे से अच्छे लोगों के पैर तले से जमीन गायब हो जाए. अब उन्होंने लोगों को चांद पर भेजने का वादा किया है, तो पैरों के नीचे से जमीन गायब हो ही जाएगी.

सर्वानन ने अपने हर मतदाता को Iphone देने का वादा किया है. एक आम आदमी आईफोन 12 प्रो लेने जाएगा, तो किडनी बेचनी पड़ेगी. सर्वानन को जिता दिया तो, कम से कम किडनी सलामत रहेगी. हो सकता है कि आपकी किडनी दूसरों के काम आ जाएं. वैसे उनके चुनावी वादों की लिस्ट बहुत लंबी है. हर मतदाता को 20 लाख की कार, स्विमिंग पूल के साथ तीन मंजिला मकान, एक छोटा हेलिकॉप्टर, घर के कामों के लिए रोबोट, हर लड़की को शादी में 800 ग्राम गोल्ड, हर युवा को व्यापार शुरू करने के लिए एक करोड़ रुपये, गर्मी से निजात दिलाने के लिए 300 फीट ऊंचा बर्फ का पहाड़ औऱ चांद पर 100 दिनों की यात्रा के लिए लॉन्च पैड बनाने का वादा किया है.

एक आम आदमी की जितनी भी नॉर्मल इच्छाएं होती हैं, सर्वानन ने उससे भी ज्यादा देने का वादा किया है.एक आम आदमी की जितनी भी नॉर्मल इच्छाएं होती हैं, सर्वानन ने उससे भी ज्यादा देने का वादा किया है.

एक आम आदमी की जितनी भी नॉर्मल इच्छाएं होती हैं, सर्वानन ने उससे भी ज्यादा देने का वादा किया है. अगर ये चुनावी वादे पूरे हो गए, तो शायद ही किसी को मोक्ष की जरूरत रह जाएगी. इतना सब कुछ मुफ्त में पा लेने के बाद मोक्ष की कौन सोचेगा. ये वादे 'दूध मांगो, तो खीर देंगे' टाइप वाले हैं.

खैर, वादे से याद आया कि वादा तो हमने भी अपनी पत्नी से किया था. इस एनीवर्सरी पर एक छोटा सा ही सही गोल्ड का कोई तोहफा दे देंगे. लेकिन, कमबख्त कोरोना ने सारा प्लान ही चौपट कर दिया. अभी तो हम खुद अपनी श्रीमती के कर्ज में डूबे हैं. मेरे द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, पत्नी द्वारा दिए गए कर्ज का ब्याज क्रेडिट कार्ड के चक्रवृद्धि ब्याज से भी तेज चलता है. मतलब ऐसे समझ लीजिए कि लॉकडाउन से पहले 90 रुपये में बिकने वाला रिफाइंड आज 140 में मिल रहा है. जितनी तेजी रिफाइंड के भाव में आई है, पत्नी के द्वारा दिए गए कर्ज में उससे भी तेजी के साथ बढ़ोत्तरी होती है.

कोरोना की वजह से पूरी दुनिया की ही अर्थव्यवस्था बिगड़ गई है. अब इसे सही करना न मेरे हाथ में है औऱ न आपके. हां, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जरूर इसका तोड़ खोज लिया है. उनका मानना है कि न्याय योजना के तहत 72000 रुपये सालाना गरीब परिवारों के अकाउंट में भेजने से अर्थव्यवस्था में सुधार आ जाएगा. 

वैसे, उपकार फिल्म में एक गाना था 'कसमें, वादे, प्यार, वफा सब...बाते हैं..बातों का क्या'. चुनावी वादों का भी कुछ यही हाल है. लेकिन, ये वादे करने वाले शख्स सर्वानन थोड़े अच्छे किस्म के व्यक्ति हैं. मतलब सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इस वजह से उन्होंने इन मुफ्त की घोषणाओं के सहारे राजनीतिक दलों पर तंज कसने की कोशिश की है. लोगों को मुफ्त के चुनावी वादों के प्रति जागरूक करने का उनका ख्याल नेक है, लेकिन लोगों को पसंद नहीं आएगा, इसकी गारंटी सौ फीसदी है. उनका चुनाव चिन्ह 'कूड़ेदान' है. उनका मानना है कि ऐसे चुनावी वादों को कूड़ेदान में ही डाल देना चाहिए. लोग मुफ्त की योजनाओं के आगे सर्वानन की इस बात को उनके ही चुनाव चिन्ह में डाल देंगे. अगर मैं कभी चुनाव लड़ा, तो हर मतदाता को एक-एक तेल का कुआं दे दूंगा. पेट्रोल-डीजल के दाम भविष्य में बढ़ने ही हैं. इससे मेरा भी भविष्य सेट हो जाएगा.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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