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Updated: 11 अप्रिल, 2016 05:22 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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वीरभद्र सिंह ने खुद को सच्चा देशभक्त बताया है - बतौर सबूत उन्होंने हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में तीन बार 'भारत माता की जय' भी बोला. लेकिन अभी तक उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फणनवीस की तरह न तो देश रहने के लिए ऐसा बोलने की शर्त रखी है - और न ही छत्तीसगढ़ के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की तरह न बोलने पर जबड़े तोड़ देने की धमकी दी है.

अलग रेफरेंस में ही सही, उद्धव ठाकरे का तो कहना है कि 'भारत माता की जय' बोलेंगे तभी ना, जब जिंदा रहेंगे. सुन कर ताज्जुब भले हो पर बात तो सही बात है.

बाबा रामदेव का हाल का भाषण तो सुना ही होगा, "कोई आदमी टोपी पहनकर खड़ा हो जाता है. बोलता है कि मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा चाहे मेरी गर्दन काट लो, अरे इस देश में कानून है वरना तेरी एक की क्या हम तो लाखों की गर्दन काट सकते हैं, लेकिन हम इस देश के कानून का सम्मान करते हैं."

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फर्ज कीजिए, बाबा रामदेव को कानून का लिहाज नहीं होता या थोड़ा सीधे होकर कहें तो डर नहीं होता - फिर क्या होता?

निश्चित रूप से वही होता जो कोई भी शख्स कानून हाथ में लेने के बाद करता है. वो पहले कानून हाथ में लेता है. फिर कानून तोड़ता है. कानून को मरोड़ता है - और एक दिन ऐसा आता है जब वो उसे अपने हिसाब से अपने हिसाब से कानून का कस्टमाइज्ड पैकेज भी तैयार करा लेता है.

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भाइयों, बहनों... देशवासियों...

बाबा रामदेव तो संन्यासी हैं, उन्हें इस देश पर गर्व है, वो इस देश पर 'जां' न्योछावर करते हैं. फर्ज कीजिए उनकी जगह कोई और होता या कभी उन्हीं के मन में ऐसा विचार आता (हालांकि, इसकी संभावना न के बराबर है) तो क्या होता? आइए कल्पना करते हैं कि एबीसी एक त्रिभुज है - और...

फिर तो ऐसा होता...

1. जिस तरह रोजे के वक्त महाराष्ट्र सदन में शिवसेना के एक सांसद ने कैंटीन मैनेजर के मुहं में रोटी ठूंस दी थी - जिससे उसका रोजा पहले ही टूट गया. कानून का डर खत्म होने पर किसी से भी ऐसी हरकत की आशंका तो बढ़ ही जाती है. भले ही वो बाबा रामदेव ही क्यों न हों? भले ही रोजा रखने वाले की जगह कोई ऐसा हो जिसने नवरात्र का व्रत रख रखा हो.

2. अभी तक बाबा रामदेव देश में काला धन वापस लाने के लिए लड़ाई की बात करते हैं - अगर कहीं माथा घूम गया और कानून का डर खत्म हो गया तो पनामा नहर ज्यादा दूर थोड़े ही है. वैसे भी बाबा ने अपने असर से अपने लिए दुनिया बहुत छोटी कर ली है.

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3. बाबा रामदेव महिलाओं द्वारा समय समय पर खुद को प्रपोज किए जाने के किस्से सुनाते रहे हैं. फर्ज कीजिए उनका माथा घूम गया - और कानून की परवाह न रही, फिर क्या होगा. वो हद क्या होगी सोच कर ही मन सिहर उठता है.

ऐसा भी मुमकिन होता...

लोक सभा चुनाव में बाबा रामदेव ने कई लोगों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिलवाया था - जिनमें से एक दो नाम तो सामने भी आए. एक बार उन्होंने कहा कि वो चाहते तो मंत्री भी बन सकते थे - शायद, प्रधानमंत्री भी!

फर्ज कीजिए ऐसा ताकतवर शख्स अगर कानून का सम्मान और लिहाज न करने की बात सोच ले - और...

1. फिर तो वो रामलीला मैदान में भक्तों को बुलाकर देश में अपनी सरकार और इमरजेंसी की घोषणा भी कर दे तो ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए.

2. ऐसा सर्कुलर जारी हो जाए कि संवैधानिक पदों के लिए किसी खास योगा पोज में ही शपथ लेना अनिवार्य होगा.

3. पुलिस वालों की परेड बंद कराकर उनसे सुबह शाम योगाभ्यास कराया जाने लगे - और थर्ड डिग्री की जगह शीर्षासन, पूर्ण चक्रासन और धनुरासन अवस्था में ही अपराधियों से पूछताझ का नियम लागू कर दिया जाए.

4. जिस तरह आइएएस के इम्तिहान में सीसैट शामिल किया गया उसकी जगह योगा का कम्पलसरी पेपर लागू कर दिया जाए.

5. देश भर के कैंसर इंस्टिट्यूट को बंद करने के साथ साथ उनकी जगह योगा सेंटर खोलने का फरमान जारी कर दिया जाए.

6. होमोसेक्सुअलिटी के इलाज के लिए देश भर में पुत्रजीवक बटी के कियोस्क लगा दिये जाएं - और बाबा के चेले लोगों को पकड़ पकड़ कर दवा खिलाने लगें.

7. FMCG में MNC पर शराबबंदी की तरह पूर्ण प्रतिबंध लागू कर देश में सिर्फ स्वदेशी प्रोडक्ट ही बेचने की छूट दी जाए. साथ ही, नेस्ले की मैगी के बचे स्टॉक पर पतंजलि नूडल्स का ठप्पा लगा कर सप्लाई कर दी जाए.

लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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