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Updated: 08 नवम्बर, 2019 09:46 AM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है. लोगों के रोजगार जा रहे हैं. प्याज की कीमत (onion Price Rise) बढ़ रही है. नेता लोग मीट तो छोड़िये, अंडा खाने वालों तक को नरभक्षी बता रहे हैं. गाय के दूध में सोना निकाला जा रहा है. दिल्ली में पुलिस वाले पिट रहे हैं. वकील इंसाफ मांग रहे हैं. इतने सारे मुद्दे हैं, बोलने बतियाने को. मुद्दों की भरमार है मगर दो चीजें, पहला शिवसेना (Shivsena) और दूसरा राम मंदिर का फैसला कब आएगा? (Ram Mandir verdict date and time) के चलते सब धरा का धरा रह गया. मतलब खुद सोचिये. बैंगलोर की किसी आईटी कंपनी में बैठा कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर कोडिंग C++ पर कोडिंग करे और एरर आए. वो एरर को दरकिनार कर अपने बगल के क्यूबिकल में बैठे दूसरे इंजीनियर से पूछे कि, यार ये शिवसेना (tussle over government formation in Shivsena) में क्या चल रहा है? या फिर केरल के कोच्ची में फिशिंग नेट के जरिये फिशिंग करता हुआ कोई मछुआरा किसी दूसरे मछुआरे से पूछे कि राम मंदिर का क्या होने वाला है? फैसला (Ram Mandir verdict) कब आएगा? तो वाकई ये अजीब बात है. राम मंदिर (Ram Mandir In Ayodhya) तो फिर भी पूरे देश की भावना से जुड़ा है मगर शिव सेना... सीतापुर बाराबंकी से लेकर बलिया बस्ती तक जैसे आदमी शिवसेना (Shivsena BJP Alliance) के लिए फिक्रमंद हो रहा है हैरत में डालने वाला है. दोनों ही मुद्दों पर जैसा इस देश की जनता का रुख है खुद ब खुद साफ़ हो जाता है कि खालीपन की मार सहते देश के लोगों के पास टाइम की कोई कमी नहीं है. वो किसी भी बात को एक बड़ा मुद्दा बनाकर अपना टाइम पास कर सकते हैं और अपने साथ साथ दूसरों का भी पूरा मनोरंजन कर सकते हैं.

शिवसेना, राममंदिर, अयोध्या, महाराष्ट्र, फैसला, Shivsena   शिवसेना और राममंदिर दोनों को ही लेकर देश की जनता बहुत क्यूरियस है

बात सीधी और एकदम साफ़ है. जो लोग ये सोचकर कि शिवसेना का क्या होगा? दुबले हुए जा रहे हैं. उन्हें सोचना चाहिए कि शिवसेना (Shivsena) एक क्षेत्रीय पार्टी है जो केवल महाराष्ट्र तक सीमित है. पार्टी आगे कितने दिन चलेगी? पार्टी का आने वाला भविष्य क्या होगा? किसी और की छोड़िये इस सवाल का जवाब तो खुद पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे तक को नहीं पता. अब अगर देश की जनता इस सवाल के जवाब में अपना खाना पीना छोड़ दे. इधर की बात उधर, उधर की बात इधर करे तो चार लोग बात तो करेंगे ही.

ये बात वाकई समझ के परे है कि आखिर क्यों लोग महाराष्ट्र में शिवसेना की स्थिति पर इतना बौराए हैं? जिस देश के पास अपने लेवल के हिसाब से मुद्दे हो वो एक ऐसी पार्टी के बारे में बात करे जो आए रोज अपनी ही बातों से पलटती हो तो टेंशन तो होगी ही. जो भी इस देश की राजनीति को समझता है जानता है कि अंत में शिवसेना का क्या भविष्य होगा तो जब सब पता है फिर क्यों लोड लेना.

ये तो बात हो गई शिवसेना की अब आते हैं अयोध्या पर. अयोध्या मामले में सुनवाई (Ayodhya Verdict) हो चुकी है और जल्द ही कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी मगर लोग हैं जिन्हें इतनी जल्दबाजी है कि क्या ही कहा जाए. जैसी उत्सुकता है अगर लोगों का बस चले तो जज साहब की डायरी, पेन, हथौड़ा, तराजू, कानून की देवी सब साइड में कर दें और फैसला सुना दें.

शिवसेना, राममंदिर, अयोध्या, महाराष्ट्र, फैसला, Shivsena  फैसला आने से पहले ही अयोध्या में राममंदिर निर्माण की तैयारी तेज हो गई है

मतलब लोग कितने उतावले हैं समझना हो तो हम उस घर में जा सकते हैं जहां किसी बच्चे का जन्म हुआ है. मिलने वाले लोग जच्चा बच्चा का हाल भूल इसी उधेड़बुन में हैं कि अगर अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर (Ram Temple in Ayodhya) बना तो क्या होगा? अयोध्या मामले (Ayodhya Dispute) के अंतर्गत जितने मुंह हैं उतनी बातें हैं. तमाम तरह के कयास लग रहे हैं. कोई कह रहा है कि फैसले जुम्मे को होगा तो कोई बता रहा है कि नहीं फैसला तो छुट्टी बाद यानी मंडे को ही आएगा.

लोगों के पास लॉजिक की भरमार है. आप किसी से बात करिए तो ऐसी ऐसी बातें आएंगी कि आप खुद सोच में पड़ जाएंगे कि अगर आपने सामने बैठा व्यक्ति बैंक पीओ या फिर समूह ग की परीक्षा दे तो ये उस प्रतियोगी परीक्षा के लॉजिक और रीजनिंग वाले पोर्शन में सबसे आगे रहेगा. टॉप करेगा.

अयोध्या मामले में जनता द्वारा उठाए जा रहे सवालों का एक बड़ा कारण चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी हैं. पूरा देश जनता है कि 15 नवंबर को रंजन गोगोई रिटायर हो जाएंगे इसलिए लोग ज्यादा सवाल दाग रहे हैं. लोगों का मत है कि अगर चीफ जस्टिस रिटायर हो गए तो फिर ये मामला अधर में चला जाएगा और राम जी को उन्हीं की प्रॉपर्टी के लिए तारीख पे तारीख दी जाएगी.

बात बस इतनी भर है कि चाहे शिवसेना हो या फिर अयोध्या. होइहि सोइ जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा. यानी जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा. तर्क करके कौन विस्तार बढ़ाए. तर्क का तकाजा हमारी तरफ से यही है कि जब सही समय होगा तो शिवसेना के भाग्य का फैसला भी हो जाएगा और अयोध्या का निर्णय भी हो जाएगा. लोग धैर्य रखें. समय का चक्र अपनी गति से चल रहा है उसे जहां पहुंचना होगा अपनी निश्चित गति से पहुंच जाएगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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