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Updated: 30 जुलाई, 2016 05:47 PM
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पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र आजकल बारिश से मुहब्बत का अंजाम भुगत रहा है. आगाज तो बहुत अच्छा होता है बरसात का... रोमांटिक और रोमांचित करने वाला... बारिश की बूंदें घुंघरुओं सी बजती हैं कानों में... कहीं बारिश सावन में आग लगाती है तो कहीं धरती की तपन बुझाती है...

लेकिन ये भी सच है कि बारिश हो या मुहब्बत शुरू-शुरु में ही बहुत हसीन लगती है. हर अदा गुदगुदाती है.. लेकिन बाद में किच किच बहुत होती है. कई बार तो ऐसे कि आदमी कान पकड़ कर तौबा करने लगता है.. दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी आजकल यही हाल हो रहा है.

झमाझम के बीच हर ओर जाम है. शाम ढलने पर छलकने वाले जाम की तो बात ही अलग है... अरे यहां तो सरे आम सड़कों पर ट्रैफिक जाम.. कहीं घुटनों तक पानी जाम और इन सबके बीच जनता का जीवन जाम...

जो जनता पिछले महीने तक गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रही थी- बरसो राम धड़ाके से ये दुनिया मर गई फाके से... उफ्फ आग लगे इस गर्मी को... हे राम ये बारिश कब आयेगी...? अब वो ही आसमान की तरफ तर आंखों से ताकते हुए सूखे गले से बुदबुदा रहे हैं.. हे राम ये बारिश कब जाएगी... ?

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दिल्ली और आसपास के इलाकों में मानसूनी बारिश ने गर्मी से राहत तो दिलाई है लेकिन मुश्किलें भी बढ़ाई हैं!

दिल्ली और आसपास पिछले दो दिनों में 25 मिलीमीटर से 75 मिलीमीटर तक बारिश हो चुकी है. मौसम विभाग की भविष्यवाणी तो अब डराने लगी है कि अगले 72 घंटे और घनघोर बारिश के होंगे. यानी अपनी छत छप्पर सब दुरुस्त कर लें. क्योंकि टपकासुर का हमला होने वाला है. उसके आने की आहट देते हुए बादल गरज रहे हैं बरस भी रहे हैं और हंस भी रहे हैं. इस पर कहर बिजली का भी है... चमक रही है, गरज रही है और गिर भी रही है.

दिल्ली में कई इलाकों में भर गया पानी कब तक निकलेगा या फिर सूखेगा इसका कोई ठिकाना नहीं. दिल्ली की नौकरी बजा कर गुड़गांव जाने वाले लोग सारी रात सड़क पर या तो गाड़ियों में फंसे रहे या फिर कभी कभार रेंगते रहे. पर पौ फटने तक अपने घर तक नहीं पहुंच पाये. सूरज निकलने से पहले ही बारिश की झड़ी फिर लग गई. कभी लगातार तो कहीं थम थम कर... दोपहर बाद तो ऐसी झमाझम झड़ी लगी कि लगा कहीं तो सब कुछ ठिठक गया या कहीं सब बह गया...

हवा सड़कों पर रेंगते ट्रैफिक की तरह ही शांत थी और ऊपर से दे दनादन.. यानी यही कि लगी आज सावन की फिर ये झड़ी है.. ये दिल्ली जहां की तहां ही खड़ी है.. कभी चल रही है कभी बस पड़ी है... ये ऐसी लगी सावन की झड़ी है.

लेखक

संजय शर्मा संजय शर्मा @sanjaysharmaa.aajtak

लेखक आज तक में सीनियर स्पेशल कॉरस्पोंडेंट हैं.

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