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Updated: 13 जनवरी, 2021 02:00 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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एक कहावत है जिसमें कहा गया है 'निज़ाम ए कुदरत' से खिलवाड़ करना. कई बार बड़े बुजुर्गों से सुनी लेकिन समझ का फेर कहें या तजुर्बे की कमी कभी समझ नहीं आई और इस तरह जीवन के कई बसंत बीत गए. अब तक कहावत आई गई हो गयी थी लेकिन दिमाग की बत्ती उस वक़्त जली और ये कहावत उस वक़्त आई जब अभी बीते दिनों ही रिलीज जैकी भगनानी (Jackky Bhagnani) के जेजस्ट म्यूजिक का Karishma Tanna Ritwik Bhowmik स्टारर वीडियो Qatra देखा. करिश्मा तन्ना (Karishma Tanna) और ऋत्विक भौमिक पर फिल्माया गया 'Qatra Release' कर दिया है. आगे बात बढ़ाने से पहले बता दें कि गाने को आवाज दी है Stebin Ben ने और इसे लिखा है संजीव चतुर्वेदी ने. गाने को संजीव-अजय द्वारा कंपोज किया गया है.

Qatra, Karishma Tanna, Ritwik Bhowmik, Video, Viral Video, Atif Aslamहाल में रिलीज हुए कतरा वीडियो में कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें दर्शक शायद ही पचा पाएं

वीडियो देखिये तो वीडियो वाक़ई शानदार है. कैमरा वर्क बेहतरीन हुआ है. लोकेशन दिल लूट लेने वाली है. कोई चीज ओवर नहीं है. कलाकार फ्रेश लग रहे हैं. चाहे करिश्मा हों या फिर ऋत्विक दोनों ही एक्टर्स के बीच की ट्यूनिंग और इनके केमिस्ट्री भी कमाल है. यानी पहली नजर में सब कुछ परफेक्ट है.

ये तो हो गई तारीफ मगर हमारे द्वारा ऊपर लिखी बातों जिसमें हमने उस कहावत का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि 'निज़ाम ए क़ुदरत' से खिलवाड़ करना पूरी तरह से इस वीडियो में चरितार्थ किया गया है. आप सोच रहे होंगे कैसे? तो इसमें इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है. कुछ लूप होल्स हैं जिनपर हमारी नजर गई. देखा आपने भी होगा लेकिन हो सकता है कि आपकी नजरें करिश्मा की खूबसूरती या फिर ऋत्विक की फिजीक पर हों और आपने इग्नोर मार दिया हो. इस हिट वीडियो की शान में दुनिया तारीफ के कसीदे पढ़ रही है तो देर किस बात की आइये नजर डालें इस वीडियो की कमियों पर.

करिश्मा का गुलदस्ता देकर ऋत्विक को प्रपोज करना दिल धक से रह गया.

स्त्री पुरुष बराबर हैं. दुनिया इस बात को जानती भी है. इतिहास उठाकर देख लीजिए जितने भी आशिक हुए हैं उन्होंने मासूक को प्रपोज भी किया और घुटनों के बल बैठे भी. अच्छी बात है. प्यार की यही खूबसूरती भी है कि जब व्यक्ति प्रेम में होता है तो वो ऐसा बहुत कुछ कर जाता है जिसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की हो. बाकी कल्पना तो शायद हमने भी नहीं की थी कि कोई लड़की गाड़ी की डिग्गी से लाल गुलाब का गुलदस्ता निकलेगी और सुनसान और एकदम साफ सुथरी सड़क पर खड़े बॉयफ्रेंड के आगे बिछ जाएगी और घुटनों के बल बैठकर उसे प्रपोज कर देगी.

नहीं साहब हम महिला विरोधी नहीं हैं. बात बस इतनी है कि हम फर्जी वाले सस्ते फेमिनिज्म के ख़िलाफ़ हैं. वाकई ये बात कल्पना और सोच दिनों से परे है कि आखिर इस खूबसूरत गाने के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर ने क्या सोच के ऐसा किया.

सवाल ये है कि क्या प्रोड्यूसर और डायरेक्टर हमें ये बताना चाह रहे थे कि चीज तभी अलग होगी जब उसे हिट कराने के लिए कोई ऐसी चीज डाल दी जाए तो आम जनजीवन में शायद ही प्रैक्टिकल होती है. हम खुद कई बार इस सीन को रिपीट पर डालकर देख चुके हैं कि वो दिल जो इस सीन को देखते हुए बड़ी जोर जोर से धड़क रहा है आराम पा ले लेकिन फ़ोन का पूरा 2 जीबी डाटा ख़त्म हो चुका है बेचैन दिल को करार आया नहीं है.

आतिफ असलम वाली आवाज़ अलग लेवल का सिरदर्द है.

इस बात में कोई शक नहीं कि आतिफ़ असलम एक बेहतरीन सिंगर हैं. ऐसे भी अगर हमें आतिफ़ को सुनना होगा तो मोबाइल की वॉल्यूम फुल और लैपटॉप की वॉल्यूम 100 पर करके सुनेंगे और शायद ही कहीं और का रुख करें. जब हम एक नए सिंगर को सुनते हैं तो एक उम्मीद रहती है कि जिस आवाज को हम सुन रहे हैं वो पहली बार हमारे कानों में पड़ेगी. इन तमाम बातों के बाद अब जब हम कतरा में स्टेबिन बेन को सुनते हैं तो लगता है हम सुनने वालों के साथ धोखे की पराकाष्ठा हुई है. अरे भइया अगर हमें आतिफ़ को सुनना होता तो फिर आतिफ़ ही ठीक थे. न ये आतिफ़ असलम की फ़ोटो कॉपी नहीं चलेगी. इसकी निंदा होगी. घमघोर होगी. घमसान होगी.

लोकेशन ने आग में घी का काम किया है.

देखिये बात ये है कि जिन लोगों ने भी इस वीडियो को देखा है उसकी एक बड़ी आबादी मिडिल क्लास है. इतिहास गवाह है कि हर मिडिल क्लास की अपनी दिक्कतें या ये कहें कि चुनौतियां हैं. ऐसे में जब हम जैसा मिडिल क्लास आदमी ऐसे वीडियो और वीडियो में भी ऐसी लोकेशन देखता है तो अपने आपसे सवाल करते हुए पूछता है कि उसके अच्छे दिन कब आएंगे? क्या ही फायदा ऐसी चीज देखने का जिसको देखकर सिर्फ और सिर्ग अपना मूड ख़राब हो.

अब जबकि गाना आ चुका है और लोग इसे देख रहे हैं तो क्या ही कहा जाए. एक दर्शक के तौर पर हम लोग राम गोपाल वर्मा की आग, वरुण धवन की कुली नंबर 1, अनुराग कश्यप की बॉम्बे वेलवेट देख चुके हैं उन सब के लिहाज से तो 'कतरा' लाख नहीं करोड़ दर्जे अच्छी है. यूं भी जिसको जो देखना होगा वो उसे देखेगा ही कौन सा हमारे कुछ कहने से जनता अपना नजरिया बदल लेगी. है कि नही?

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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