Petrol-Diesel price rise जाए भाड़ में, Maggi 2 रुपए महंगी हुई, ये क़यामत है!
Maggi Price Hike : एलपीजी, पेट्रोल, डीजल जाए भाड़ में. मैगी 2 रुपए महंगी हुई है और ये कई मायनों में क़यामत से कम नहीं है. खैर मैगी चूंकि एक इमोशन है. इसलिए इसे लेकर हर किसी के अपने किस्से हैं. हर किसी की अपनी दास्तां.
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Maggi Price Hike : दुनिया तरह-तरह के लोगों और पकवानों से भरी पड़ी है. चाहे घर का किचन हो. या नुक्कड़ का कोई ईटिंग जॉइंट. तमाम ऐसे फ़ूड आइटम हमारे आस पास हैं. जिनका जायका तो छोड़ ही दीजिये, जिन्हें सिर्फ देखने मात्र से जीभ के साथ साथ आत्मा तक तृप्त हो जाए. होते होंगे मोमो, बर्गर, पिज्जा, पराठे, पुलाव के शौक़ीन लेकिन शायद ही कोई हो जो आज इस भागादौड़ी भरी ज़िन्दगी में मैगी का या फिर मैगी से मुकाबला कर पाए. मैगी सिर्फ एक शब्द. एक फ़ूड आइटम नहीं बल्कि इमोशन है. इमोशन भी ऐसा जिसको अगर परखें तो ऐसी तमाम यादें हैं जो व्यक्ति चाहे कोई भी हो, उसे नॉस्टेल्जिया में डाल देंगी. होगा कोई इंजीनियरिंग स्टूडेंट जिसके बैकपेपर की साथी रही होगी मैगी या फिर सिविल की तैयारी कर रहे किसी स्टूडेंट ने सिर्फ इस भरोसे के साथ देर रात तक पढ़ाई की होगी कि मैगी उसके पास है. कुछ कर रहे हों तो मैगी. कुछ न हो करने को तो भी मैगी. फिल्म में मैगी. पिकनिक में मैगी. हिल स्टेशन गए वहां मैगी. बीच पर दूर तक फैले समुद्र को अठखेलियां करते हुए देखना और हाथ में मैगी की प्लेट... आह! मैगी एक ऐसा सुख है जिसकी कल्पना शब्दों में नहीं की जा सकती.
मैगी का महंगा होना मैगी लवर्स के लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं है
अब तक होता यही आया था कि अगर घर पर मां या बीवी ने लौकी, टिंडे, पालक, गोभी जैसी सब्जियां बनाई हों और उसे खाने का मन न हो तो बस जेब से 12 रुपए निकालने की देर थी. दुकानदार हाथ में मैगी का पैकेट पकड़ा देता था. फिर जो मुस्कान चेहरे पर आती क्या ही कहना ऐसा लगता जैसे हम सिकंदर और हमने किला फ़तेह कर लिया.
Everything is temporary but Maggi is permanent. pic.twitter.com/yDTA6ixMro
— Sayali (@FernwehInHeart) March 22, 2022
लेकिन हाय रे जालिम जमाना उससे हम आम लोगों की ख़ुशी देखी न गयी. मैगी महंगी हो गयी है. 2 रुपए महंगी. कहने वाले कह देंगे इस महंगाई के दौर में क्या होता है 2 रुपयों में? बात सही है लेकिन विषय चूंकि मैगी है तो मैगी पर दो रुपए बढ़ना किसी भी सूरत में सही नहीं है. ये आम आदमी का, उसकी भावना का शोषण है. इसका विरोध होना चाहिए. हर सूरत में होना चाहिए.
#Maggi in hostel is like food heaven.. pic.twitter.com/NN710gNtwC
— Piyush (@PiyushAarav562) March 22, 2022
जिस तरह का ये अत्याचार है अपन तो ये तक कहेंगे कि लखनऊ- अयोध्या-पटना- बेंगलुरु वालों दिल्ली चलो. दिल्ली वालों तुम जंतर मंतर चलो. मैगी के दाम बढ़ें हैं. और हालात क्योंकि हमारे पक्ष में नहीं हैं हम मैगी लवर्स को उन सवालों से, उन तर्कों से भी दो चार होना पड़ रहा है जिसमें वाक़ई कोई लॉजिक नहीं है.
Maggi raises it's price .students in engineering colleges and kota . pic.twitter.com/putMdSOmbn
— sober_man (@StonerPsychic) March 14, 2022
ध्यान रहे तमाम मैगी हेटर्स द्वारा कहा गया है कि पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं. डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. शक्कर, दूध,साग, सब्जी, नमक और सबसे बढ़कर सरसों का तेल और रिफाइंड की कीमतें बढ़ रही हैं तो क्यों मैगी पर इतना और इस हद तक हो हल्ला करना.
सब बात ठीक है लेकिन फिर हम अपने सवालों पर जस का तस हैं. हमारा एजेंडा एकदम क्लियर है. एलपीजी, पेट्रोल, डीजल जाए भाड़ में गुजरे एक हफ्ते से मैगी 2 रुपए महंगी हुई है और ये हमारे लिए किसी क़यामत से कम नहीं है.
Mom: Agar mai Khana na banau toh tum log bhuke marogey. Me : who knows how to make Maggi. pic.twitter.com/1Laj6tnDWN
— Varsha saandilyae (@saandilyae) March 22, 2022
आगे बात होगी और भरपूर होगी लेकिन वो तमाम लोग जो इतनी बातों को पढ़कर हमें अति भावुक का तमगा लगा दें पहले इस बात को जान लें कि ये कोई पहली बार नहीं है जब महंगाई की सारी गाज मैगी पार गिरी है. याद कीजिये वो दौर जब मैगी को लेकर MSG वाला 'प्रोपोगेंडा' फैलाया गया. तब इस बेचारी मैगी ने क्या कुछ नहीं सहा और नौबत वो भी आई जब हफ़्तों हफ़्तों तक बाजार की शेल्फ से मैगी गायब रही और मौकापरस्तों की भेंट चढ़ी तब भी हमने क़ुरबानी दी और इसे उनकी मुंह मांगी कीमतों पर खरीदा.
Maggi is everything for me in hostel.preparing at 11pm after work for me & my sister:D pic.twitter.com/jZ94Hvj46l
— Krishna (@Trijyoti1) March 22, 2022
क्या ये कम नहीं था? फिर वो वक़्त क्यों नहीं मैगी के आलोचकों को याद आता जब अभी दो साल पहले कोरोना के चलते देश में लॉक डाउन लगा था. दुकानें बंद होने वाली थी. क्या बच्चे क्या बड़े सभी घरों में थे तो भर भर के लोगों ने इसे अपने अपने घरों में स्टॉक किया. तब भी हम मैगी लवर्स ने मैगी के और उसकी बढ़ी हुई कीमतों के लिहाज से बड़ी कीमत चुकाई.
Maggi is my favourite coping mechanism pic.twitter.com/ovr9ImWBEJ
— aash? (@aashna911) March 22, 2022
फिर जब लॉक डाउन ख़त्म हुआ तो हमारी 10 की मैगी 12 की हो गयी. और आज 14 की... बस यही हकीकत है और फिर इसके बाद जो है वो कोरा फ़साना है. मैगी प्राइस राइस का जिम्मेदार राज्य है या केंद्र फैसला जनता करे लेकिन सरकार को एक बार फिर इस विषय में सोचना चाहिए.
ये जो हुआ है बिलकुल भी अच्छा नहीं हुआ है. मैगी खाने वालों पर उनकी भावना पर बड़ा और करारा हमला किया गया है. विपक्ष इसे मुद्दा बनाए. सदन में उठाए और चाहे तो सत्ता पक्ष का इस्तीफ़ा मांग ले.
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