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Updated: 05 मई, 2020 10:03 PM
वेदांक सिंह
वेदांक सिंह
  @SinghVedank
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संसार में लगभग सभी बड़ी समस्याओं के पीछे दो ही वजह होती है ‘सुरा और सुंदरी’. मज़ेदार बात ये है कि अक्सर समाधान भी इन्हीं से हो जाता है. आज शराब (Liquor Shops) के ठेके खुले पर शराबियों ने कल से ही मधुशाला की पंक्तियां डाल माहौल बनाना शुरू कर दिया था. इससे पहले लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान तमाम मदिरा वैज्ञानिकों ने समय समय पर सरकार को आगाह करने की कोशिश की थी ‘शराबियों को नहीं होगा कोरोना. शराब से बने सैनीटाइज़र से भागेगा कोरोना तो सीधा पीने से क्यों नहीं’ आदि इत्यादि पर मोदी जी ने ताली बजाई और बोला घर में रहिए. बहुत से घरों में बीवियों से लड़ाइयां शुरू हो गयी. कुछ लोग जो अक्सर शराब पीकर फ़ेसबुक पर लाइव आ जाते थे. गाना गाते हुए और उस्ताद आमिर अली खां की तरह आलाप लेते थे उन्होंने जब होश में अपनी आवाज़ सुनी तो उन्हें खुद पर शर्म आने लगी. जो लोग रोज नयी नयी डिशें बनाकर संजीव कपूर बन रहे थे इंस्टाग्राम पर. वो अब अपना ही खाना नहीं खा पा रहे थे और ऐसी तमाम अन्य समस्याएं उत्पन्न हो रही थी जिससे लोगों का मनोबल टूट रहा था.

अचानक लगने लगा कि सभी की ख़ुशियों के पीछे का राज शराब ही था. शायद इसी टूटे मनोबल को देखते हुए मोदीजी ने लॉकडाउन -3 की घोषणा के दौरान कोई टास्क भी नहीं दिया. दरअसल समाज का कोई बड़ा महायज्ञ शराबियों की आहुति के बिना पूरा नहीं होता. मेरे एक करीबी मित्र की मानें तो हर बड़ा डॉक्टर सर्जरी से पहले एक पेग लेता है. सेना के जवान युद्ध से पहले एक एक पेग लेते हैं. सचिन तेंदुलकर बिना एक पेग लगाए मैदान पर नहीं जाते थे और मोदी जी बिना पेग लगाए मंच पर नहीं आते.

मतलब हर सफल व्यक्ति शराब का एक पेग ज़रूर लगाता है. मैंने इसके पीछे का सत्य जानने का प्रयास किया तो मित्र एक पेग बनाने की बात कह बात टाल गया. शराब पीने से भाईचारा बढ़ता है ‘तू भाई है मेरा’. शराब पीने से आदमी समयनिष्ठ हो जाता है. ‘जल्दी चल वरना ठेका बंद हो जाएगा’.

Alcohol, Liquor Shop, Lockdown, PM Modi ठेके के बाहर लोगों ने कुछ इस तरह खरीदी शराब

शराब पीने से आदमी बांटना सीखता है. ‘छोटे छोटे बनाना, बोतल एक और आदमी चार हैं’. शराब पीने से आदमी में परिवार के प्रति आदर और सम्मान बढ़ता है. ‘बाबा इलायची का पैकेट देना, गेट खोलते वक्त पिताजी को शक ना हो’. शराब पीने के कारण ही दुनियाको भारतनाट्यम, कत्थक आदि के बाद ‘नागिन डांस’ जैसा नया नृत्यप्रकार मिला. शराब आपको हिम्मती बनाती है. आप किसी से भी लड़ने को तैयार हो जाते हैं. शराब आपको रोमांटिक बनाता है. बीवी पहले से खूबसूरत लगने लगती है.

अखिल भारतीय बेवड़ा संघ ने शराब को बुरा कहने वालों कड़ी आपत्ति दर्ज करायी. एक मल्टीनैशनल कम्पनी का CEO हो या उसके दफ़्तर के सामने वाले मंदिर की सीढ़ी पर बैठा भिखारी. शाम को बस दो पेग मार कर सोने से ज़्यादा किसी को और कुछ नहीं चाहिए. आज जब शराब के ठेके खुले तो क्या अमीर, क्या गरीब. क्या मां के लाड़ले और क्या पापा की परियां. शटर खुलने के पहले ही सब लाइन लगा कर खड़े थे. और क्यों नहीं? इस बार अर्थव्यवस्था सम्भालने का भार भी उन बेचारों पर था.

अधेड़ वर्ग शराब क्यों ना ले? उसके बिना दिन भर बीवी की डांट कैसे झेल पाएगा? युवा क्यों ना ले? प्रेमिका का गम कैसे दूर होगा, वृद्धजन क्यों ना लें सबसे ज़्यादा ख़तरा तो उनपर ही है. कल जीवन रहे या ना रहे. कुछ लोगों ने ठेकों पर भीड़ वाली तस्वीरें देख कर सोशल मीडिया पर सोशल डिस्टेंसिंग पर लम्बे लम्बे लेक्चर दिए और उन सभी के लापरवाह होने का तंज कसा. पर शराबियों को कुछ फर्क नहीं पड़ता.

कल यही तंज कसने वाले लोग उनके पास आएंगे और पूछेंगे ‘भाईस्टॉक पड़ा है क्या’? और शराबी का हृदय इतना विशाल है कि वो सब कुछ भुला कर आपकी मदद करने को तैयार जो जाएगा. और शराब क्यों नहीं पीयें? ज़्यादातर डॉक्टर और पुलिस अधिकारी बिना ज़रूरी सुरक्षा उपकरणों के मैदान में डटे हुए हैं. तमाम डिलीवरीवाले इस माहौल में भी घर घर जाकर ज़रूरी सामान पहुंचा रहे हैं.

सीमा पर कुछ लोगों को इस माहौल में भी चैन नहीं है तो देश के सैनिक अभी भी हमारी सुरक्षा में अपनी जान दे दे रहे हैं. इन सभी बातों से शराबी भाई काफ़ी दुखी हैं. और इस दुःख को भुलाने के लिए शराब तो लगेगी ना? और सरकार नए अस्पताल नहीं बना पा रही. लिवर विशेषज्ञ नहीं भर्ती कर पा रही तो इसमें शराबियों की गलती है? जब तक विज्ञान इतनी तरक़्क़ी ना कर ले कि रोज एक बोतल पीने पर भी व्यक्ति स्वस्थ रहे तब तक क्या ख़ाक तरक़्क़ी की मेडिकल साइंस ने?

और प्रधानमंत्री मोदी जी अभी अब थोड़ा बड़ा दिल दिखाएं, आने वाली 7 तारीख़ को ‘7 बजे, 7 पेग’ का टास्क भी दें. अगर पूरा देश एकसाथ बालकनी में आकर 7 बजे, 7 मिनट में 7 पेग नीट मार जाए तो ग्रहों की दशा और चंद्रमा के तेज को देखते कोरोना इस देश से भाग जाएगा और कहीं और अपना बसेरा बनाएगा.

जिस देश में अपनी जान से ज़्यादा लोगों को शराब को पड़ी हो. उस देश में कोरोना जैसावायरस क्या टिक पाएगा? समाज ने आज अपनी असलीयत बता दी, हम यही हैं और यही हमारी सच्चाई. और हां जाते जाते बच्चन साहब की पंक्तियां भी पढ़ लीजिए. जिन तक बेवड़ा संघ टेक्निकल कारणों से whatsapp के माध्यम से ना पहुंचा पाया हो.

‘बजी न मंदिर में घड़ियाली, चढ़ी न प्रतिमा पर माला,

बैठा अपने भवन मुअज्ज़िन देकर मस्जिद में ताला,

लुटे ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,

रहें मुबारक पीनेवाले, खुली रहे यह मधुशाला’

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लेखक

वेदांक सिंह वेदांक सिंह @singhvedank

लेखक राजनीतिक टिप्‍पणीकार और पेशे से मैनेजमेंट कंसल्टेंट हैं.

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