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ऐसा भी भला क्या इश्क़? प्रेम में डूबे बिजली बाबू का गांव अंधेरे में...
गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड की तरह हाथ में हाथ डाले तो नहीं घूम सकते न , कोई संस्कार है की नहीं. लेकिन महबूबा से मिलने के लिए पूरे गांव का बत्ती ही कट दे ऐसा प्रेमी ढिबरी या टॉर्च ले कर ढूंढे न तब भी नहीं मिलेगा!
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जनाब अकबर इलाहाबादी साहब कह गए हैं कि
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
भला ये भी क्या बात हुई? इश्क़ किया है. महबूब चुना है. कोई वही नेता थोड़े न चुन रहे जो हर पांच साल बाद पुराने वादों को नए कलेवर में दे कर बेवकूफ बना रिये! शायर साब ये आपके ज़माने की बात होगी. हमने अब तरक्की कर ली. इश्क में बकायदे दिमाग ही नहीं पढाई का भी भरपूर इस्तेमाल कर रहे.न न रुक्का न लिखते हम अब सीधा महबूब से मिलने को पूरे दुनिया की बत्ती गुल कर - मून लाइट डेट होती है - महज़ हम महबूब और चांद.
बिहार में इश्क़ के नाम पर जो कुछ भी बिजली बाबू ने किया है वो कई मायनों में अनूठा है
वाह वाह वाह! सब्र का दामन थामे रखिये इश्क की नई दास्तां है. सुनाते हैं...तो किस्सा है यहीं अपने बिहार का. तो अउर का खाली राजनीति ही करवाइयेगा प्यार इश्क मोहब्बत का डिग्री का खाली मुंबई दिल्ली वाला लड़का लोग लेगा! हां नहीं तो! गणेशपुर के बिजली बाबू परेम कर बइठे गांव की ही एक कन्या से. खुल्मखुल्ला मिलने में परेशानी थी तो जुगाड़ लगाए. बिजली बाबू इतना इस्मार्ट की महबूबा से मिलने के लिए पूरा गांव को अंधेरे में डाल देते थे. एलेट्रीसियन बाबू अक्ल का इस्तेमाल किए और रोज़ शाम पूरे गांव की बिजली गुल! जी जी पूरे गांव की बिजली कट और इधर बिजली बाबू और उनकी बिजली की डेट शुरू.
केतना रोमांटिक है न? और डेरिंग भी!
सोचिये महबूबा से मिलने के लिए पूरे गांव का बत्ती ही कट कर दे ऐसा प्रेमी ढिबरी या टॉर्च ले कर ढूंढे न तब भी नहीं मिलेगा. गोधना के बाद यही एक मिला. अरे गोधन - फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पंचलैट के गोधन और मुनरी (याद आया) लेकिन दिक्क्त क्या थी कि परेम का दुश्मन सारा जहां, जानते ही हैं आप. अब ये गांव का मामला था ऐसे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड की तरह हाथ में हाथ डाले तो नहीं घूम सकते न, कोई संस्कार है की नहीं.
शहर में नहीं है तो का हमरे गांव में सब खूब संभाल सम्भल के रहते हैं. बस टिकटॉक में थोड़ा सा इधर उधर हो जाता है या थोड़ा जाति वाला ऊंच नीच है, लेकिन ऐसे परेम वरेम खुला में नहीं होता. शौच खुला में करने में दिक़्क़त नहीं है लेकिन परेम! किवाड़ बंद करिये चलिए!
खैर पढाई लिखाई का फुल इस्तेमाल किये बिजली बाबू और रोज़ शाम को 3 घंटे गांव की बिजली कट जाया करती थी. लोगो को शक तब हुआ जब बाकि आस पास के गांव में बिजली रहती थी. तो खोजी बिहारी भैया लोग लगे छानबीन करने और बिलकुल रेड हैंडेड पकड़ लिए. प्रेमी जोड़ा इलू इलू कर रहे और गांव वाले दाल भात में मूसलचंद की तरह पहुंच गए और बहुत मारे बिजली भैया को !
बताओ ज़रा... और तो और सर मुंडा कर परेड भी कराये. बोल रहे थे न हीर रांझे के ज़माने से ज़माना दुश्मन है. भले हीर गाती रहे,'कोई पत्थर सेना मारो मेरे दीवाने को', लेकिन मजाल है को ये दुनिया वाले रुक जाये. लेकिन प्रेम का मामला था और लड़का पढ़ा लिखा तो गांव वालो ने सरपंच के सामने दोनों की शादी करा दी! अब आप चाहे तो,जो वो साऊथ दिल्ली वाली दीदी लोग बोलती है- हां वो लम्बा लम्बा वाला Awww - बोल सकते है.
क्या कहा शादी करवा दी तो ये मारने से ज़्यादा बड़ी सज़ा है!
अरे जनाब अब ये तो वक़्त बताएगा की जिस बिजली को काट काट कर आशिकी करते थे ज़िन्दगी की चक्की में पिसते ही वो आशिकी कब तक कायम रहती है. असल इम्तिहान तो अब शुरू हुआ है. आटे दाल का भाव न सही सिलेंडर के भाव से इम्तिहान के कड़ा होने के पूरे आसार है. जानकारी के लिए बता दे की बिहार 2021 तक पहला राज्य था जिसने एक लाख प्रीपेड बिजली के मीटर लगवाए थे.
ये काम ज़ोरो पर है और बिजली की चोरी रोकने में कारगर साबित होगा. एक परिवार की 145 यूनिट बिजली की खपत से 400 यूनिट तक पहुंचने वाला बिहार बिजली आत्मनिर्भता की ओर धीरे धीरे बढ़ रहा है. तो बिजली से रौशन बिहार में बिजली बाबू को शादी मुबारक! नए जोड़े को दुआएं और बाकियों को सलाह, प्यार के इम्तिहान के लिए ही सही पढ़ाई तो ज़रूरी है.