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Updated: 23 दिसम्बर, 2017 06:36 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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चारा घोटाले जैसा कुछ था ही नहीं. जो आरोप लगे उन आरोपों पर जो काउंटर हुए वो सब पॉलिटिक्स थी. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. लालू के एक बेहद करीबी और रिश्ते के लिहाज से उनकी पत्नी के बहुत दूर के मौसिया के बड़े साले के छोटे दामाद ने जो जानकारी दी है उसको सुनकर मैंने जो दांतों में अंगुली दबाई मारे सरप्राइज के अंगुली कट गयी और उसमें से खून निकल आया. लालू के उस रिश्तेदार ने मुझे व्हाट्स ऐप पर बताया कि दरअसल आज से कोई 21 साल पहले हुआ ये था कि लालू के तबेले से चरने के लिए निकली एक गाय रास्ता भटक गयी थी और देवघर पहुंच गयी.

लालू प्रसाद यादव, चारा घोटाला, बिहार, सीबीआईकोर्ट द्वारा इस फैसले से लालू की मुसीबतों का बढ़ना लाजमी है

लालू के तबेले से देवघर तक का रास्ता लम्बा था, और वैसे भी इतिहास गवाह है कि लम्बे रास्ते जल्दी खत्म नहीं होते. हां तो चलते-चलते गाय को भूख लग आई और उसने थोड़ा सा "खा-पी" लिया. अच्छा चूंकि गाय काफी देर से निकली थी जिस कारण उसका कोई अता पता नहीं था तो मालिक की फ़िक्र स्वाभाविक थी. लालू तब बिहार के मुख्यमंत्री थे उन्होंने अपने रुतबे का कंबल ओढ़ते हुए फरमान जारी कर दिया कि तत्काल प्रभाव में गाय को खोजा जाये और उसकी "घर वापसी" कराई जाए.

बात मुख्यमंत्री की थी आनन फानन में कार्यवाही हुई लालू के लठैतों ने अपनी यामाहा आरएस 100 तो बिहार पुलिस ने अपनी पुरानी जंग लगी महिंद्रा जीप स्टार्ट की. विपक्ष के लोगों ने भी मामले को बड़ा जान कर अपनी अपनी स्कूटी उन गाड़ियों के काफिलों के पीछे लगा दी... लालू का खौफ़, ऊपर से बिहार की खस्ताहाल सड़के, जाहिर है पुलिस जीप देरी से पहुंची होगी और लालू के लठैतों की यामाहा आरएस 100 और विपक्ष की स्कूटियां पहले. खैर  उन मोटर साइकिलों पर सवार लालू के कारिंदों ने ऐसी हरकत कर दी जिससे लालू का नाम इतिहास में दर्ज हो गया. मौका ए वारदात का नजारा बड़ा दिल फरेब था बेचारी पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या करे.

जब पुलिस मौके पर आई तो उसने देखा कि लालू की गाय चारा समझ, मुंह में पड़े नोटों के बंडल को चबा रही है. लालू के लठैत उसे निकलाने का प्रयास कर रहे हैं और उसे हरी घास का बंडल दिखा रहे हैं. मौके पर आई पुलिस को देख, पहले से पहुंचे विपक्ष को भी हिम्मत आई और उसने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू किया कि चूंकि गाय लालू की है जो चारा समझ नोट खा गयी है तो ये माना जाए कि ये हरकत लालू की है और उन्हें गिरफ्तार किया जाए.

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अच्छा क्योंकि मामला हाई प्रोफाइल था अतः सूंघते हुए पत्रकारों का भी वहां पहुंचना लाजमी था. मौके पर पहुंचे पत्रकार ने चतुराई का परिचय देते हुए पुलिस और लालू के लोगों के वहां पहुंचने के पहले ही नोट खाती गाय के 6 - 7 क्लोज अप शॉट लिए और एक 5 कॉलम की खबर अपने सांध्य दैनिक अखबार में छापकर एक कॉपी लालू के बंगले में डलवा दी. पत्रकार को उम्मीद थी की होली पर मिलने वाले ऐड के मद्देनजर इस बार वो लालू एंड पार्टी पर दबाव बना लेगा और दो कॉलम की फोटो और 4 लाइन के बधाई सन्देश के एवज में वो लालू से तिगुना लगान लेगा. माली ने अखबार उठाकर  लालू को पकड़ा दिया जिसे देख वो आग बबूला हो गए और मौके पर पहुंच गए.

पुलिस के सामने लालू अपने को निर्दोष साबित करने के प्रयास कर ही रहे थे कि विपक्ष वाले भी अपने बड़े नेता और सीबीआई के लोगों को वहां ले आए और ये आरोप लगा दिया कि इतनी बड़ी मात्रा में चारा लालू ने ही खाया है और इसके लिए उन्हें कड़ी से कड़ी सजा हो.

पूरे मामले पर सबके अपने आरोप थे जिससे सीन मजेदार हो गया था . लालू एक एक को पकड़ पकड़ कर कह रहे थे कि गलती गाय की है जो नोट खा गयी. विपक्ष कह रहा था कि भले ही गाय ने चारा खाया हो मगर यही माना जाएगा कि नोट तो लालू के ही पेट में गए. पुलिस वाले बेचारे अपना माथा पकड़े कभी इधर घूमते कभी उधर ऐसा इसलिए क्योंकि सारा क्रेडिट सीबीआई ने ले लिया था.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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