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Updated: 03 जून, 2021 11:51 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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होती होंगी बदकिस्मती की परिभाषाएं सबकी अपनी अलग अलग. होते होंगे तमाम कारण. मगर देश का एक बड़ा वर्ग है, जो आज भी जब कभी अपनी अलमारी खोलता है. या जब कभी नौकरी बदकता है. किसी नई जगह जाता है. तो जो चीज उसे सबसे ज्यादा आहत करती है वो हैं हाई स्कूल और इंटर की मार्कशीटें. अरे साहब ये ग्रेड ये परसेंटेज तो आजके चोंचले हैं. दौर तो वो भी था जब सिर्फ पास होना ही एक उपलब्धि था. न जाने कितने लोग हमारे आस पास ही होंगे जिनकी शादी ही इसलिए हुई क्यों कि उन्होंने कोई छोटी मोटी परीक्षा जैसे 8वीं, 9वीं, 10वीं या 11वीं नहीं पास की थी. वो लोग 'इंटर' पास थे. आज भले ही जालिम जमाने के सामने इंटर दाल में पड़ा चुटकी भर नमक या उससे भी कमतर हो लेकिन एक दौर वो भी था कि किसी छोटे मोटे शहर के 5 किलोमीटर के रेडियस में इक्का दुक्का ही हुआ करते थे जिन्होंने इंटर पास किया होता था. यूं समझ लीजिए आज का यूपीएससी है तब का इंटर. क्या जलवे थे इंटर वाले लोगों के. बाबू थे एकदम बाबू.

Coronavirus, Covid 19, Examination, Narendra Modi, Prime Minister, CBSE, ISC, Boardकोरोना के नाम पर CBSE की बोर्ड परीक्षा रद्द कर पीएम मोदी ने कई लोगों को आहत कर दिया है परीक्षा

ये बातें 80 के दशक से पहले की हैं और तब देश में न कंप्यूटर था न इंटरनेट इसलिए 'इंटर' 'इंटर' था. इसके बाद दौर बदलते रहे. फिर 1995 से 2005 तक एक वक्त वो भी आया जब करियर के पॉइंट ऑफ यू से इंटर की अपनी प्रासंगिकता बनी. नहीं हम ये नहीं कह रहे1995 से पहले इंटर का भौकाल कम था. हम बता बस ये रहे हैं कि 1995 के बाद आदमी इंटर अपने लिए कम दूसरों के लिए ज्यादा करता था. तब उस समय सिर्फ पास होना काफी नहीं था तब कहा गया 'परसेंटेज मैटर्स.'

सवाल होगा कि इंटर और इंटर करने को लेकर इतनी कथा क्यों बांची जा रही है तो भइया वजह है कोरोना वायरस और सीबीएसई. आगे और कथा बांची जाएगी मगर पहले मैटर समझ लिया जाए. हुआ कुछ यूं है कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय बैठक की है जिसमें बड़ा फैसला लेते हुए सीबीएसई की 12 यानी 'इंटर' की परीक्षा को रद्द किया गया है. साथ ही आईएससी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा भी रद्द कर दी गई है.

मीटिंग में सहमति बनी है कि यदि पिछले साल की तरह कुछ छात्र परीक्षा देने की इच्छा रखते हैं, तो मौसम ठीक होने (कोरोना हटने) पर सीबीएसई द्वारा उन्हें परीक्षा में बैठने का विकल्प प्रदान किया जाएगा. पीएम मोदी ने बोला है कि सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा पर फैसला छात्रों के हित में लिया गया है. बारहवीं कक्षा के परिणाम समयबद्ध तरीके से और अच्छी तरह से तैयार किए जाएंगे.

हमारे छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस पहलू पर कोई समझौता नहीं होगा.पीएम मोदी ने कहा था कि कोविड-19 ने अकादमिक कैलेंडर को प्रभावित किया है और बोर्ड परीक्षाओं का मुद्दा छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों में अत्यधिक चिंता और तनाव पैदा कर रहा है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए.

कुल मिलाकर फैसला छात्र छात्राओं की सेहत को ध्यान में रखकर लिया गया है. वाक़ई बहुत अच्छी बात है. लड़के बच्चों को ख़ुश होना चाहिए और पीएम मोदी को दंडवत होकर थैंक यू कहना चाहिए. जब से ये खबर सुनी है दिल खून के आंसू रो रहा है और इन आजकल के लड़के लड़कियों से, जिनकी 'इंटर' की परीक्षा रद्द हुई जलन हो रही है और भरपूर हो रही है.

इससे पहले की आप सवाल करें क्यों? हम खुद ही बता दे रहे. हममें से अधिकांश उस केटेगरी के लोग हैं जिन्होंने इंटर 2000 के बाद किया. आज जो बच्चे बारहवीं का बोर्ड एग्जाम कैंसिल होने से खुश हैं एक बार पूछ के देखें 2000 के दौर वाले लोगों से. मिलेगा कि अगर मैथ्स, और फिजिक्स या फिर केमिस्ट्री के इम्तेहान के बीच दो - तीन दिन का गैप हो तो जो खुशी मिलती थी उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता था.

उस दौर के जिस छात्र के साथ ऐसा हुआ हो पेपर के बीच 'गैप' हज या तीर्थ की खुशी होते थे. खैर, जैसा कि ज़िन्दगी इम्तेहान लेती है तब उस दौर में तकदीर ने हमारा भी इम्तेहान लिया मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री सब के एग्जाम दिए और एक के बाद एक दिए. बिना गैप के दिये. और हां. तब शिक्षा इतनी 'लिबरल' भी नहीं थी. 15 मिनट ज्यादा क्रिकेट खेल लो तो दो घंटा मुर्गा बनना पड़ता था.

अब जब ये सुना कि सरकार ने कोरोना के नाम पर सीबीएसई और आईएससी बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी है तो अपना दौर याद करते हुए उस शायर की बात याद आई जिसने कहा था - हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता. किसी को ज़मीं किसी को... जाने दीजिए बीता हुआ वक़्त था. अब कहां लौट के आने वाला. जिन बच्चों के एग्जाम रद्द हुए उन्हें बस इतना ही 'हैप्पी छुट्टी'.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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