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Updated: 31 जुलाई, 2021 09:50 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कोरोना महामारी के दौरान बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने दुनियाभर के लोगों को सिखाया कि अगर किसी को समाजसेवा करनी है, तो उसके लिए दौलत नहीं, बल्कि नीयत की जरूरत होती है. शायद सोनू सूद की इस सीख से भाजपा सांसद और सिंगर बाबुल सुप्रियो (babul supriyo) ने भी प्रेरणा ले ली है. एक फेसबुक पोस्ट के जरिये बंगाल में भाजपा के बड़े नेता बाबुल सुप्रियो (babul supriyo bjp) ने कहा कि समाज सेवा के लिए राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है. राजनीति से अलग होकर भी समाज सेवा की जा सकती है. वैसे, इस पोस्ट को लिखने की असल वजह राजनीति छोड़ने (babul supriyo quits politics) की घोषणा थी. अपनी इस ढाई बीघा की लंबी-चौड़ी फेसबुक पोस्ट में बाबुल सुप्रियो (babul supriyo news) के होठों पे दिल का तराना आ ही गया. बाबुल सुप्रियो ने अपना इस्तीफा देते समय तमाम बातें लिखी हैं. लेकिन, उन्होंने जो समाजसेवा की बात कही है, कसम खुदा की...उसने दिल छू लिया है.

लोग लाख कहें कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में कुर्सी छिन जाने की वजह (why babul supriyo resigned) से बाबुल सुप्रियो ने इस्तीफा दिया हो. लेकिन, ना उनका और ना मेरा मन, ये मानने को तैयार है कि इस कारण से उन्होंने इस्तीफा दे दिया होगा. वो समाज सेवा करने के लिए राजनीति में आए थे और अपनी समाज सेवा के दम पर ही लगातार दो लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने हैं. वो अलग बात है कि भाजपा ने जब बंगाल विधानसभा चुनाव में विधायिकी के लिए जमीन पर उतारा तो हार गए. वैसे, विधायक से बड़ा सांसद होता है. सांसद के पास विधायक की तुलना में समाज सेवा के लिए फंड भी ज्यादा होता है. लेकिन, अब बाबुल सुप्रियो (babul supriyo quits bjp) ने तय कर लिया है कि वो अपने क्षमता के अनुसार, समाज सेवा करेंगे और इसके लिए राजनीति के सहारे की जरूरत उन्हें नहीं है.

21वीं सदी के इस दौर में आज भी जब महानगरों की सड़क पर दौड़ते टेंपो-ऑटो में 90's के गाने बजते हैं, तो दिल गार्डेन-गार्डेन हो जाता है. उस पर जब टेंपो वाले तेज आवाज में 'तुम्हीं ने मेरी जिंदगी खराब की है' वाला गाना बजा देते हैं, तो आनंद की सीमा क्या होती है, ये मत पूछिए. वैसे, बीते दिनों जब बाबुल सुप्रियो को मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था. तो, उन्होंने ट्वीट कर अपने लिए दुख भी जताया था. कहने वाले कह रहे हैं कि बाबुल ने भाजपा पर दबाव बनाने के लिए इस्तीफे की पेशकश की है. लेकिन, हम भी किशोर कुमार को सुनने वाले हैं और हमें पता है बेकार की बातों को कैसे छोड़ा जाता है. ऐसा कहना वाले वही लोग हैं, जो बाबुल सुप्रियो के तमाम गानों को सुनकर कहते थे कि ये कुमार सानू की नकल कर रहा है. माना कुमार सानू अपने जमाने के दिग्गज सिंगर हैं. लेकिन, फिलहाल वो भी खाली ही बैठे हुए हैं.

कहने वाले कह रहे हैं कि बाबुल ने भाजपा पर दबाव बनाने के लिए इस्तीफे की पेशकश की है.कहने वाले कह रहे हैं कि बाबुल ने भाजपा पर दबाव बनाने के लिए इस्तीफे की पेशकश की है.

कोरोना महामारी की वजह से अच्छे-भले लोग खाली हो गए हैं. खाली दिमाग शैतान का घर होता है, ये बात राज कुंद्रा ने साबित भी कर दी है. फिलहाल जमानत के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. लेकिन, भारत के संविधान और न्याय व्यवस्था में विश्वास रखने वाला कोई भी आदमी आसानी से कह देगा कि राज कुंद्रा को बहुत ज्यादा समय तक जेल की हवा नहीं खानी पड़ेगी. खैर, वापस बाबुल सुप्रियो पर आते हैं. बाबुल ने अपनी ढाई बीघा की लंबी-चौड़ी पोस्ट में कई बार 'वो' शब्द का इस्तेमाल किया है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस 'वो' की वजह से ही बाबुल सुप्रियो का इस्तीफा हुआ है. लेकिन, सही मायनों में 90 के दशक के गानों के प्रेमियों पर इस 'वो' ने बहुत बड़ा उपकार किया है.

वैसे भी बाबुल सुप्रियो के पास राजनीति में करने के लिए कुछ खास बचा नहीं है. सांसद रहते हुए जो शख्स विधायिकी का चुनाव हार जाए, उसे राजनीति से दूर हो ही जाना चाहिए. अब राजनीति छोड़कर वो संगीत की दुनिया में ही लौटेंगे, क्योंकि उनका पास दूसरा कोई ऑप्शन भी नहीं है. तो, बाबुल सुप्रियो के राजनीति छोड़ने पर उदास मत होइये, अच्छे गाने सुनने को मिलेंगे.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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