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Updated: 10 फरवरी, 2021 08:45 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
  @masahid.abbas
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बाबर का नाम सुनते ही मन में ख्याल आने लगता है अयोध्या, बाबरी मस्जिद और राम मंदिर. राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तेज़ी के साथ काम चल रहा है. साल 2024 तक निर्माण पूरा हो जाने का भी अनुमान है. अयोध्या विकास की सीढ़ी चढ़ रहा है. सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का पूरा फोकस अयोध्या को चमकाने पर है. राम मंदिर के बनने से पहले तो अयोध्या को सजा देने का मानो संकल्प ले रखा हो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने. दौरे पर दौरे कर अयोध्या की तस्वीर बदलने पर पूरा ध्यान लगा रहे हैं. ऐसे में बची बाबरी मस्जिद. दो अलग अलग जाति और धर्म के प्रेमी प्रेमिकाओं की शादी की राह में इतने रोड़े नहीं होते हैं जितने कि बाबरी मस्जिद के निर्माण में हैं. देश की सर्वोच्च अदालत ने मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ ज़मीन दी.

ज़मीन मिल जाने के बाद से जो नाटक शुरू हुआ वो अबतक बदस्तूर जारी है. बाबरी मस्जिद वाले बोर्ड के जो भी मेंबर हैं वह तो आपस में इतने बंटे हुए हैं कि दुनिया के नक्शे पर इतने देश की सीमाएं भी नहीं बंटी हुई है. बोर्ड मेंबर के बीच पहली मीटिंग में ही दो फाड़ सामने आ गए. एक ग्रुप बोला, भाई साहब जो ज़मीन मिली है 5 एकड़ उसे स्वीकार ही न किया जाए, चंदा लेकर नई ज़मीन खरीदते हैं और मस्जिद बनाते हैं. दूसरा ग्रुप बोला, नहीं नहीं ज़मीन कोर्ट ने दी है ज़रूर लेना चाहिए और वहां मस्जिद भी ज़रूर बनाना चाहिए. दो की लड़ाई में तीसरा ग्रुप भी झम से कूद पड़ा और बोला, भाई क्यों न बाबर के नाम से अस्पताल बना दिया जाए या फिर स्कूल ही बना दिया जाए.

Ayodhya, Ram Temple, Babri Masjid, Ayodhya Dispute, Allahabad High Court, Supreme Courtमस्जिद के नाम पर बाबर की फजीहत तबियत से हो रही है

इधर बाबरी बोर्ड की बैठक को लाइव देख रहे थे बाबर और उनके साथ में बैठे थे मीर बाकी. जी हां वही मीर बाकी जो बाबरी मस्जिद को बनवाए थे. बाबर ने चाय की चुस्कियां लेते हुए अपने साथ बैठे मीर बाकी से कहा, मियां कुछ भी हो मगर आज फैसला होकर रहिगा, आज या तो मस्जिद का ऐलान होगा या फिर मेरे नाम पर बनेगा स्कूल, अस्पताल. ये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी फैज़ाबाद शहर जिसको अब अयोध्या कर दिए हैं न यहां भी बाबर यानी के मेरे नाम पर खूब बड़ा सा बोर्ड लगेगा और उसपर लिखा होगा बाबरी स्कूल या फिर बाबरी अस्पताल. नहीं तो बाबरी मस्जिद का बोर्ड लगना तो तय ही है.

मीर बाकी ने मुस्कुरा कर कहा, हुज़ूर बिल्कुल सही बोले हैं आप आज तो बोर्ड के मेंबर आपको तोहफा देकर ही मानेंगे. इधर ये बातचीत जारी थी कि उधर बोर्ड की प्रेस कांफ्रेस शुरू हो गई. प्रेस कांफ्रेस में बोर्ड मेंबर्स ने बताया कि फैसला हो गया है, मस्जिद भी बनेगी, अस्पताल भी बनेगा और लाइब्रेरी भी बनाई जाएगी साथ ही कम्युनिटी किचन का भी निर्माण होगा. एक पत्रकार पास ही बैठे थे फौरन ही उठकर खड़े हो गए और बड़े ही चुस्ती के साथ पूछा, मियां आपका फैसला तो हो गया मगर ये बताइये क्या ये सबकुछ बाबर के नाम पर ही होगा?

बोर्ड के किसी भी मेंबर ने इस सवाल की उम्मीद की थी या नहीं की थी उसकी छोड़िए, लेकिन भाई साहब चेहरे के रंग बता रहे थे सवाल जोरदार है. बोर्ड वाले सदस्य एक दूसरे की ओर तांका-झांकी करने लगे. उधर इसका लाइव प्रसारण देख रहे बाबर और मीर बाकी ने अपना सारा काम छोड़ बोर्ड मेंबर्स के जवाब का इंतेज़ार करने लगे. इतना सन्नाटा था कि सुई भी जो पास गिरती तो बड़ा जोरदार धमाका टाइप आवाज़ आता. इतनी आस लगाकर बाबर और उनके साथ मीर बाकी बैठे थे लेकिन बोर्ड के सदस्यों ने जवाब को टाल दिया.

इंतज़ार की भी हद होती है लेकिन बोर्ड वालों ने बाबर को खूब इंतज़ार कराया. उधर बाबर बेचैन रहने लगे. एक एक दिन महीनों की तरह बीतने लगे कि एक दिन अचानक से ब्रेकिंग न्यूज़ देखा, फौरन मीर बाकी को आवाज़ लगायी, मीर जल्दी आओ बोर्ड वालों की प्रेस कांफ्रेंस शुरू हो गई है. मीर बाकी दौ़ड़े-दौड़े आए. बोर्ड वालों ने ऐलान किया, मस्जिद की नींव पड़ने जा रही है 26 जनवरी 2021 को, मस्जिद बाबर के नाम पर नहीं रहेगी. मस्जिद धन्नोपुर मस्जिद के नाम पर जानी जाएगी. और ये बाबर वाली मस्जिद की तरह नहीं बनाई जाएगी बल्कि हाईटेक बनाई जाएगी हाईटेक, हाईटेक का नाम सुनते ही हर्टअटैक वाली फीलिंग आई बाबर को.

हाले दिल क्या पूछो बाबर का, छुरा चल गया था सीने पर. वर्ष 1527 में मस्जिद बनवाकर वर्ष 1530 में दुनिया छोड़ जाने वाले बाबर का तो आज भरोसा भी मर गया था. मीर बाकी ने तसल्ली देते हुए कहा, हुज़ूर आल इज़ वेल, आल इज़ वेल, देखिये हिम्मत मत हारिए. ये बोर्ड वाले इतने साल आपके नाम पर कोर्ट कचहरी किए हैं देखना ये परिसर में ज़रूर आपके नाम का बोर्ड लगाएंगे.अब चूंकि मीर बाकी ठहरे भरोसेमंद आदमी, बाबर ने फौरन भरोसा कर लिया और कहा, मीर तुम कहते हो तो सही ही कहते होगे.

इंतज़ार होने लगा 26 जनवरी 2021 का. नींव पड़ गई लेकिन बाबर का ज़िक्र तक नहीं हुआ. किसान आंदोलन वालों से बाबर भी जल भुन गए. ट्रैक्टर रैली के चलते पट्टी तक न चलने दी इन किसानों ने मस्जिद की बुनियाद के संबंध में. मीर ने कहा हुज़ूर मस्जिद और अस्पताल की तामीर पूरी हो जाएगी तो आपका खूब बड़ा सा बोर्ड लगेगा.उधर वह इंतज़ार में बैठे हैं कि कब मस्जिद और अस्पताल बनकर तैयार हो कि इधर एक और ड्रामा शुरू हो गया.

दो बहनों ने मुकदमा ठोंक दिया अदालत में. दोनों ने पत्र में लिखा जज साहब, बाबर हैं न बाबरी वाले, उनको जो ज़मीन आपने दिया है वो मेरी है. वापिस करा दीजिए. ये खबर जंगल में आग की तरह फैला, हड़कंप मच गया. बोर्ड मेंबर जिस हाल में घर में बैठे थे उसी हाल में दौड़े धन्नोपुर, अयोध्या नगर निगम से लेकर ज़मीन से जुड़ा हर विभाग हर इंसान हिल गया. सरकार ने टकटकी बांध ली अरे ये क्या है. उधर बाबर के तो आंसू निकल पड़े और मीर के पास जाकर बोले, मियां मीर अदालत की तैयारी फिर से करो, तारीख पर तारीख लगेगी चलना पड़ेगा.

मीर को कुछ समझ में आता इससे पहले ही बाबर ने दुखड़ा सुनाने की स्पीच शुरू कर दी. मीर कितने साल बाद तो फैसला आया था, कुछ ही साल में मेरे नाम से सबकुछ बन जाने वाला था लेकिन अब फिर मुकदमा लड़ना पड़ेगा औऱ अबकी हमारे ये बोर्ड वाले मेंबर क्या दलील रख पाएंगे क्या नहीं, बड़ी टेंशन में हूं मीर. मीर बाकी ने बाबर को गले लगाकर एक बार फिर हौसला दिया. इधर मुकदमे की तारीख लगी तो जज साहब ने ज़मीन को खंगालना शुरु किया.

मालूम हुआ अबकी बार तो बाबर के ऊपर गलती से इल्ज़ाम लग गया है. ये वाली ज़मीन तो इन बहनों की है ही नहीं वह तो दूर है. बस गाटा संख्या में हेरफेर हो गया है.बस बस इसी लाइन ने उत्तर प्रदेश सरकार, नगर निगम अयोध्या, बोर्ड सदस्य के चेहरे पर सुकून ला दिया. उधर बाबर और मीर बाकी भी मुस्कुरा रहे हैं.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास @masahid.abbas

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं

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