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Updated: 11 सितम्बर, 2021 01:55 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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मैं - भाई वो कुछ लांच करे सानू की? कौन सा अपन जैसे उसे खरीद ही रहे हैं.

दोस्त - नहीं. लेकिन टेक्नोलॉजी वो भी Apple Technology की खबर तो रखनी ही चाहिए?

मैं - देख यार बात क्लियर जिस गली में जाना ही नहीं उस गली का जिक्र कैसा?

दोस्त - शिट यार ! तुझसे तो बात करना ही बेकार है. जस्ट गेट लॉस्ट

मैं - हां मैं भी चलता हूं मौसम अच्छा है तो जल्दी जा रहा हूं. अभी बेसन और प्याज भी लेनी है. शाम को पकौड़े का प्रोग्राम है. मन हो तो आ जाना दोनों भाई चाय पियेंगे पकौड़े खाएंगे. छोड़ पानी डाल Apple पर.

iPhone 13, iPhone, iPhone Craze, Apple iPhone, iPhone Features, Apple, Technologyतकनीक की दुनिया में आईफोन 13 को एक बहुत एक बहुत बड़ी क्रांति माना जा रहा है

तो भइया ये हुई बातचीत मेरी और मेरे दोस्त की उस खबर पर जिसमें कहा गया कि apple iPhone13 जल्द ही लांच कर रहा है.वाक़ई मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है Apple में. अपन का जैसा स्वभाव है कांसेप्ट काला अक्षर भैंस बराबर वाला है. अपने लिए हर फोन, फोन है भले ही वो iPhone ही क्यों न हो.न न ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अपने को टेक्नोलॉजी की समझ नहीं है. या फिर अपन दीन दुनिया और दुनियावी दस्तूरों से बेगाने हैं. बात बस इतनी है कि

'मेरे हालात ऐसे हैं कि मैं कुछ कर नहीं सकता

तड़पता है ये दिल मेरा लेकिन ये आहें भर नहीं सकता.

नहीं मेरे दोस्त ये हाल सिर्फ मेरा नहीं है. तुम्हारा बल्कि हर उस आदमी का है जो मिडिल क्लास है. देखो इससे फर्क नहीं पड़ता कि तुम मिडिल क्लास में कौन सी क्लास यानी लोवर मिडिल क्लास या मिडिल मिडिल क्लास या अपर मिडिल क्लास से हो. मैटर ये करता है कि तुम 'मिडिल क्लास' से हो.

यार बहुत सीधा सा फंडा है. मिलीमीटर और सेंटीमीटर भर की सैलरी पाने वाले मिडिल क्लास को हक़ है किलोमीटर भर सपने देखने का. मगर जैसा जिम्मेदारियों का बोझ है. जैसा हर दूसरी चीज के लिए संघर्ष है क्या वाकई हम जैसे लोगों को हक़ है iPhone खरीदने का.

जैसी अपनी अर्थव्यवस्था की व्यवस्था है अपने को कोई फर्क नहीं पड़ता कि iPhone 11 का कैमरा बड़ा है जिसे 13 में छोटा किया जाएगा. वो प्रोसेसर जो iphone10 में लगा था उससे कहीं ज्यादा तेज प्रोसेसर iphone 13 में होगा. अपने लिए iPhone 13, 14, 15 या 16 सिर्फ चाय पकौड़े तक ठीक है.

देखो गुरु परिस्थितियों ने अपनी जिस हिसाब से लंका लगाई है न पूरी गारंटी है कि यदि इसे खरीदने के लिए किडनी भी गिरवी रख दी जाए तो वो सूख के कुछ इस हद तक छुहारा हो गयी है कि साहूकार एक फूटी कौड़ी तक न देगा.

भंते याद रखो iphone का ये किडनी वाला जोक भले ही पिट चुका हो, सड़ा गला और भद्दा मजाक हो मगर महंगाई के इस दौर में जब सैलरी मूंगफली जैसी और खर्चे कटहल जितने कटीले हों तो iPhone13 ख़रीदना किसी भी सूरत में मजाक नहीं है.

ख़ैर ज्ञानियों और सुधीजनों को ज्ञान क्या ही देना बात बाकी बस इतनी है कि वो मित्र जो iPhone की शान में कसीदे पढ़ रहा था अभी बीते दिन ही उसका फोन आया कहने लगा भाई तेरी भाभी वाले जियो नम्बर पर 599 का रिचार्ज कर दे पैसे सैलरी आने पर ले लेना. तू तो जानता ही है सारी सैलरी घर के किराए में, बच्चों की फीस, राशन, पेट्रोल और एलआईसी की किश्त में निकल जाती है.

दोस्त की बात भी सही है.आम आदमी और वो भी मिडिल क्लास की जिंदगी होती ही है स्ट्रगल वाली. खैर इधर मैंने लूप पर बेगम अख्तर की वो ग़ज़ल चला दी है जिसे लिखा शकील बदायूंनी ने था. ग़ज़ल के बोल हैं.

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया

जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी

आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

कभी तक़्दीर का मातम कभी दुनिया का गिला

मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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