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Updated: 09 जून, 2018 12:14 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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खबर है कि बिहार में शराबियों के बाद अब खैनीखोरों के अच्छे दिन बुरे दिनों में बदलने वाले हैं. अब आलोचक कुछ भी कहें, आलोचना करते-करते जान दे दें. मगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं आदमी मजबूत. नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली को देखकर ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि वो एक ऐसे व्यक्ति है जो अपनी जुबान के पक्के हैं. यानी वो जो कहते हैं जरूर करते हैं और जो नहीं कहते उसे तो पक्का करते हैं.

अब इस बात को अगर किसी को समझना हो तो वो शराबबंदी देख ले. जिस दिन से बिहार में शराबबंदी हुई है मजाल है कोई शराब पीकर यहां वहां चले. या फिर यहां वहां नाली और गड्ढे में गिरे. कहना गलत नहीं है कि वर्तमान में बिहार के शराबियों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काल से कम नहीं हैं. नीतीश एक ऐसा काल हैं जिसकी चपेट में जब शराबी आता है तो उस पर कानून की इतनी धाराएं लग जाती हैं कि उसका सारा नशा हिरन हो जाता है.

खैनी, नीतीश कुमार, बिहार, शराबबंदी    जब से खैनी को लेकर खबर आई है बिहार के लोग खासे परेशान नजर आ रहे हैं

बिहार में शराब बंदी से गदगद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर इतिहास दोहराते हुए एक ऐसा फैसला लिया है जिसने लोगों को हैरत में डाल दिया है. शराबबंदी की अपार सफलता के बाद बिहार सरकार अब खैनी पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिख कर खैनी को फूड प्रोडक्ट में शामिल करने के लिए कहा है. अगर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) खैनी को फूड प्रोडक्ट में शामिल कर लेता है, तो सरकार को स्वास्थ्य के आधार पर खैनी को बैन करने की शक्ति मिल जाएगी.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. बिहार के प्रधान सचिव ने इस खबर की पुष्टि की है और उन खैनीखोरों के माथे पर चिंता के बल ला दिए हैं, जो खैनी खाकर यहां वहां थूकते थे. उन्होंने इस बाबत केंद्र सरकार को एक लैटर लिखा है. अपनी लिखी चिट्ठी में प्रधान सचिव ने कहा है कि, आज बिहार में हर पांचवां आदमी खैनी खाता है. हमारे पास नियम हैं जो सिगरेट के रूप में तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करते हैं, लेकिन खैनी की खपत को लेकर ध्यान देने की आवश्यकता है.

राज्य सरकार के निर्णय को आधार बनाते हुए कुमार ने तर्क पेश किया है कि एफएसएसएआई एक्ट के अनुसार ऐसे किसी भी फूड प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जिसमें तंबाकू और निकोटिन की मात्रा उपलब्ध हो. कुमार ने कहा कि हालांकि, एफएसएसएआई के खाद्य उत्पादों की सूची में खैनी शामिल नहीं है. इसमें एक बार शामिल हो जाने के बाद, सरकार के लिए प्रतिबंध लगाना आसान होगा.

खैनी, नीतीश कुमार, बिहार, शराबबंदी   लोगों का तर्क है कि जिस तरह का मुख्यमंत्री का स्वाभाव है वो अपनी इस मुहीम में भी कामयाब हो जाएंगे

खैर, जब से ये खबर बिहार में फैली है दरभंगा से लेकर सीवान और समस्तीपुर से लेकर सासाराम तक राज्य के लगभग सभी खैनीखोर आहत हैं और सिर पकड़ के रो रहे हैं और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कोस रहे हैं. शराब तक तो बात ठीक थी. मगर इस खबर के बारे में यही अनुमान लगाए जा रहे हैं कि ऐसा होना मुश्किल है. बहरहाल अब अगर बिहार के मुख्यमंत्री शराबियों की ही तरह राज्य भर के खैनीखोरों पर नकेल कसने में कामयाब हुए तो वाकई ये एक सराहनीय प्रयास होगा.

गौरतलब है कि खैनी बिहार में मुंह के कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है और राज्य की एक बड़ी आबादी खुले तौर से इसका सेवन करते पाई जाती है. यदि राज्य के मुख्यमंत्री इस नामुमकिन सी चीज को अमली जामा पहना लेते हैं तो कहीं न कहीं ये अड़ोस पड़ोस के राज्यों को प्रेरित करेगा कि वो भी कुछ इस तरह की मुहीम चलाएं और अपने-अपने राज्यों को नशा मुक्त बनाएं.

अब बिहार में खैनी बंद होती है या नहीं ये तो भविष्य बताएगा, मगर वर्तमान में राज्य के लोग बड़ा परेशान हैं. लोग इस बात को जानते हैं कि नीतीश कुमार शराब और खैनी जैसी चीजों से दूर हैं न ये खुद खा रहे हैं और न ही किसी को खाने देंगे.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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