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Updated: 24 जुलाई, 2017 10:33 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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मैं इस बात का समर्थन डंके की चोट पर करता हूं कि, एक राष्ट्र का विकास तब ही संभव है, जब उस राष्ट्र के अन्दर रह रहे लोगों में राष्ट्रवाद का संचार होता रहे. इसे यूं भी समझा जा सकता है कि अलग-अलग माध्यमों से राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रवाद का डोज निश्चित समय पर मिलते रहना चाहिए. इससे जहां एक तरफ सेहत अच्छी रहती है, तो वहीं दूसरी ओर व्यक्ति देशभक्ति की भावना से भी लबरेज रहता है.

बात बीते दिन की है. तमाम कारणों से विवादों और सोशल मीडिया के पक्के राष्ट्रवादियों की नजर में 'एंटीनेशनल' जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने क्रिकेटर गौतम गंभीर की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनरल वीके सिंह से अपील की है कि उन्हें भारतीय सेना से एक तोप दिलाई जाए, जिसे यूनिवर्सिटी के भीतर रखा जाएगा. जिसे देखकर छात्र प्रेरणा लेते रहें कि हमारे देश के लिए जवान कितना बलिदान करते हैं.

जेएनयू, राष्ट्रवाद, भारतीय सेना  कैम्पस से राष्ट्रवाद सिखाने के मुद्दे पर मैं 'वाइस चांसलर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं

इस मुद्दे और इस मुहीम पर मैं वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हूं. 'कैग की रिपोर्ट' भले ही 10 दिन में गोला बारूद खत्म होने की बात कहे.  मगर व्यक्तिगत रूप से मैं यही चाहता हूं कि कैम्पस में तोप आए उसे लगाया जाये. कव्वे और कबूतर उसमें बैठे, उसे गंदा करें, और उसे देखते हुए हम में देशभक्ति की भावना का संचार होता रहे.

बात अगर राष्ट्रवाद की हो तो हाल फ़िलहाल मैं चीन को लेकर बेहद राष्ट्रवादी हो गया हूं. मैंने चाउमीन में हल्दी डाल कर और मोमो में करी पत्ता और धनिया पाउडर डालकर चीन से बदला लेने की पूरी योजना बना ली है. बड़े अंदर की बात बता रहा हूं आपको. किसी से शेयर मत करियेगा. ये योजना मैंने एक A4साइज के कागज पर बनाई है जिसे मैं लगातार अपग्रेड कर रहा हूं. जिस दिन योजना पक्की हो गयी, उस दिन उसे अमली जामा पहना दूंगा.

जेएनयू, राष्ट्रवाद, भारतीय सेनाव्यक्ति में राष्ट्रवाद के संचार के लिए अब जेएनयू पूरी तरह तैयार है

बहरहाल, मैं आज सुबह से ही परेशान हूं और इस बारे में सोच रहा हूं कि आखिर किस तरह मैं वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार की मदद करूँ. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं जहां रहता हूं वहां से जेएनयू काफी दूर है. एक बार मैंने गंगा ढाबे पर ब्रेड रोल खाने और चाय पीकर जेएनयू के एंटीनेशनल लोगों को सबक सिखाने की सोची थी. जज्बात के समुन्दर में गोते लगाते हुए उस दिन मैंने मोबाइल निकाला और ओला और उबर दोनों की ऐप खोली. ऐप ने बताया कि जहां मैंने रहता हूं वहां से जेएनयू का एक तरफ का किराया 218 है यानी दोनों तरफ के 436 रुपए. तो उस दिन मैंने जेएनयू जाकर क्रांति करने का प्लान त्याग दिया.

लेकिन इस तोप वाली घटना ने मेरे अंदर सो रहे राष्ट्रवादी को पुनः जगा दिया है. मुझे किसी भी हालत में, कोई भी समझौता न करते हुए, एक बार फिर क्रांति करनी है. इस बार मैं क्रांति का बिगुल अपने ही घर में मौजूद कमरे से बजाऊंगा. इस बार मैंने सॉलिड प्लान बनाया है. मेरे दो रूम पार्टनर हैं. एक राहुल. दूसरा सौरव. दोनों राष्ट्रवादी हैं. राहुल सिंगल हड्डी है और सौरव हट्टा कट्टा और सेहतमंद हैं. मेरी उन दोनों से बात हो चुकी है.

हमारा प्लान है कि आने वाले किसी भी दिन हम म्युचुअल रूप से छुट्टी लेंगे और सौरव की पीठ में कील ठोंक कर उसमें 12 बोर का कट्टा, कंट्री मेड पिस्टल, सुतली बम, दो-चार ब्लेड टाँगेंगे. ताकि जब भी मैं और राहुल, युद्धभूमि बन चुकी उस पीठ को देखें तो हमारे अंदर देशभक्ति वाली फीलिंग आए. बाकी हमारा प्लान ये भी है कि हम दोनों सौरव की उस पीठ को दंडवत प्रणाम करते हुए फोटो खिचाएंगे और उसे फेसबुक और व्हाट्सऐप पर शेयर करेंगे, ताकि हमारी तरह और लोगों में भी राष्ट्रवाद की भावना का संचार हो.

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बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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